ब्रोकरेज फर्म

हमारे पास पर्याप्त पैसे हैं और हमारा फण्ड, हमारे पूरे कस्टमर के फण्ड से 25% अधिक है, जो कि इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा है। इसलिए हम पहले की तरह ही सुविधाएँ देना जारी रखेंगे : जैसे आप 100% फण्ड उपयोग कर सकते हैं, स्टॉक बेचने के तुरंत बाद या पेमेंट गेटवे से फण्ड ट्रांसफर करने के तुरंत बाद आप उस पैसे का उपयोग कर सकते है और प्लेड्जिंग के प्रोसेस में भी कुछ नहीं बदलेगा।
Delhivery Share Price: डेल्हीवरी में क्यों लगाएं पैसे, ब्रोकरेज ने गिनाई पांच वजहें, शेयर आज रिकॉर्ड निचले स्तर पर
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Delhivery Share Price: ब्रोकरेज फर्म दिग्गज लॉजिस्टिक्स कंपनी डेल्हीवरी के शेयर इसी साल 24 मई को घरेलू मार्केट में लिस्ट हुए थे। आईपीओ निवेशकों की इसने तगड़ी कमाई कराई लेकिन फिर इसके शेयर रिकॉर्ड ऊंचाई से करीब 107 फीसदी फिसल गए। एक महीने में यह करीब 10 फीसदी टूट चुका है। फिलहाल यह इश्यू प्राइस से भी नीचे ट्रेड हो रहा है। हालांकि बाजार के जानकारों का मानना है कि इसमें निवेश का यह सुनहरा मौका है। घरेलू ब्रोकरेज फर्म आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में पांच कारण भी गिनाएं है कि डेल्हीवरी में निवेश क्यों करें। ब्रोकरेज फर्म ने इसमें निवेश के लिए 460 रुपये ब्रोकरेज फर्म का टारगेट प्राइस फिक्स किया है जो मौजूदा भाव से 32 फीसदी अपसाइड है। ब्रोकरेज फर्म ने इसकी रेटिंग को बिक्री से अपग्रेड कर खरीदारी किया है।
क्लाइंट लेवल पर रिस्क रिडक्शन मोड( RRM )
अब तक यदि पूरे क्लाइंट्स के लिए ब्रोकर का ओवरआल मार्जिन यूटिलाइसेशन 90% से ज्यादा होता था, तो एक्सचेंज द्वारा ब्रोकर को रिस्क रिडक्शन मोड(RRM) में डाल दिया जाता था। इसका मतलब यह है कि ब्रोकर ने जितना फण्ड क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन के पास रखा है, यदि सभी कस्टमर का मार्जिन यूटिलाइसेशन उस पूरे फण्ड का 90% हो जाता है तो ब्रोकर को RRM में डाल दिया जाता था। जब ब्रोकर RRM में होता है , तब उनके कस्टमर सिर्फ अपनी रखी पोजीशन में से ही बाहर निकल सकते हैं, कोई नई पोजीशन नहीं ले सकते हैं। लेकिन ऐसा बहुत कम होता है कि सभी कस्टमर्स अपने फण्ड को एक साथ उपयोग करें और इसलिए ब्रोकर RRM में आने से आसानी से बच जाते थे।
1 अगस्त 2022 से, RRM क्लाइंट लेवल पर शुरू हो गया है। इसलिए ब्रोकरेज फर्म ब्रोकर को अपने कस्टमर को या तो उनके अकाउंट में उपलब्ध फण्ड से 90% से ज्यादा उपयोग ब्रोकरेज फर्म ब्रोकरेज फर्म करने देने से मना करना होगा या बचा हुआ 10% फण्ड अपने खुद के कैपिटल से देना होगा। तो यदि कस्टमर के पास 1 लाख रूपए उनके ट्रेडिंग अकाउंट में है, ब्रोकर को उस कस्टमर को अधिकतम Rs 90k ट्रेडिंग के लिए देना होगा और 10k अपने कैपिटल से देना होगा। जिससे ब्रोकरों के लिए वर्किंग कैपिटल की जरूरत बढ़ जाएँगी।
स्टॉक बेचने के बाद मिले हुए फण्ड का तुरंत उपयोग
यदि आज एक स्टॉक को बेचा जाता हैं और ब्रोकर उसे उसी दिन डेबिट करके अर्ली पेइन के द्वारा क्लीयरिंग कारपोरेशन को दे देते हैं तो उसे बेचने के बाद मिले हुए 80% फण्ड को, तुरंत ही ट्रेडिंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन हमारे मार्केट में T+2 का सेटलमेंट साइकिल होता है जिसका मतलब है कि यदि शेयर्स को बेचा जाता है, तो क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन उसका अमाउंट 2 दिनों के बाद ही क्रेडिट करते हैं। अब तक ब्रोकर्स, कस्टमर को बेचे हुए शेयर्स का पैसा CC से ना मिलने पर भी पूल्ड फण्ड से नए स्टॉक खरीदने के लिए मार्जिन दे सकते थे। लेकिन नए रेगुलेशन के बाद से, यदि कस्टमर को उसी दिन कुछ नया खरीदने दिया जाता है तो उसके लिए ब्रोकर को अपने कैपिटल से देना होगा ।
