Bitcoin पर आय

इसके अतिरिक्त, डिजिटल परिसंपत्तियों की बिक्री से करदाता को होने वाली आय के किसी भी भुगतान पर एक वर्ष में 50,000 रुपये से Bitcoin पर आय अधिक के लेनदेन पर 1 प्रतिशत टीडीएस लगेगा.
क्रिप्टो बैन: सही कदम या भूल
भारत में इन दिनों क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चर्चा हरेक की जुबान पर है भले ही उसने इसमें कभी निवेश किया हो या नहीं. अब सरकार इस पर कानून लाने वाली है, लेकिन यह काम भी बड़ा उलझन भरा है. जाानिए क्यों?
भारतीय संसद के इस हफ्ते शुरू हुए शीतकालीन सत्र की खास बात कृषि या विकास संबंधी परियोजनाएं न होकर एक ऐसी करेंसी या मुद्रा रही जो न देखी जा सकती है, न छुई जा सकती है और जिसकी कीमत तेजी से घटती-बढ़ती रहती है. इसे क्रिप्टोकरेंसी या डिजिटल करेंसी कहते हैं, जिस पर सरकार या बैंक का नियंत्रण नहीं होता है. यह करेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर बनी होती है, जो किसी डेटा को Bitcoin पर आय डिजिटली सहेजता है.
अब जो करेंसी किसी के नियंत्रण में नहीं है, उस पर सरकार कानून कैसे ला सकती है? इसका जवाब हां और ना दोनों है. भले ही सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई कानून न बनाया हो, लेकिन भारत का आयकर विभाग क्रिप्टो निवेश पर होने वाली इनकम पर टैक्स लेता है. हालांकि क्रिप्टो टैक्स के नियम ज्यादा साफ नहीं हैं, लेकिन अगर किसी निवेश पर टैक्स लिया जा रहा है तो इसका मतलब है कि सरकार उसे आय का स्रोत मान रही है.
दूसरा पक्ष यह है कि सरकार इसे पेमेंट का माध्यम मानने से इनकार कर रही है. हाल ही में संसद की ओर से जारी एक बुलेटिन में कहा गया कि बिटकॉइन या इथेरियम जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी का दर्जा नहीं दिया जा सकता है. यानि इनसे कोई भी दूसरा सामान नहीं खरीदा जा सकेगा.
नुकसानदेह हो सकता है सरकार का रवैया
सरकार की यह हिचक लंबे अर्से में नुकसान ही कराएगी क्योंकि कई छोटे-बड़े देशों ने क्रिप्टोकरेंसी को पेमेंट का माध्यम मान लिया है. मसलन, अमेरिका स्थित दुनिया के सबसे बड़े मूवी थिएटर चेन एएमसी ने कुछ क्रिप्टोकरेंसी से पेमेंट किए जाने को मंजूरी दे दी है. वहीं, कोरोना महामारी से बुरी तरह तबाह हो चुके टूरिज्म बिजनेस को दोबारा खड़ा करने के लिए थाइलैंड ने क्रिप्टो निवेशकों का स्वागत करते हुए कहा है कि वे उनके यहां आकर क्रिप्टो के जरिए सामान खरीद सकते हैं.
प्राइवेट बैंकों ने तो एटीएम भी लगा रखा हैतस्वीर: Christian Beutler/picture alliance/KEYSTONE/dpa
हालांकि, भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी को एसेट क्लास यानि स्टॉक, Bitcoin पर आय बॉन्ड जैसा मानने को तैयार दिख रही है. इसका मतलब है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी न मानकर निवेश का माध्यम मानने को तैयार है. संसद की ओर से जारी बुलेटिन की एक अन्य टिप्पणी भी भ्रम पैदा करने वाली है. सरकार ने कहा है कि वह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा देगी. यह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी आखिर है क्या? सरकार ने इसे लेकर कोई व्याख्या नहीं दी है. क्रिप्टो जगत में प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी जैसी कोई चीज होती ही नहीं है क्योंकि सारी क्रिप्टोकरेंसी ‘प्राइवेट' ही हैं, ‘पब्लिक' या सरकार के नियंत्रण में तो हैं नहीं.
