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50% पहला जमा

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प्रयागराज में सीआरपीएफ के जवान को वैक्सीन लगाती नर्स/फोटो: एएनआई

EPFO | Pension: क्या PF खाते के साथ पेंशन के लिए जमा रकम की हो सकती है समय से पहले निकासी, जानिए-इससे जुड़े नियम

EPFO | Pension: क्या पीएफ खाते के साथ पेंशन खाते में जमा रकम को नौकरी छूटने पर निकाला जा सकता है या उसके लिए कोई समय सीमा तय की गई है. इसके बारे में यहां पर सभी जानकारियां दी गई हैं.

Updated: August 28, 2021 9:50 AM IST

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EPFO | Pension: नौकरीपेशा लोग अक्सर पीएफ खाते को लेकर परेशान रहते हैं. खासकर निजी कंपनियों में काम करने वाले ज्यादातर लोगों को ईपीएफ में मिलने वाली पेंशन की जानकारी नहीं होती है. जानकारों का कहना है कि वेतनभोगी व्यक्ति के वेतन से काटी गई राशि दो खातों में जाती है. पहला है प्रोविडेंट फंड यानी ईपीएफ और दूसरा है पेंशन फंड यानी ईपीएस. कर्मचारी के वेतन से काटे गए पैसे का 12 फीसदी ईपीएफ में जमा हो जाता है. इसके अलावा कंपनी द्वारा 3.67 प्रतिशत ईपीएफ में जमा किया जाता है और शेष 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में जमा किया जाता है.

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आइए जानते हैं इससे जुड़े नियम…

आप कब निकाल सकते हैं ईपीएस में जमा रकम?

कोई भी कर्मचारी एक निश्चित समय के बाद अपने पीएफ खाते की रकम निकाल सकता है. लेकिन, पेंशन राशि निकालने के नियम सख्त हैं, क्योंकि वे अलग-अलग स्थितियों में तय होते हैं. अगर नौकरी 6 महीने से ज्यादा और 9 साल 6 महीने से कम की है तो फॉर्म 19 और 10सी जमा कर पीएफ की रकम के साथ पेंशन की रकम भी निकाली जा सकती है.

तो अगर नौकरी 9 साल और 6 महीने से ज्यादा है तो क्या मैं पेंशन का पैसा निकाल सकता हूं?

अगर आपकी नौकरी को 9 साल 6 महीने से ज्यादा हो गए हैं तो आप अपने पीएफ के साथ पेंशन की रकम नहीं निकाल पाएंगे, क्योंकि 9 साल 6 महीने की सर्विस 10 साल के बराबर मानी जाती है.

EPFO ​​के नियम बताते हैं कि अगर आपकी नौकरी 10 साल की हो जाती है तो आप पेंशन के हकदार हो जाते हैं. इसके बाद आपको 58 साल की उम्र में मासिक पेंशन का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा. इसका मतलब है कि आपको आजीवन पेंशन मिलेगी, लेकिन आप सेवानिवृत्ति से पहले पेंशन का कुछ हिस्सा नहीं निकाल पाएंगे.

क्या रिटायरमेंट पर 50% पहला जमा मिलेगी पेंशन?

अगर आप 9 साल 6 महीने से कम के मामले में पेंशन का कुछ हिस्सा निकाल लेते हैं तो याद रखें कि उसके बाद आप पेंशन के हकदार नहीं होंगे. पीएफ के साथ पेंशन का पैसा निकालने का मतलब है पीएफ का पूरा और फाइनल सेटलमेंट और ऐसे में आपका वह पीएफ अकाउंट नंबर पूरी तरह से बंद हो जाता है.

