भारत में डिजिटल विकल्प कैसे काम करते हैं

डिजिटल रैली हो सकती है तो ऑनलाइन वोटिंग क्यों नहीं?
तमाम देशों में इलैक्ट्रानिक वोटिंग आम बात है। तमाम कंपनियां किसी मुद्दे पर जनता का राय जानने के लिए एप का सहारा लेती हैं। ऐसे में बिना बिना कतार में लगे या फिर अपना समय खर्च किए बिना आसानी से वोटिंग क्यों नहीं की जा सकती है। वह भी तब जब कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है तब ऑनलाइन वोटिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
Published: January 06, 2022 03:07:03 pm
लखनऊ. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया है कि वह कोरोना के खतरे को देखते हुए ऑनलाइन वोटिंग कराए। ई वोटिंग कोई नया शब्द नहीं है। तमाम देशों में इलैक्ट्रानिक वोटिंग आम बात है। तमाम कंपनियां किसी मुद्दे पर जनता का राय जानने के लिए एप का सहारा लेती हैं। ऐसे में बिना बिना कतार में लगे या फिर अपना समय खर्च किए बिना आसानी से वोटिंग क्यों नहीं की जा सकती है। वह भी तब जब कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है तब ऑनलाइन वोटिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है। वैसे भी जब डिजिटल रैलियां हो रही हैं तो ऑनलाइन वोटिंग क्यों नहीं हो सकती।
कोरोना की पहली लहर के बाद नवंबर 2020 में बिहार में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी ऑनलाइन वोटिंग की बात उठी थी। तब यह तर्क दिया गया था कि ऑनलाइन मतदान तेज और विश्वसनीय नतीजे दे सकता है। इससे मतदान प्रतिशत भी बढ़ सकता है। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट भी अनिवासी भारतीयों को अपना वोट डालने के लिए केंद्र सरकार को यह निर्देश दिया था कि वह अनिवासी भारतीयों को ई-वोटिंग का अधिकार दे। ताकि उन्हें वोट देने के लिए भारत न आना पड़े।
वैसे भी भारत में पोस्टल वोटिंग का प्रावधान शुरू से ही रहा है। जो लोग सेना में हैं या बाहर भारतीय दूतावासों में काम करते हैं, वे इस अधिकार का उपयोग करते हैं। यूपी समेत पांच अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में पहली बार विकलांग और बूढ़ों को घर बैठे वोटिंग की सुविधा दी गयी है। ऐसे में ई-वोटिंग इसी का विस्तार है। पोस्टल वोटिंग और ई-वोटिंग में अंतर यह है कि पोस्टल वोटिंग में चुनाव तिथि के सात दिन पहले तक वोट भेजने की अनुमति होती है जबकि ई-वोटिंग में उसी दिन, उसी समय वोटिंग संभव हो जाती है।
ऑनलाइन वोटिंग के लिए फिक्स या मोबाइल इंटरनेट कनेक्शन के जरिये यह सुविधा दी जा सकती है। वोटिंग के लिए पहले वोटरों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा। उसी वक्त वोटर का फोटो भी रजिस्टर्ड कर दिया जाएगा। ऐसे मतदाताओं का नाम सामान्य मतदाता सूची से भारत में डिजिटल विकल्प कैसे काम करते हैं निकाल दिया जाएगा। यानी एक बार ई-वोटर के तौर पर रजिस्टर्ड होने के बाद वह व्यक्ति बूथ पर जाकर मतदान नहीं कर सकेगा।