ब्लॉकचेन तकनीक से परहेज नहीं
एक अन्य मुद्दा जिस पर सरकार का रुख कन्फ्यूज कर रहा है वह है डिजिटल रुपये. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को ब्लॉकचेन तकनीक भा गई है क्योंकि इसकी वजह से रिकॉर्ड को सहेजना और करेंसी को जारी करना आसान है. सरकार को भले क्रिप्टोकरेंसी से दिक्कत हो, लेकिन वह खुद रुपये को डिजिटली जारी करना चाहती है. यानि हो सकता है कि भारतीय रुपया जल्द ही बिटकॉइन या डॉजकॉइन की तरह डिजिटल हो जाए.
हाल के दिनों में सरकार के रवैये ने आम भारतीय क्रिप्टो निवेशकों को खूब छकाया. भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे वजीरएक्स और कॉइनडीसीएक्स पर निवेशकों ने जल्दबाजी में अपनी करेंसी बेच डाली. पुराने और मंझे हुए क्रिप्टो निवेशकों ने इसका फायदा उठाया और गिरे हुए भाव पर दाव लगाकर क्रिप्टोकरेंसी को अपनी झोली में डाल लिया. ऐसा ही होता है क्रिप्टोकरेंसी बाजार में, जहां कीमत के गिरने का इंतजार कर रहे निवेशक झट से पैसे लगाकर प्रॉफिट लेकर चले जाते हैं.
कंपनियों को सरकार के फैसले का इंतजार
भारत में स्थित क्रिप्टो कंपनियां फिलहाल सरकार के बिल लाने का इंतजार कर रही हैं. वह कई वर्षों से सरकार के साथ बातचीत कर रही थीं क्योंकि उन्हें मालूम है कि रेगुलेशन और कानून आने से उन्हीं का फायदा होगा और क्रिप्टो को लेकर आम लोगों में विश्वास जगेगा. यही वजह है कि क्रिप्टो बिल को लेकर तमाम अटकलों के बावजूद अरबों की संपत्ति वाला क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनडीसीएक्स अब अपना आईपीओ Bitcoin पर आय शेयर बाजार में लाने वाला है. आईपीओ के जरिए उसे विस्तार मिलेगा और वह आम लोगों में अपने शेयर बेचकर धन की उगाही कर सकेगा.
कई देशों में बिटकॉइन के प्रचार की कोशिशें हो रही हैंतस्वीर: Salvador Melendez/AP Photo/picture alliance
भारत को लेकर बड़ी कंपनिया आश्वस्त हैं कि यहां चीन की Bitcoin पर आय तरह क्रिप्टो पर बैन लगाकर तानाशाही नहीं चलेगी. एनालिटिक फर्म चेनएनालिसिस ने भी भारत को क्रिप्टो का हब करार दिया है, जो बिना किसी गाइडलाइंस के देश ने हासिल किया है. यह बड़ी उपलब्धि है और सरकार को इसे गंवाना नहीं चाहिए.
फिलहाल सरकार को ब्लॉकचेन तकनीक से कोई दिक्कत नहीं, न ही क्रिप्टोकरेंसी इनकम पर मिलने वाले टैक्स से. लेकिन विडंबना यह है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने को भी आतुर है. यह वही बात हो गई है कि कमरे में हाथी रखा है और सबने उसकी अपनी तरह से व्याख्या की है. भारत सरकार को क्रिप्टोकरेंसी पर व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. एक ऐसा देश जो आईटी सेक्टर का हब हो, जहां 50 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हो और जिसने डिजिटल इंडिया का ख्बाव देखा हो, वह ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी के उदय के दौर में पिछड़ कर रह जाएगा.