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NCR में 10 हजार पदों के अस्तित्व पर खतरा: रेलवे बोर्ड ने दिए निर्देश, नॉन सेफ्टी कैटेगरी के 50%पदाें को तत्काल समाप्त करें

मुख्यालय स्तर पर बनाई जा रही है सूची। - Dainik Bhaskar

आने वाले दिनों में NCR (उत्तर मध्य रेलवे) जोन के नॉन सेफ्टी कैटेगरी के 10 हजार पदों का अस्तित्व समाप्त हो सकता है। रेलवे बोर्ड की ओर से 20 मई को एक पत्र NCR समेत सभी जोनल मुख्यालयों को भेजा गया जिसमें स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि नॉन सेफ्टी कैटेगरी के 50% पदों को तत्काल समाप्त कर दिया जाय। इस पत्र के बाद प्रयागराज, झांसी और आगरा मंडल की ओर से उन पदों की सूची तैयार की जा रही है जिन्हें समाप्त किया जाना है। 31 मई 2022 को सरेंडर किए जाने वाले पदाें की सूची रेलवे बोर्ड को भेजी जानी है।

NCR में 21 हजार से पद

विभागीय अधिकारी बताते हैं कि NCR में 21 हजार से ज्यादा पर नॉन टेक्निकल कैटेगरी के हैं। यदि 50 फीसद पर समाप्त हो जाएंगे तो तो यह संख्या करीब 10 हजार होगी। नार्थ सेंट्रल रेलवे मेंस यूनियन के जोनल महामंत्री आरडी यादव कहते हैं कि सरकार निजीकरण की तरफ कदम बढ़ा रही है। वहीं दूसरी ओर यह भी बताया जा रहा है कि बोर्ड की ओर से कई पदों पर आउटसोर्स के जरिए भर्ती करने के तैयारी भी है।

कई पद ऐसे जिनका उपयोग नहीं : CPRO

उत्तर मध्य रेलवे के CPRO डॉ. शिवम शर्मा ने दैनिक भास्कर को बताया कि बदलते परिवेश और आधुनिकता के दौर में कई ऐसे पद हैं जिनकी प्रासंगिकता अब नहीं रह गई है। वहीं कुछ एक्टिविटीज ऐसी हैं जिनके सापेक्ष पद उपलब्ध नहीं है। इसके लिए बोर्ड की ओर से कुछ पत्र आया है। अब यह देखा जा रहा है कि किस जगह पर किन पदों की आवश्यकता है।

समायोजित किए जा सकते हैं कर्मचारी

बताया जा रहा है कि जिन पदाें को समाप्त किया जाएगा उसमें टाइपिस्ट, सेल्समैन, कैटरिंग असिस्टेंट, वॉलमैन, 50% पहला जमा सहायक कुक, बिल पोर्टर, सेनेटरी हेल्पर, माली, दफ्तरी, कारपेंटर व अन्य शामिल हैं। अभी जो वर्तमान में काम कर रहे हैं उन्हें अन्य विभागों में समायोजित भी किया जा सकता है लेकिन आने वाले दिनों में रेलवे बोर्ड इन पदों पर भर्ती नहीं करेगा।

यस बैंक का शुद्ध लाभ 50% बढ़कर 311 करोड़ रुपए हुआ

नई दिल्लीः फंसे कर्जों में कमी आने और आय बढ़ने से निजी क्षेत्र के यस बैंक का चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में शुद्ध लाभ 50 प्रतिशत बढ़कर 311 करोड़ रुपए हो गया। बैंक ने शनिवार को शेयर बाजारों को दी गई सूचना में कहा कि एक साल पहले की समान तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 207 करोड़ रुपए रहा था। अप्रैल-जून 2022 की तिमाही में बैंक की कुल आय बढ़कर 5,916 करोड़ रुपए हो गई जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 5,394 50% पहला जमा करोड़ रुपए रही थी। बैंक के लाभ में बढ़ोतरी की बड़ी वजह फंसे कर्जों के अनुपात में आई गिरावट रही है।

उसके सकल ऋण में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) का अनुपात घटकर 13.45 प्रतिशत पर आ गया जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह अनुपात 15.60 प्रतिशत था। वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में शुद्ध एनपीए यानी फंसे कर्जों का अनुपात भी 5.78 प्रतिशत से घटकर 4.17 प्रतिशत पर आ गया। फंसे कर्जों एवं अन्य आकस्मिक खर्चों के लिए वित्तीय प्रावधान की जरूरत भी आलोच्य तिमाही में घटकर 175 करोड़ रुपए रह गई जो अप्रैल-जून 2021 की तिमाही में 457 करोड़ रुपए रही थी।

