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शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है

शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है

शेयर ट्रेडिंग कैसे करे 2022| 2 बातों का जरुर ध्यान रखे| Share कैसे ख़रीदे

Share Holding Period Kya Hai, Share Kharidne Ke Baad Kya Kare- इनफ़ोसिस के 200 शेयर्स 1700 रूपए की कीमत में ख़रीदा और इसको 1 साल तक अपने पास रखने को ठान लिया. share कैसे ख़रीदे? share खरीदने के बाद क्या करना होता है?

Share कैसे ख़रीदे?

यह काफी आसान काम है अब हम step-by-step सीखते है. यदि आप इनफ़ोसिस का share खरीदते है तो उसके लिए आपको अपने ट्रेडिंग account में login करना होगा मतलब की अपने ब्रोकर upstox, zerodha, Angel one, Motilal oswal आदि इनमे से किसी एक पर अपना ट्रेडिंग account बनाना होगा और फिर इसे ओपन करना है.

जब हम शेयर को खरीदते है तब हमारे सामने आर्डर टिकेट दिखेगा, जिसमे कई इम्पोर्टेंट जानकारी होती है –

  1. किस कंपनी का share खरीद रह है.
  2. उस share को Delivery या फिर Intraday के लिए खरीद रह है.
  3. कंपनी के कितने Quantity शेयर्स खरीद रह है.

आपका ब्रोकर यह जानकारी एक्सचेंज के पास भेजता है और इसे पहले वह ये जानेगा की इन शेयर्स को खरीदने के लिय पैसे हैं या नहीं! जब वह संतुष्ट होगा की आपके पास पैसे है तब आपका आर्डर stock एक्सचेंज में पहुचता है इसके बाद एक्सचेंज ऐसे बेचने शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है बाले को खोजता है जो आपको इनफ़ोसिस के 200 शेयर्स 1700 में बेचने को तैयार हो.

ये सारा काम (NSE और BSE) एक्सचेंज का होता है जो आपने आर्डर दिया है उसे पूरा करने की जुम्मा एक्सचेंज लेता है. यदि मार्किट में बेचने बाले बहुत है तो आपको जल्द ही शेयर्स मिल जायेंगे. सौदा होने के बाद सभी शेयर्स इलेक्ट्रनिक रूप से demat account में पहुच जायगे. जब भी आप यह शेयर्स बेचेंगे फिर demat account से निकल भी जायेंगे.

शेयर खरीदने के बाद क्या करे?

एक बार share खरीदने के बाद वे शेयर्स आपके demat account में रख जाते है. अब आप कंपनी के हिस्सेदार बन चुके है कंपनी के हिस्सेदार होने की वजह से आपको stock split, rights issue, bonuse, dividend आदि कंपनी की तरफ से सुविधाएं प्राप्त होती रहंगी. इनके बारे में भी बाद में चर्चा करेंगे.

शेयर होल्डिंग पीरियड क्या है? (Share Holding Period Kya Hai)

बहुत से लोग इसे नहीं जानते है की share holding period क्या है? इसका मतलब ये होता है की जब भी हम शेयर खरीदते है और उन शेयर को जल्दी बेचने की बजाय अपने पास लम्बे समय तक रखते है. इसके बारे में वोरन बफेट ने कहा – Holding period 1 मिनट से लेकर महेसा के लिए भी हो सकता है. मतलब की उन shares को हमेशा के लिए भी रख सकते है.

उदहारण-

यदि इनफ़ोसिस का शेयर 1700 रूपए का है और वह 5,10 मिनुट्स में 1720 हो गया हो तो ये इतने कम समय में अच्छा return है और यदि आप इतने मुनाफे से खुस है तो आप इस सौदे को बंद करके मार्किट से निकल भी सकते है. ऐसा होना संभव है क्योकि मार्किट में तेजी होने पर इस तरह के मौके आते रहते है.Share Holding Period Kya Hai

रिटर्न कैसे देखे?

