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भारत में म्युचुअल फंड इतिहास

भारत में म्युचुअल फंड इतिहास
सेबी से पहले भारतीय पूँजी बाजार कंट्रोलर ऑफ़ कैपिटल इश्यूज की एक नियामक प्राधिकरण संचालित कर रही थी इसको कैपिटल इश्यूज़ (कंट्रोल) एक्ट, 1947 के तहत अधिकार दिया गया था। सेबी की स्थापना 12 अप्रैल 1988 में हुई और भारत सरकार ने एक अध्यादेश के माध्यम से सेबी अधिनियम 1992 के तहत इसको 30 जनवरी 1992 को वैधानिक मान्यता दिया गया। सेबी का मुख्यालय मुंबई में स्थित है और इसके कुछ क्षेत्रीय कार्यालय है जो नई दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरु, चेन्नई, कोच्चि, अहमदाबाद, हैदराबाद, शिमला, जयपुर और लखनऊ में स्थित है।

म्यूच्यूअल फण्ड क्या है प्रकार, निवेश कैसे करें (Mutual Fund In Hindi)

Mutual Fund In Hindi: अगर आप पैसे से पैसा कमाने में रूचि रखते हैं तो Mutual Fund का नाम आपने जरुर सुना होगा, टीवी में आपने Mutual Fund के कई सारे विज्ञापन भी देखे होंगे पर क्या आप जानते हैं आखिर Mutual Fund क्या है, म्यूच्यूअल फण्ड की शुरुवात कब हुई, म्यूच्यूअल फण्ड के प्रकार, म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कैसे करें और म्यूच्यूअल फण्ड के फायदे तथा नुकसान क्या हैं.

अगर आप उपरोक्त सारी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप एकदम सही लेख पर आये हैं. आज के इस लेख में हम आपको Mutual Fund से जुडी तमाम सारी जानकारी प्रदान करवाने वाले हैं. जिससे कि आपको Mutual Fund में निवेश करने में आसानी हो.

म्यूच्यूअल फण्ड के द्वारा आप अपने पैसों को ऐसे Fund House में निवेश करते हैं जहाँ आपके पैसों को मैनेज करने का काम फण्ड मैनेजर करते हैं. म्यूच्यूअल फण्ड में कई सारे निवेशक पैसे निवेश करते हैं. फण्ड मैनेजर सभी निवेशकों के पैसों को अलग – अलग जगह निवेश कर देते हैं और profit को सभी निवेशकों में निवेश के आधार पर बाँट दिया जाता है.

Mutual Funds मंदी भारत में म्युचुअल फंड इतिहास में भी चमकते ये म्यूचुअल फंड, कौन-कौन हैं बेस्ट फंड

मुंबई: विगत कुछ वर्षों से देश में म्यूचुअल फंड विशेषकर इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड योजनाएं (Equity Mutual Funds) अच्छे रिटर्न (Profit) के कारण रिटेल निवेशकों (Retail Investors) में तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। म्यूचुअल फंड हाउस अपने कोष प्रबंधकों (Fund Managers) और शोध विश्लेषकों की टीम की बदौलत हर पहलु से गहन रिसर्च कर अच्छे शेयरों का चयन करते हैं एवं समय पर प्रॉफिट बुक कर उसे अपने निवेशकों को प्रदान करते हैं, जबकि एक रिटेल निवेशक के लिए शेयर बाजार (Stock Market) में सीधे निवेश करने में काफी जोखिम होता है, क्योंकि बाजार में भारी उतार-चढ़ाव आना आम बात है। इसके अलावा शेयर बाजार में सही शेयर का चयन कर लाभ अर्जित कर पाना आसान नहीं है। यह बहुत ही कठिन कार्य है, लेकिन अच्छे म्यूचुअल फंड मैनेजर अपने कौशल और अनुभव के बूते बाजार से कमाई कर पाने में सफल हो रहे हैं।

