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मुद्राएं अलग

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क्रिप्टोकरेंसीज न सिर्फ अधिक ऊर्जा की खपत करती है और निवेश को नियंत्रित करती है, बल्कि इसने हाल ही में दुनिया की कमोडिटी मार्केट में प्रवेश भी किया है जहां वे कहर बरपा सकते हैं। अमेरिका और कनाडा में क्रिप्टो करेंसीज को कमोडिटी का दर्जा दिया गया है। वे व्यापक रूप से डेरिवेटिव मार्केट में उपयोग किए जाते हैं (डेरिवेटिव एक व्यापार योग्य सिक्योरिटीज है, जिसका मूल्य कुछ अंतर्निहित परिसंपत्ति की वास्तविक या अपेक्षित मूल्य से प्राप्त होता है। ये कमोडिटी, सिक्योरिटी या करेंसी हो सकता है)। इसका वस्तु विनिमय के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

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क्रिप्टो मुद्रा नहीं बल्कि एक अलग संपत्ति वर्ग : गांधी Haribhoomi Delhi | September 08, 2021 पर्व डिप्टी गवर्नर ने कहा कोई क्रिप्टो मुद्राएं अलग स्वीकार ने बाध्य नहीं कर सकता

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व डिप्टी मुद्राएं अलग गवर्नर आर गांधी ने मंगलवार को कहा कि 'क्रिप्टो' को मुद्रा नहीं बल्कि एक अलग संपत्ति वर्ग की तरह माना जाना चाहिए और उसी रूप में उसका नियमन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे दुनिया भर की सरकारों को आभासी मुद्राओं से जुड़ी अवैध गतिविधियों से प्रभावी ढंग से निपटने में मदद मिलेगी।

स्वयंभू बाबा के इलाके में चलती थी अलग मुद्रा प्रणाली

Reported by: Bhasha
Updated on: August 27, 2017 16:27 IST

gumeet ram rahim- India TV Hindi

gumeet ram rahim

सिरसा: सिरसा में डेरा सच्चा सौदा के मुख्यालय में पंथ प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के अनुयायी, जो वहां दुकानों का संचालन करते थे वे ग्राहकों को छुट्टे देने के लिए अलग मुद्रा प्रणाली चलाते थे।

डेरा मुद्राएं अलग परिसर के भीतर और ईदगिर्द स्थित इन दुकानों पर नाम के प्रारंभ में सच लिखा होता था। ग्राहक यदि भारतीय करंसी में खुल्ले नहीं मुद्राएं अलग दे पाते तो दुकानदार इनके बदले पांच और दस रूपये के प्लास्टिक के सिक्के या टोकन उन्हें दिया करते थे।

अवैधानिक मुद्रा में व्यापार

By Sandip Sen
Published: Thursday 15 March 2018

तारिक अजीज / सीएसई

वर्ष 2017 के शुरुआती दिनों में बिटक्वायंस और क्रिप्टो करेंसीज के बारे में लोग बहुत कम जानते थे। ये साल के अंत तक एक बड़ी घटना बन गई। 2017 तक एक बिटक्वायन का मूल्य 900 से 19,000 डॉलर तक हो गया और अब 40 प्रतिशत तक गिर गया है। यह 17 जनवरी को लक्समबर्ग-स्थित बिटस्टैम्प एक्सचेंज में 10,000 डॉलर के बराबर था। इसने तीव्र अस्थिरता दिखाई। हालांकि, इसे किसी भी देश द्वारा मान्यता नहीं दी गई है, फिर भी क्रिप्टो करेंसीज ने अनिवार्य मान्यता प्राप्त कर ली है और विश्व कमोडिटी बाजार में अपना रास्ता मजबूत कर लिया है। आप इससे सिनेमा टिकट से लेकर गैजेट्स और पेट्रोल तक खरीद सकते हैं।

भारत में नोटों का इतिहास

पांच सौ और हजार के पुराने नोटों को हटा कर पांच सौ और दो हजार के नये नोटों का जारी होना भारत में कागजी मुद्रा के ढाई सदियों के इतिहास का नवीनतम चरण है. इस इतिहास में मुद्राओं के रंग-रूप और मूल्य कई बार बदले गये हैं तथा उनमें जालसाजी रोकने के लिए सुरक्षा के उपाय किये जाते रहे हैं. मौजूदा फेरबदल की पृष्ठभूमि में रुपये की लंबी यात्रा पर इन-डेप्थ की प्रस्तुति.

ब्रिटिश बैंकों ने पहले छापे नोट

मुद्रा के तौर पर आज हम जिस रुपये का प्रयोग करते हैं उसका चलन भारत में सदियों से है. फर्क सिर्फ इतना है कि तब भारत में मुद्रा के तौर पर चांदी और सोने मुद्राएं अलग के सिक्के चलन में थे. यह चलन 18वीं सदी के पूर्वार्ध तक बरकरार था. लेकिन जब यूराेपीय कंपनियां व्यापार के लिए भारत में आयीं तब उन्होंने अपनी सहूलियत के लिए यहां निजी बैंक की स्थापना की. और फिर इसके बाद से ही चांदी और सोने की मुद्रा की जगह कागजी मुद्रा का चलन शुरू हो गया. भारत की सबसे पहली कागजी मुद्रा कलकत्ता के बैंक ऑफ हिंदोस्तान ने 1770 में जारी की थी.

