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विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है

विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है
चोटिल होने के चलते ही भारत के खिलाफ सेमीफाइनल में इन खिलाड़ियों को मौका नहीं दिया गया। मार्क वुड और डेविड मलान की जगह सेमीफाइनल में इंग्लैंड टीम ने क्रिस जॉर्डन और फिल साल्ट को प्लेइंग इलेवन में मौका दिया गया।फाइनल मैच के लिए तेज गेंदबाज मार्क वुड की वापसी की संभावना ज्यादा है।उनकी विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है वापसी होती है तो क्रिस जॉर्डन को बाहर बैठना पड़ सकता है।

Pak vs Eng Final, T20 World Cup 2022 इंग्लैंड की प्लेइंग- 11 में होगा बदलाव, इस घातक खिलाड़ी की वापसी तय

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क्रिकेट न्यूज़ डेस्क।टी 20 विश्व कप 2022 के फाइनल मैच के तहत पाकिस्तान और इंग्लैंड के बीच भिड़ंत होगी। दोनों टीमों के बीच खिताबी मुकाबला रविवार 13 नवंबर को मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर खेला जाएगा। मुकाबले से पहले बड़ा सवाल यह है कि दोनों टीमों की प्लेइंग इलेवन क्या हो विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है सकती है? हम यहां सबसे पहले इंग्लैंड की प्लेइंग इलेवन की बात कर रहे हैं। टी20 विश्व कप 2022 के फाइनल मैच के लिए इंग्लैंड की प्लेइंग इलेवन में बदलाव हो सकते हैं।

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सेमीफाइनल मैच में भारत के खिलाफ इंग्लैंड के कुछ खिलाड़ी चोट के चलते नहीं खेल पाए थे लेकिन अब इन खिलाड़ियों की फाइनल मैच के लिए वापसी हो सकती है। यही वजह है कि इंग्लैंड की टीम में बदलाव की पूरी गुंजाइश है।घातक तेज गेंदबाज मार्क वुड और डेविड मलान की वापसी हो सकती है ।

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PAK Vs ENG FINAL पॉवरप्ले में कहर बरपाएंगे Shaheen Afridi, इंग्लैंड की बढ़ने वाली हैं मुश्किलें

मुकाबले से पहले इंग्लैंड के कोच मैथ्यू मॉट ने भी इस बारे में बात करते हुए कहा कि उनकी उपलब्धता के विकल्प पर विचार किया जाएगा।बता दें कि सुपर -12 राउंड के आखिरी मैच में श्रीलंका के खिलाफ मार्क और डेविड मलान को चोट का सामना करना पड़ा था।

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चोटिल होने के चलते ही भारत के खिलाफ सेमीफाइनल में इन खिलाड़ियों को मौका नहीं दिया गया। मार्क वुड और डेविड मलान की जगह सेमीफाइनल में इंग्लैंड टीम ने क्रिस जॉर्डन और फिल साल्ट को प्लेइंग इलेवन में मौका दिया गया।फाइनल मैच के लिए तेज गेंदबाज मार्क वुड की वापसी की संभावना ज्यादा है।उनकी वापसी होती है तो क्रिस जॉर्डन को बाहर बैठना पड़ सकता है।

इंग्लैंड की संभावित प्लेइंग-XI : एलेक्स हेल्स, जोस बटलर, फिलिप साल्ट, बेन स्टोक्स, हैरी ब्रूक, लियाम लिविंगस्टोन, मोईन अली, सैम करेन, क्रिस वोक्स, आदिल राशिद और मार्क वुड

विदेश में पढ़ाई के लिए रुपए में लोन लेना बेहतर विकल्प हो सकता है

प्रतिभाशाली भारतीयों का आज सपना है कि वे भारत या दुनिया के किसी बेहतर इंस्टीट्यूट से उच्च शिक्षा हासिल करें। लेकिन उच्च शिक्ष का बढ़ता खर्च लोगों के बूते से बाहर हो रहा है। ऐसे में एजुकेशन लोन उन योग्य स्टूडेंट्स के लिए ऐसा विकल्प है जो उन्हें पसंद के इंस्टीट्यूट से उच्च शिक्षा हासिल करने में आर्थिक मदद मुहैया करा सकता है।