लार्जकैप फंड : निपोन, IDBI, बड़ौदा बीएनपी, SBI MF ने किया मालामाल

रिटेल निवेशकों के लिए सबसे श्रेष्ठ माने जाने वाले लार्जकैप फंडों (Large Cap Funds) की बात करें तो 30 अग्रणी म्यूचुअल फंड कंपनियों में से सिर्फ 8 म्यूचुअल फंड हाउस ही विगत 12 महीनों में सेंसेक्स-निफ्टी से बेहतर और पॉजिटिव रिटर्न दे पाने में कामयाब हुए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 6.6% का फायदा निपोन इंडिया लार्जकैप फंड (Nippon India Large Cap Fund) ने दिया है। इसके फंड मैनेजर शैलेश राज भान और आशुतोष भार्गव हैं। विगत 3 वर्षों की कमाई देखे तो आईडीबीआई इंडिया टॉप 100 इक्विटी फंड नंबर (IDBI India Top 100 Equity Fund) वन रहा है। इसने सबसे अधिक 13% का वार्षिक औसत रिटर्न (CAGR) प्रदान कर निवेशकों को मालामाल किया है। इसके फंड मैनेजर आलोक रंजन हैं, जो आईडीबीआई म्यूचुअल फंड (IDBI Mutual Fund) के मुख्य निवेश अधिकारी भी हैं। यदि किसी निवेशक ने आईडीबीआई इंडिया टॉप 100 इक्विटी फंड में 3 साल पहले 1 लाख रुपए निवेश किया होगा तो वह राशि अब बढ़कर 1.50 लाख रुपए से अधिक हो गयी है।

एसबीआई ब्ल्यूचिप फंड का 14.90% शानदार रिटर्न

5 वर्षों का आंकड़ा देखा जाए तो सबसे ज्यादा निपोन इंडिया लार्जकैप (Nippon India Large Cap Fund) और बड़ौदा बीएनपी लार्जकैप (Baroda BNP Large Cap Fund) ने समान रूप से 9.90% का वार्षिक रिटर्न प्रदान किया है। जबकि 10 साल में एसबीआई ब्ल्यूचिप फंड (SBI Bluechip Fund) 14.90% के शानदार वार्षिक रिटर्न के साथ नंबर वन रहा है। इसकी फंड मैनेजर सोहिनी अंदानी हैं। यदि किसी निवेशक ने 10 साल पहले एसबीआई ब्ल्यूचिप फंड में 1 लाख रुपए निवेश किया होगा तो वह राशि अब बढ़कर 4 लाख रुपए से अधिक हो गयी है। यानी 4 गुना कमाई। लार्जकैप फंडों का निवेश मुख्यत: सेंसेक्स-निफ्टी और निफ्टी-100 कंपनियों यानी ब्ल्यूचिप शेयरों में होता है।

लार्ज एंड मिडकैप फंड (Large & Midcap Funds) भी एक लोकप्रिय कैटेगरी है। इन स्कीमों का ज्यादा निवेश लार्ज कैप और मिडकैप शेयरों में किया जाता है। इस कैटेगरी में विगत 1 साल में 6.3% रिटर्न के साथ क्वांट लार्ज एंड मिडकैप फंड (Quant Large & Midcap Fund) नंबर वन रहा है। 3 साल भारत में म्युचुअल फंड इतिहास में भी क्वांट 18.7% के जोरदार वार्षिक रिटर्न के साथ अव्वल रहा है। इस फंड का प्रबंधन संजीव शर्मा, वासव सहगल और अंकित पांडे करते हैं। जबकि 5 वर्षों में एसबीआई लार्ज एंड मिडकैप फंड (SBI Large & Midcap Fund) 11.6% के वार्षिक प्रतिफल के साथ नंबर वन रहा है। इसके फंड मैनेजर सौरभ पंत हैं। इसी तरह 10 वर्षों की अवधि में 20% के जबरदस्त वार्षिक रिटर्न के साथ केनरा भारत में म्युचुअल फंड इतिहास रोबेको ईमर्जिंग इक्विटीज फंड (Canara Robeco Emerging Equities Fund) नंबर वन रहा है। 10 साल पहले यदि किसी निवेशक ने केनरा रोबेको ईमर्जिंग में 1 लाख रुपए निवेश किया होगा तो वह राशि अब बढ़कर 6.भारत में म्युचुअल फंड इतिहास 27 लाख रुपए से ज्यादा हो गयी है। अर्थात 10 साल में 6 गुना से अधिक फायदा। इस सर्वश्रेष्ठ फंड का प्रबंधन श्रीदत्ता भंडवालदार करते हैं, जो केनरा रोबेको म्यूचुअल (Canara Robeco Mutual Fund) के इक्विटी हैड भी हैं।