ई-वोटिंग के वक्त मतदाता की पहचान नहीं हो पाएगी। यह भी सुनिश्चित नहीं हो पाएगा कि वोटिंग के वक्त वोटर को प्रभावित तो नहीं किया जा रहा है। बोगस वोटिंग की आशंका भी है। दूसरे फिक्स्ड इंटरनेट वोटिंग के लिए यह जरूरी है कि जिस कंप्यूटर से रजिस्ट्रेशन हुआ है भारत में डिजिटल विकल्प कैसे काम करते हैं वोटिंग भी उसी से की हो। यानी एक कंप्यूटर से एक ही वोटर मतदान कर सकेगा। ऐसे में अगर एक घर में छह वोटर होंगे तो सभी के लिए अलग-अलग कंप्यूटर की जरूरत होगी। जिनके पास खुद का कंप्यूटर नहीं होगा, उनके लिए ई-पोलिंग बूथ की व्यवस्था करनी होगी।
चुनाव आयोग ई-वोटिंग की पहल कर चुका है। गुजरात नगरपालिका में 2010 और 2011 में मतदान कराया गया था। तब कहा गया था कि ऑनलाइन वोटिंग में वोटर आइडेंटिफिकेशन के लिए आधार कार्ड और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के डेटा का प्रयोग करके उसे ऑनलाइन लिंक किया जा सकता है। इससे वेरिफिकेशन आसान हो जाएगा।
अफ्रीकी देशों में ई वोटिंग पद्धति लंबे समय से ही। है क्योंकि वहां बड़ी आबादी दूसरे देशों में रहती है। ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे और कनाडा जैसे कुछ अन्य देशों में भी ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा है। के प्रयोग शुरू हो चुके हैं। अमेरिका में भी इसकी मांग की जा रही है। कोरोना काल में ऑनलाइन मताधिकार का प्रयोग वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने का अच्छा तरीका हो सकता है।
डिजिटल गोल्ड क्या हैं | क्या आपको इसमें निवेश करना चाहिए?
आज हम Digital Gold के कई महत्वपूर्ण सवालों के बारे में बात करेंगे जैसे की डिजिटल गोल्ड क्या हैं (What is Digital Gold), ये कैसे काम करता हैं और डिजिटल गोल्ड के फायदे और नुकसान। साथ में इस आर्टिकल के अंत में हम बात करेंगे की क्या आपको डिजिटल गोल्ड में निवेश करना चाहिए या नहीं।
डिजिटल गोल्ड क्या हैं (What is Digital Gold in Hindi)
अगर बिलकुल आसान भाषा में बात की भारत में डिजिटल विकल्प कैसे काम करते हैं जाए तो डिजिटल गोल्ड फिजिकल गोल्ड में इन्वेस्ट करने का एक तरीका हैं। जैसे आप किसी दुकान से गोल्ड खरीदते हैं ठीक वैसे ही आप ऑनलाइन प्लेटफार्म से डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं।
ऑनलाइन गोल्ड को सेलर कस्टमर के लिए स्वयं स्टोर करके रखता हैं। आप मात्र ₹1 का भी शुद्ध 24 कैरेट गोल्ड खरीद और बेच सकते हैं।
इस प्रकार डिजिटल गोल्ड को ख़रीदना एक ऐसा वर्चुअल तरीका हैं जिससे आप बिना किसी फिजिकल डिलीवरी के सोना खरीदकर उसमें निवेश कर सकते हैं। इसमें वास्तविक स्वामित्व आपके पास ही रहता हैं परन्तु जितना सोना आपने ख़रीदा हैं उतना सोना सर्विस प्रोवाइडर आपके लिए वॉल्ट में सुरक्षित रख देता हैं।
डिजिटल गोल्ड कैसे खरीदें (How to buy Digital Gold)
भारत में मुख्य रूप से तीन डिजिटल गोल्ड सेलर हैं।
- MMTC (Govt.)
