मुद्रा जोड़े

व्यापार के लिए शर्तें

व्यापार के लिए शर्तें
v. बिजली, गैस, पानी की आपूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवाएं 5.6% चढ़ गईं और कृषि, वानिकी और मछली पकड़ने के खंड में GVA में 4.6% की वृद्धि देखी गई।

वर्ष 2023 में निफ्टी फिफ्टी के बढ़ने का कारण

श्रीलंका, नेपाल से नहीं सीखा सबक, चीन की गिरफ्त में फंसता जा रहा है बांग्लादेश

Bangladesh hasn’t learned the China lesson from Nepal and Sri Lanka

चीन, एक ऐसा शिकारी देश व्यापार के लिए शर्तें है जो आए दिन कोई न कोई नया शिकार ढूंढ़ता ही रहता है फिर चाहे वह श्रीलंका हो या नेपाल परन्तु अब उसे एक नया शिकार मिल गया है और उसका नाम है बांग्लादेश। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बांग्लादेश में चीन अपने निवेश को लगातार बढ़ाता जा रहा है और बांग्लादेश उसे रसगुल्ला समझकर गपककर खाता जा रहा है लेकिन उसे यह पता होना चाहिए कि इस चीनी रसगुल्ले को पहले भी कई देशों ने खाया है और उनकी क्या स्थिति हुई है वो किसी से छिपी नहीं है।

चीन के शिकंजे में फंसने जा रहा है बांग्लादेश

दरअसल, बांग्लादेश से अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए चीन वहां के बुनियादी ढांचे में बड़े स्तर पर निवेश कर रहा है। इसके साथ ही वह दोनों देशों की मुद्रा में आदान-प्रदान को सरल बनाने का प्रयास भी कर रहा है। उदाहरण के लिए अभी हाल के महीनों में चीन ने बांग्लादेश के साथ मिलकर इन्फॉर्मेशन और कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी पर चल रहे प्रोजेक्ट का तीसरा चरण पूरा किया है। यही नहीं, बिजली क्षेत्र के लिए चीन बांग्लादेश को लगभग 1.7 अरब डॉलर का कर्ज भी देने जा रहा है।

अब यदि चीन द्वारा किए गए पुराने पापों को देखा जाए तो बिना किसी लाभ के वह किसी भी देश में निवेश नहीं करता है। उदाहरण के लिए हम श्रीलंका को देख सकते हैं कि कैसे वहां की महिंदा राजपक्षे सरकार ने बिना सोचे समझे चीनी निवेश को स्वीकार कर लिया और बाद में जब कर्ज नहीं चुका पाए तो हंबनटोटा हवाईअड्डा चीन को सौंपना पड़ा। इसके अलावा राजधानी कोलंबो में कोलंबो पोर्ट सिटी के लिए 99 साल की लीज पर जगह भी दे दी गई जो आज चीन के कब्जे में है। हालांकि महिंदा राजपक्षे की सरकार तो गिर गई और वो देश छोड़कर भी भाग गए लेकिन श्रीलंका बुरी तरह से कंगाल हो गया और आज भी वहां की स्थिति में कुछ अधिक सुधार नहीं हुआ है।

बांग्लादेश चीन से क्यों ले रहा है कर्ज?

बीबीसी के एक व्यापार के लिए शर्तें लेख के अनुसार बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में बहुत हद तक कमी आई और उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ से 4.5 अरब डॉलर के क़र्ज़ की मांग भी की ताकि वह अपने खाली होते विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर रख सके। ऐसे में यह स्पष्ट हो जाता है कि बांग्लादेश के आर्थिक हालात ठीक नहीं है इसलिए इस मौके का फायदा उठाते हुए चीन वहां लगातार अपने निवेश को बढ़ाता जा रहा है और बांग्लादेश मुफ्त का चंदन समझकर घिसता जा रहा है परन्तु यह चंदन कब विष में बदल जाएगा किसी को नहीं पता।

नेपाल हो, श्रीलंका हो, पाकिस्तान हो या फिर बांग्लादेश, चीन का इन सभी देशों में निवेश करने के पीछे का उद्देश्य है ‘बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट’ जिसके जरिए वह पुराने सिल्क रूट को दोबारा से बनाकर एशिया से लेकर यूरोप तक बिना किसी रुकावट के व्यापार करना चाहता है। परन्तु कोविड के चलते पिछले दो सालों से इस प्रोजेक्ट पर काम लगभग बंद ही था लेकिन अब वह बांगलादेश को अपने जाल में फंसा रहा है और धीरे-धीरे अपने ‘बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट’ को भी शुरू कर रहा है।

