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फ्यूजन मार्केट प्लेटफॉर्म

फ्यूजन मार्केट प्लेटफॉर्म
आमतौर पर लखनऊ में एक आउटलेट को ब्रेक-ईवन तक पहुंचने फ्यूजन मार्केट प्लेटफॉर्म में 2 से 3 महीने लगते हैं, जो कि अन्य शहरों की तुलना में काफी कम समय है, जिसके लिए औसतन 4 से 5 महीने का समय लगता है।

एंकलेट डिजाइन

ट्रेंड में हैं ये एंकलेट्स डिजाइन, स्टाइलिश दिखने के लिए ऐसे करें अपने लुक के साथ कैरी

एंकलेट डिजाइन

श्रृंगार की पूर्णता नख से शिख यानी सिर से लेकर पैरों के नाखून तक होती है। यह एक संपूर्ण श्रृंगार का मानक है, ऐसा समझ लीजिए। पुराने जमाने में मेहंदी से लेकर इत्र-फुलेल और फूलों आदि को श्रृंगार के लिए उपयोग में लाया जाता था। फिर धातु के गहने बनने लगे। तब से अब तक गहनों को पहनने के तरीके और चलन दोनों में कई परिवर्तन हुए हैं। एंकलेट्स या पाजेब या पैंजनी या पायल ऐसा ही एक गहना है। नई नवेली दुल्हन के पैरों में छम छम करते नूपुर घर भर में गृहलक्ष्मी के आने की फ्यूजन मार्केट प्लेटफॉर्म आहट जगा दिया करते थे। इसलिए ब्याह-शादियों में महिलाओं के लिए भारी भरकम पाजेब देने का रिवाज भी है। धीरे-धीरे दुल्हन के पारंपरिक पहनावे और साज सज्जा में अंतर भी आया। पहनावे से लेकर गहनों की बनावट तक हर चीज का फ्यूजन हुआ और इसके साथ ही फ्यूजन मार्केट प्लेटफॉर्म बदल गया एंकलेट्स का लुक भी। अब एंकलेट्स जीन्स, स्कर्ट, कैप्री, आदि के साथ भी पहने जाते हैं और दोनों पैरों की जगह एक पैर में भी दिखाई देते हैं। तो एंकलेट्स की विभिन्न डिजाइन में से एक चुनिए और कीजिए अपने लुक को कम्प्लीट और बढाइए सुंदरता पैरों की।

कैसे लखनऊ जैसे शहरों में रेस्टोरेंट के कारोबार में उछाल आया है?

Nitika Ahluwalia

किसी भी क्यूएसआर, कैजुअल या फाइन डाइनिंग ब्रांड के लिए, लखनऊ का भारत की विस्तार योजनाओं में हमेशा एक स्थान होता है।टियर-II और टियर-III शहरों में फूड एग्रीगेटर्स की वृद्धि ने लखनऊ के फूड एंड बेवरेज को ऊंचा कर दिया है।नवाबों का शहर अब कबाब और कोरमा, करी और बिरयानी से कहीं अधिक है, और अब कोई भी मैक्सिकन, स्पेनिश, अंग्रेजी और एशियाई व्यंजनों में शामिल हो सकता है।

बाहर खाने वाले लोगों की बढ़ती आवृत्ति सीधे उनकी औसत खर्च करने की शक्ति से संबंधित है। पिछले कुछ वर्षों में लखनऊ में नौकरी के अवसरों में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है, जिससे खर्च करने की शक्ति में वृद्धि हुई है।मिलेनियल्स पर सोशल मीडिया के प्रभाव से ट्रेंड्स में बदलाव आया है जो शहर में देखा जा सकता है।

ट्रेंड में हैं ये एंकलेट्स डिजाइन, स्टाइलिश दिखने के लिए ऐसे करें अपने लुक के साथ कैरी

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श्रृंगार की पूर्णता नख से शिख यानी सिर से लेकर पैरों के नाखून तक होती है। यह एक संपूर्ण श्रृंगार का मानक है, ऐसा समझ लीजिए। पुराने जमाने में मेहंदी से लेकर इत्र-फुलेल और फूलों आदि को श्रृंगार के लिए उपयोग में लाया जाता था। फिर धातु के गहने बनने लगे। तब से अब तक गहनों को पहनने के तरीके और चलन दोनों में कई परिवर्तन हुए हैं। एंकलेट्स या पाजेब या पैंजनी या पायल ऐसा ही एक गहना है। नई नवेली दुल्हन के पैरों में छम छम करते नूपुर घर भर में गृहलक्ष्मी के आने की आहट जगा दिया करते थे। इसलिए ब्याह-शादियों में महिलाओं के लिए भारी भरकम पाजेब देने का रिवाज भी है। धीरे-धीरे दुल्हन के पारंपरिक पहनावे और साज सज्जा में अंतर भी आया। पहनावे से लेकर गहनों की बनावट तक हर चीज का फ्यूजन हुआ और इसके साथ ही बदल गया एंकलेट्स का लुक भी। अब एंकलेट्स जीन्स, स्कर्ट, कैप्री, आदि के साथ भी पहने जाते हैं और दोनों पैरों की जगह एक पैर में भी दिखाई देते हैं। तो एंकलेट्स फ्यूजन मार्केट प्लेटफॉर्म की विभिन्न डिजाइन में से एक चुनिए और कीजिए अपने लुक को कम्प्लीट और बढाइए सुंदरता पैरों की।