- Safe Gold
- Augmont
ये तीनों कंपनिया गोल्ड खरीदती हैं और उनके प्लेटफार्म की तरफ से निवेशकों के गोल्ड को सुरक्षित रखती हैं। निम्न प्लेटफॉर्म्स की मदद से आप ई-गोल्ड खरीद सकते हैं –
- Paytm
- Phone pe
- Google Pay
- Airtel Payments Bank
- Amazon.in
- Tanishq
आप इनमें से किसी भी प्लेटफार्म पर जाकर डिजिटल गोल्ड खरीद कर उसमें निवेश कर सकते हैं। इनमें आप अपने गोल्ड को तुरंत बेच कर तुरंत भी बेच सकते हैं।
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डिजिटल गोल्ड के फायदे और नुकसान
इस डिजिटल जगत में डिजिटल गोल्ड निवेश के रूप में फिजिकल गोल्ड से आगे बढ़ रहा हैं। परंतु किसी भी इन्वेस्टमेंट प्लान को चुनते समय उसके फायदे और नुकसान के बारे में सही जानकारी होनी चाहिए जिससे की आप अपने लिए सर्वोत्तम निर्णय ले सके।
डिजिटल गोल्ड के फायदे (Benefits of Digital Gold)
(i) कोई मेकिंग चार्जेस नहीं – अगर आप फिजिकल गोल्ड खरीदते हो तो आपको 10 से 15% तक का मेकिंग चार्ज देने पड़ सकते हैं भारत में डिजिटल विकल्प कैसे काम करते हैं परंतु डिजिटल गोल्ड में आपको गोल्ड की वास्तविक डिलीवरी तो उठानी होती नहीं हैं। इससे आपकी 10 से 15% की अतिरिक्त लागत बच जाती हैं।
(ii) कोई न्यूनतम निवेश नहीं – डिजिटल गोल्ड में कोई भी न्यूनतम निवेश की आवश्यकता नहीं हैं। आप मात्र ₹1 का भी गुणवत्तापूर्ण सोना खरीद सकते हैं। वही फिजिकल गोल्ड में आपको ऐसी कोई सुविधा नहीं मिलती।
(iii) डिजिटल गोल्ड खरीदने पर आपको चोरी का कोई डर नहीं रहता जबकि फिजिकल गोल्ड में चोरी का खतरा हमेशा बना रहता हैं।
(iv) निवेशक जब चाहे अपने डिजिटल गोल्ड की फिजिकल डिलीवरी ले सकता हैं।
(v) डिजिटल गोल्ड को ऑनलाइन लोन में कोलेट्रल (collateral) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता हैं।
(vi) निवेशक जब चाहे अपने गोल्ड इन्वेस्टमेंट को 24×7 मार्केट रेट पर बेच सकता हैं।
(vii) गोल्ड आपके पोर्टफोलियो को डायवर्सिफिकेशन प्रदान करता हैं।
डिजिटल गोल्ड के नुकसान (Drawbacks of Digital Gold)
डिजिटल गोल्ड में निवेश करने के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं जिनका आपको ध्यान होना आवश्यक हैं।
(i) रेगुलेटर की अनुपस्थिति – डिजिटल गोल्ड के ट्रांजैक्शंस की देखरेख के लिए कोई नियामक नहीं हैं। जो इसे थोड़ा रिस्की बनाता हैं। जबकि ईटीएफ गोल्ड के लिए सेबी और सॉवेरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए आरबीआई नियामक हैं।
कोई रेगुलेटर नहीं होने की वजह से NSE ने अपने मेंबर्स पर डिजिटल गोल्ड को बेचने पर प्रतिबंध लगा दिए हैं जिससे Upstox, groww जैसे प्लेटफॉर्म अब डिजिटल गोल्ड की सेवाएं नहीं दे पाएंगे।
(ii) जब भी आप अपने डिजिटल गोल्ड की डिलीवरी लेना चाहते हैं तो आपको 3% GST देना होता हैं जो इसकी लागत बढ़ जाती हैं।
(iii) होल्डिंग चार्जेज – कुछ डिजिटल पार्टनर्स आपसे गोल्ड को vault में होल्ड करने के चार्ज भी वसूल करते हैं।
(iv) डिलीवरी और मेकिंग चार्जेस – अगर आप अपने डिजिटल गोल्ड की डिलीवरी लेना चाहते हैं तो आपको मेकिंग चार्जेज और डिलीवरी चार्ज देने होते हैं। ये डिजिटल गोल्ड का एक बहुत बड़ा नुकसान हैं।
(v) भारत में डिजिटल विकल्प कैसे काम करते हैं होल्ड करने की निर्धारित सीमा – डिजिटल गोल्ड में निवेश करने का एक अन्य बड़ा नुकसान हैं कि निवेशक इसे indefinite पीरियड के लिए होल्ड नहीं कर सकते। अधिकांश डिजिटल गोल्ड सर्विस प्रोवाइडर्स गोल्ड को डिजिटल रूप में होल्ड करने की एक निश्चित अवधि रखते हैं। इस अवधि के बाद या तो अपने डिजिटल गोल्ड को बेचना होगा या उसकी फिजिकल डिलीवरी होगी।
क्या डिजिटल गोल्ड इन्वेस्टमेंट में कोई लॉक-इन-पीरियड होता हैं?