मार्किट में सभी चीजें खास है हम पता करते है की आपको अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न मिल रहा है या नहीं. अगर आप अपने सौदे में अच्छी कमाई कर रहे हैं या फिर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं तो आप की सभी पुरानी गलतियां माफ की जाती हैं क्योंकि शेयर मार्किट में रिटर्न पाना ही सबसे महत्वपूर्ण है.

ज्यादातर रिटर्न को साल भर में ही देखा जाता है, रिटर्न नापने के कई तरीके हैं जिनके बारे में जानना बेहद जरुरी है. निचे कुछ तरीके बताएँगे, जिससे आप रिटर्न नाप सकते है और साथ ही कैलकुलेट करना भी सीख जायेंगे.

ऐब्सल्यूट रिटर्न ( Absolute Return ) –

आपक इस absolute return से पता चलेगा की अपने सौदे या निवेश पर कुल कितना मुनाफा कमाया है. आपको यह हिस्सा इस सवाल का जवाब देता है कि मैंने अगर इंफोसिस 1700 रूपए की कीमत पर खरीदा और 1750 रूपए की कीमत पर बेचा है तो मैंने कुल कितने प्रतिशत पैसे इस सौदे में कमाए है. इस रिटर्न को मापने का सरल फार्मूला ये है :

यह काफी अच्छा रिटर्न है.

कम्पॉउंड ऐनुअल ग्रोथ रेट यानी सीएजीआर ( Compound Annual Growth Rate -CAGR ) –

अगर आप अपने 2 इन्वेस्टरस की तुलना करना चाहते हैं तो कुल रिटर्न यानी ऐब्सल्यूट रिटर्न ज्यादा अच्छा मापक नहीं है. इसके लिए तो आपको CAGR की मदद लेना काफी ठीक होगा. यदि मैं इंफोसिस का शेयर 1700 की कीमत में खरीदा और उस शेयर को 2 साल तक अपने पास (holding period) रखा

और इसके बाद 1750 रूपए में बेच दिया तो इन 2 सालों में मेरे share की कीमत कितनी रफ़्तार से बढ़ी. ये जानने के लिए CAGR काम आएगा. जब रिटर्न ऐब्सल्यूट रिटर्न में इसकी कोई भूमिका नहीं होती है. CAGR को पता करने का फार्मूला है-

यहाँ Ending Value= बेचने बाली कीमत

Begining Value खरीदने वाली कीमत

अब फार्मूले को सवाल में डालें तो –

इसका मतलब है निवेश 1.46% की रफ्तार से दो साल तक बढ़ा. हम सब को पता है कि इस समय देश में कई जगहों पर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर 1.46% तक का रिटर्न मिल रहा है और वहाँ पर रकम भी सुरक्षित रहती है. ऐसे में 1.46% का रिटर्न आकर्षक नहीं लगेगा.

आपको जब भी सालों का रिटर्न जानना हो तो, CAGR का उपयोग करना सही होगा. जब आप एक साल या कम का ऐब्सल्यूट रिटर्न का उपयोग कीजिए.

शेयर का मुनाफा कैसे देखे?

मार्किट में सभी चीजें खास है हम पता करते है की आपको अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न मिल रहा है या नहीं. अगर आप अपने सौदे में अच्छी कमाई कर रहे हैं या फिर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं तो आप की सभी पुरानी गलतियां माफ की जाती हैं..

शेयर आपके हो जाने के बाद?

एक बार share खरीदने के बाद वे शेयर्स आपके demat account में रख जाते है. अब आप कंपनी के हिस्सेदार बन चुके है कंपनी के हिस्सेदार होने की वजह से आपको stock split, rights issue, bonuse, dividend आदि कंपनी की तरफ से सुविधाएं प्राप्त होती रहंगी. इनके बारे में भी बाद में चर्चा करेंगे..

Multibagger Return: एक साल में रॉकेट की तरह उड़े ये स्टॉक, जानिए कैसे दिया 6 हजार फीसदी तक का मुनाफा

Multibagger Return Penny Stocks: शेयर बाजार में जो जितना ज्यादा जोशिम लेता है कई बार उसे मुनाफा भी उतना ही ज्यादा मिल जाता है. हालांकि ये हर बार के लिए सही नहीं कहा जा सकता है.

