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लघु स्थिति

लघु स्थिति

लघु उद्योगों की आर्थिक स्थिति सुधारने को दिए टिप्स

प्रेमी से मिलने बिहार आयी प्रेमिका, बोली-मुझे क्‍यों छोड़ा, पति मेरे साथ क्‍या करते हैंं मालूम हैं तुमको.

मोदीपुरम। मेरठ मैनेजमेंट एसोसिएशन के तत्वावधान में गुरुवार को सेमिनार रोल ऑफ इंडियन बैंक टू मीट द चैलेंजिज आफ एमएसएमई एमएमए हाउस ऑडिटोरियम पल्लवपुरम में हुआ। मुख्य वक्ता एसपी सिंह डीजीएम रिटायर्ड पंजाब नेशनल बैंक रहे। इस दौरान उन्होंने सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग की आर्थिक स्थिति की मजबूती को लेकर चर्चा की। साथ ही ई-इनवॉइसिंग लघु स्थिति के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में योगेश गर्ग और रमेश चंद्र ने मुख्य अतिथि को धन्यवाद किया। एसपीएस जग्गी, डा़ पूनम देवदत्त, डॉ़ मनोज गर्ग, योगेश गर्ग, आदर्श आनंद, पुनीत गर्गिया मौजूद रहे।

लघु उद्योग दिवस: ताना-बाना से बुनकर खींच रहे हैं जीवन की पतवार, मुनाफा कमाने के साथ दे रहे रोजगार

अभी प्रदेश के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के स्कूल ड्रेस गुलाबी रंग का शर्ट और गहरा भूरा रंग का पैंट हैं। शर्ट के कपड़े तो महाराष्ट्र के भिवंडी और उत्तरप्रदेश के आंबेडकर नगर जिले के टांडा इलाके से प्रदेश भर में आपूर्ति होते हैं, लेकिन पैंट के कपड़ों की जरूरतों को गोरखपुर के टेक्सटाइल और पावरलूम लघु उद्योग पूरी करते हैं।

लघु उद्योग

ताना-बाना से गोरखपुर के कई बुनकर जीवन की पतवार खींच रहे हैं। कोरोना के दौरान बदहाली झेल रहे बुनकरों की स्थिति सरकार के प्रयासों से थोड़ी बेहतर हुई है। सरकारी स्कूलों में पैंट के कपड़ों की जरूरतों को पूरा करने के लिए यहां के बुनकरों के ताने-बाने की रफ्तार तेज हो गई है। स्थिति यह है कि कई पावरलूम संचालक बुनकर प्रतिदिन 1,000 मीटर तक कपड़े तैयार करने लगे हैं। इन स्थितियों के बावजूद अभी बुनकरों को कई बदलाव का इंतजार है।

अभी प्रदेश के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के स्कूल ड्रेस गुलाबी रंग का शर्ट और गहरा भूरा रंग का पैंट हैं। शर्ट के कपड़े तो महाराष्ट्र के भिवंडी और उत्तरप्रदेश के आंबेडकर नगर जिले के टांडा इलाके से प्रदेश भर में आपूर्ति होते हैं, लेकिन पैंट के कपड़ों की जरूरतों को गोरखपुर के टेक्सटाइल और पावरलूम लघु उद्योग पूरी करते हैं।

जब तक स्कूलों के माध्यम से ड्रेस की आपूर्ति होती थी, तब तक यहां के बुनकरों की स्थिति काफी बेहतर थी, लेकिन कोरोना काल में उनकी स्थिति काफी खराब हो गई थी। अब इनकी स्थिति धीरे-धीरे बेहतर हुई है।

कोरोना की मार से अब गोरखपुर के पावरलूम उद्योग काफी हद तक उबर गए हैं। पहले जब स्कूलों में ही ड्रेस की खरीदारी होती थी, तब लघु स्थिति तक स्कूल स्तर पर ही कपड़ों की खरीद होती थी। लेकिन जब से बच्चों के अभिभावकों के खातों में पैसे जाने लगे तब से स्थिति थोड़ी खराब हुई है। सरकार की नीतियों की वजह से इसमें थोड़ा सुधार हुआ है। प्रत्येक दिन एक हजार मीटर तक कपड़े तैयार कर लिए जा रहे हैं।- हबीब अहमद अंसारी, जामिया नगर, रसूलपुर

