डॉलर हुआ मजबूत

कई जानकार वित्त मंत्री से सहमत!
वित्त मंत्री के इस बयान के बाद विपक्ष उनकी आलोचना कर रहा. सोशल मीडिया पर भी खिंचाई की जा रही है. हालांकि कई अर्थशास्त्री वित्त मंत्री के बयान से सहमति जता रहे हैं. एसबीआई के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री वृंदा जागीरदार ने कहा कि, वित्त मंत्री ने जो कहा वो 100 फीसदी सच है. रुपया उतना कमजोर नहीं हुआ है जितना अन्य देशों के करेंसी कमजोर हुए हैं. बल्कि दुनिया के सभी देशों के करेंसी के मुकाबले डॉलर मजबूत हुआ है. उन्होंने कहा कि दो कारणो से डॉलर मजबूत हुआ है. पहला कारण ये है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व लगातार ब्याज दरें बढ़ा रहा है. इमर्जिंग देशों से निवेश निकलकर वापस अमेरिका जा रहा है. दूसरा, अमेरिका और अन्य देशों में महंगाई दर भारत के मुकाबले बहुत ज्यादा है.
Rupee-Dollar Update: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा डॉलर हुआ मजबूत पर रुपया कमजोर नहीं! जानें क्या है जानकारों की राय
By: मनीष कुमार, | Updated at : 17 Oct 2022 03:08 PM (IST)
Rupee-Dollar Update: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Nirmala Sitharaman) ने अमेरिका दौरे के दौरान डॉलर ( Dollar) के मुकाबले रुपये ( Rupee) में लगातार गिरावट को लेकर एक बयान दिया जिसके बाद उनके बयान पर विवाद खड़ा हो गया है. वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय करेंसी रुपया कमजोर नहीं हुआ बल्कि डॉलर मजबूत हुआ है. वित्त मंत्री अपने इस बयान को लेकर अब विपक्ष के निशाने पर आ गई हैं.
निर्मला ने कहा रुपया नहीं हुआ कमजोर!
आईएमएफ वर्ल्ड बैंक के सलाना बैठक में भाग लेने अमेरिका दौरे पर गई निर्मला सीतारमण ने कहा कि, भारतीय करेंसी रुपये (INR) ने दुनिया की कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं ( Emerging Economies) के करेंसी के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है. निर्मला सीतारमण ने कहा कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा, हमें इसे ऐसे देखना चाहिए कि डॉलर मजबूत हो रहा है. इसके साथ ही वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय रुपया विश्व की बाकि करेंसी की तुलना में काफी अच्छा कर रहा है.
डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कैसे तय होती है?
किसी भी देश की करेंसी की कीमत अर्थव्यवस्था के बेसिक सिद्धांत, डिमांड और सप्लाई पर आधारित होती है. फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में जिस करेंसी की डिमांड ज्यादा होगी उसकी कीमत भी ज्यादा होगी, जिस करेंसी की डिमांड कम होगी उसकी कीमत भी कम होगी. यह पूरी तरह से ऑटोमेटेड है. सरकारें करेंसी के रेट को सीधे प्रभावित नहीं कर सकती हैं.
करेंसी की कीमत को तय करने का दूसरा एक तरीका भी है. जिसे Pegged Exchange Rate कहते हैं यानी फिक्स्ड एक्सचेंज रेट. जिसमें एक देश की सरकार किसी दूसरे देश के मुकाबले अपने देश की करेंसी की कीमत को फिक्स कर देती है. यह आम तौर पर व्यापार बढ़ाने औैर महंगाई को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.डॉलर हुआ मजबूत
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उदाहरण के तौर पर नेपाल ने भारत के साथ फिक्सड पेग एक्सचेंज रेट अपनाया है. इसलिए एक भारतीय रुपये की कीमत नेपाल में 1.6 नेपाली रुपये होती है. नेपाल के अलावा मिडिल ईस्ट के कई देशों ने भी फिक्स्ड एक्सचेंज रेट अपनाया है.
डॉलर दुनिया की सबसे बड़ी करेंसी है. दुनियाभर में सबसे ज्यादा कारोबार डॉलर में ही होता है. हम जो सामान विदेश से मंगवाते हैं उसके बदले हमें डॉलर देना पड़ता है और जब हम बेचते हैं तो हमें डॉलर मिलता है. अभी जो हालात हैं उसमें हम इम्पोर्ट ज्यादा कर रहे हैं और एक्सपोर्ट कम कर रहे हैं. जिसकी वजह से हम ज्यादा डॉलर दूसरे देशों को दे रहे हैं और हमें कम डॉलर मिल रहा है. आसान भाषा में कहें तो दुनिया को हम सामान कम बेच रहे हैं और खरीद ज्यादा रहे हैं.