नूतन कहानियां

मुद्रा संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ हावभाव (attitude) है। प्राचीन काल में साधु संत शरीर के अंदर मौजूद पांच तत्व हवा, पानी, अग्नि, पृथ्वी और आकाश को संतुलित रखने के लिए योग मुद्राएं करते थे। हमारी उंगलियों में इन तत्वों की विशेषता होती है और इनमें से प्रत्येक पांच तत्वों का शरीर के अंदर एक विशिष्ट (specific) और महत्वपूर्ण कार्य होता है। यही वजह है कि आज भी लोग योग मुद्रा का अभ्यास करते हैं। योग मुद्रा एक प्राचीन तकनीक है जिसका अभ्यास हम प्राणायाम और मेडिटेशन के दौरान करते हैं। योग मुद्रा शारीरिक गतिविधियों (physical movements) का एक समूह है जो व्यक्ति के मन, मनोभाव (attitude) और मुद्राएं अलग प्रत्यक्ष ज्ञान (perception) को बदलता है। योग मुद्रा मस्तिष्क के विशेष भागों में ऊर्जा का प्रवाह करने का काम करता है। आमतौर पर हमारे शरीर में मौजूद कई तत्व संतुलित (balanced) अवस्था में नहीं होते हैं जिसके कारण शरीर में विभिन्न बीमारियां लग जाती हैं और व्यक्ति हल्के से लेकर गंभीर समस्याओं (serious issue) से पीड़ित रहने लगता है। ऐसी स्थिति (condition) में योग मुद्रा शरीर के पांच तत्वों को संतुलित करने का काम करता है और पूरे शरीर को स्वस्थ रखने में भी सहायक होता है। योग मुद्राओं के प्रकार जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि मुद्राएं अलग शरीर में पांच तत्व मौजूद होते हैं और इन तत्वों (elements) के असंतुलित होने पर व्यक्ति व्याधियों से जकड़ जाता है। इन पांच तत्वों की विशेषता हमारे हाथों की उंगलियों में समाहित होती है। हाथ की पांच उंगलियों में वायु तर्जनी उंगली पर, जल छोटी उंगली पर, अग्नि अंगूठे पर, पृथ्वी अनामिका उंगली पर और आकाश (space) मध्यमा उंगली पर स्थित होता है। इन्हीं के आधार पर योग मुद्रा को पांच समूहों (groups)में बांटा जाता है और यह आमतौर पर अभ्यास किये जाने वाले शरीर के अंगों पर निर्भर करते हैं। ये पांच समूह निम्न हैं। हस्त (Hand Mudras) मन (Head Mudras) काया (Postural Mudras) बंध (Lock Mudras) आधार (Perineal Mudras) वैसे तो योग मुद्राएं सैकड़ों प्रकार की होती हैं लेकिन शरीर में मौजूद अलग-अलग बीमारियों (diseases) को दूर करने के लिए अलग-अलग योग मुद्राओं का अभ्यास किया जाता है। आमतौर पर योग मुद्रा शरीर के विभिन्न अंगों (organs) पर निर्भर करता है लेकिन चूंकि शरीर में पाये जाने वाले पांच तत्वों का उल्लेख उंगलियों से ही किया जाता है इसलिए हस्त योग मुद्रा अधिक प्रसिद्ध (popular) है। इसी कड़ी में आज हम वरुण मुद्रा को जानेंगे वरुण मुद्रा – Varun Mudra, Mudra of Water यह मुद्रा शरीर में पानी के तत्व (water element) को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है। चेहरे पर निखार लाने का कार्य करता है क्योंकि शरीर में मौजूद तरल पदार्थों का सही तरीके से प्रवाह होता है और यह चेहरे का अच्छे से मॉश्चराइज (moisturise) करता है। वरुण मुद्रा के फायदे मस्तिष्क को शांत (calm mind) रखने, त्वचा से जुड़े रोगों को दूर करने में यह मुद्रा बहुत फायदेमंद है। 1 वरुन मुद्रा का प्रतिदिन अभ्यास करने से शरीर में तरल पदार्थों का सर्कुलेशन सही तरीके से होता है जिसके कारण व्यक्ति को संक्रमण नहीं होता है 2 मुंहासे से छुटकारा मिलता है। 3 यह मुद्रा मांसपेशियों के दर्द से निजात दिलाता है 4 चेहरे पर प्राकृतिक निखार (natural glow) लाता है। वरुण मुद्रा करने का तरीका फर्श पर आराम से बैठ जाएं और अपनी छोटी उंगली (little finger) और अंगूठे (thumb) को हल्का सा झुकाकर एक दूसरे के पोरों (tip) से सटाएं। हाथ की बाकी उंगलियों को सीधा रखें। इसके बाद हथेली को जांघ (thigh) के ऊपर जमीन की तरह थोड़ा सा झुकाकर रखें। आंखें बंद करके कुछ देर तक इसी मुद्रा में बैठे रहें। इस मुद्रा को करते समय इस बात का विशेष ध्यान दें कि उंगली के पोर (tips) को नाखून से न दबाएं अन्यथा शरीर में पानी मुद्राएं अलग के तत्व संतुलित होने के बजाय आपको निर्जलीकरण (dehydration) की समस्या हो सकती है।

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