By: ABP Live | Updated at : 03 Jun 2022 12:53 PM (IST)

बेस्ट पेनी स्टॉक लिस्ट

Penny Stocks Return: पेनी स्‍टॉक्‍स (Penny Stocks) में निवेश (Investment) अत्‍यधिक जोखिमपूर्ण माना जाता है. ऐसा इसलिए है, क्‍योंकि पेनी स्‍टॉक्‍स में बहुत तेज गिरावट आती है. कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि पेनी स्‍टॉक शॉर्ट टर्म (Short Term) में ही 90 फीसदी तक गिर गए. लेकिन, ऐसा भी नहीं है कि हर पेनी स्‍टॉक ने निवेशकों को बस नुकसान ही दिया है. अब भी बहुत से पेनी स्‍टॉक्‍स मल्‍टीबैगर रिटर्न दे रहे हैं.

आज हम आपको ऐसे ही तीन पेनी स्‍टॉक्‍स के बारे में बताएंगे‍, जिन्‍होंने एक साल में ही निवेशकों के वारे-न्‍यारे कर दिए हैं. इन मल्‍टीबैगर पेनी स्‍टॉक्‍स सालभर में ही अपने निवेशकों को 6,000 प्रतिशत तक का मुनाफा दिया है.

क्रिसेंडा सॉल्‍यूशन्‍स (Cressanda Solutions)

यह भी शेयर बाजार का एक पेनी स्‍टॉक है जिसका मूल्‍य सालभर पहले एक रुपये से कम था. जून 2021 में 60 पैसे प्रति शेयर ट्रेड करने वाला यह शेयर अब 34 रुपये तक जा पहुंचा है. इस तरह इस शेयर ने 5,400 फीसदी की लंबी छलांग सिर्फ एक साल में लगाई है. कंपनी का मार्केट कैपिटेलाइजेशन 34 बिलियन रुपये है. क्रि‍सेंडा सॉल्‍यूशन्‍स आईटी, डिजिटल मीडिया और आईटी इनेब्‍ल्‍ड सेवाएं मुहैया कराती हैं.

News Reels

तीन महीने में कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिन्‍होंने कंपनी के स्‍टॉक पर बहुत सकारात्‍मक असर डाला है. इस साल कंपनी ने माइक्रोसॉफ्ट और ओरेकेल फाइनेंशियल सर्विसेज में वरिष्‍ठ पदों पर काम कर चुकीं प्रीति दास को डायरेक्‍टर नियुक्‍त किया है. मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए कंपनी ने बैंगलुरू की लुसिडा टेक्‍नोलॉजीज में 100 प्रतिशत हिस्‍सेदारी का अधिग्रहण किया है.

राज रेयॉन इंडस्‍ट्रीज (Raj Rayon Industries)

खबरों के अनुसार एक साल पहले इस राज रेयॉन इंडस्‍ट्रीज के शेयर का भाव 50 पैसे से भी कम था. सालभर में यह 15 रुपये पर पहुंच गया. इस शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है तरह इस शेयर ने एक साल में ही 6,165 फीसदी मल्‍टीबैगर रिटर्न दिया है. राज रेयॉन के दिसंबर तिमाही के नतीजे काफी अप्रत्‍याशित रहे. इस तिमाही में कंपनी के मुनाफे में भारी बढ़ोतरी हुई. इससे पहले की सात तिमाहियों में कपंनी को घाटा हो रहा था. मार्च 2022 तिमाही में राज रेयॉन इंडस्‍ट्रीज के प्रमोटर्स ने अपने सारे शेयर बेच दिए. अब इसमें प्रमोटर स्‍टेक जीरो है. हालात यह है कि इस मल्‍टीबैगर स्‍टॉक को कोई बेचने को तैयार नहीं है. कंपनी पॉलीस्‍टर चिप्‍स, पॉलीस्‍टर यार्न और प्रॉसेस्‍ड यार्न बनाती है.

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डिस्क्लेमर- यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी इन जगहों पर पैसा लगाने की कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.