1 लाख रुपये बन गए 2 करोड़

यदि आपने 1995 के शुरुआती दिनों में इस फंड में 1 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश किया होता, तो आज आपको 2 करोड़ रुपये से भी अधिक पैसा मिलता. यदि आपने 10,000 रुपये निवेश किए होते तो आज उसकी वैल्यू 20 लाख रुपये से ज्यादा होती. यानी, आपको 200 गुना रिटर्न मिलता.

AMFI-रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर और Investor Point के फाउंडर जयदेवसिंह चुडासमा बताते हैं कि, “SIP निवेश से आप अनुशासित रूप से निवेश कर सकते हैं और लंबी अवधि के विभिन्न लक्ष्य हासिल करने के साथ साथ संपत्ति भी बना सकते हैं. इस बात का श्रेष्ठ उदाहरण है निप्पोन इंडिया ग्रोथ फंड. इस फंड की NAV ने 2,000 रूपये का लेवल क्रॉस किया हैं, जो म्यूचुअल फंड के इतिहास में पहली बार है. अभी तक किसी फंड की NAV इसके आगे नहीं पहुंची है.”

चुडासमा भारत में म्युचुअल फंड इतिहास के मुताबिक, ज्यादातर लोग ऐसा मानते हैं कि म्यूचुअल फंड में शेयर बाजार जैसा ही रिटर्न मिलता है, लेकिन निप्पोन इंडिया ग्रोथ फंड ने इस मान्यता को गलत ठहराया है क्योंकि 1995 में सेंसेक्स 4,600 के करीब था, जो आज 58,000 के करीब हैं, यानि 12-13 गुना बढ़ा है, लेकिन निप्पोन इंडिया ग्रोथ फंड इस अवधि के दौरान 200 गुना बढ़ा है. यदि आप म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि तक निवेश करते हैं तो यह आपको शेयर बाजारों के मुकाबले कई गुना रिटर्न दे सकते हैं.

कहां करता है निवेश

निप्पोन इंडिया ग्रोथ फंड के फंड हाउस का नाम निप्पोन इंडिया म्यूचुअल फंड हैं और उसकी एसेट अंडर मेनेजमेंट (AUM) 11,107.41 करोड़ रुपये है. यह फंड मिड-कैप कैटेगरी में पांचवे नंबर पर है, इस कैटेगरी में 30 फंड हैं. मिड-कैप फंड 98% निवेश शेयरों में करते हैं, जिसका 7.85% लार्ज-कैप स्टॉक्स में, 58.39% मिड-कैप स्टॉक्स और 21.66% स्मॉल-कैप स्टॉक्स में निवेश किया गया है.

निप्पोन इंडिया ग्रोथ फंड का एक्स्पेंस रेशियो 1.94% है, जो केटेगरी के औसत 2.15% एक्स्पेंस रेशियो से कम है. इस भारत में म्युचुअल फंड इतिहास फंड का बेंचमार्क इंडेक्स S&P BSE Midcap TRI है.

सेबी का कार्य

सेबी (SEBI) वैधानिक संस्था होने के बाद इसके पास कई महत्वपूर्ण कार्य करने की शक्तियां प्राप्त हो गयी। सेबी 1992 अधिनियम में नियामक निकाय में निहित ऐसी शक्तियों की एक सूची दी गई है। सेबी के कार्य इसे प्रतिभूतियों का जारीकर्ता, निवेशकों और व्यापारियों का रक्षक और एक वित्तीय मध्यस्थ बनाते हैं। सेबी एक्ट के अनुच्छेद 11 में सेबी के कार्य को मुख्य रूप से तीन प्रकार में विभाजित किया गया है।

  1. सुरक्षात्मक कार्य (Protective Function)
  2. विनियामक कार्य (Regulatory Functions)
  3. विकासात्मक कार्य( Development Functions)