श्रीलंका, नेपाल से नहीं सीखा सबक, चीन की गिरफ्त में फंसता जा रहा है बांग्लादेश

Bangladesh hasn’t learned the China lesson from Nepal and Sri Lanka

चीन, एक ऐसा शिकारी देश है जो आए दिन कोई न कोई नया शिकार ढूंढ़ता ही रहता है फिर चाहे वह श्रीलंका हो या नेपाल परन्तु अब उसे एक नया शिकार मिल गया है और उसका नाम है बांग्लादेश। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बांग्लादेश में चीन अपने निवेश को लगातार बढ़ाता जा रहा है और बांग्लादेश उसे रसगुल्ला समझकर गपककर खाता जा रहा है लेकिन उसे यह पता होना चाहिए कि इस चीनी रसगुल्ले को पहले व्यापार के लिए शर्तें भी कई देशों ने खाया है और उनकी क्या स्थिति हुई है वो किसी से छिपी नहीं है।

चीन के शिकंजे में फंसने जा रहा है बांग्लादेश

दरअसल, बांग्लादेश से अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए चीन वहां के बुनियादी ढांचे में बड़े स्तर पर निवेश कर रहा है। इसके साथ व्यापार के लिए शर्तें ही वह दोनों देशों की मुद्रा में आदान-प्रदान को सरल बनाने का प्रयास भी कर रहा है। व्यापार के लिए शर्तें उदाहरण के लिए अभी हाल के महीनों में चीन ने बांग्लादेश के साथ मिलकर इन्फॉर्मेशन और कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी पर चल रहे प्रोजेक्ट का तीसरा चरण पूरा किया है। यही नहीं, बिजली क्षेत्र के लिए चीन बांग्लादेश को लगभग 1.7 अरब डॉलर का कर्ज भी देने जा रहा है।

अब यदि चीन द्वारा किए गए पुराने पापों को देखा जाए तो बिना किसी लाभ के वह किसी भी देश में निवेश नहीं करता है। उदाहरण के लिए हम श्रीलंका को देख सकते हैं कि कैसे वहां की महिंदा राजपक्षे सरकार ने बिना सोचे समझे चीनी निवेश को स्वीकार कर लिया और बाद में जब कर्ज नहीं चुका पाए तो हंबनटोटा हवाईअड्डा चीन को सौंपना पड़ा। इसके अलावा राजधानी कोलंबो में कोलंबो पोर्ट सिटी के लिए 99 साल की लीज पर जगह भी दे दी गई जो आज चीन के कब्जे में है। हालांकि महिंदा राजपक्षे की सरकार तो गिर गई और वो देश छोड़कर भी भाग गए लेकिन श्रीलंका बुरी तरह से कंगाल हो गया और आज भी वहां की स्थिति में कुछ अधिक सुधार नहीं हुआ है।

बांग्लादेश चीन से क्यों ले रहा है कर्ज?

बीबीसी के एक लेख के अनुसार बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में बहुत हद तक कमी आई और उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ से 4.5 अरब डॉलर के क़र्ज़ की मांग भी की ताकि वह अपने खाली होते विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर रख सके। ऐसे में यह स्पष्ट हो जाता है कि बांग्लादेश के आर्थिक हालात ठीक नहीं है इसलिए इस मौके का फायदा उठाते हुए चीन वहां लगातार अपने निवेश को बढ़ाता जा रहा है और बांग्लादेश मुफ्त का चंदन समझकर घिसता जा रहा है परन्तु यह चंदन कब विष में बदल जाएगा किसी को नहीं पता।

नेपाल हो, श्रीलंका हो, पाकिस्तान हो या फिर बांग्लादेश, चीन का इन सभी देशों में निवेश करने के पीछे का उद्देश्य है ‘बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट’ जिसके जरिए वह पुराने सिल्क रूट को दोबारा से बनाकर एशिया से लेकर यूरोप तक बिना किसी रुकावट के व्यापार करना चाहता है। परन्तु कोविड के चलते पिछले दो सालों से इस प्रोजेक्ट पर काम लगभग बंद ही था लेकिन अब वह बांगलादेश को अपने जाल में फंसा रहा है और धीरे-धीरे अपने ‘बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट’ को भी शुरू कर रहा है।

