व्यापार मार्ग

कैसे पहुंचें
सीहोर में हवाई अड्डा नहीं होने से यह सीधे नियमित उड़ानों से नहीं जुड़ा है। निकटतम हवाई अड्डा भोपाल हवाई अड्डा है। यह राजा भोज एयरपोर्ट भोपाल से 35 किलोमीटर और देवी अहिल्या एयरपोर्ट इंदौर से 140 किलोमीटर दूर है।
रेल द्वारा
सीहोर रेलवे स्टेशन पश्चिमी रेलवे ज़ोन के तहत सीहोर जिले का एक मुख्य रेलवे स्टेशन है। इसका कोड SEH है। यह उज्जैन – भोपाल शाखा लाइन पर है। स्टेशन में दो प्लेटफार्म हैं। यहाँ से कई बड़े नगरों के लिए ट्रैन उपलब्ध है।
सड़क मार्ग
सीहोर इंदौर – भोपल राज्य राजमार्ग (SH-18) पर स्थित है। यह भोपाल से 35 किलोमीटर और इंदौर , उज्जैन से 140 किलोमीटर दूर है। जबलपुर-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-12) और भोपाल-नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-69) जिला सीहोर से होकर गुजरता है।
UP Board Solutions for Class 8 History Chapter 1 यूरोपीय शक्तियों का भारत में आगमन
UP Board Solutions for Class 8 History Chapter 1 यूरोपीय शक्तियों का भारत में आगमन
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यूरोपीय शक्तियों का भारत में आगमन
अभ्यास
प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न
उत्तर
(1) अमेरिका की खोज की थी
(क) कोलम्बस ने ✓
(ख) हॉकिन्स ने ;
(ग) वास्कोडिगामा ने
(घ) सर टॉमस रो ने
(2) भारत में सर्वप्रथम कौन-सा यूरोपीय व्यापारी आया
(क) अंग्रेज
(ख) पुर्तगाली ✓
(ग) फ्रांसीसी
(घ) डच
प्रश्न 2.
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
(1) किस यन्त्र के आविष्कार से लम्बी समुद्री यात्राएँ आसान हो गई?
उत्तर
कुतुबनुमा।
(2) वास्कोडिगामा किस देश का निवासी था?
उत्तर
पुर्तगाल।
(3) मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में आने वाला प्रथम अंग्रेज राजदूत कौन था?
उत्तर
कैप्टन हॉकिन्स।
प्रश्न 3.
लघु उत्तरीय प्रश्न ।
(1) भारत और यूरोप के मध्य होने वाले व्यापारिक मार्गों के बारे में लिखिए।
उत्तर
भारत और यूरोप के व्यापार मार्ग मध्य व्यापार जल और थल मार्ग द्वारा होता था। इन मार्गों की संख्या तीन थी। पहला मार्ग फारस की खाड़ी से होता हुआ समुद्री मार्ग था। इस मार्ग से इराक, तुर्की, वेनिस और जिनेवा से (UPBoardSolutions.com) व्यापार होता था। दूसरा मार्ग लाल सागर से व्यापार मार्ग अलेक्जेंडरिया का था जहाँ से समुद्र द्वारा वेनिस और जिनेवा को जाया जाता था। तीसरा मार्ग मध्य एशिया से मिस्र और यूरोप के लिए था।
(2) व्यापारिक कंपनी से आप क्या समझते हो?
उत्तर
व्यापारिक कंपनियों का अर्थ है- व्यापार में कई लोगों की हिस्सेदारी। सभी हिस्सेदार व्यापार में अपनी-अपनी पूँजी लगाते थे और लगाई गई पूँजी के अनुपात में व्यापार से होने वाले मुनाफे को आपस में बाँट लेते थे।
प्रश्न 4.
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(1) पुराने यूरोपीय व्यापारिक मार्ग कौन से थे? नये व्यापारिक मार्गों की खोज क्यों शुरू हुई?
उत्तर
भारत और यूरोप के मध्य व्यापार जल और थल मार्ग द्वारा होता था। इन मार्गों की संख्या तीन थी। पहला मार्ग फारस की खाड़ी से होता हुआ समुद्री मार्ग था। दूसरा मार्ग ‘लाल सागर से अलेक्जेंडरिया का था, जहाँ से समुद्र द्वारा वेनिस और जिनेवा को जाया जाता था। तीसरा मार्ग मध्य एशिया से यूरोप के लिए था। पंद्रहवीं शताब्दी (1453 ई०) में कुस्तुनतुनियाँ पर तुर्की ने अपना अधिकार कर लिया। अब तुर्को ने यूरोप और भारत के मध्य पुराने सभी संचार माध्यमों को बंद कर दिया। (UPBoardSolutions.com) कुस्तुनतुनियाँ नगर व्यापार मार्ग का मुख्य द्वार था। अतः व्यापार के लिए यूरोप के व्यापारियों को कुस्तुनतुनियाँ नगर पार करना पड़ता था। लेकिन तुर्को द्वारा मार्ग पर कब्जा होने के कारण यूरोप और भारत के मध्य होने व्यापार मार्ग व्यापार मार्ग वाले व्यापार को बहुत धक्का लगा। अब यूरोपवासियों ने व्यापार के लिए नये समुद्री मार्ग की खोज करना आरंभ कर दिया।
प्रोजेक्ट वर्क
प्रश्न 5.