बैंक चार लाख रुपए तक के लोन पर कोई मार्जिन मनी लेते हैं। लेकिन इससे अधिक राशि के लोन के लिए भारत में पढ़ाई करने पर बैंक 5% और विदेश में 15% मार्जिन मनी लेते हैं। मार्जिन मनो वह रकम होती है, जो आवेदक को डाउन पेमेंट के तौर पर देनी पड़ती है। जहाँ तक एचडीएफसी क्रेडिला की बात है यह कोइ एजुकेशन लोन पर किसी तरह की मार्जिन मनी नहीं लेती है। यह ट्युशन फीस के अलावा रहने के खर्च, यात्रा आदि के पूरे खर्च के लिए एजुकेशन लोन दैती है। इसके अलावा, धारा विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है 80-ईं के तहत एजुकेशन लोन पर आकर्षक टैक्स बेनिफिट उपलब्ध हैं। इसमें ब्याज राशि पर टैक्स छूट की कोई ऊपरी सीमा नहीं है। आवेदक या सह-कर्जधारक इस आयकर छूट का लाभ उठा सकते हैं।

आज के अनिश्चित वैश्विक आर्थिक माहौल में और शिक्षा के बढ़ते खर्च को देखते हुए 10-12 साल की लंबी अवधि के लिए एजुकेशन लोन लेना समझदारी है। पढ़ाई की अवधि के दौ़रान माता-पिता भी एजुकेशन लोन के ब्याज का पूरा या इसके एक हिस्से का भुगतान करना शुरू कर सकते हैं। स्ट्डेट्स को एजुकेशन लोन की को पूरी सवधानी के साथ खर्च करना चाहिए और उतना ही कर्ज लें जितना आवश्यक लो। वित्तीय रूप से अनुशासित स्टुडेंट्स और माता-पिता खर्च में बचत के लिए नए-नए तरीके अपना सकते हैं।

दुनिया में जारी उथल-पुथल और विभिन्न देशों की ईमिग्रेशन नीति की अनिश्चितता से एक अशाँत रुझान उभरकर सामने आ रहा है। ऐसे में भारत के किसी कर्जदाता से एजुकेशन लोन लेना बेहतर रहेगा क्योंकि वह रुपये मे कर्ज देगा और ईएमआई वी राशि भी विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है रुपए मेँ ही तय होगी। भारतीय मुद्रा के प्रभुत्व वाला एजुकेशन लोन लेने का फायदा यह है कि स्टूडेंट स्वदेश लौटकर भारत में काम करना शुरू करता है विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है तो उसके लोन पर करेंसी में उतार-चढ़ाव का कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि उसकी आमदनी और ईएमआई दोनों भारतीय रुपए में होंगी। वहीँ, ऐसे मामले जिनमें एजुकेशन लोन विदेशी कर्जदाता से लिया गया, ईएमआई भी विदेशी मुद्रा में निर्धारित थी, रुपए के कमजोर होने पर इनकी इश्मआई अचानक इतनी बढ़ गईं कि इसे चुकाना मुश्किल हो गया और उन्हे अपने कर्ज को भारतीय मुद्रा में कन्व्हर्ट कराना पड़ा।

हाल के वर्षों में रुपए में भारी उतार-चढाव देखने को मिला है। 30 सितंबर 2014 को रुपए की कीमत प्रति डॉलर 61.75 थी। पिछले साल 9 अक्टूबर को वह 74.39 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था। जबकी बीते शुक्रवार ( 20 सितंबर ) को यह एक डॉलर के सामने 70.94 पर बंद हुआ है। रिकॉर्ड निचले स्तर की बात करें तो पिछले पांच साल में रुपया 20.47% और शुक्रवार के बंद स्तर की बात करें तो 14.88% कमजोर हुआ है। डॉलर के मजबूत होने और रुपए के कमजोर से उच्च शिक्षा का खर्च अमेरिकी मुद्रा में भले महज 4.81% बढ़ें, लेफिन भारतीय मुद्रा के कमजोर होने से शिक्षा का खर्च इससे अधिक बढ़ता है। बच्चों कौ उच्च शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन लेने गले माता-पिता को मुद्रा के उतार-चढाव से अचानक आने वाले आर्थिक भार के लिए भी योजना बनाकर रखनी चाहिए।

मोदी के गुजरात में केजरीवाल की अनहोनी!