डिजिटल गोल्ड निवेश में कोई भी लॉक इन पीरियड नहीं होता हैं। निवेशक जब चाहे अपने गोल्ड को बेच सकता हैं वो भी बिना किसी पेनल्टी के।
क्या डिजिटल गोल्ड इन्वेस्टमेंट सेफ हैं?
वैसे डिजिटल गोल्ड में कोई रेगुलेटरी अथॉरिटी नहीं हैं। परंतु फिर भी ये सुरक्षित निवेश माना जा सकता हैं। इसकी मुख्य वजह हैं MMTC जो एक सरकारी एजेंसी हैं जो इस फील्ड में कार्य कर रही हैं।
आप जो भी गोल्ड खरीदते हैं वह आपके वॉलेट में सुरक्षित रहता हैं जिससे धोखाधड़ी की संभावना कम रहती हैं।
लेकिन कोई नियामक नहीं होने की वजह से इसमें थोड़ी जोखिम अवश्य बन जाती हैं।
क्या आपको डिजिटल गोल्ड में निवेश करना चाहिए?
इस सवाल का उत्तर सभी निवेशकों के लिए अलग अलग हो सकता हैं। अगर आपको गोल्ड इन्वेस्टमेंट करना हैं और आप उसे फिजिकल फॉर्म में खरीदना चाहते हैं तो इसमें बिल्कुल भी समझदारी नहीं होगी। इसमें आपको मेकिंग चार्जेस, जीएसटी, डिस्मेंटलिंग चार्जेज आदि देने होते हैं जिससे आपको कोई फायदा नहीं होता।
अब इसका दूसरा विकल्प हैं डिजिटल गोल्ड। इसमें आपको फिजिकल गोल्ड जैसे चार्ज तो पे नहीं करने पड़ते परंतु डिलीवरी लेते समय आपको मेकिंग चार्जेस और GST देने होते हैं।
गोल्ड एक सेफ इन्वेस्टमेंट माना जाता हैं इस वजह से इसके रिटर्न भी कम होते हैं। इसलिए अगर आप एक ऐसे इन्वेस्टर हैं जो बहुत ही कम रिस्क लेना पसंद करते हैं तो आप डिजिटल गोल्ड में निवेश कर सकते हैं।
डिजिटल गोल्ड को होल्ड करने का निश्चित समय, रेगुलेटर की अनपस्थिति और स्प्रेड चार्जेज इसकी आकर्षकता को कम कम करते हैं।
इसलिए अगर आप एक ऐसे निवेशक हैं जिसकी उम्र कम हैं और लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं उनके लिए डिजिटल गोल्ड में निवेश अच्छा विकल्प नहीं माना जा सकता।
अगर आपको गोल्ड में ही निवेश भारत में डिजिटल विकल्प कैसे काम करते हैं करना हैं तो आप गोल्ड ईटीएफ या सॉवरेन गोल्ड बांड स्कीम में निवेश कर सकते हैं। ये डिजिटल गोल्ड की सभी कमियों को दूर करके अधिक रिटर्न बना कर देता हैं।
डिजिटल गोल्ड खरीदने के लिए कौनसा एप्प सही हैं?
आप किसी भी विश्वसनीय एप्प के साथ डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं जैसे की Paytm , Phone Pay, Google Pay आदि।
क्या डिजिटल गोल्ड इन्वेस्टमेंट जोखिम भरा हैं?