जब ब्रोकरेज फर्म एक कस्टमर NEFT, RTGS, या UPI, का उपयोग करके पैसे ट्रांसफर करते हैं तो वह फण्ड उसी दिन ब्रोकर्स के बैंक अकाउंट में आ जाते हैं। लेकिन यदि फण्ड को पेमेंट गेटवे (PG) ब्रोकरेज फर्म का उपयोग करके ट्रांसफर किया जाता है तो PG फंड्स को हमारे अकाउंट में सेटल करने में 2 दिनों तक का समय ले सकते हैं। इसलिए यदि आपने सोमवार को PG का उपयोग करके Rs 1lk अपने ब्रोकरेज अकाउंट में ट्रांसफर किये और ब्रोकर ने आपको उस पैसे का उपयोग करके ट्रेडिंग की अनुमति दी तो सामान्य रूप से ब्रोकर उस पैसे को 2 दिनों के बाद ही प्राप्त करेंगे और क्लीयरिंग कॉपोरेशन के नियम के अनुसार , वह फण्ड पहले ही क्लाइंट के अकाउंट में ब्रोकरेज फर्म होना चाहिए।ऐसी स्तिथि में पहले यदि कस्टमर के पास पैसे नहीं होते थे तो उसे दूसरे कस्टमर के अकाउंट से पूल(pool) किया जा सकता था। लेकिन अब यह फण्ड ब्रोकर को PG पर सेटल होने से पहले अपने कैपिटल से देना होगा।
प्लेज पोजीशन के लिए 50% कैश के फॉर्म में होना
यदि स्टॉक को F&O पर ट्रेड करने की इच्छा से मार्जिन प्राप्त करने के लिए प्लेज किया गया है, तो कस्टमर को यूस्ड मार्जिन का 50% कैश मार्जिन अनिवार्य रूप से देना होगा। यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन के द्वारा यह अमाउंट ब्रोकर के कैपिटल से डेबिट कर लिए जायेगा। यह नियम Aug 1st 2022 से लागू हो गया है।
यदि कस्टमर के पास ब्रोकरेज फर्म पहले से पर्याप्त मार्जिन नहीं है तो वह F&O में पोजीशन नहीं ले पाएंगे। कोई एक अकाउंट एक्सिस्टिंग पोजीशन में मार्जिन की बढ़ोतरी के कारण भी नेगेटिव बैलेंस में जा सकता है क्योंकि मार्जिन को पोर्टफोलियो लेवल पर कैलकुलेट किया जायेगा। ऐसा इसलिए भी हो सकता हैं क्योकि पोर्टफोलियो में एक पोजीशन को एग्जिट करने से दूसरी पोजीशन में रिस्क(हेज की स्तिथि में ) बढ़ जाता है या फिर मार्केट इंट्राडे में ज्यादा वोलेटाइल होने पर भी मार्जिन की जरुरत बढ़ जाती है। ऐसी स्तिथि में कस्टमर को मार्क-टू-मार्केट ट्रांसफर करने में एक दिन का समय मिल जाता है लेकिन यदि कस्टमर के पास पर्याप्त पैसे नहीं है या नेगेटिव बैलेंस है, तो इस अमाउंट को ब्रोकर के कैपिटल से डेबिट किया जायेगा।
Stocks to buy: ब्रोकरेज फर्म BNP Paribas ने बीते हफ्ते इन तीन स्टॉक्स में दी खरीदारी की सलाह, मिलेगा 25% तक बंपर रिटर्न
Stocks to buy: ब्रोकरेज फर्म बीएनपी परिबास ने बीते सप्ताह आईटीसी, एक्सिस बैंक और हैवल्स इंडिया में खरीदारी की सलाह दी है. इन शेयरों में 25 फीसदी तक की तेजी संभव है. इन शेयरों में 25 फीसदी तक की तेजी संभव है.
Stocks to buy: सितंबर तिमाही के लिए नतीजे जारी हैं. अच्छे परिणाम के कारण बाजार में तेजी है. शुक्रवार को लगातार छठे कारोबारी सत्र में बाजार में रौनक दिखाई दी. सोमवार को भी दिवाली के कारण बाजार बंद रहेगा, हालांकि शाम को एक घंटे के लिए मुहूर्त ट्रेडिंग के चलते बाजार खुलेगा. निवेशक उस दिन शुभ खरीदारी करते हैं. ब्रोकरेज फर्म BNP Paribas ने बीते हफ्ते तीन स्टॉक में खरीदारी की सलाह दी है.