ये है बांग्लादेश की बर्बादी का रास्ता

इसके अलावा 5 नवंबर को बांग्लादेश के एक अख़बार ‘प्रोथोम आलो’ में छपी एक ख़बर के अनुसार चीनी राजदूत ली जिमिंग ने बांग्लादेश के सामने एक बड़ा प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव में चीन का कहना है कि अगर बांग्लादेश सरकार तीस्ता बैराज प्रोजेक्ट पर काम करना चाहती है तो चीन इसके लिए तैयार है। यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि तीस्ता नदी के पानी का इस्तेमाल भारत और बांग्लादेश दोनों करते हैं। दोनों देशों के बीच जल बंटवारे को लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। ऐसे में तीस्ता नदी पर चीन के सहयोग से कोई भी निर्माण बांग्लादेश और भारत के बीच पुराने विवाद को और बढ़ा सकता है। इसीलिए बांग्लादेश के सामने एक यह भी चुनौती है कि पड़ोसी और मित्र देश भारत के साथ अपने संबंधों को किस तरह अच्छा बनाए रखना है।

यदि बांग्लादेश में आ रहे चीनी निवेश को लेकर संक्षेप में कहा जाए तो यह बांग्लादेश की बर्बादी का रास्ता साबित हो सकता है। क्योंकि चीन बिना किसी स्वार्थ के किसी भी देश को यूं ही मुफ्त में सहायता नहीं करता है और अगर चीन इस निवेश के माध्यम से मानवतावादी बन रहा है तो उससे एक बात कहना तो बनता है कि “भाई पड़ोस में ताइवान भी है वहां भी थोड़ी मानवता दिखा लो”।

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Q2FY23 में भारत का आर्थिक विकास धीमा होकर 6.3% हो गया: NSO डेटा

Q2 GDP India India’s economic growth slows to 6.3%

30 नवंबर, 2022 को, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, (MoSPI) ने 2022-23 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) या Q2FY23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का अनुमान जारी किया।

  • इसके अनुसार, Q2FY23 के लिए भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) Q2FY22 में 8.4% के विस्तार की तुलना में धीमा होकर 6.3% हो गया। FY23 (Q1FY23) की अप्रैल-जून तिमाही में यह 13.5% थी।
  • हालाँकि, भारतीय अर्थव्यवस्था FY23 में 8-7% GDP वृद्धि हासिल करने की राह पर है।

निफ़्टी फिफ्टी का टारगेट 2023

Nifty 50 target 2023


Nifty 50 target 2023 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के सूचकांक निफ्टी फिफ्टी अपने लाइफटाइम हाई पर ट्रेड कर रही है वर्ष 2022 में nifty50 में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला रशिया यूक्रेन और covid 19 जैसी महामारी के चलते दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट देखने को मिली थी

किंतु मंदी का यह सिलसिला वर्ष 2022 के अंत तक थम गया और ग्लोबल स्टॉक मार्केट के साथ-साथ भारतीय बाजारों में मजबूती बढ़ रही है निफ़्टी फिफ्टी इस वर्ष 2023 में नया कीर्तिमान स्थापित कर सकती है जिस तरह ग्लोबल शेयर मार्केट में मजबूती और निफ्टी फिफ्टी में बढ़त बनी है इससे यह प्रतीत हो रहा है कि वर्ष 2023 में भारतीय शेयर बाजार के लिए स्वर्णिम वर्ष साबित हो सकता है यदि ग्लोबल मार्केट में कोई तनाव ना बड़ा और सामान्य तरीके से व्यापार चलता रहा तो nifty50 के लिए वर्ष 2023 में 21500 तक के स्तर तक पहुंच सकती है

MP Teachers Recruitment 2023 : खुशखबरी; 7500 व्यापार के लिए शर्तें शिक्षक भर्ती का आदेश जारी

भोपाल। शिक्षक भर्ती की राह देख रहे युवाओं के लिए खुशखबरी आ गई है। 26 नवंबर को जारी एक आदेश के अनुसार मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग में साढ़े 7 हजार प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। इस भर्ती के लिए एमपी ऑनलाईन पोर्टल पर 28 फरवरी 2023 को विज्ञापन जारी किया जाएगा। वहीं अगले साल मार्च से भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

बताया गया है कि पद पूर्ति की प्रक्रिया मार्च 2023 से आरंभ की जाएगी। जनजातीय कार्य विभाग द्वारा रिक्त पदों की जानकारी उपलब्ध कराए जाने पर संयुक्त काउंसलिंग की जाएगी। पदों की संख्या में कमी अथवा वृद्धि भी की जा सकेगी। मध्यप्रदेश राज्य स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक संवर्ग), सेवा शर्तें एवं भर्ती नियम 2018 और इन नियमों में किए गए संशोधनों के अनुसरण में विज्ञापन की दिनांक को प्रचलित नियमों के अधीन रिक्त पदों की पूर्ति की प्रक्रिया प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा 2020 की मेरिट के आधार पर की जाएगी।

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