डिजिटल गोल्ड का सबसे बड़ा जोखिम हैं की इसका कोई नियामक (रेगुलेटर) नहीं हैं। बाकी रिटर्न के हिसाब से इसकी अतिरिक्त लागतें इसकी कॉस्ट को बढ़ाती हैं।
क्या डिजिटल गोल्ड फिजिकल गोल्ड से बेहतर हैं?
अगर आप मात्र निवेश के लिए गोल्ड खरीद रहे हैं तो फिर डिजिटल गोल्ड एक अच्छा विकल्प होता हैं।
क्या डिजिटल गोल्ड खरीदने के लिए Kyc करवाने की आवश्यकता हैं?
आप बिना Kyc के भी डिजिटल गोल्ड में निवेश कर सकते हैं।
क्या minor डिजिटल गोल्ड खरीद सकता हैं?
एक माइनर या अवयस्क ऑनलाइन सोना नहीं खरीद सकता।
क्या बिना पैन कार्ड के डिजिटल गोल्ड में निवेश किया जा सकता हैं?
अधिकतर प्लेटफॉर्म्स 2 लाख रुपये तक बिना पैन कार्ड के निवेश का विकल्प देते हैं। इससे अधिक निवेश के लिए आपको पैन कार्ड की आवश्यकता होती हैं।
डिजिटल रुपया क्या है, क्रिप्टो करेंसी से किस तरह और क्यों अलग है भारत की डिजिटल मुद्रा
डिजिटल क्रांति के दौर में अब रुपया भी डिजिटल हो चुका है। रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में 1 नवंबर से डिजिटल करंसी (Digital Currency) यानी ई-रुपया की शुरुआत की। शुरुआती दौर में इस डिजिटल करंसी (Central Bank Digital Currency) का उपयोग पायलट प्रोजेक्ट के तहत केवल होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए किया जाएगा।
Digital Currency: डिजिटल क्रांति के दौर में अब रुपया भी डिजिटल हो चुका है। रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में 1 नवंबर से डिजिटल करंसी (Digital Currency) यानी ई-रुपया की शुरुआत की। शुरुआती दौर में इस डिजिटल करंसी (Central Bank Digital Currency) का उपयोग पायलट प्रोजेक्ट के तहत केवल होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए किया जाएगा। बाद में इसे रिटेल सेगमेंट के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा। कुछ समय तक रिजर्व बैंक इसमें आने वाली चुनौतियों को समझेगा और इसके बाद ही इसे आगे बढ़ाया जाएगा। आखिर क्या है डिजिटल रुपया और ये किस तरह क्रिप्टो करंसी से अलग है, आइए जानते हैं।
क्या है डिजिटल रुपया?
डिजिटल रुपया भारत के केंद्रीय बैंक RBI द्वारा जारी एक वैध मुद्रा है, जिसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के नाम से भी जाना जाता है। यह कागजी मुद्रा (नोट) के समान ही है और इसे नोट के साथ एक्सचेंज किया जा सकेगा। सिर्फ यह डिजिटल फॉर्म में होगी। डिजिटल रुपया या करेंसी एक तरह से डिजिटल फॉर्म में जारी वो नोट हैं, जिनका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में मौजूद रुपए को कॉन्टैक्टलेस ट्रांजेक्शन के लिए उपयोग किया जाएगा।
कितने तरह का होगा डिजिटल रुपया?
भारत में डिजिटल करंसी यानी ई-रुपया दो तरह का होगा। पहला, होलसेल डिजिटल करंसी (CBDC-W) और दूसरा रिटेल डिजिटल करेंसी (CBDC-R) होगी। शुरुआत में पायलट प्रोजेक्ट के तहत होलसेल सेगमेंट में इसे इस्तेमाल किया जाएगा। वहीं कुछ समय बाद यह रिटेल सेगमेंट में भी शुरू होगी।
क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल रुपए में क्या है फर्क?
