डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है?

डॉलर इस साल 19.50% मजबूत
सचदेवा ने कहा कि बाजारों में जोखिम से बचने की धारणा के बीच रुपया और गिरकर नए निचले स्तर पर पहुंच गया। घरेलू शेयर बाजारों के टूटने और डॉलर सूचकांक के 20 साल के उच्च स्तर 115 के महत्वपूर्ण स्तर के करीब पहुंचने से भी स्थानीय मुद्रा में गिरावट आई। वैश्विक मंदी की आशंका से इस साल ज्यादातर एशियाई मुद्राओं में गिरावट आई है, जबकि अमेरिकी डॉलर 19.50 फीसदी मजबूत हुआ है।
मोदी सरकार के दौर में डॉलर के मुकाबले रुपया इतिहास के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा
By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 28 Jun 2018 12:41 PM (IST)
नई दिल्ली: भारत की अर्थव्यवस्था के लिए रुपया बुरी खबर लेकर आया है. डॉलर के मुकाबले रुपया 49 पैसे लुढ़ककर अब तक के सबसे निचले स्तर 69.10 रुपये पर आ गया है. रुपये में आई गिरावट से शेयर बाजार हलकान है. आज शुरुआती कारोबार में बंबई शेयर बाजार का इंडेक्स सेंसेक्स 90 अंक यानी डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? 0.25 प्रतिशत गिरकर 35,126.85 अंक पर आ गया. वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी शुरुआती दौर में 31.30 अंक यानी 0.29 प्रतिशत गिरकर 10,640.10 अंक पर आ गया.
ब्रोकरों ने कहा कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच रुपये की गिरावट ने बाजार धारणा को प्रभावित किया. इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वार का असर भी बाजार पर दिखा.
कांग्रेस बोली- मोदी की उम्र को पार कर चुका है रुपया डॉलर के मुकाबले रुपये में आई ऐतिहासिक डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? कमी पर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पुराने बयानों की याद दिलाई है. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि एक डॉलर के मुकाबले रुपया 68 पर पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्र को पार कर चुका है. क्या आप वादा अनुसार एक डॉलर के मुकाबले रुपया को 45 रुपये पर लाएंगे?
Editors Take: डॉलर के मुकाबले रुपया 81 के पार; गिरावट को रोकने के लिए RBI क्या करेगा? जानिए अनिल सिंघवी की राय
Rupee all time low: रुपये में यह सात महीने की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? थी. रुपये में गिरावट की अहम वजह क्या है और रिजर्व बैंक इसे संभालने के लिए क्या करेगा? इस पर जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने अपनी राय दी.
Rupee all time low: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में लगातार गिरावट है. शुक्रवार को रुपये में कारोबार 81 के लेवल के पार शुरू हुआ. शुरुआती सेशन में ही डॉलर के सामने रुपया 39 पैसे टूटकर 81.18 के लेवल पर आ गया. इससे पहले, गुरुवार के ट्रेडिंग सेशन में रुपया 83 पैसे की बड़ी गिरावट के साथ 80.79 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था. रुपये में यह सात महीने की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट थी. रुपये में गिरावट की अहम वजह क्या है और रिजर्व बैंक इसे संभालने के लिए क्या करेगा? इस पर जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने अपनी राय दी.
क्यों गिर रहा है रुपया, क्या करेगा RBI?
अनिल सिंघवी का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट की दो अहम वजहें हैं. पहली, फेड की मीटिंग के बाद डॉलर इंडेक्स मजबूत हुआ है. जिस तरह से फेड ने आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है और आगे भी बढ़ाएग, उससे दुनियाभर की करेंसी कमजोरी होंगी. अब इस वजह से रुपया कितना कमजोर होगा. इस पर अपना-अपना जजमेंट हो सकता है. डॉलर इंडेक्स में मजबूती से रुपया आधा-पौन फीसदी गिरना चाहिए था, एक-सवा फीसदी गिर गया, तो क्या ज्यादा गिरावट है?
सिंघवी का कहना है, दूसरी बात यह कि कहीं न कहीं यह लग रहा था कि रिजर्व बैंक (डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? RBI) रुपये को 80 के लेवल के आसपास स्टेबल करने की कोशिश करेगा. लेकिन, अब ऐसा लग रहा है कि RBI ने छोड़ दिया है कि अब रुपये ने 80 का लेवल तोड़ दिया तो ठीक है. अब इसमें वह निर्णायक तौर पर डिफेंड नहीं करेगा. अब देखने वाली बात यह है कि RBI रुपये का अगला लेवल क्या डिफेंड करता है.