डॉलर के सामने मजबूती से खड़ा है रुपया, भारतीय करेंसी की रिकॉर्ड गिरावट के बीच बोलीं वित्त मंत्री
अमेरिकी करेंसी डॉलर के मुकाबले रुपये की डॉलर हुआ मजबूत कीमत के रिकॉर्ड स्तर पर गिर जाने के बाद भारतीय मुद्रा की स्थिति को लेकर जताई जा रही चिंताओं के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक अहम बयान दिया है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और वित्त मंत्रालय रुपये की स्थिति पर लगातार करीबी नजर रखे हुए हैं।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया की अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कहीं अधिक मजबूती से खड़ा रहा है। आपको बता दें कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया शुक्रवार को 81 रुपये के पार पहुंच गया। यह ऑल टाइम लो लेवल है। पिछले कुछ महीनों में रुपये की कीमत में लगातार गिरावट आई है।
डॉलर हुआ मजबूत
डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिर रहा है। आज 1 डॉलर तब मिलेगा जब 82.38 रुपये दिए जाएंगे। आप कहेंगे कि डॉलर से आप के ऊपर तो कुछ भी फर्क नहीं पड़ता तो चिंता की क्या बात है? आपका 100 रुपया आज भी 100 रुपया है। उससे उतना ही सामान और सेवा खरीदी जा सकती है डॉलर हुआ मजबूत जितनी पहले मिलती थी तो चिंता की क्या बात? लेकिन यहीं आप ग़लत हैं। हकीकत यह है कि जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है तो भले ही आप चिंता करे या न करे,भले ही आपने जीवन में कभी डॉलर न देखा हो, मगर आप और हम जैसों आम लोगों पर ही असर पड़ता है।
भारत में सब कुछ तो पैदा नहीं होता। अपनी कई बुनियादी जरूरतों के लिए भारत विदेशों पर निर्भर है। विदेशी व्यापार डॉलर में होता है। क्रूड आयल यानी कच्चे तेल को ही देखिये। भारत की जरूरत का तकरीबन 85 फीसदी बाहर से आयात होता है। जब तेल की खरीदारी डॉलर में होगी तो इसका मतलब है कि बाहर से तेल मंगाने पर डॉलर हुआ मजबूत आपको ज़्यादा रुपया देना होगा। इससे क्या होगा। आपके देश में तेल के दाम बढ़ंगे। तेल यानी पेट्रोल, डीज़ल के दाम बढ़गें तो आपको ज़्यादा रुपया चुकाना पड़ेगा। साथ ही अन्य सामानों पर भी महंगाई बढ़ेगी। महंगाई बढ़ेगी तो इसका सबसे ज्यादा असर उन्हीं 90 प्रतिशत कामगारों पर पड़ेगा जो महीने में डॉलर हुआ मजबूत 25 हजार रुपये से कम कमाते हैं। यानी डॉलर के मुकाबले जब रुपया गिरता है तो आम आदमी की कमर तोड़ने वाले महंगाई अर्थव्यवस्था के गहरी जड़ों में समाने लगती हैं।
डॉलर हुआ मजबूत
डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिर रहा है। आज 1 डॉलर तब मिलेगा जब 82.38 रुपये दिए जाएंगे। आप कहेंगे कि डॉलर से आप के ऊपर तो कुछ भी फर्क नहीं पड़ता तो डॉलर हुआ मजबूत चिंता की क्या बात है? आपका 100 रुपया आज भी 100 रुपया है। उससे उतना ही सामान और सेवा खरीदी जा सकती है जितनी पहले मिलती थी तो चिंता की क्या बात? लेकिन यहीं आप ग़लत हैं। हकीकत यह है कि जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है तो भले ही आप चिंता करे या न करे,भले ही आपने जीवन में कभी डॉलर न देखा हो, मगर आप और हम जैसों आम लोगों पर ही असर पड़ता है।
भारत में सब कुछ तो पैदा नहीं होता। अपनी कई बुनियादी जरूरतों के लिए भारत विदेशों पर निर्भर है। विदेशी व्यापार डॉलर में होता है। क्रूड आयल यानी कच्चे तेल को ही देखिये। भारत की जरूरत का तकरीबन 85 फीसदी बाहर से आयात होता है। जब तेल की खरीदारी डॉलर में होगी तो इसका मतलब है कि बाहर से तेल मंगाने पर आपको ज़्यादा रुपया देना होगा। इससे क्या होगा। आपके देश में तेल के दाम बढ़ंगे। तेल यानी पेट्रोल, डीज़ल के दाम बढ़गें तो आपको ज़्यादा रुपया चुकाना पड़ेगा। साथ ही अन्य सामानों पर भी महंगाई बढ़ेगी। महंगाई बढ़ेगी तो इसका सबसे ज्यादा डॉलर हुआ मजबूत असर उन्हीं 90 प्रतिशत कामगारों पर पड़ेगा जो महीने में 25 हजार रुपये से कम कमाते हैं। यानी डॉलर के मुकाबले जब रुपया गिरता है तो आम आदमी की कमर तोड़ने वाले महंगाई अर्थव्यवस्था के गहरी जड़ों में समाने लगती हैं।