क्रिप्टो करेंसी भी एक डिजिटल मुद्रा है, जिसे क्रिप्टोग्राफी के जरिए सिक्योर किया जाता है। क्रिप्टो करेंसी नेटवर्क बेस्ड डिजिटल मुद्रा है, जो ब्लॉकचेन पर बेस्ड है। इसका डिस्ट्रीब्यूशन कम्प्यूटरों के एक विशाल नेटवर्क के जरिए किया जाता है। वैसे तो दुनिया की सभी करेंसी किसी न किसी देश की ओर से जारी की जाती हैं, लेकिन क्रिप्टो करेंसी पर किसी एक देश या सरकार का कोई कंट्रोल नहीं होता है। क्रिप्टो करेंसी को लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि ब्लॉकचेन की वजह से इस करंसी को लेकर कई तरह की दिक्कतें आती हैं।
डिजिटल रुपया के लिए रेगुलेटर :
ई-रुपया भी एक तरह की डिजिटल करेंसी ही है और इसमें भी लेनदेन क्रिप्टोकरेंसी की तरह डिजिटल माध्यम से ही किया जाएगा। हालांकि, दोनों में सबसे बड़ा अंतर ये है कि डिजिटल रुपया रेगुलेटेड है। यानी इसको कंट्रोल करने के लिए एक लीगल अथॉरिटी है, जिसे सरकार की तरफ से मंजूरी मिली है। यही वजह है कि यह एक वैध मुद्रा है। इसमें रेगुलेटर के तौर पर रिजर्व बैंक और ट्रांजेक्शन की मदद के लिए दूसरे बैंक जवाबदेह होंगे। हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी में ये सब नहीं है। इसके अलावा इसमें क्रिप्टो करेंसी की तरह अचानक उतार-चढ़ाव नहीं होगा। बता दें कि रिजर्व बैंक क्रिप्टो करंसी के खिलाफ है। वो नहीं चाहता कि इसके इस्तेमाल से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचे। क्रिप्टो करेंसी की खरीद-फरोख्त करने वाले इन्वेस्टर को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
क्या हैं डिजिटल करंसी के फायदे?
1- डिजिटल करेंसी आने के बाद कैश रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ये बिल्कुल मोबाइल वॉलेट की तरह काम करेगी।
2- इसे रखने पर आपको ब्याज मिलेगा। डिजिटल करेंसी को आप अपने मोबाइल वॉलेट में रख सकते हैं या फिर अपने अकाउंट में रख सकते हैं।
3- इससे नकदी (कैश) पर निर्भरता कम होने के साथ ही ज्यादा भरोसेमंद और वैध भुगतान का एक और विकल्प मिल जाएगा।
अपने स्कूल में शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए डिजिटल कक्षा
डिजिटल रूप से सक्षम स्मार्ट कक्षाएं शिक्षकों को सामग्री के साथ बातचीत करने के लिए छात्रों के लिए अधिक संसाधन, कक्षा का समय और वास्तविक जीवन परिदृश्य प्रदान करने में मदद करती हैं। वे उन्हें उच्च लचीलेपन और अधिक प्रभाव के साथ सबक देने की स्वतंत्रता देते हैं।
डिजिटल कक्षाएं सीखने के लिए विभिन्न प्रकार के विकल्प प्रदान करती हैं जिनमें मल्टीमीडिया ग्रंथ, आभासी प्रयोगशालाएं और सिमुलेशन, वेब पर लिखने और प्रकाशित करने के लिए उपकरण, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या चैट क्षमताएं, और बहुत कुछ शामिल हैं!