ये भी देखिए: बिटकॉइन कैसे काम करता है और यह किस काम आता है
क्रिप्टो खरीदने-बेचने वालों को धारा 148-ए के नोटिस थमाए
आयकर विभाग ने 5 साल बाद क्रिप्टो करेंसी मामले की जांच शुरू की
इंदौर। आयकर विभाग (Income Tax Department) ने क्रिप्टो करेेंसी (Cryptocurrency) मामले की पांच साल बाद जांच शुरू कर दी है। साल 2017-18 के दौरान जिन लोगों ने क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency) की खरीद-बेच की थी, उन्हें आयकर की धारा 148-ए के अंतर्गत नोटिस जारी कर दिए गए हंै।
जारी किए गए नोटिस में संबंधित लोगों को कुल ट्रांजेक्शन का मूल्य बताकर कारण बताओ नोटिस (Notice) जारी किया गया है कि क्यों न इस ट्रांजेक्शन की राशि को आपकी आय Bitcoin पर आय मानकर इनकम टैक्स (Income Tax) वसूला जाए। इसके अलावा क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency) खरीदने के लिए किए गए प्रारंभिक निवेश संबंधित इनकम सोर्सेस, यानी आय के स्रोत क्या हैं, इसकी भी जानकारी देने के लिए नोटिस में लिखा गया है।
यह भी पढ़ें | 18 नवंबर की 10 बड़ी खबरें
77 प्रतिशत टैक्स, 10 प्रतिशत पेनल्टी
जानकार विशेषज्ञों का कहना है कि मामला गंभीर है। यदि इस नोटिस (Notice) का जवाब सही अथवा संतोषजनक नहीं मिला तो धारा 148 के अंतर्गत सूक्ष्म व गहन तरीके से जांच की जाएगी और कर अपवंचन की राशि पर विशेष धारा में 77 प्रतिशत टैक्स के साथ 10 प्रतिशत पेनल्टी और अतिरिक्त ब्याज भी वसूला जाएगा। इसलिए विशेषज्ञ चार्टर्ड अकाउंटेंट के जरिए इस मामले को समझकर ही इसका सही जवाब देना होगा।
यह भी पढ़ें | 18 नवंबर की 10 बड़ी खबरें
विगत वर्षों में इंदौरियों ने बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टो करेंसी में मुनाफा कमाया
चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज शाह (Pankaj Shah) का कहना है कि जिन लोगों को नोटिस (Notice) जारी किए गए हैं, यदि वो आयकर विभाग (Income Tax Department) के नोटिस (Notice) का बिंदुवार, विस्तार से संतोषजनक, तर्कपूर्ण और सही जवाब देते हैं तो टैक्स और पेनल्टी से बच सकते हैं। अगर करदाता ने क्रिप्टो के वॉलेट में निवेश की गई प्रारंभिक राशि बैंक से ट्रांसफर की है और बैंक में रकम पर कर चुका दिया है तो निवेश पर फिर से टैक्स नहीं लगेगा। क्रिप्टो करेंसी में की गई खरीद-बिक्री से अगर मुनाफा हुआ है तो उस पर 30 प्रतिशत टैक्स देना होगा और अगर नुकसान हुआ है तो रिटर्न में नहीं दिखाने के कारण इस नुकसान का सेटऑफ नहीं मिलेगा। अगर क्रिप्टो करेंसी को तीन वर्ष तक रखकर बेचा गया है तो उस पर 20 प्रतिशत टैक्स देना होगा और उसे कैपिटल गेन माना जाएगा। 1 अप्रैल से क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency) में होने वाले लाभ पर फ्लेट 30 प्रतिशत टैक्स लगेगा, जिसमें किसी भी प्रकार की छूट नहीं मिलेगी, साथ ही कंपनी और फर्म या ऑडिट में आने वाले करदाता से 10000 रुपए से अधिक की क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency) खरीदने पर और अन्य व्यक्ति से 5000 रुपए की क्रिप्टो खरीदने पर 1 प्रतिशत टीडीएस काटना होगा, साथ ही क्रिप्टो करेंसी को छूट राशि से अधिक बेचने पर जीएसटी भी लगने की संभावना रहेगी।
Cryptocurrency Tax: बिटकॉइन, NFT इनवेस्टर्स, Crypto Miners के लिए समझें नियम
क्रिप्टोक्यूरेंसी Tax: 1 अप्रैल से क्रिप्टोक्यूरेंसी यूजर्स को वर्चुअल संपत्ति से फायदे पर आयकर का भुगतान करना होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोक्यूरेंसी, अपूरणीय टोकन या एनएफटी और अन्य वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों से होने वाली इनकम के लिए कर की दर प्रदान करने के लिए एक नया खंड 115BBH पेश किया. प्रस्तावित नियम के अनुसार, सभी वर्चुअल एसेट्स पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा. स्रोत पर 1 प्रतिशत कर कटौती योग्य (TDS) क्रिप्टोकुरेंसी और सभी वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों से Bitcoin पर आय जुड़े सभी लेनदेन पर भी लागू होगा. इसके अलावा एक प्रकार की डिजिटल संपत्ति से होने वाले नुकसान को किसी अन्य वर्चुअल डिजिटल टोकन से जुड़े किसी भी लेनदेन से होने वाले फायदे के खिलाफ सेट नहीं किया जा सकता है. चलिए जानते हैं नए क्रिप्टोक्यूरेंसी टैक्स के बारे में.