यस बैंक ने कहा कि उसके वैकल्पिक बोर्ड के गठन के साथ पुनर्गठन योजना भी गत 15 जुलाई से अमल में आ गई है। हालांकि इसे अभी शेयरधारकों की मंजूरी मिलनी बाकी है। बैंक के मुताबिक, नए बोर्ड ने प्रशांत कुमार को नए प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी के तौर पर तीन साल के लिए नियुक्त करने की अनुशंसा की है। इसके अलावा बैंक ने करीब 48,000 करोड़ रुपए की तनावग्रस्त परिसंपत्तियों की बिक्री के मकसद से जेसी फ्लॉवर्स के साथ मिलकर एक परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी बनाने के लिए बाध्यकारी समझौता किए जाने की जानकारी भी शेयर बाजारों को दी है।

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MP News Live Updates: प्रदेश की 50% आबादी को लगीं वैक्सीन की दोनों डोज, लक्ष्य अभी दूर

MP News, 18 November 2021: मध्य प्रदेश की 50 फीसदी आबादी पूरी तरह वैक्सीनेटेड हो गई है. यानी, इस आबादी को कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हैं. हालांकि, सरकार का लक्ष्य अभी भी दूर है. सरकार ने दिसंबर तक इस लक्ष्य को हासिल करने का प्लान बनाया है. लेकिन, उसके लिए रोज 7 लाख से ज्यादा लोगों को टीके लगाने होंगे. इसके लिए चलाए जा रहे वैक्सीनेशन महाअभियान में बुधवार को 16.48 लाख लोगों ने डोज लगवाए. बता 50% पहला जमा दें, प्रदेश में अब तक 7.78 करोड़ डोज लग गए हैं. इसमें पहला डोज 5.04 करोड़ और दूसरा डोज 2.74 करोड़ लोगों ने लगवाया.

हाइलाइट्स

राजधानी भोपाल में MSC की स्टूडेंट ने फांसी लगा ली. घटना गांधी नगर इलाके के द्वारिका धाम की 15 नवंबर की है. पुलिस को ये सुसाइड नोट तो मिला है, लेकिन इससे घटना की वजह साफ नहीं हो रही. पुलिस मामले की जांच कर रही है. छात्रा के पिता सेना से रिटायर हुए हैं. गांधी नगर पुलिस के मुताबिक, 25 साल की अन्नूदास पिता अयज कुमार द्वारिका धाम, गांधी नगर में रहती थी. एमएससी की स्टूडेंट अन्नू ने 15 नवंबर की रात परिवार के साथ खाना खाया और उसके बाद सोने चली गई. अगले दिन जब वह बहुत देर तक नहीं उठी तो परिजन उसके कमरे में गए. जैसे ही उन्होंने अंदर का नजारा देखा तो उनके होश उड़ गए. अन्नू फांसी पर लटक रही थी. उन्होंने तुरंत इसकी जानकारी गांधी नगर पुलिस को दी.

भोपाल. मध्य प्रदेश के लाखों बकायादार घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए खुशखबरी है. प्रदेश में समाधान योजना लागू हो गयी है. इस योजना में बकाया बिजली बिल की 100% सरचार्ज राशि के साथ 40 फीसदी मूल बकाया राशि माफ की जा रही है. इसका लाभ प्रदेश के हजारों उपभोक्ताओं को मिलेगा. समाधान योजना का लाभ 31 अगस्त 2020 तक की बकाया राशि जमा कराने वाले उपभोक्ताओं को मिलेगा. योजना का लाभ लेने के लिए उपभोक्ता को 15 दिसम्बर तक बिजली कंपनी में अपना आवेदन जमा करना पड़ेगा.