Published at : 03 Jun 2022 01:34 PM (IST) Tags: NSE Money Share Market Investment bse Penny Stocks हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

Demat Account के बारे में जानकारी

अगर आप शेयर मार्किट में निवेश करते हैं या जानकारी रखते हैं तो हम सभी ने Demat Account के बारे में सुना होगा है। इस Blog article में हम जानेंगे कि Demat Account क्या होता है और Demat Account खोलने की प्रक्रिया क्या होती है? बस इस ब्लॉग लेख को पढ़ें .

Table of Contents

Demat A/c क्या होता हैं (Hindi)|What is Demat Account

पहले के समय में जब शेयर खरीदे या बेचे जाते थे तो शेयर प्रमाणपत्र जारी किए जाते थे और एक व्यस्त प्रक्रिया शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है बन जाती थी। पर जब से शेयर्स का इलेक्ट्रॉनिक कन्वर्शन हुआ हैं तब से शेयर्स को एक इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रखना सुरक्षित और आसान हो गया हैं और ये सब डीमैट अकाउंट की सहूलियत से शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है हुआ हैं । तो आईये जानते हैं की डीमैट अकाउंट होता क्या हैं ?

Dematerialized Account जिसका मतलब होता है हमारे खरीदे हुए फिजिकल शेयर्स के सर्टिफिकेट को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में कन्वर्ट करना।इसलिए डीमैट खाता इलेक्ट्रॉनिक खाता होता है जहां शेयर, म्यूचुअल फंड आदि को डीमैटराइज्ड रूप में या डिजिटल रूप में होते है। जब बड़ी भागीदारी और नियमित रूप से बिक्री होती है, तो खाते के डीमैटराइजेशन के साथ शेयरों को डीमैट फॉर्म में प्रबंधित करना आसान होता है। डीमैट खाता बैंकों के लिए बचत खाते की तरह डीमैटरियलाइज्ड खाता है, लेकिन डीमैट में इक्विटी शेयर, ईटीएफ, म्यूचुअल फंड और बांड इलेक्ट्रॉनिक रूप में क्रेडिट की स्वचालित प्रक्रिया और इक्विटी शेयर का ऋण शेयर की खरीद या बिक्री के अनुसार होता है।

डीमैट खाते में लॉग इन करके शेयरों को देखने, खरीदने या बेचने की आसान पहुंच प्रदान करता हैं । डीमैट खाते में रखने से गलत स्थान का जोखिम कम होता है और लेन-देन का रिकॉर्ड भी आसान हो जाता हैं जैसे बैंक बचत खाता पैसो के ट्रांसक्शन का लेखा जोखा रखता हैं ।

Types of Demat Account (Hindi)

Types of Demat account -मूल रूप से तीन प्रकार के डीमैट खाते होते हैं।

Regular Demat Account ( नियमित डीमैट खाते)- इस प्रकार का खाता भारतीय नागरिकों के लिए है और जो भारत में रहते हैं और शेयर्स खरीदने के लिए Regular Demat Account की जरुरत पड़ती हैं इसे कोई भी भारतीय निवेशक किसी भी रजिस्टर्ड ब्रोकर के पास अपना अकाउंट खोल सकता हैं अपनी KYC पूरी करने के बाद। सबसे ज्यादा Demat Account इसी श्रेणी में आते हैं।

Repatriable Demat Account ( पुनर्विभाज्य डीमैट खाते ) – इस प्रकार के खाते NRI नागरिक के लिए होते हैं, और इसके लिए NRE (Non Resident External) बैंक खाते की आवश्यकता होती है क्योंकि यह विदेश में फंड ट्रांसफर करने की अनुमति देता है।

Non-Repatriable Demat Account ( गैर-प्रतिदेय डीमैट खाते ) – इस प्रकार का खाता NRI नागरिक के लिए है और इसके लिए NRO(Non-Resident Ordinary) बैंक खाते की आवश्यकता होती है, लेकिन यह फंड को विदेश में स्थानांतरित करने की अनुमति नहीं देता है।