गुजरात 2022 से हिंदुओं को आगे की राजनीति का तीसमार खां मिलने वाला है। भले विधानसभा चुनाव में सीटों की संख्या में आप पार्टी उथल-पुथल नहीं कर पाए लेकिन अरविंद केजरीवाल को गुजरात से वह हल्ला मिलेगा, जिससे वे हिंदू राजनीति का मान्य दमदार चेहरा होंगे। गुजरात की हिंदू प्रयोगशाला में केजरीवाल ने यदि शहरों, शहरी सीटों में 15 से 25 प्रतिशत वोट भी पा लिया तो भाजपा को लेने के देने पड़ेंगे। इसलिए कि यदि मोदी के गुजराती हिंदुओं में केजरीवाला ब्रांड मान्य तो उत्तर भारत के हिंदू अपने आप केजरीवाल पर सोचते हुए? गुजरात के हिंदू विकल्प चाहते है यह नरेंद्र मोदी-अमित शाह द्वारा एक-तिहाई विधायकों के टिकट काटने से जाहिर हैं। खुद नरेंद्र मोदी जुमले बोलने लगे हैं कि मैंने गुजरात बनाया! मतलब केजरीवाल का यहां क्या मतलब! पर केजरीवाल की घोषणाओं, रेवड़ियों के वादों में गुजरात सोचता हुआ हैं। गुजराती अपनी भूख, गरीबी जाहिर करते हुए है।

उस नाते गुजरात का चुनाव ताजा बनाम बासी कढ़ी का भी दंगल है, जिसमें नरेंद्र मोदी को अपने आपको रिइनवेंट करना पड़ रहा है। थोक में नए चेहरे उतारने पड़ रहे हैं। नई तरह का घोषणापत्र बनवाना पड़ रहा है। मोदी को न केवल अकेले पूरी ताकत लगानी पड़ रही है, बल्कि ऐसा संकट है जो केजरीवाल एंड पार्टी का गुजरात से ध्यान हटवाने के लिए मोदी-शाह ने दिल्ली एमसीडी के विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है चुनाव करवाने का फैसला लिया।

केजरीवाल के मास्टरस्ट्रोक कई हैं। उनकी फ्री की बिजली जैसे वादों की शहरी गरीब आबादी में चर्चा है। सोशल मीडिया और चुनावी हल्ला बोल की प्रबंधन टीम भाजपा से बीस है। आप का चुनावी गाना हो या पिछड़ी जाति के मीडिया चेहरे इसुदान गढ़वी को सीएम चेहरा घोषित करना सब लोगों में विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है हल्ला बना रहा है। लोगों में इन तस्वीरों का असर निश्चित होगा कि एक तरफ मंच पर केजरीवाल, भगवंत मान और इसुदान गढ़वी तीनों बेबाक बोलते हुए, संवाद और अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए वहीं प्रदेश में अब तक सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी बोलते हुए। भाजपा में दूसरे किसी का कोई मतलब नहीं। न मुख्यमंत्री का मतलब और न अमित शाह या किसी भी दूसरे नेता का कोई वजूद!