भोपाल. पीएम नरेन्द्र मोदी के आदिवासी मंत्र के बाद अब प्रदेश बीजेपी इसी मुद्दे पर अपनी रणनीति बनाएगी. उसकी नजर और लक्ष्य 2023 विधानसभा चुनाव पर है. पार्टी इसी महीने 25 और 26 नवंबर को भोपाल में अपनी बैठक कर रही है इसमें प्रदेश के तमाम दिग्गजों सहित केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नरेंद्र मोदीके मध्य प्रदेश दौरे के बाद अब प्रदेश में फिर से बीजेपी के दिग्गजों का जमावड़ा होने वाला है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद अब प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक होने जा रही है. जानकारी के मुताबिक ये बैठक 26 नवंबर को भोपाल या उसके आसपास किसी इलाके में होगी. इससे पहले 25 नवंबर को प्रदेश प्रभारियों की बैठक भी बुलायी गयी है.

भोपाल. मध्य प्रदेश की 50 फीसदी आबादी को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं. हालांकि, लक्ष्य हासिल करने के लिए रोज 7 लाख से ज्यादा डोज लगाने होंगे. सरकार और प्रशासन ने इसके लिए दिसंबर महीना निर्धारित किया है. इसके लिए चलाए जा रहे वैक्सीनेशन महाअभियान में 16.48 लाख लोगों ने डोज लगवाए. बता दें, प्रदेश में अब तक 7.78 करोड़ डोज लग गए हैं. इसमें पहला डोज 5.04 करोड़ और दूसरा डोज 2.74 करोड़ लोगों ने लगवाया. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश के 80 लाख से ज्यादा लोगों ने अभी दूसरा डोज नहीं लगवाया है. अभी प्रदेश में करीब 45 लाख लोगों ने पहला डोज ही नहीं लिया है. दूसरा डोज 2.74 करोड़ 50% पहला जमा लोगों का पेडिंग है.

भोपाल. मध्य प्रदेश की 50 फीसदी आबादी को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं. हालांकि, लक्ष्य हासिल करने के लिए रोज 7 लाख से ज्यादा डोज लगाने 50% पहला जमा होंगे. सरकार और प्रशासन ने इसके लिए दिसंबर महीना निर्धारित किया है. इसके लिए चलाए जा रहे वैक्सीनेशन महाअभियान में बुधवार को 16.48 लाख लोगों ने डोज लगवाए. बता दें, प्रदेश में अब तक 7.78 करोड़ डोज लग गए हैं. इसमें पहला डोज 5.04 करोड़ और दूसरा डोज 2.74 करोड़ लोगों ने लगवाया. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश के 80 लाख से ज्यादा लोगों ने अभी दूसरा डोज नहीं लगवाया है. अभी प्रदेश में करीब 45 लाख लोगों ने पहला डोज ही नहीं लिया है. दूसरा डोज 2.74 करोड़ लोगों का पेडिंग है.

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, प्रदेश के 21 जिलों में 50% आबादी पूरी तरह वैक्सीनेटेड हो गई है. सबसे ज्यादा इंदौर में 75.7%, भोपाल में 67.7% और जबलपुर में 67.2% आबादी को वैक्सीन के दोनों डोज लग गए हैं. प्रदेश में पात्र आबादी 5.49 करोड़ में से 92% आबादी को पहला डोज और 50% आबादी को दूसरा डोज लग चुका है. 18-45 साल के 3.19 करोड़ लोगों ने पहला और 1.55 करोड़ लोगों ने दूसरी डोज ले ली है. 45 से 60 उम्र के 1.10 करोड़ ने पहला और 67.26 लाख ने दूसरा डोज लगवा लिया है. 60 साल से ज्यादा उम्र के 64.07 लाख ने पहला और 41.92 लोगों ने दूसरा डोज लगवाया है.

