इनवेस्टमेंट क्या होती है?

जीवन के अंत की योजना के बारे में बात करना सर्वथा निराशाजनक लग सकता है, लेकिन ऐसा होना जरूरी नहीं है। चाहे आपने अपना पहला घर खरीदा हो या 30 वर्षों से अपना खुद का व्यवसाय चला रहे हों, आपको यह चुनना होगा कि उन संपत्तियों का क्या करना है जिनके लिए आपने इतनी मेहनत की है।
वित्तीय सलाहकार का क्या काम होता है ?
एक वित्तीय सलाहकार (फाइनैंशल एडवाइजर) आपको वित्तीय जोखिम को खत्म करने और लंबी अवधि में वित्तीय लाभ के लिए रणनीति बनाने में मदद करता है। वह आपको बेहतर प्लान दे सकते हैं जो आपको आपके वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सही रास्ते पर रखता है।
वित्तीय सलाहकार (फाइनैंशल एडवाइजर) विविध पृष्ठभूमि से आते हैं और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं। इस वजह से, वे भ्रमित करने वाले शब्दजाल को समझाने और म्यूचुअल फंड चुनने में आपकी मदद करने के अलावा और भी बहुत कुछ कर सकते हैं।
सीधे शब्दों में कहें तो वित्तीय सलाहकार आपको हर तरह की वित्तीय योजना (फाइनैंशल प्लानिंग) बनाने में मदद करते हैं। वह आपके आज को संवारने के साथ साथ रिटायरमेंट तक की प्लानिंग में आपकी मदद कर सकते हैं।
फाइनेंशियल एडवाइजर निम्न प्रकार के होते हैंः
- निवेश पेशेवर (Investment Professional)
- कर पेशेवर (Tax Professional )
- धन प्रबंधक (Wealth Manager)
- वित्तीय योजनाकार (Financial Planner)
प्रत्येक प्रकार के वित्तीय सलाहकार (Financial Advisor) अलग-अलग वित्तीय लक्ष्यों तक पहुँचने में आपकी मदद करने के लिए विशिष्ट रूप से योग्य होते हैं।
वित्तीय सलाहकार आपकी अभी की कंडिशन के साथ के आपकी भविष्य की योजनाओं का सही से विश्लेषण करता है। इसके बाद आपकी क्षमता के अनुसार बिना आपको सही निर्णय लेने में मदद करता है। हालांकि फाइनेंशियल एडवाजर की बातों पर आप हमेशा आंख बद करके विश्वास नहीं कर सकते हैं। इसके लिए आपको जरूरी है कि आप उससे सलाह लें और अन्य रिसर्च करके सही निर्णय लें। वित्तीय सलाहकार आपको निम्न बातों की जानकारी दे सकते हैं:
सेवानिवृत्ति योजना (Retirement Planning)
आप रिटायरेंट (Retirement) के बाद अपनी जिंदगी को कैसे देखते हैं? क्या आप दुनिया घूमना चाहते हैं? क्या आप अपना खुद का व्यवसाय खोलने के बारें में सोचते हैं? क्या आप अपनी एनजीओ खोल कर लोगों की मदद करना चाहता हैं? कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका सपना क्या है, आपको दो या तीन दशकों या उससे अधिक तक ले जाने के लिए स्थिर आय स्त्रोतों की आवश्यकता है।
एक इनवेस्टमेंट प्रोफेशनल (Investment Professional) की तरह एक वित्तीय सलाहकार आपको न केवल धन बनाने में मदद कर सकता है, बल्कि लंबी अवधि के लिए पैसा कैसे बचा कर रखें यह भी सिखाते हैं। वे आपकी अनुमानित वित्तीय जरूरतों का अनुमान लगा सकते हैं और आपकी रिटायमेंट सेविंग को बढ़ाने के तरीकों की प्लानिंग बना सकते हैं। वह आपको सलाह दे सकते हैं कि आपको वर्तमान में कैसी जगह पैसा लगाएं ताकि आने वाले समय में वह पैसा बढ़े और सुरक्षित भी रहे।
लिक्विड ETF की मदद से शेयर बाजार में बढ़ाएं अपनी कमाई, ऐसे करें स्मार्ट इनवेस्टमेंट
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: Oct 08, 2022 | 2:19 PM
सभी जानते हैं कि निवेश का रिटर्न इस बात पर निर्भर करता है आप अपने इनवेस्टमेंट क्या होती है? पैसे पर कितना जोखिम उठा रहे हैं. बाजार में ऐसे सैकड़ों इंस्ट्रूमेंट्स हैं जहां जोखिम के अलग अलग स्तरों पर अलग अलग रिटर्न मिलता है. स्मार्ट इनवेस्टर बाजार में मौजूद इन सभी विकल्पों का इस्तेमाल इस तरह से करते हैं जिससे वो पैसे की सुरक्षा से लेकर ऊंचे रिटर्न दोनो का ही फायदा उठा सकें. आज हम आपको एक ऐसी ही स्मार्ट रणनीति बताने जा रहे हैं जहां आप ऐसे ही बाजार के दो अलग अलग निवेश विकल्पों का इस्तेमाल कर अपने पैसों को पहले से ज्यादा तेजी के साथ बढ़ते हुए देख सकते हैं.