प्रौद्योगिकी के साथ स्कूलों को सशक्त बनाना
लीड पर भारत में 3,000+ निजी स्कूलों द्वारा भरोसा किया जाता है। हम स्मार्ट कक्षा सॉफ्टवेयर सहित सर्वोत्तम प्रौद्योगिकियों के साथ अपने साझेदारी स्कूलों को सशक्त बनाते हैं।
हमारे शिक्षकों को सबसे अच्छा डिजिटल कक्षा समाधान मिलता है, जो उनकी सुविधा और उच्च शिक्षण भारत में डिजिटल विकल्प कैसे काम करते हैं प्रभाव सुनिश्चित करता है। उन्हें कक्षा में स्मार्ट टीवी और अन्य सुविधाओं के बीच पूरी तरह से लोड किए गए टैब मिलते हैं।
हमारे छात्र एक immersive वातावरण में सीखते हैं, जो उनकी रुचि और ज्ञान प्रतिधारण को बढ़ाता है।
डिजिटल कक्षा समाधान के साथ अपने स्कूल का आधुनिकीकरण
आकर्षक वातावरण बनाता है
ज्ञान प्रतिधारण में सुधार करता है
शिक्षण वितरण को बढ़ाता है
सीखने को मजेदार बनाता है
जानकारी तक पहुँच को आसान बनाता है
अलग सीखने की जरूरतों के साथ छात्रों को सूट
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
यह एक अभिनव और इंटरैक्टिव लर्निंग स्पेस है जिसमें छात्र और शिक्षक प्रौद्योगिकी का उपयोग करके एक साथ आते हैं। इस प्रकार की कक्षा का विकास एक मिश्रित शिक्षण दृष्टिकोण पर आधारित है जो छात्रों और शिक्षकों के बीच आमने-सामने बातचीत के साथ ऑनलाइन अनुदेशात्मक सामग्री को जोड़ती है। इस प्रकार की कक्षा छात्रों को सीखने की प्रक्रिया में संलग्न होने, विचारों को भारत में डिजिटल विकल्प कैसे काम करते हैं साझा करने, सहयोग करने और समस्याओं को हल करने के लिए एक साथ काम करने के नए तरीके प्रदान करती है।
शैक्षिक प्रौद्योगिकी और संस्थान के लक्ष्यों की ठोस समझ वाला कोई भी व्यक्ति एक डिजिटल कक्षा स्थापित कर सकता है। सबसे महत्वपूर्ण कार्य उन्हें संतुष्ट करने के लिए आवश्यकताओं और आवश्यक शर्तों का आकलन करना है।
एक आभासी कक्षा बनाने के उद्देश्य को स्थापित करें। लक्षित दर्शकों, उनकी सीखने की शैलियों और उनकी तकनीकी क्षमताओं को निर्धारित करें। पता लगाएं कि परियोजना के लिए किस प्रकार के शैक्षिक संसाधन और सामग्री उपलब्ध हैं। तय करें कि परियोजना में कौन शामिल होगा, जिसमें छात्र, शिक्षक और माता-पिता शामिल हैं।
अधिक विस्तृत परामर्श प्राप्त करने के लिए हमें 86828 33333 पर कॉल करके लीड के विशेषज्ञों के साथ कनेक्ट करें।
डिजिटल कक्षा होने के कई लाभ हैं। एक बड़ा लाभ यह है कि यह बच्चों के लिए एक अधिक आकर्षक वातावरण बनाता है। जब आप अपनी कक्षा में प्रौद्योगिकी को शामिल करते हैं, तो यह छात्रों को सामग्री और अन्य साथियों के साथ अधिक व्यस्त होने की अनुमति देता है।
एक और बड़ा लाभ यह है कि यह छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करता है। जब छात्र कम उम्र में प्रौद्योगिकी का उपयोग करना सीखते हैं, तो वे जीवन में बड़े होने पर इसका उपयोग करने में सक्षम होंगे।
यह शिक्षकों को विभिन्न शिक्षण शैलियों को शामिल करने की भी अनुमति देता है ताकि प्रत्येक छात्र उस तरीके से सीख सके जिसके साथ वे सबसे अधिक आरामदायक हैं। यह छात्रों के बीच सहयोग में भी सुधार करता है, जो उन्हें सामाजिक कौशल विकसित करने में मदद करता है।
RBI जल्द लाएगा डिजिटल करेंसी, जानिये कैसे क्रिप्टोकरेंसी से होगी अलग