मध्य प्रदेश के लोगों के लिए राहत भरी खबर है. सरकार ने कोरोना गाइड लाइन में थोड़ी और छूट दे दी है. अब सारे प्रतिबंध हटाए जा रहे हैं. अब कहीं भी नाइट कर्फ्यू नहीं लगेगा. सिनेमा हॉल, मॉल, स्विमिंग पूल, जिम, योगा सेंटर, रेस्टोरेंट, क्लब सब 100% क्षमता पर खुल सकेंगे. सभी तरह के समारोह और चल समारोह पर अब किसी तरह की रोक नहीं रहेगी. लेकिन वैक्सीन, मास्क, सोशल डिस्टेंस और सेनेटाइजर अब भी जरूरी होगा. सामान्य प्रशासन विभाग और गृह विभाग नई गाइडलाइन जारी करेगा. कोरोना के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों पर मध्य प्रदेश सरकार ने और रियायत देने का फैसला किया है. बुधवार को हुई कोरोना की समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस सिलसिले में निर्देश जारी किए हैं. इसके तहत एमपी में कोविड 19 के कारण लगाए गए कुछ और प्रतिबंध हटाए जाएंगे. बैठक में तय किया गया है कि सामान्य तौर पर अब सभी आयोजन होंगे. हालांकि कुछ मामलों में सावधानी बरतना होगी. इसके लिए नियम बनेंगे. सामान्य प्रशासन विभाग और गृह विभाग नई गाइडलाइन जारी करेगा.

सेना व केंद्रीय सुरक्षा बलों में 80% को लग चुका है पहला टीका, लेकिन शीर्ष कोविड राज्यों की पुलिस है पीछे

सुरक्षा कर्मियों के लिए टीकाकरण - जिन्हें कोविड महामारी के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणी में रखा गया है- अभियान के पहले चरण में शुरू हुआ था, जिसे 16 जनवरी को लॉन्च किया गया था.

प्रयागराज में सीआरपीएफ के जवान को वैक्सीन लगाती नर्स/फोटो: एएनआई

नई दिल्ली: दिप्रिंट द्वारा जमा किए गए आंकड़ों के मुताबिक़, भारतीय सुरक्षा बलों के 80 प्रतिशत से अधिक कर्मियों को- जिनमें सशस्त्र व पुलिस बस शामिल हैं- कोविड का पहला टीका लग चुका है.

लेकिन, जब बात 50% पहला जमा टीके की दोनों ख़ुराक की आती है, तो कहानी बदल जाती है.

थल सेना, भारतीय वायुयेना (आईएएफ), और नौसेना में, 50 प्रतिशत कर्मियों को टीके के दोनों डोज़ पूरे किए जा चुके हैं, और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की तीनों इकाइयों- केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), और भारत- तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) में भी, यही रुझान दिखाई देता है.

महाराष्ट्र, पंजाब और उत्तर प्रदेश, जो उन राज्यों में हैं जहां कोविड मामलों में फिर इज़ाफा देखा जा रहा है, ये संख्या 40 प्रतिशत से भी नीचे है. पंजाब में तो ये संख्या केवल 26 प्रतिशत है.

इन तीन राज्यों में 70-80 प्रतिशत पुलिसकर्मियों को, पहला डोज़ मिल चुका है.

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दिल्ली में, जहां कोविड मामलों में उछाल देखा जा रहा है, आंकड़े थोड़े बेहतर हैं, और यहां 62 प्रतिशत पुलिसकर्मियों को दोनों टीके लग चुके हैं. राष्ट्रीय राजधानी में तक़रीबन 90 प्रतिशत पुलिस कर्मियों को पहला डोज़ लगाया जा चुका है.

इस रिपोर्ट के लिए हर उल्लिखित बल से, अलग अलग आंकड़े एकत्र किए गए हैं.

सुरक्षा कर्मियों के लिए टीकाकरण – जिन्हें कोविड महामारी के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणी में रखा गया है- अभियान के पहले चरण में शुरू हुआ था, जिसे 16 जनवरी को लॉन्च किया गया था.

रक्षा बलों के सूत्रों ने कहा कि सेना, वायुसेना, और नौसेना के लिए, टीकाकरण अभियान तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, और अधिकारी कर्मियों के परिवार के सदस्यों को भी टीका लगाने की कोशिश कर रहे हैं, जो आम लोगों के लिए निर्धारित, आयु मानदंड पर पूरा उतरते हैं.

स्वास्थ्य और फ्रंटलाइन कर्मियों के लिए, कोई आयु सीमा नहीं है, लेकिन आम लोगों के लिए, फिलहाल 45 से अधिक उम्र के लोग ही टीका लगवा सकते हैं.