क्यों जरूरी है स्मार्ट इनवेस्टमेंट
बाजार में आम निवशक निवेश ट्रेडिंग अकाउंट के जरिए करते हैं जो डीमैट अकाउंट और सेविंग अकाउंट से अटैच होता है. आप का कैश सेविंग अकाउंट में रहता है वहीं स्टॉक डीमैट अकाउंट में रहते हैं. यानि साफ है कि जब आपका पैसा स्टॉक मार्केट में नहीं होता तो उसपर सबसे कम रिटर्न मिल रहा होता है. दरअसल सेंविग्स अकाउंट में ब्याज दरें सबसे निचले स्तरों पर रहती है. वहीं शेयर बाजार में स्टॉक की बिकवाली करने पर पैसा भी 2 दिन में मिलता है. यानि इन दो दिन आपका कैश वास्तव में कोई कमाई नहीं कर रहा होता.
कई बार आपको स्टॉक में निवेश के मौके नहीं मिलते. ऐसे में आपका पैसा लंबे समय तक सेविंग्स अकाउंट में ही पड़ा रहता है. दूसरी तरफ समस्या ये है कि बाजार में मौकों की तलाश में इस पैसे की एफडी भी नहीं करा पाते. अगर रकम बड़ी है और वो ज्यादा समय तक सेविंग्स अकाउंट में पड़ी रहती है तो आपको पता ही नहीं चलता कि आपने कितनी कमाई का मौका गंवा दिया.. लेकिन अगर आप लिक्विड ईटीएफ की मदद लेते हैं तो आप अपनी कमाई कहीं ज्यादा बढ़ा सकते हैं. जानिए क्या है ये इनवेस्टमेंट स्ट्रेटजी.
क्या है लिक्विड ईटीएफ
लिक्विड ईटीएफ यानि एक्सचेंज ट्रेडेड फंड निवेश के ऐसे विकल्प होते हैं जो शेयर बाजार में स्टॉक की तरह खरीदे और बेचे जा सकते हैं. वहीं दूसरी तरफ ये फंड्स बेहद छोटी अवधि के जमा में निवेश करते हैं. यानि सीधे शब्दों इनवेस्टमेंट क्या होती है? में कहें तो लिक्विड ईटीएफ कम जोखिम और सेविंग्स से ज्यादा रिटर्न तो देते ही हैं ये नकदी की तरह तेजी से कैश भी कराए जा सकते हैं. बाजार में ढेरों लिक्विड ईटीएफ हैं. लिक्विड फंड ईटीएफ में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल केवल 0.25% पर कुल खर्च अनुपात के साथ सबसे सस्ता ईटीएफ प्रदान करता है, इसके साथ ही कई और बेनेफिट्स भी मिलते हैं.