कोरोना काल से लेकर पिछले साल तक गोरखपुर के बुनकरों की स्थिति काफी विकट हो गई थी। लेकिन अब इसमें सुधार हुआ है। स्कूल ड्रेस तैयार करने वाले रेडीमेड गारमेंट उद्यमियों की ओर से पैंट के कपड़ों की काफी मांग है। जिसको पूरा करने में पावरलूम के ताने-बाने दिन-रात दौड़ते रहते हैं। ऐसे में स्थितियां थोड़ी बेहतर हुई हैं। हालांकि बुनकरों की स्थिति को बेहतर करने के लिए सरकार को कुछ और कदम उठाने चाहिए।- मोहम्म्द खलीक, बुनकर

गोरखपुर के टेक्सटाइल उद्योगों में तैयार होने वाले कपड़े की गुणवत्ता काफी बेहतर रहती है। न सिर्फ उत्तरप्रदेश के बल्कि देश के अन्य राज्यों में इनकी सप्लाई होती है। इसमें पावरलूम उद्योगों की भी बड़ी भूमिका है। मात्र चार साल पहले यहां पांच से छह हजार पावरलूम चलते थे। धीरे धीरे इनकी संख्या घटकर डेढ़ हजार रह गई थी। अब फिर से संख्या बढ़ रही है। स्कूल के पैंट के कपड़ों की मांग बढ़ गई है।- दीपक कारीवाल, उद्यमी

छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस
लघु और कुटीर उद्योगों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देश भर में हर साल 30 अगस्त को छोटे उद्योगों को उनकी समग्र विकास क्षमता और वर्ष में उनके विकास के लिए प्राप्त अवसरों के समर्थन और बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस के रूप में मनाया जाता है।

विस्तार

ताना-बाना से गोरखपुर के कई बुनकर जीवन की पतवार खींच रहे हैं। कोरोना के दौरान बदहाली झेल रहे बुनकरों की स्थिति सरकार के प्रयासों से थोड़ी बेहतर हुई है। सरकारी स्कूलों में पैंट के कपड़ों की जरूरतों को पूरा करने के लिए यहां के बुनकरों के ताने-बाने की रफ्तार तेज हो गई है। स्थिति यह है कि कई पावरलूम संचालक बुनकर प्रतिदिन 1,000 मीटर तक कपड़े तैयार करने लगे हैं। इन स्थितियों के लघु स्थिति बावजूद अभी बुनकरों को कई बदलाव का इंतजार है।

अभी प्रदेश के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के स्कूल लघु स्थिति ड्रेस गुलाबी रंग का शर्ट और गहरा भूरा रंग का पैंट हैं। शर्ट के कपड़े तो महाराष्ट्र के भिवंडी और उत्तरप्रदेश के आंबेडकर नगर जिले के टांडा इलाके से प्रदेश भर में आपूर्ति होते हैं, लेकिन पैंट के कपड़ों की जरूरतों को गोरखपुर के टेक्सटाइल और पावरलूम लघु उद्योग पूरी करते हैं।

जब तक स्कूलों के माध्यम से ड्रेस की आपूर्ति होती थी, तब तक यहां के बुनकरों की स्थिति काफी बेहतर थी, लेकिन कोरोना काल में उनकी स्थिति काफी खराब हो गई थी। अब इनकी स्थिति धीरे-धीरे बेहतर हुई है।

कोरोना की मार से अब गोरखपुर के पावरलूम उद्योग काफी हद तक उबर गए हैं। पहले जब स्कूलों में ही ड्रेस की खरीदारी होती थी, तब तक स्कूल स्तर पर ही कपड़ों की खरीद होती थी। लेकिन जब से बच्चों के अभिभावकों के खातों में पैसे जाने लगे तब से स्थिति थोड़ी खराब हुई है। सरकार की नीतियों की वजह से इसमें थोड़ा सुधार हुआ है। प्रत्येक दिन एक हजार मीटर तक कपड़े तैयार कर लिए जा रहे हैं।- हबीब अहमद अंसारी, जामिया नगर, रसूलपुर