Types of Service Brokers (Hindi)

स्टॉक एक्सचेंज में ब्रोकर के प्रकार

Full Service Broker : – पारंपरिक ब्रोकर वित्तीय उत्पाद सेवाओं की एक विशाल टोकरी प्रदान करते हैं जैसे कि निवेश सलाहकार, निवेश पोर्टफोलियो सेवाएं, स्टॉक मार्केट निवेश और व्यापार, सेवानिवृत्ति योजना, म्यूचुअल फंड सेवाएं आदि। पारंपरिक ब्रोकर वित्तीय क्षेत्र में कई तरह की सेवाएं प्रदान करते हैं लेकिन वे चार्ज करते हैं वहाँ सेवाओं पर भी एक भारी शुल्क है। क्योंकि वे बेहतर ग्राहक सहायता प्रदान करते हैं और कई शाखाएँ रखते हैं, मोतीलाल ओसवाल, आईसीआईसीआई डायरेक्ट, एचडीएफसी बैंक आदि पारंपरिक ब्रोकर हैं।

Discount Broker : – डिस्काउंट ब्रोकर ऑनलाइन ब्रोकर हैं, वे स्टॉक मार्केट में निवेश और ट्रेडिंग के लिए ब्रोकरेज सेवाएं प्रदान करते हैं, साथ ही वे म्यूचुअल फंड सेवाएं भी प्रदान करते हैं और कुछ डिस्काउंट ब्रोकर वित्तीय उत्पाद से संबंधित अधिक सेवाएं प्रदान करते हैं। वे पारंपरिक ब्रोकर की तुलना में बहुत कम ब्रोकरेज प्रदान करते हैं। ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स आदि डिस्काउंट ब्रोकर हैं।

Demat Account के फायदे ?|Benefits of Demat Account

  • डीमैट अकाउंट में हम शेयर्स तथा सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक रूप में स्टोर तो कर ही सकते है तथा खोने या चोरी हो जाने का डर भी नहीं रहता और हमारे शेयर्स इसमें सुरक्षित भी रहतें है
  • डीमैट अकाउंट आपके कई निवेश को भी स्टोर कर सकता है, जैसे बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, सरकारी सिक्योरिटीज आदि।
  • स्मार्टफोन की मदद से एक्सेस आसान हो गया हैं की आप अपने डीमैट अकाउंट को कभी भी कहीं भी अपने स्मार्टफोन के माध्यम से एक्सेस कर सकते हैं और अपने शेयर्स और ट्रेड देख सकते हैं या Buy. / Sell, आर्डर भी दे सकते हैं
  • डीमैट अकाउंट की मदद से शेयर्स का ट्रांसफर आसानी से होता है
  • एक डीमैट खाता नॉमिनेशन की सुविधा प्रदान करता है डीमैट खाते से शेयर होल्डर को Nominee व्यक्ति को ट्रांसफर किया जा सकता है।

Demat Account कैसे खोले ?(Hindi)|How to Open Demat Account

डीमैट खाता खोलने के दो तरीके हैं – ऑफलाइन मोड और ऑनलाइन मोड।

Offline Mode (ऑफलाइन मोड )के लिए आप को स्टॉक ब्रोकर कार्यालय या उसके प्रतिनिधि से संपर्क शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है करना होता है, बस वहां के कार्यालय के टेलीफोन नंबर पर कॉल करके या केवल आवश्यक बुनियादी विवरण के साथ एक फॉर्म भरकर, और खाता खोलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शुल्क का भुगतान करें खाता खोलने के लिए कुछ ब्रोकर इसे मुफ्त रखते हैं लेकिन दूसरी फीस AMC शुल्क है जो ब्रोकर से ब्रोकर भिन्न होती है।