बाजार के जानकार सलाह देते हैं कि अगर आपको शेयरों में निवेश का मौका मिलता है तो अपने पैसे को उस स्टॉक में लगाए, प्रॉफिट मिलने पर पैसे को सेविंग्स अकाउंट में छोड़ने की जगह सीधे लिक्विड ईटीएफ में लगा दें. वहीं आने वाले समय में आप फिर से स्टॉक में निवेश का मौका मिलने पर इस लिक्विड ईटीएफ की रकम से सीधे शेयर खरीद लें. यानि आप सेविंग्स अकाउंट में पैसे छोड़ने की जगह उसे लिक्विड ईटीएफ में लगा दें
म्युचुअल फंड या फिर फिक्सड डिपाॅजिट, जानें आपके लिए क्या रहेगा बेहतर इनवेस्टमेंट
लाॅन्ग टर्म इनवेस्टमेंट करने वाले लोग हमेशा इस बात को लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि उन्हें म्युचुअल फंड में इनवेस्टमेंट करना चाहिए या फिर फिक्सड डिपाॅजिट स्कीम्स में। ऐसा इसलिए है क्योंकि दोनों इनवेस्टमेंट के जहां अपने फायदे हैं तो वहीं नुकसान भी है। फिक्सड डिपाॅजिट स्कीम में जब हम पैसा लगाते हैं तब उस पैसे को उपयोग लोन देने के लिए किया जाता है वहीं म्युचुअल फंड का पैसा शेयर मार्केट में उपयोग होता है। इसलिए वहां रिस्क भी अधिक रहता है, लेकिन एफडी एक रिस्क फ्री इनवेस्टमेंट होता है।
लॉन्ग टर्म के इनवेस्टमेंट के लिए इक्विटी आज भी सबसे बेहतर ऑप्शन
भारतीय बाजारों में करीब 18 महीने तक की तेजी के बाद पिछले एक साल में मिलाजुला रुख देखा गया. बाजार उतार-चढ़ाव वाला रहा है, लेकिन इसके लिए यह कोई असामान्य बात नहीं है. एक एसेट क्लास के रूप में देखें तो इक्विटीज यानी शेयरों में ऊंचा जोखिम रहता है और इसलिए उतार-चढ़ाव तो इक्विटी निवेश का एक हिस्सा है.
लेकिन इसमें एक अच्छी बात यह है कि जितनी लंबी अवधि तक निवेश बनाए रहें, उतार-चढ़ाव का तत्व सीमित होता जाता है. इसलिए दीर्घकालिक रूप में इक्विटी सर्वश्रेष्ठ एसेट क्लास हैं और लॉन्ग टर्म के लिए हम भारतीय बाजारों के लिए सकारात्मक बने हुए हैं.
यह सिर्फ इसकी वजह से नहीं है कि इनवेस्टमेंट क्या होती है? एक लंबे समय अवधि में उतार-चढ़ाव का असर सीमित हो जाता है, बल्कि इससे भी इनवेस्टमेंट क्या होती है? ज्यादा इस वजह से है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और यहां के कॉरपोरेट में तरक्की की बेहतरीन संभावनाएं हैं, स्थायी-मजबूत सरकार और नीतियों का दौर है तथा वैश्विक मंच पर पहले से काफी बेहतर स्थिति (जीडीपी के % में निर्यात सात साल के ऊंचे स्तर पर) है. इसके अलावा, हम जबरदस्त टैक्स कलेक्शन, बचत दर में सुधार और भारतीय कंपनियों के बहीखातों में सुधार देख रहे हैं. इन सबकी वजह से निवेश और खर्च की दर भी सुधरती है और अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर भी. करीब पांच साल के अंतराल के बाद क्षमता इस्तेमाल 75 फीसद तक पहुंच गई है, जिसकी वजह से हम मध्यम अवधि में पूंजीगत व्यय में सुधार की जमीन तैयार होते देख रहे हैं.
यूलिप क्या है, यह म्यूचुअल फंडों से कैसे अलग होता है?
इंश्योरेंस सेक्टर के निजीकरण के शुरुआती वर्षों में बीमा कंपनियां और उनके एजेंट यूलिप को एक इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट के तौर पर बेचते थे.
अंत में इस तरफ बीमा नियामक इरडा की नजर गई. उसने इस इनवेस्टमेंट क्या होती है? पूरे खेल पर नकेल कस दी. इसके बाद कम कमीशन और ज्यादा इंश्योरेंस कवर वाले यूलिप आने शुरू हुए. तब से यूलिप में काफी बेहतरी आई है. हालांकि, आज भी इनकी गलत तरह से बिक्री की जाती है.
बैंकों के कई रिलेशनशिप मैनेजर यूलिप को बॉन्ड की तरह बेचते हैं. कुछ इंटरमीडिएरी इन्हें ऐसे म्यूचुअल फंड बताकर बेचते हैं जो पांच साल बाद गारंटीशुदा रिटर्न देते हैं. साथ ही इंश्योरेंस कवर फ्री मिलता है.