निम्नलिखित सूची बनाइए
(1) भारत से व्यापार करने वाले देशों के नाम।
उत्तर
भारत से व्यापार करने वाले देशों के नाम हैं- पुर्तगाल, इटली, फ्रांस, तुर्की, हॉलैण्ड, इंग्लैंड आदि।
(2) भारत के उन स्थानों के नाम जहां पर विदेशियों ने अपनी व्यापारिक कोठियां बनाई।।
उत्तर
भारत में कालीकट, कोचीन, नागापट्टनम, चिनसूरी, मछलीपट्टम, पाण्डिचेरी, चन्द्रनगर, सूरत, कैम्बे, अहमदाबाद, आगरा, भड़ौच, पटना आदि स्थानों पर विदेशियों ने अपनी कोठियाँ बनाई।
(3) वे वस्तुएं जिन्हें विदेशी व्यापारी भारत से अपने देश ले जाते थे।
उत्तर
विदेशी व्यापारी भारत से सूती-रेशमी कपड़े और विभिन्न मसाले अपने देश ले जाते थे।
प्रश्न 6.
विद्यार्थी स्वयं करें।
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प्राचीन भारत का निम्नलिखित में से कौन सा महत्वपूर्ण व्यापार केन्द्र उस व्यापार मार्ग पर था जो कल्याण को वेंगी से जोड़ता था -
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स्वेज नहर से होता है दुनिया का 10 फीसदी समुद्री व्यापार
लाल सागर से भूमध्य सागर को जोडऩे वाली स्वेज नहर के निर्माण को 150 वर्ष हो गए हैं। 1859 में फ्रांसीसी इंजीनियर फर्डीनेंड की देखरेख में शुरू हुआ नहर का काम दस वर्ष में पूरा हुआ। 1869 में इसे व्यापार के लिए खोल दिया गया था। 165 किलोमीटर लंबी और 60 मीटर चौड़ी इस नहर से दुनिया का 10 फीसदी समुद्री व्यापार होता है। स्वेज नहर से यूरोप से एशिया और पूर्वी अफ्रीका का मार्ग खुल गया, जिसे 9 हजार 550 किलोमीटर की दूरी कम हो गई। इससे पूर्वी अफ्रीका, ईरान, अरब, भारत, पाकिस्तान से लेकर ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड तक देशों के बीच व्यापार सुविधा हो गई।
1887 से पहले नहर से दिन में ही जहाज पार होते थे, लेकिन इसके बाद सुरक्षा प्रबंधों को बढ़ाने के बाद रात में भी नहर से निकासी शुरू हो गई। दिलचस्प व्यापार मार्ग बात ये है कि पनामा नहर से इसकी लंबाई दोगुनी होने के बावजूद इस पर पनामा के मुकाबले एक तिहाई ही खर्च हुआ था। 1866 में इस नहर को पार करने में 36 घंटे लगते थे, लेकिन अब 18 घंटे से भी कम समय लगता है। इस वक्त नहर पर मिस्र का नियंत्रण है।
जानिए नहर के स्वामित्व की कहानी
नहर का प्रबंधन पहले स्वेज कैनाल कंपनी करती थी, जिसके आधे शेयर फ्रांस और आधे तुर्की, मिस्र और अरब के थे। मिस्र और तुर्की के शेयर अंग्रेजों ने खरीद लिए। 1888 में समझौता हुआ कि इस पर किसी एक राष्ट्र की सेना नहीं रहेगी। 1904 में अंग्रेजों ने इसे तोड़ दिया और अपनी सेनाएं बैठा दी। 1947 में स्वेज कैनाल कंपनी व मिस्र के बीच तय हुआ कि अधिकार मिस्र का रहेगा। 1951 में ब्रिटेन ने मिस्र में युद्ध छेड़ दिया। लेकिन उसे पीछे हटना पड़ा। 1956 से मिस्र का नियंत्रण है।
व्यापार मार्ग
क्षमा करें, हमें आपकी खोज से मेल खाने वाली कोई भी चीज़ नहीं मिली।
गंतव्य
हैदराबाद
आकर्षक चारमीनार को अपने दिल में संजोये.
रायपुर
भारत के छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी.
अहमदाबाद
यूनेस्को द्वारा घोषित भारत के पहले.
आकर्षण
अनंतगिरि
अनंतगिरि पहाड़ी हैदराबाद शहर से लगभग 90.
गोदावरी नदी के तट पर स्थित, बसर.
रायपुर से 38 किलोमीटर दूर स्थित आरंग.
यह भी देखें
आभानेरी
आभानेरी नामक छोटा सा कस्बा जयपुर से.
अल्बर्ट हाॅल संग्रहालय
भारत-अरबी वास्तुशिल्प शैली में बने.
अपनी कमर कस व्यापार मार्ग लें और शिलॉन्ग शहर से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मार्ग के सीमा शहर डॉकी की 95 किमी लंबी शानदार ड्राइव पर चलें। जैन्तिया हिल्स में बसा यह शहर भारत और बांग्लादेश के बीच एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है। डॉकी के रास्ते में गहरी घाटियां और दर्रे आपका स्वागत करते हैं और डॉकी के ऐन पहले उमन्गोट नदी पड़ती है, जिसमें मार्च-अप्रैल के दौरान अमसियम में आयोजित होने वाली वार्षिक नौका दौड़ होती है। पर्यटक यहां नौका विहार और आसपास के सुरम्य वातावरण का आनंद लेने के लिए आते हैं। 1932 में उमन्गोट नदी पर अंग्रेजों द्वारा निर्मित सस्पेंशन ब्रिज अद्भुत रूप से एक सुंदर नज़ारा है।