हां, चुनाव से जाहिर हो रहा है कि पिछले 22 सालों, और खासकर सन् 2014 के बाद गुजरात में भाजपा का जो पीक था वह ढलान पर है। भाजपा व संघ खत्म तथा और सिर्फ नरेंद्र मोदी का चेहरा। नरेंद्र मोदी के दिल्ली में पीएम बनने और आनंदीबेन के राज्यपाल बनने के बाद गुजरात में सरकार, राजनीति, भाजपा और संघ सब दिल्ली में नरेंद्र मोदी के रिमोट से चलते हुए हैं। गुजरात में भाजपा और दिवगंत अहमद पटेल के कारण कांग्रेस भी पूरी तरह दिल्ली के रिमोट में चली गई थी, जिसके कारण पार्टी संगठन, लोकल लीडरशीप, कार्यकर्ता-संगठन-मुद्दों सब में प्रदेश कांग्रेस खाली। इसी हकीकत को पकड़ कर ही केजरीवाल और उनकी चुनाव टीम खालीपन को भर रही है। उसके उम्मीदवार सबसे पहले घोषित। घोषणाओं और वादों का छह महीने से हल्ला और ठीक समय पर मुख्यमंत्री का चेहरा भी घोषित। सबसे बड़ी बात जो गुजरात के नैरेटिव में रत्ती भर यह हल्ला नहीं कि अरविंद केजरीवाल मुस्लिमपरस्त हैं। उलटे राष्ट्रवादी, भारत माता का जयकारा लगाने वाले लक्ष्मी-गणेश की पूजा करने वाले वे सच्चे बनिये की इमेज लिए हुए है जो लक्ष्मीमां की कृपा से गुजरातियों पर पैसे की बारिश कराने का इलहाम लिए हुए हैं।

हां, गुजराती को पैसा चाहिए, फ्री की बिजली, स्कूल-चिकित्सा आदि सब चाहिए। यह हैरानी की बात है मगर सत्य की पंजाब और दिल्ली के मुकाबले गुजरात में लोग केजरीवाल की रेवड़ियों से उन्हें रियल विकल्प समझते हुए हैं। केजरीवाल और उनकी पार्टी गुजरातियों में न केवल नए हिंदू विकल्प के नाते ताजगी और स्फूर्ति बनवाते हुए है, बल्कि फ्री और हजार-दो हजार रुपए की नकदी जैसे वादों से लालच की उस मनोवृत्ति को उकेरते हुए हैं, जो पैसे के कारण गुजरातियों का सहज स्वभाव है। इसलिए इतना तय है कि शेर की मांद में, नरेंद्र मोदी के अवतारी हिंदू राजा के घर में आठ दिसंबर को केजरीवाल से कुछ तो अनहोनी होगी। मतलब केजरीवाल भाजपा के वोट तो खाएंगे ही! कितने प्रतिशत इसका जवाब आठ दिसंबर को मिलेगा।

By हरिशंकर व्यास

भारत की हिंदी पत्रकारिता में मौलिक चिंतन, बेबाक-बेधड़क लेखन का इकलौता सशक्त नाम। मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक-बहुप्रयोगी पत्रकार और संपादक। सन् 1977 से अब तक के पत्रकारीय सफर के सर्वाधिक अनुभवी और लगातार लिखने वाले संपादक। ‘जनसत्ता’ में लेखन के साथ राजनीति की अंतरकथा, खुलासे वाले ‘गपशप’ कॉलम को 1983 में लिखना शुरू किया तो ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ में लगातार कोई चालीस साल से चला आ रहा कॉलम लेखन। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम शुरू किया तो सप्ताह में पांच दिन के सिलसिले में कोई नौ साल चला! प्रोग्राम की लोकप्रियता-तटस्थ प्रतिष्ठा थी जो 2014 में चुनाव प्रचार के प्रारंभ में नरेंद्र मोदी का सर्वप्रथम इंटरव्यू सेंट्रल हॉल प्रोग्राम में था। आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों को बारीकी-बेबाकी से कवर करते हुए हर सरकार के सच्चाई से खुलासे में हरिशंकर व्यास ने नियंताओं-सत्तावानों के इंटरव्यू, विश्लेषण और विचार लेखन के अलावा राष्ट्र, समाज, धर्म, आर्थिकी, यात्रा संस्मरण, कला, फिल्म, संगीत आदि पर जो लिखा है उनके संकलन में कई पुस्तकें जल्द प्रकाश्य। संवाद परिक्रमा फीचर एजेंसी, ‘जनसत्ता’, ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, ‘राजनीति संवाद परिक्रमा’, ‘नया इंडिया’ समाचार पत्र-पत्रिकाओं में नींव से निर्माण में अहम भूमिका व लेखन-संपादन का चालीस साला कर्मयोग। इलेक्ट्रोनिक मीडिया में नब्बे के दशक की एटीएन, दूरदर्शन चैनलों पर ‘कारोबारनामा’, ढेरों डॉक्यूमेंटरी के बाद इंटरनेट पर हिंदी को स्थापित करने के लिए नब्बे के दशक में भारतीय भाषाओं के बहुभाषी ‘नेटजॉल.काम’ पोर्टल की परिकल्पना और लांच।