1. सुरक्षात्मक कार्य (Protective Function)

इस कार्य का उद्देश्य मुख्य रूप से वित्तीय बाजारों में व्यवसाय के कामकाज पर नज़र रखना है। इसको कुछ महत्वपूर्ण अंश इस प्रकार है -

  • शेयर मूल्यों के हेराफरी की जाँच करता है।
  • इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकता है।
  • निष्पक्ष शेयर के लेनदेन को बढ़ावा देता है।
  • निवेशकों को जागरूक करता है।
  • धोखाधड़ी और अनुचित तरीके से प्रतिभूति के लेनदेन को रोकता है।

सेबी की संरचना

सेबी एक ऐसी संस्था है जिसका प्रबंधन उसके सदस्यों द्वारा किया जाता है। सेबी में एक कॉर्पोरेट ढांचे के तहत विभिन्न विभाग शामिल हैं जिनका प्रबंधन विभाग प्रमुखों द्वारा किया जाता है। SEBI में कुल लगभग 20 विभाग हैं। इन विभागों में कानूनी मामले, निगम वित्त, ऋण और संकर प्रतिभूतियां, प्रवर्तन, आर्थिक और नीति विश्लेषण, कमोडिटी डेरिवेटिव बाजार विनियमन और कई अन्य शामिल हैं। सेबी की एक पदानुक्रमित संरचना है जिसमें ये सदस्य शामिल हैं:

  • सेबी का प्रमुख अध्यक्ष होता है जिसे भारत की केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाता है।
  • केंद्रीय वित्त मंत्रालय संरचना के एक भाग के रूप में अपने दो अधिकारियों की नियुक्ति करता है।
  • भारतीय रिजर्व बैंक एक सदस्य की नियुक्ति करता है।
  • भारत की केंद्र सरकार पांच सदस्यों को मनोनीत करती है।

सेबी की शक्ति

सेबी को अधिनियम 1992 के तहत बहुत से शक्तियां प्राप्त है जिससे सेबी भारतीय वित्तीय बाजार को सुचारु और सशक्त रूप से संचालित कर सके। सेबी को मुख्यतः तीन शक्तियां इस प्रकार है -

सेबी को अधिनियम 1992 के तहत बहुत से शक्तियां प्राप्त है जिससे सेबी भारतीय वित्तीय बाजार को सुचारु और सशक्त रूप से संचालित कर सके। सेबी को मुख्यतः तीन शक्तियां इस प्रकार है।

  • अर्ध न्यायिक (Quasi-Judicial) – इन शक्तियों के अंतर्गत प्रतिभूति बाजार में कोई धोखाधड़ी और अनैतिक व्यवहार करता है तो सेबी के पास निर्णय लेने की शक्ति है। यह शक्तियां प्रतिभूति बाजार में पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता बनाए रखने की सुविधा देती है।
  • अर्ध कार्यकारी ( Quasi-Executive)- अगर कोई व्यक्ति, कॉर्पोरेट या संस्था सेबी को नियमों, दिशा निर्देश और निर्णयों को उल्लंघन करता है तो सेबी उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार रखता है। यदि यह नियमों के किसी भी उल्लंघन के लिए आता है, तो यह पुस्तकों के खातों और अन्य दस्तावेज़ों का निरीक्षण करने के लिए अधिकृत है।
  • सेबी के अध्यक्ष के पास “खोज और जब्ती संचालन” (search and seizure operations) का आदेश देने का अधिकार है। सेबी बोर्ड किसी भी प्रतिभूति लेन देन के संबंध भारत में म्युचुअल फंड इतिहास में किसी भी व्यक्ति, कॉर्पोरेट, संस्थाओं से टेलीफ़ोन कॉल डेटा रिकॉर्ड या अनुबंध दस्तावेज जैसी जानकारी भी मांग सकता है।
  • अर्ध विधान (Quasi-Legislative)- सेबी निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए नियमों और विनियमों को लागू करने का अधिकार रखता है। इसके कुछ नियमों में इनसाइडर ट्रेडिंग विनियम, लिस्टिंग दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएं शामिल हैं।
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