Rupees Down: रुपया फिर रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद, पहली बार 82 पार गया डॉलर
डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार को पहली बार 82 के स्तर से नीचे पहुंच गया और आखिर में 40 पैसे टूटकर 81.93 के सार्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने और निवेशकों के जोखिम वाले बाजारों में पूंजी लगाने से बचने की वजह से रुपये में गिरावट आई।
घरेलू शेयर बाजार में जारी गिरावट और विदेशी निवेशकों की लगातार पूंजी निकासी से भी घरेलू मुद्रा पर दबाव बढ़ा। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.90 पर खुला। मंगलवार को यह डॉलर के मुकाबले 14 पैसे मजबूत होकर 81.53 पर बंद हुआ था।
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डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार को पहली बार 82 के स्तर से नीचे पहुंच गया और आखिर में 40 पैसे टूटकर 81.93 के सार्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने और निवेशकों के जोखिम वाले बाजारों में पूंजी लगाने से बचने की वजह से रुपये में गिरावट आई।
घरेलू शेयर बाजार में जारी गिरावट और विदेशी निवेशकों की लगातार पूंजी निकासी से भी घरेलू मुद्रा पर दबाव बढ़ा। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.90 पर खुला। मंगलवार को यह डॉलर के मुकाबले 14 पैसे मजबूत होकर 81.53 पर बंद हुआ था।
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड की उपाध्यक्ष (कमोडिटी एवं मुद्रा अनुसंधान) सुगंधा सचदेवा ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के बीच आरबीआई की ओर से सीमित हस्तक्षेप से रुपये में बिकवाली का मौजूदा दौर चल रहा है।
इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के समक्ष डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.43% चढ़कर 114.59 पर पहुंच गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अब सबका ध्यान आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक पर है। इस बैठक में नीतिगत दरों पर शुक्रवार को फैसला आएगा।
रुपया 80 प्रति डॉलर के पार, जानें आप पर क्या होगा सीधा असर
अमेरिकी मुद्रा डॉलर के मुकाबले आज मंगलवार को रुपया बाजार खुलने के बाद पहली बार अब तक के अपने निम्नतम स्तर 80.05 रुपया प्रति डॉलर पर आ गया. अमेरिकी मुद्रा के मजबूत बने रहने और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बीच रुपया शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले अब तक के अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच गया. इस साल 2022 की शुरुआत में रुपया एक डॉलर पर 74 रुपये के लगभग चल रहा था, लेकिन अभी सात महीने बीते नहीं हैं कि इसमें सात फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है. रुपया अपने सार्वकालिक स्तर पर आ गया है.
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लोकसभा में वित्तमंत्री की ओर से दिए गए लिखित जवाब में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2014 के बाद से रुपया 25 फीसदी तक गिर चुका है.
रुपये में इतनी तेज गिरावट का आप पर क्या असर हो सकता है, हम वही देखने की कोशिश कर रहे हैं-
आयात की लागत बढ़ जाएगी
किसी देश की करेंसी कमजोर होने का मतलब है कि उसके लिए विदेशों से वस्तुओं का आयात महंगा होगा क्योंकि अब उसे पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे चुकाने होंगे. जैसे कि मान लीजिए कि आप इस साल जनवरी में विदेश से आ रहे किसी उत्पाद पर 1 डॉलर के बदले में 74 रुपये चुका रहे थे, तो अब आपको उसी प्रॉडक्ट पर 80 रुपये देने होंगे. रुपये की कीमत अभी और गिरने की आशंका जताई जा रही है, ऐसे में हो सकता है कि विदेशी वस्तुओं को खरीदना और महंगा हो.
ईंधन-ऊर्जा महंगी
भारत अपनी तेल की कुल जरूरतों का लगभग 80 फीसदी हिस्सा आयात करता है. रुपया डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? कमजोर होगा तो इसका असर विदेशों से आयातित किए जा रहे तेल और ऊर्जा उत्पादों पर भी पड़ेगा. इससे देश में घरेलू बाजार में उपभोक्ताओं के लिए तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं क्योंकि तेल रिफाइनरी और तेल विपणन कंपनियां अतिरिक्त भार को उपभोक्ताओं पर डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? डाल देती हैं. हालांकि, बता दें कि पिछले कई महीनों में तेल की कीमतों ने उछाल देखा है, लेकिन इसका असर घरेलू बाजार पर नहीं दिखा है.
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अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा रुपया में गिरावट बीते काफी दिनों से जारी है और रुपया लगातार नए निचले स्तर को छूता जा रहा है। हालांकि, बुधवार को शुरुआती कारोबार में इसमें डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? नौ पैसे का सुधार देखने को मिला और यह फिलहाल 77.69 पर है। लेकिन कई दिनों की गिरावट के बाद ये सुधार बेहद मामूली है। हम आपको बता रहें हैं क्या हैं रुपये में गिरावट के कारण और किस तरह यह आम आदमी के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है?
रुपये में गिरावट के बड़े कारण
भारतीय मुद्रा रुपये में बीते दिनों से गिरावट जारी है। यह डॉलर के मुकाबले फिसलकर 77.78 तक पहुंच चुका था। इसके टूटने के कई कारण हैं, जिनमें अमेरिकी फेडरल रिजर्व की डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? 50-आधार-बिंदु दर वृद्धि और आने वाले महीनों में और अधिक दरों में बढ़ोतरी के संकेत को बड़ा कारण माना जा रहा है। इसके अलावा विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय बाजारों से लगातार बिकवाली करना भी इसके गिरने की बड़ी वजह है। जबकि, रूस और यूक्रेन के बीच लंबा खिंचता युद्ध और उससे उपजे भू-राजनैतिक हालातों ने भी रुपये पर दबाव बढ़ाया है।