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जल्द ही ई-रुपी (e-rupee) लाने वाला है और वह कुछ खास मामलों के लिए इसका पायलट लॉन्च करेगा। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) पर कॉन्सेप्ट नोट जारी करते हुए RBI ने कहा कि वह भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, अधिक दक्ष भुगतान प्रणाली प्रदान करने और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने के उद्देश्य से डिजिटल करेंसी लॉन्च करेगा। बता दें, इस साल के बजट में डिजिटल करेंसी लाने का ऐलान किया गया था।
कॉन्सेप्ट नोट में कहा गया है कि डिजिटल करेंसी को मौजूद भुगतान प्रणाली की जगह लेने के लिए नहीं लाया जा रहा है बल्कि यह ग्राहकों को एक नया विकल्प मुहैया कराएगी। यह करेंसी देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी, भुगतान प्रणाली को अधिक दक्ष बनाएगी और वित्तीय समावेशन में योगदान करेगी। बैंक ने कहा कि जल्द ही कुछ मामलों के लिए इसका पायलट लॉन्च होगा। जैसे-जैसे इसका दायरा बढ़ता जाएगा, इसकी सूचना दी जाती रहेगी।
रिजर्व बैंक ने कहा कि डिजिटल करेंसी डिजिटल रूप में जारी एक लीगल टेंडर (कानूनी निविदा) है। यह पेपर मुद्रा के समान है, लेकिन इसका रूप अलग होगा। इसका विनिमय मौजूदा मुद्रा के बराबर होगा और इसे भुगतान, लीगल टेंडर और मूल्य के सुरक्षित स्टोर के रूप में स्वीकार किया जाएगा। यह केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट पर एक देनदारी के तौर पर दिखेगी डिजिटल करेंसी को आसानी से नकदी में भी बदला जा सकेगा।
केंद्रीय भारत में डिजिटल विकल्प कैसे काम करते हैं बैंक ने कहा कि डिजिटल करेंसी धारक के पास बैंक अकाउंट होना जरूरी नहीं होगा। इसके इस्तेमाल से बड़ी मात्रा में रियल टाइम डाटा उपलब्ध होगा। इसका इस्तेमाल नीति निर्धारण में हो सकेगा।
केंद्रीय बैंकों द्वारा नियंत्रित डिजिटल करेंसी को दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। पहला प्रकार रिटेल (CBDC-R) और दूसरा प्रकार होलसेल (CBDC-W) होता है। CBDC-R नकदी का इलेक्ट्रॉनिक वर्जन है और यह सबके लिए उपलब्ध होगी। वहीं CBDC-W को चुनिंदा वित्तीय संस्थानों को खास एक्सेस देने के लिए डिजाइन किया जाता है। यह बैंकों के आपसी ट्रांसफर और होलसेल लेनदेन के लिए इस्तेमाल होगी। RBI दोनों ही जारी करने पर विचार कर रहा है।
RBI की डिजिटल करेंसी क्रिप्टोकरेंसी से कई मायनों में अलग होगी। क्रिप्टोकरेंसी डीसेंट्रलाइज्ड होती हैं और वो लीगल टेंडर नहीं मानी जाती। क्रिप्टोकरेंसी की कीमत बहुत अस्थिर होती है, जबकि CBDC को स्थिरता और सुरक्षा के लिए डिजाइन किया गया है। RBI का कहना है कि क्रिप्टो संपत्ति का प्रसार मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण के खतरे को बढ़ावा दे सकता है। साथ ही यह मौद्रिक नीतियों को भी प्रभावित कर सकती है।
अभी तक जमैका, बहामास, एंटीगुआ और बरबुडा, सेंट किट्स एंड नेविस, मॉन्सेरट, डोमिनिका, सेंट सुलिया, सेंट विन्सेंट और ग्रेनेडाइन, ग्रेनाडा और नाइजीरिया समेत 10 देशों में डिजिटल करेंसी जारी हो चुकी है। अमेरिका, इंग्लैंड और कनाडा आदि देश भी केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित डिजिटल करेंसी जारी करने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। चीन भी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किए गए डिजिटल युआन (e-CNY) का विस्तार करने की योजना बना रहा है।