नए विकल्प: विदेशी मुद्रा रिजर्व से आय बढ़ाने के लिए RBI की नई रणनीति, निवेश के अलग-अलग विकल्पों पर नजर

कोरोना के कारण वैश्विक ब्याज दरों में भारी गिरावट देखी जा रही है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा रिजर्व से आय बढ़ाने के लिए निवेश के अलग-अलग विकल्पों पर काम कर रही है। रॉयटर्स के मुताबिक वर्तमान में आरबीआई का विदेशी मुद्रा रिजर्व 560.63 अरब डॉलर है।

महामारी का असर

रॉयटर्स के मुताबिक भारतीय सेंट्रल बैंक अब तक गोल्ड, सॉवरेन विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है डेट और अन्य रिस्क फ्री डिपोजिट में निवेश करता रहा है। लेकिन 2020 में कोरोना महामारी के कारण दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों ने ब्याज दरों में कटौती किए, जिसमें अमेरिकी सेंट्रल बैंक भी शामिल है। इससे आरबीआई को मिलने वाले रिटर्न में कमी आई है। अब आरबीआई ने गोल्ड में निवेश बढ़ाने का फैसला लिया है। रॉयटर्स के मुताबिक आरबीआई गोल्ड के साथ-साथ डॉलर और AAA रेटेड कॉर्पोरेट बांड में पहली बार निवेश बढ़ा रहा है।

नए निवेश से पहले सतर्कता

आधिकारिक बयान के मुताबिक आरबीआई, AAA रेटेड कॉर्पोरेट डॉलर बांड्स में निवेश की संभावनाओं को परख रहा है, जो वर्तमान में सॉवरेन क्रेडिट से बेहतर रिटर्न दे रहे हैं। इससे पहले आरबीआई ने इस तरह के निवेश नहीं किए हैं, इसलिए आरबीआई निवेश से पहले सतर्कता बरत रही है। बयान में कहा गया कि वर्तमान में रुपए का भाव भी अनुरूप है। दूसरी ओर विदेशी निवेशक लगातार भारतीय स्टॉक मार्केट में निवेश कर रहे हैं। क्योंकि उनको बेहतर रिटर्न मिल रहा है। 2020 में देश में एफडीआई से भी डॉलर की आमदनी बढ़ी है। क्योंकि आरआईएल जैसी कंपनियों में विदेशी निवेशकों ने हिस्सेदारी खरीदी है।

भारत में विदेशी निवेश

रॉयटर्स के मुताबिक डॉलर की खरीद लगातार बढ़ेगी। क्योंकि सरकार और आरबीआई दोनों के लिए 73-75 रुपए प्रति डॉलर की रेंज ठीक-ठाक है। चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी में गिरावट का अनुमान है फिर भी विदेशी निवेश में अच्छी बढ़त देखने को मिली रही। रॉयटर्स के मुताबिक अक्टूबर में विदेशी निवेशकों ने 2.52 बिलियन डॉलर के शेयर खरीदें और 2020 में अब तक कुल 6.47 बिलियन डॉलर का निवेश किया जा चुका है। जबकि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने 2020 में 13.98 बिलियन डॉलर के बांड बेचे और अक्टूबर में 459.30 मिलियन डॉलर के खरीदें हैं।