इस बीच महाराष्ट्र, जहां कोविड-19 के सबसे अधिक मामले देखने में आ रहे हैं, और उत्तर प्रदेश के पुलिस अधिकारी, इस आरोप से इनकार करते हैं, कि टीकाकरण धीमी गति से चल रहा है. उनका कहना है कि टीके के दोनों डोज़ दिए जा चुके लोगों की संख्या इसलिए कम है, कि दो डेज़ के बीच 6-8 सप्ताह का अंतराल अनिवार्य है.

दिप्रिंट ने फोन और मैसेज के ज़रिए, पंजाब डीजीपी दिपांकर गुप्ता से संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन इस रिपोर्ट के छपने तक, कोई जवाब नहीं मिला था.

CAPFs में 50% से अधिक कर्मियों को टीके लगे

सीएपीएफ के बीच, सीआरपीएफ (जिसमें 2.9 लाख कर्मी हैं), बीएसएफ (2.65 लाख), और आईटीबीपी (85,000) में 50 प्रतिशत कर्मियों के, टीकाकरण का काम पूरा हो चुका है.

इन तीन बलों में, सबसे पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीके लगाए गए, और उनमें से 90 प्रतिशत को पहला डोज़ दिया जा चुका है.

एक वरिष्ठ सीआरपीएफ अधिकारी ने कहा, ‘सीआरपीएफ में, 2,51,820 कर्मियों, या 88.2 प्रतिशत को, पहला डोज़ दिया जा चुका है. 1,48,743 से अधिक, या 52 प्रतिशत को, दूसरा डोज़ भी मिल चुका है’. उन्होंने आगे कहा, ‘जिन्हें दूसरा डोज़ नहीं मिला है, वो दरअस्ल दोनों डोज़ के बीच का 50% पहला जमा अंतराल, ख़त्म होने का इंतज़ार कर रहे हैं’.

एक सीनियर बीएसएफ अधिकारी ने कहा, ‘टीकाकरण प्रक्रिया जारी है और कर्मी भी टीका लगवाने के लिए तैयार हैं. कुछ कर्मी ऐसे हैं जो पहले टीका लगवाने को तैयार नहीं थे, लेकिन हमने उन्हें वैक्सीन्स की अहमियत से अवगत कराया है’.

सीआरपीएफ में, 82 कर्मी कोविड से अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि बीएसएफ में 49 और आईटीबीपी में 13 दर्ज हुईं हैं.50% पहला जमा

सशस्त्र बलों की स्थिति

दिप्रिंट के हाथ लगे आंकड़ों से पता चला है, कि तीनों सेनाओं के 90 प्रतिशत से अधिक सेवारत कर्मियों को, वैक्सीन का पहला डोज़ लग चुका है, और 50 प्रतिशत से अधिक को दोनों ख़ुराक मिल चुकी हैं.

रक्षा सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, कि रक्षा सेवाओं के लिए कोविड-19 टीकाकरण अभियान बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने आगे कहा कि फ्रंटलाइन वर्कर्स होने के नाते, हर आयु वर्ग के कर्मियों को टीके लगाए गए हैं.

एक सूत्र ने कहा, ‘सशस्त्र सेनाओं में कोविशील्ड वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. सेवारत कर्मियों के आश्रितों को, जो 45 से अधिक आयु के हैं, राष्ट्रीय नीति के अनुसार सेवा अस्पतालों में टीके लगाए जा रहे हैं’. उन्होंने आगे कहा, ‘सशस्त्र सेनाएं सख्ती के साथ, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की गाइडलाइन्स का पालन कर रही हैं’.

सूत्र ने कहा, ‘चूंकि मंत्रालय ने पूरे देश में वैक्सीन्स एक साथ उपलब्ध कराईं थीं, इसलिए सीमावर्त्ती क्षेत्रों में तैनात कर्मियों के लिए, अलग से कोई प्राथमिकता तय नहीं की गई थी’.