फ्यूजन मार्केट प्लेटफॉर्म

मुंबई । सेमीकंडक्टर की कमी के चलते गाड़ियों की लंबी वेटिंग को देखते हुए टाटा ने एक बड़ा फैसला किया है कि वह सेमीकंडक्टर बनाएगी। टाटा मोटर्स ने घोषणा की कि वह अपने पोर्टफोलिया में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ाने की योजना बना रही है , इसके लिए कंपनी ने अविन्या के कॉन्सेप्ट से फ्यूजन मार्केट प्लेटफॉर्म पर्दा उठाया है।

टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि कंपनी बैटरी और सेमीकंडक्टर बनाने में निवेश बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है। जब देश में ही बड़े लेवल पर सेमीकंडक्टर और बैटरियां बनेंगी तो इससे कीमतों में गिरावट भी देखी जा सकती है। आने वाले दिनों में इलेक्ट्रिक गाड़ियां ही कार कारोबार को मजूबत करेंगी। पिछले कुछ सालों में इसमें तेजी देखने को मिली है।

उन्हें उम्मीद है कि 2030 तक कंपनी के पोर्टफोलियो में करीब 30 फीसदी सेल इलेक्ट्रिक कारों की होगी। उन्होंने अविन्या यानी नवाचार के बारे में बताते हुए कहा कि इसकी लॉन्चिंग 2025 में होगी। इसके जरिए गाड़ियों का माइलेज बढ़ जाएगा और सिर्फ एक ही चार्ज में गाड़ी 500 किलोमीटर तक चलेगी। यह पहला पूरी तरह से इलेक्ट्रिक प्लेटफॉर्म होगा , जो गाडियों को एक नया स्टाइल और लुक भी देगा।

OTT प्लेटफॉर्म पर इस दिन होगी रिलीज़

रिशब शेट्टी को अब OTT प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ किया जा रहा है। यह फिल्म 30 सितंबर को साउथ में रिलीज हुई थी। उसके बाद यह फिल्म हिंदी में और अन्य भाषाओं में 14 अक्टूबर को रिलीज़ किया गया। जिसने छप्पड़फाड़ कमाई की है। 10 नवंबर 2022 को इस मूवी ओटीटी चैनल पर रिलीज़ किया जा रहा है। ओटीटी चैनल अमेज़न प्राइम पर इस विडिओ को रिलीज़ किया जा रहा है।

इस फ्यूजन मार्केट प्लेटफॉर्म फिल्म को IMDB पर 9.4/10 रेटिंग मिली है। यह कन्नड़ फिल्म के इतिहास की दूसरी सबसे बड़ी फिल्म साबित हुई है। इस फिल्म ने ग्लोबल बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रखा है। इस मूवी के कलेक्शन की बात की जाये तो यह ढाई सौ करोड़ रुपए की कमाई कर चुकी है। इस फिल्म ने केजीएफ चैप्टर वन की कमाई के रिकॉर्ड को तो पीछे छोड़ा ही है लेकिन अब यह केजीएफ चैप्टर 2 के रिकॉर्ड के पीछे पड़ गयी है।

मूवी बजट और कमाई

अगर बात की जाये इस मूवी के बजट की तो इस मूवी ने सिर्फ ₹15 करोड़ का बजट लिया है और एक तरफ इस फिल्म का कोई अंदेशा नहीं था की यह 20 करोड़ भी कम लेगी परन्तु लोगो के पब्लिसिटी और शानदार स्क्रिप्ट व् कलाकारों के प्रदर्शन से इस मूवी ने 100 करोड़ रुपए कांटा बहुत पहले ही पार कर लिया। और इस वक़्त 250 करोड़ के विशाल कमाई को लेकर दूसरे स्थान पर विधमान है।

फिल्म की कहानी एक लोककथा है। रिशब शेट्टी की एक्टिंग देखकर आप दंग रह जाएंगे। उन्होंने बहुत ही दमदार परफॉर्मेंस करी है, इस पिक्चर में पूरी फिल्में आपका क्रेज बना रहेगा। पूरी कहानी रोमांच से भरी हुई है। पर हम आपको ज्यादा स्टोरी नहीं बताएंगे वरना फिल्म देखने का मजा बेकार हो जाएगा।

कंतारा का मिथक

कंतारा का अर्थ होता है ।बीहड़ या जंगल ऐसी जंगल में रहने वाले छोटे से गांव के लोगों की है। इस गांव के लोग संपन्नता आने के लिए एक मिथक देवता की बहुत ज्यादा पूजा और अनुष्ठान करते हैं। इस देवता का सालाना अनुष्ठान’ भूतकोला ‘कहानी एक कोर एलिमेंट है।

मूवी में दिखाया गया है कि शांति की तलाश करते हुए एक राजा को जंगल में पत्थर के रूप में एक देवता मिले हैं। उन देवता ने राजा के सामने यह शर्त रखी कि यह जमीन गांव वालों को दे दो, तो तुम को शांति मिल जाएगी। और अगर इस नियम को तोड़ा तो तुम्हें विनाश का सामना करना पड़ेगा।

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