रुपए में गिरावट

दूसरी ओर रुपए का भाव अक्टूबर में लगातार तीसरे महीने नीचे फिसला। एशियाई करेंसी में रुपए में यह गिरावट सबसे बुरी रही। रॉयटर्स के मुताबिक 10 साल का यील्ड वैश्विक ब्याज दरों की तुलना में लगभग 6% रही, जो जीरो या निगेटिव हैं। इसलिए आने वाले दिनों में निवेश में बढ़त देखी जा सकती है और आरबीआई आगे भी रुपए की मजबूती के लिए डॉलर को खरीदेगा। सूत्रों के मुताबिक रिजर्व बैंक ने गोल्ड में निवेश करना शुरु भी कर दिया है। रॉयटर्स के मुताबिक भारत का गोल्ड रिजर्व 23 अक्टूबर तक 36.86 बिलियन डॉलर का रहा, जो पिछले साल की समान अवधि में 30.89 बिलियन रहा था।

एचईसी : वेतन के लाले, फिर भी अधिकारियों ने दीपक जलाए, उजाले की कामना की

भारी अभियंत्रण निगम एचईसी के अधिकारियों का वेतन भुगतान की मांग को लेकर मुख्यालय में आंदोलन मंगलवार को 12 वें दिन भी जारी रहा। एचईसी के स्थापना दिवस.

एचईसी : वेतन के लाले, फिर भी अधिकारियों ने दीपक जलाए, उजाले की कामना की

रांची, वरीय संवाददाता। विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है भारी अभियंत्रण निगम एचईसी के अधिकारियों का वेतन भुगतान की मांग को लेकर मुख्यालय में आंदोलन मंगलवार को 12 वें दिन भी जारी रहा। एचईसी के स्थापना दिवस विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है पर अधिकारियों ने मुख्यालय के मुख्य द्वार पर दीपक जलाया और निगम और उनके जीवन में उजाला की कामना की। इसके बावजूद प्रबंधन की ओर से स्थापना दिवस को लेकर पहले की तरह किसी तरह से का सर्कुलर नहीं आया। अधिकारियों ने कर्तव्य निर्वहन करते हुए दीपक प्रज्वलित किए।

देश को समर्पित होने के 59 सालों के इतिहास में भले ही भारत के मातृ उद्योग ने कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन कभी भी कंपनी को ऐसे गर्त में नहीं छोड़ा गया, जिसके लिए केवल कमजोर विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है प्रबंधन और मंत्रालय की उदासीनता जिम्मेदार है। अधिकारियों ने कहा कि स्थापना काल 15 नवम्बर 1963 को स्वदेशी रूप से इस्पात संयंत्र उपकरणों के निर्माण की सुविधा विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है के लिए एचईसी देश को समर्पित हुआ था। एचईसी ने विभिन्न क्षेत्रों में विविधीकरण किया और आयात-विकल्प उत्पादों के निर्माण और आपूर्ति के लिए सराहनीय योगदान दिया। निगम के बूते देश को विदेशी मुद्रा की बचत हुई।

प्रोजेक्ट भवन मार्ग को जाम कर 28 को प्रदर्शन करेंगे एचईसी के कामगार

बकाया वेतन भुगतान की मांग को लेकर एचईसी के कामगार 28 नवम्बर को एचईसी मुख्यालय के मुख्य द्वार का घेराव कर सड़क जाम करेंगे। हटिया मजदूर यूनिनय सीटू के आह्वान पर कामगार विरोध प्रदर्शन के क्रम में प्रोजेक्ट भवन सचिवालय मार्ग को जाम कर सड़क पर विरोध-प्रदर्शन करेंगे। इससे पूर्व सभी कामगार अपने प्लांट से निकल कर दिन के दस बजे मुख्यालय पहुंचेंगे। वहीं बी और सी शिफ्ट के कामगार दिन के दस बजे धुर्वा गोलचक्कर पर एकत्र होंगे। वहां से सभी रैली के रूप में मुख्यालय पहुंचेंगे।

इधर, संगठन की ओर से मंगलवार को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती व एचईसी और झारखंड राज्य के स्थापना दिवस पर समारोह का आयोजन किया। संगठन के अध्यक्ष भवन सिंह ने भगवान बिरसा मुंडा के तैल चित्र पर और हरेंद्र यादव ने पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके बाद संगठन से जुड़े कामगारों ने भी पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। संगठन के भवन सिंह ने कहा कि नौ माह से बकाया वेतन का भुगतान नहीं हुआ है। बोनस का भी अभी तक पता नहीं है।

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