सूत्र ने आगे कहा कि टीका लगाए गए कर्मियों में कोई गंभीर विपरीत प्रभाव देखने को नहीं मिले हैं.

पिछले महीने, सरकार ने संसद को बताया कि सशस्त्र बलों के 119 कर्मियों की कोविड-19 से मौत हुई थी, जबकि कुल 44,766 कर्मी इस बीमारी की चपेट में आए थे.

इन मौतों में, 81 सेना में थीं (कुल 33,003 इनफेक्शंस में), दो नौसेना में थीं (3,604), और 36 आईएएफ में थीं (8,159).

राज्यों की पुलिस पीछे

दिल्ली पुलिस में, 49,936 या कुल 80,076 के 62 प्रतिशत कर्मियों को टीके की दोनों ख़ुराक मिल चुकी हैं. लेकिन, बाक़ी राज्य पीछे चल रहे हैं.

पंजाब में, केवल 26 प्रतिशत पुलिसकर्मियों को, टीके के दोनों डोज़ लग पाए हैं.

महाराष्ट्र में, 2 लाख की फोर्स में 64,000 कर्मियों को टीके लगे हैं, जो 32 प्रतिशत बैठता है. उत्तर प्रदेश के लिए ये संख्या 38.4 प्रतिशत है, जहां राज्य के 2,96,501 में से, 1,13,937 पुलिसकर्मियों को टीके के दोनों डोज़ दिए जा चुके हैं.

हालांकि दोनों खुराक दिए गए कर्मियों की संख्या कम है, लेकिन सभी राज्यों की पुलिस का कहना है, टीकाकरण अभियान पटरी पर है.

महाराष्ट्र अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एस्टेबलिशमेंट) कुलवंत कुमार सारंगल ने कहा, ‘प्रक्रिया धीमी नहीं है. इसकी अपेक्षा थी. ऐसा इसलिए है क्योंकि कोविड-19 वैक्सीन की पहली और दूसरी ख़ुराक के बीच एक अंतराल है’.

‘प्रोटोकोल के मुताबिक़, पहले ये अंतराल 28 दिन था, लेकिन फिर प्रोटोकोल बदल गया. और अब ये अंतराल 6 से 8 हफ्ते का होना चाहिए. इसके अलावा, टीका लगवाना पुलिस कर्मियों के लिए स्वेच्छा का मामला है, और विभाग टीकाकरण को तभी सुगम बनाता है, अगर कोई लगवाना चाहता है’.

यूपी में, एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था, कि टीकाकरण अभियान पूरी ताक़त से चलाया जा रहा है. अधिकारी ने कहा, ‘हमारे लोग फ्रंटलाइन वर्कर्स हैं, और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, हमें उन्हें टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. हमारे 2,30,000 कर्मी पहला डोज़ लगवा चुके हैं, जो क़रीब 80 प्रतिशत बैठता है, और 35 प्रतिशत से अधिक को दूसरा डोज़ लग चुका है. अंतराल पूरा होने पर दूसरा डोज़ लगने पर, उनका भी टीके का कोर्स पूरा हो जाएगा. ये सिर्फ समय की बात है’.

राज्यों की पुलिस तथा सशस्त्र और केंद्रीय पुलिस बलों के बीच टीकाकरण के अंतर को समझाते हुए, यूपी अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने कहा, ‘सशस्त्र पुलिस और रक्षा बलों के लिए वैक्सीन्स, उन्हें सीधे केंद्र की ओर से दी गईं थीं, और उन्हीं के पैरा-मेडिकल स्टाफ ने टीके लगाए.

‘राज्यों के लिए ये डोज़ प्रदेश की डिस्पेंसरियों और मेडिकल कैम्पों के ज़रिए दिए गए थे, इसीलिए इनकी संख्या में थोड़ा अंतर है. लेकिन टीकाकरण अच्छी रफ्तार से चल रहा है. 80 प्रतिशत से अधिक कर्मियों को, पहला डोज़ मिल चुका है, और उन्हें दूसरा डोज़ भी दिया जाएगा. ये सिर्फ समय की बात है’.

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