खबर में खास
- नए क्रिप्टोक्यूरेंसी टैक्स के बारे में, जानिए
- भारत में क्रिप्टो माइनिंग
- इस तरह से समझिए
नए क्रिप्टोक्यूरेंसी टैक्स के बारे में, जानिए
वर्चुअल संपत्ति जैसे क्रिप्टोक्यूरैंक्स, एनएफटी की बिक्री से आय पर 30 प्रतिशत की एक फ्लैट दर पर कर लगाया जाएगा.
ऐसी संपत्तियों को प्राप्त करने की लागत के अलावा, क्रिप्टोकुरेंसी लेनदेन पर किए गए किसी भी खर्च के लिए कोई कटौती नहीं होगी.
क्रिप्टोक्यूरेंसी या वर्चुअल संपत्ति से होने वाले नुकसान को करदाता की Bitcoin पर आय किसी अन्य आय (शेयर या म्यूचुअल फंड) के खिलाफ सेट-ऑफ नहीं किया जा सकता है. इसलिए कर गणना के लिए सभी हानि लेनदेन को नजरअंदाज कर दिया जाएगा और केवल लाभ की गणना की जाएगी.
डिजिटल संपत्ति से होने वाले नुकसान को अगले साल के लिए आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है.
इसके अतिरिक्त, डिजिटल परिसंपत्तियों की बिक्री से करदाता को होने वाली आय के किसी भी भुगतान पर एक वर्ष में 50,000 रुपये से अधिक के लेनदेन पर 1 प्रतिशत टीडीएस लगेगा.
क्रिप्टोकरेंसी और एनएफटी को गिफ्ट करने पर भी प्राप्तकर्ता को टैक्स देना होगा.
इस तरह से समझिए
उदाहरण: यदि आपने 1 लाख रुपये की वर्चुअल डिजिटल संपत्ति बेची है. अधिग्रहण की लागत 20,000 रुपये है. वर्चुअल संपत्ति की बिक्री से शुद्ध आय 80,000 रुपये होगी. (1,00,000 रुपये- 20,000 रुपये). नए इनकम टैक्स कानून के अनुसार, 24,000 रुपये टैक्स देनदारी होगी. यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि वर्चुअल संपत्ति के नुकसान के खिलाफ वर्चुअल संपत्ति के नुकसान का निपटान किया जा सकता है.
भारत में क्रिप्टो माइनिंग
नए आयकर के बारे में आप सभी को पता होना चाहिए. दरअसल, वित्त मंत्रालय ने यह भी साफ किया कि क्रिप्टो परिसंपत्तियों के Miners की लागत को कर कटौती के रूप में अनुमति नहीं दी जाएगी. क्रिप्टोक्यूरेंसी निवेशकों को अधिग्रहण की लागत का हिस्सा होने के लिए वर्चुअल डिजिटल संपत्ति (VDA) के Miners में किए गए बुनियादी ढांचे के खर्च पर विचार नहीं करना चाहिए.
क्रिप्टो करेंसी से कमाने वालों को मिले आयकर के नोटिस
इंदौर.