Online Mode (ऑनलाइन मोड) के लिए स्टॉक ब्रोकर की वेबसाइट पर क्लिक करें और डीमैट खाता खोलने के लिए टैब पर क्लिक करें, एक वेब पेज खुलेगा, खाता खोलने के लिए नाम, संपर्क नंबर, ईमेल पता, पैन कार्ड विवरण जैसे मूल विवरण भरें। उसके बाद आधार कार्ड और पैन कार्ड की स्कैन कॉपी स्वयं के हस्ताक्षर के साथ सत्यापन के साथ अपलोड करें। उसके बाद एक खाता खोलने के लिए आवश्यक शुल्क का भुगतान ऑनलाइन करें जो ब्रोकर से ब्रोकर के लिए भिन्न हो सकता है।

डीमैट खाता खोलने के लिए आवश्यक दस्तावेज:- नीचे आवश्यक दस्तावेजों की चेकलिस्ट है

आईडी प्रूफ- पैन कार्ड, आधार कार्ड या वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस।

पता प्रमाण:- शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है आधार कार्ड, बिजली बिल, वोटर आईडी कार्ड आदि।

बैंक विवरण:- बैंक खाते का कैंसल चेक जिसे डीमैट खाते से जोड़ा जाना है

इस ब्लॉग लेख में आपने डीमैट खाता उसके फायदे और खाता खोलने के तरीके शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है के बारे में जाना

Q-Demat Account क्या होता हैं ?

Ans-डीमैट खाता इलेक्ट्रॉनिक खाता होता है जहां शेयर, म्यूचुअल फंड आदि को डीमैटराइज्ड रूप में या डिजिटल रूप में होते है।

Q-Demat Account कितने तरह के होते हैं ?

Ans-Regular Demat Account, Repatriable Demat Account & Non-Repatriable Demat Account

काम की खबर: नजारा का IPO तो खुला, लेकिन जानिए कैसे करें IPO में निवेश, डीमैट अकाउंट है जरूरी

हमारे देश में बचत के पैसे लगाने यानी निवेश करने के कई तरीके हैं। इन्ही में से एक है 'इनीशियल पब्लिक ऑफर' यानि IPO। निवेश का ये तरीका आज कल ट्रेंड में है। अगर आप भी IPO में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं या करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये समझ लीजिए कि IPO क्या होता है? दरअसल, जब कोई कंपनी अपने स्टॉक या शेयर्स छोटे-बड़े निवेशकों के लिए जारी करती है तो उसका जरिया IPO होता है। इसके बाद कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है।

IPO होता क्या है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपनी कंपनी के शेयर्स को लोगों को ऑफर करती है तो इसे IPO कहते हैं। कंपनियों द्वारा ये IPO इसलिए जारी किया जाता है जिससे वह शेयर बाजार में आ सके। शेयर बाजार में उतरने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीदारी और बिकवाली शेयर बाजार में हो सकेगी। यदि एक बार कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग की इजाजत मिल जाए तो फिर इन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है। इसके बाद शेयर को खरीदने और बेचने से होने वाले फायदे और नुकसान में भागीदारी निवेशकों की होती है।

कंपनी IPO क्यों जारी करती है?
जब किसी कंपनी को अपना काम बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है तो वह IPO जारी करती है। ये IPO कंपनी उस वक्त भी जारी कर सकती है शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है जब उसके पास धन की कमी हो वह बाजार से कर्ज लेने के बजाय IPO से पैसा जुटाना चाहती हैं। शेयर बाजार में लिस्टेड होने के बाद कंपनी अपने शेयरों को बेचकर पैसा जुटाती है। बदले में IPO खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है। मतलब जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के खरीदे गए हिस्से के मालिक होते हैं।

क्या इसमें निवेश करने में रिस्क हो सकता है?
इसमें कंपनी के शेयरों की परफॉर्मेंस के बारे में कोई आंकड़े या जानकारी लोगों के पास नहीं होती है, इसलिए इसे थोड़ा रिस्की तो माना ही जाता है। लेकिन जो व्यक्ति पहली बार शेयर बाजार में निवेश करता है उसके लिए IPO बेहतर विकल्प है।