कोरोना काल से लेकर पिछले साल तक गोरखपुर के बुनकरों की स्थिति काफी विकट हो गई थी। लेकिन अब इसमें सुधार हुआ है। स्कूल ड्रेस तैयार करने वाले रेडीमेड गारमेंट उद्यमियों की ओर से पैंट के कपड़ों की काफी मांग है। जिसको पूरा करने में पावरलूम के ताने-बाने दिन-रात दौड़ते रहते हैं। ऐसे में स्थितियां थोड़ी बेहतर हुई हैं। हालांकि बुनकरों की स्थिति को बेहतर करने के लिए सरकार को कुछ और कदम उठाने चाहिए।- मोहम्म्द खलीक, बुनकर

गोरखपुर के टेक्सटाइल उद्योगों में तैयार होने वाले कपड़े की गुणवत्ता काफी बेहतर रहती है। न सिर्फ उत्तरप्रदेश के बल्कि देश के अन्य राज्यों में इनकी सप्लाई होती है। इसमें पावरलूम उद्योगों की भी बड़ी भूमिका है। मात्र चार साल पहले यहां पांच से छह हजार पावरलूम चलते थे। धीरे धीरे इनकी संख्या घटकर डेढ़ हजार रह गई थी। अब फिर से संख्या बढ़ रही है। स्कूल के पैंट के कपड़ों की मांग बढ़ गई है।- दीपक कारीवाल, उद्यमी

छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस
लघु और कुटीर उद्योगों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देश भर में हर साल 30 अगस्त को छोटे उद्योगों को उनकी समग्र विकास क्षमता और वर्ष में उनके विकास के लिए प्राप्त अवसरों के समर्थन और बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस के रूप में मनाया जाता है।

लघु उद्योगों का विकास | उत्तर प्रदेश में लघु औद्योगिक क्षेत्र एवं सम्पूर्ण औद्योगिक क्षेत्र का वार्षिक वृद्धि दर | उत्तर प्रदेश में लघु उद्योगों की स्थिति | उत्तर प्रदेश के औद्योगिक समस्याओं की व्याख्या | उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास के समस्याओं की विवेचना

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Table of Contents

लघु उद्योगों का विकास

एक विकासशील अर्थव्यवस्था में लघु उद्योग उत्पादन, रोजगार, औद्योगीकरण, आदि में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं। भारत के सन्दर्भ में भी यह बात लागू होती है भारत में देश के कुल निर्यात का एक तिहाई हिस्सा लघु उद्योगों के द्वारा किया जाता है। जोकि एक महत्वपूर्ण योगदान है। इससे यह बात स्पष्ट होती है कि औद्योगीकरण में लघु उद्योगों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। चाहे वह देश हो या राज्य प्रत्येक अर्थव्यवस्था में लघु लघु स्थिति लघु स्थिति उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उत्तर प्रदेश में लघु उद्योगों की स्थिति को तालिका-1 तालिका-2 में प्रदर्शित किया गया है।

तालिका-1 में राज्य आय, लघु उद्योग, समस्त विनिर्माण क्षेत्र तथा समस्त औद्योगिक क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर को दिखाया गया है। जैसा कि हम जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में 1990 के दशक से राज्य आय की विकास दर अत्यन्त मन्द या सुस्त पड़ गयी थी तथा इसकी वृद्धि दर में व्यापक उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं। राज्य आय की स्थिति को देखने से इस बात का अनुभव होता है कि राज्य की अर्थव्यवस्था में आत्मविश्वास एवं स्थायित्व की कमी बनी हुई है। राज्य की यह स्थिति राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विपरीत है।

वास्तव में, राज्य आय की कमजोर स्थिति से प्रदेशों में औद्योगिक विकास में व्याप्त कमजोरियाँ परिलक्षित होती हैं क्योंकि यह चाहे सम्पूर्ण औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि दर हो अथवा

लघु प्रभाव

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