बजट में क्रिप्टो करेंसी पर टैक्स लगाने की घोषणा के बाद आयकर विभाग ने अब क्रिप्टो की खरीदी-बिक्री करने वालों को नोटिस भेजना शुरू कर दिए है। विभाग ने कुल ट्रांजेक्शन का मूल्य बताकर कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना यह ट्रांजेक्शन की राशि को आपकी आय मानकर कर लगाया जाएं। शहर में ही कई लोगों को ये नोटिस मिले जिनमें गृहणियां और युवा भी शामिल है।
क्रिप्टो करेंसी में भारी-भरकम इनवेस्टमेंट हुआ है। अब तक इस पर होने वाले लाभ पर किसी तरह की निगरानी नहीं थी। रिटर्न में जो जो स्वैच्छिक जानकारी दी जा रही थी उसी पर भरोसा किया जाता था। सरकार 1 अप्रैल से क्रिप्टो करेंसी पर होने वाले पूंजीगत लाभ पर कर वसूलेगी। इससे पहले वित्तिय वर्ष 2017-18 में जिन लोगो ने क्रिप्टो करंसी की खरीदी-बिक्री की उनमें से कई लोगों को आयकर की धारा 148 ए के अंतर्गत नोटिस मिल रहे है। इन नोटिस में इस करंसी को खरीदने के लिए किए गए प्रारंभिक निवेश का स्त्रोत भी साबित करने के लिए कहा गया। संतोषजनक जवाब नहीं देने वालों की जांच होगी और कर अपवंचन की राशि पर विशेष धारा में 77 फीसदी टैक्स के साथ ही 10 फीसदी पैनल्टी और अतिरिक्त ब्याज भी लगेगा। मालूम हो, बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टो करंसी में कई लोगों ने अच्छा मुनाफा कमाया है।
. तो मुनाफे पर ३० फीसदी कर
आईसीएआई इंदौर शाखा के पूर्व अध्यक्ष सीए पंकज शाह ने बताया कि विस्तार से जवाब देने पर भारी-भरकर टैक्स और पैनल्टी बच सकती है। अगर करदाता ने क्रिप्टो के वॉलेट में निवेश की गई प्रारंभिक राशी बैंक से ट्रांसफर की है और बैंक में रकम पर टैक्स चुका दिया है तो निवेश पर फिर से टैक्स नहीं लगेगा। क्रिप्टो की खरीदी-बिक्री में हुए मुनाफे पर 30 फीसदी की दर से टैक्स चुकाना होगा। हालांकि, नुकसान हुआ है तो रिटर्न में नही दिखाने के कारण इस नुकसान का सैट ऑफ नही किया जा सकेगा। क्रिप्टो करंसी को तीन वर्ष तक रखकर बेचा गया है तो उसे कैपिटल गैन माना जाएगा और 20 फीसदी टैक्स लगेगा।
क्रिप्टोकरेंसी लाभ पर टैक्स लगाने के लिए सरकार कानून में कर सकती है बदलाव
सरकार क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करने पर भी विचार कर रही है
सरकार अगले साल के बजट में कर दायरे के तहत क्रिप्टोकरेंसी(Cryptocurrency) में लेनदेन से होने वाले लाभ को आयकर के दायरे में लाने के लिए अधिनियम में बदलाव पर विचार कर रही है. साथ ट्रेड-इन वर्चुअल करेंसी पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाने पर भी विचार हो रहा है.
राजस्व सचिव तरुण बजाज ने पीटीआई को बताया कि लोग पहले से ही क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर पूंजीगत लाभ का भुगतान कर रहे हैं और जीएसटी कानून ऐसे लेनदेन पर 'सेवा' के रूप में कर लगाने का प्रावधान करता है.
उच्च रिटर्न की उम्मीद Bitcoin पर आय के साथ हाल ही में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश बढ़ा है. इन मुद्राओं को भी युवाओं के बीच व्यापक स्वीकृति प्राप्त हुई है.
बजाज ने बताया कि Bitcoin पर आय कर विभाग का विचार रहा है कि ऐसी "इनटेंजिबल" संपत्तियों पर कर लगाने का मतलब यह नहीं होगा कि उनमें व्यापार लीगल हो जाएगा. "हम Bitcoin पर आय एक्शन लेंगे" मैं समझता हूं कि पहले से ही लोग इस पर टैक्स दे रहे हैं. अब जबकि यह वास्तव में बहुत बढ़ गया है तो हम देखेंगे कि क्या हम वास्तव में कानून की स्थिति में कुछ बदलाव ला सकते हैं या नहीं. लेकिन यह एक बजट गतिविधि होगी.
तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करने का विचार
सरकार क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करने पर भी विचार कर रही है: पहला वे जो एक सुविधा के रूप में कार्य करते हैं, दूसरा ब्रोकरेज जो खरीदने और बेचने की अनुमति देते हैं, और तीसरा ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जो ट्रेडिंग के लिए एक इंटरफ़ेस प्रदान करते हैं.
सरकार 29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान क्रिप्टोकरेंसी पर एक विधेयक पेश करने की भी योजना बना रही है, इस तरह की मुद्राओं के बारे में चिंताओं के बीच निवेशकों को भ्रामक दावों का इस्तेमाल लुभाने के लिए किया जा रहा है.