IPO में निवेश कैसे करें?
अगर आप IPO में इन्वेस्ट करना चाहते है तो उसके लिए आपको डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है। ये अकाउंट एचडीएफसी सिक्योरिटीज, आईसीआईसीआई डायरेक्ट और एक्सिस डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास जाकर खोला जा सकता है। इसके बाद आपको जिस कंपनी में निवेश करना है उसमें आवेदन करें। निवेश के लिए जरूरी रकम आपके डीमैड एकाउंट से लिंक्ड एकाउंट में होनी चाहिए। निवेश की रकम तब तक आपके एकाउंट से नहीं कटती जब तक आपको शेयर अलॉट नहीं हो जाता।

जब भी कोई कंपनी IPO निकालती है उससे पहले इसका एक समय किया जाता है जो 3-5 दिन का होता है। उसी समय में उस कंपनी का IPO ओपन रहता है। जैसे शेयर मार्केट से हम एक, दो या अपने चुनाव से शेयर खरीदते है यहां ऐसा नहीं होता। यहां आपको कंपनी द्वारा तय किए गए लॉट में शेयर खरीदना होता है। ये शेयर की कीमत के हिसाब से 10, 20, 50, 100, 150, 200 या अधिक भी हो सकता है। वहां आपको 1 शेयर की कीमत भी दिखाई देती है।

IPO की कीमत कैसे तय होती है?
IPO की कीमत दो तरह से तय होती है। इसमें पहला होता है प्राइस बैंड और दूसरा फिक्स्ड प्राइस इश्यू ।

प्राइस बैंड कैसे?
शेयर की कीमत को फेस वैल्यू कहा जाता है। जिन कंपनियों को आईपीओ लाने की इजाजत होती है वे अपने शेयर्स की कीमत तय कर सकती हैं। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य क्षेत्रों की कंपनियों को सेबी और बैंकों को रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी होती है। कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बुक-रनर के साथ मिलकर प्राइस बैंड तय करता है। भारत में 20% प्राइस बैंड की इजाजत है। इसका मतलब है कि बैंड की अधिकतम सीमा फ्लोर प्राइस से 20% से ज्यादा नहीं हो सकती है। फ्लोर प्राइस वह न्यूनतम कीमत है, जिस पर बोली लगाई जा सकती है। प्राइस बैंड उस दायरे को कहते हैं जिसके अंदर शेयर जारी किए जाते हैं। मान लीजिए प्राइस बैंड 100 से 105 का है और इश्यू बंद होने पर शेयर की कीमत 105 तय होती है तो 105 रुपए को कट ऑफ प्राइस कहा जाता है। अमूमन प्राइस बैंड की ऊपरी कीमत ही कट ऑफ होती है।

आखिरी कीमत
स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट अविनाश गोरक्षकर के अनुसार बैंड प्राइस तय होने के बाद निवेशक किसी भी कीमत के लिए बोली लगा सकता है। बोली लगाने वाला कटऑफ बोली भी लगा सकता है। इसका मतलब है कि अंतिम रूप से कोई भी कीमत तय हो, वह उस पर इतने शेयर खरीदेगा। बोली के बाद कंपनी ऐसी कीमत तय करती है, जहां उसे लगता है कि उसके सारे शेयर बिक जाएंगे।

अगर IPO में कंपनी के शेयर नहीं बिकते हैं तो क्या होगा?
अगर कोई कंपनी अपना IPO लाती है और निवेशक शेयर नहीं खरीदता है तो कंपनी अपना IPO वापस ले सकती है। हालांकि कितने प्रतिशत शेयर बिकने चाहिए इसको लेकर कोई अलग नियम नहीं है।

ज्यादा मांग आने पर क्या होगा?
मान लीजिए कोई कंपनी IPO में अपने 100 शेयर लेकर आई है लेकिन 200 शेयरों की मांग आ जाती है तो कंपनी सेबी द्वारा तय फॉर्मूले के हिसाब से शेयर अलॉट होते हैं। कंप्यूटराइज्ड लॉटरी के जरिए आई हुई अर्जियों का चयन होता है। इसके अनुसार जैसे किसी निवेशक ने 10 शेयर मांगे हैं तो उस 5 शेयर भी मिल सकते हैं या किसी निवेशक को शेयर नहीं मिलना भी संभव होता है।

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