Axis Bank के लिए टार्गेट प्राइस
रिजल्ट के बाद Axis Bank के शेयर में शुक्रवार को बंपर तेजी रही. सप्ताह के आखिरी दिन इसमें साढ़े नौ फीसदी की तेजी दर्ज की गई. ब्रोकरेज ने इसके लिए टार्गेट प्राइस 1130 रुपए का रखा है. वर्तमान स्तर से यह 25 फीसदी से ज्यादा है. Morgan Stanley ने एक्सिस बैंक पर ओवरवेट की राय दी है. टारगेट 1000 से बढ़ाकर 1150 रुपये प्रति शेयर कर दिया है. Goldman Sachs ने टारगेट 1007 से बढ़ाकर 1053 रुपए कर दिया है. HSBC ने 1075 रुपए और ICICI Securities ने 1130 रुपए का टार्गेट दिया है.
ब्रोकरेज ने Havells India के लिए टार्गेट प्राइस 1435 रुपए का रखा है. ब्रोकरेज ने पहले इसका टार्गेट 1385 रुपए का रखा था. शुक्रवार को यह शेयर 1166 रुपए के ब्रोकरेज फर्म स्तर पर बंद हुआ. टार्गेट प्राइस वर्तमान के मुकाबले 23 फीसदी ज्यादा है. सितंबर तिमाही में रेवेन्यू में सालाना आधार पर 14 फीसदी की तेजी दर्ज की गई.
पारंपरिक और डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म में से आपके लिए कौन बेहतर?
बाजार के एक्सपर्ट्स का ऑनलाइन खातों की संख्या में तेजी वृद्धि की तीन प्रमुख वजहें हैं - बेहतर नेटवर्क, किफायती भाव पर क्वालिटी शेयर की उपलब्धता और निवेशकों ब्रोकरेज फर्म के पास अतिरिक्त समय.
सैमको सिक्योरिटीज के ब्रोकिंग कामकाज प्रमुख निलेश शर्मा ने पारंपरिक ब्रोकर और डिस्काउंट ब्रोकर के बीच निम्नलिखित फर्क बताया. उन्होंने दोनों के फायदे और नुकसान भी बताए.
पांरपरिक ब्रोकर्स के फायदे | पांरपरिक ब्रोकर्स के नुकसान |
निजी पहुंच, जो लोगों से सीधे जुड़ती है. | अधिक ब्रोकरेज चार्ज क्योंकि बिजनेस मॉडल की लागत अधिक है. |
बड़ी रिसर्च टीम, लगातार सलाह-मशवरा देती है. | कई ऐसी सेवाएं भी मिलती हैं, तो हर निवेशक के मतलब की है. इसलिए निवेशक खुद को ठगा हुआ महसूस करता है. |
विशेष सेवाओं से जुड़ा बिजनेस मॉडल, जिसमें अलग ग्राहकों को अलग जरूरतों के हिसाब से सेवाएं दी जाती हैं. | टर्नओवर के आधार पर ब्रोकरेज, जिससे कई ग्राहक गुरेज करते हैं. |
अधिक कर्ज सीमा, ताकि ग्राहकों के साथ दीर्घावधि और गहरे संबंध बनाए जा सकें. | कई ब्रोकरेजेज पर पक्षपात के आरोप लगते हैं कि वे पैसा कमाने के लिए रिसर्च और रिपोर्ट पेश करते हैं. |
ग्राहकों की सहूलियत के लिए T+2 ट्रेडिंग सिस्टम, जिसके तहत ट्रेड के दो दिन बाद ब्रोकरेज चुका सकते हैं. | पुराना तरीका, जिसमे चेक, फोन आदि के जरिए कारोबार को किया जाता है. नई पीढ़ी को यह रास नहीं आता. |
कई अन्य सेवाएं, जिसमें टैक्स प्लानिंग, पीएमस, छोटी-मोटी गलतियों में सुधार आदि शामिल हैं, ताकि ग्राहकों का भरोसा बना रहे. | नियामकीय बदलावों के चलते इनके फायदों पर खतरा मंड रहा है जिसमें अपफ्रंट मार्जिन के चलते T+2 सिस्टम खत्म हो सकता है. |
Stocks to BUY: इस शराब कंपनी के शेयरों में 50% तक की कमाई का मौका, ब्रोकरेज फर्मों ने दी BUY की सलाह
Stocks to BUY: शराब बनाने वाली कंपनी ग्लोबल स्प्रिट्स लिमिटेड (Globus Spirits Ltd) के मुनाफे में सितंबर तिमाही के दौरान 57.84% फीसदी की गिरावट आई है। कंपनी ने इसी हफ्ते 15 नवंबर को अपने तिमाही नतीजों का ऐलान किया था और तब से अब तक इसके शेयरों में करीब 8 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। हालांकि ब्रोकरेज फर्मों की मानें तो Globus Spirits के शेयरों में यह गिरावट अस्थायी है और मौजूदा स्तर से इसके शेयर करीब 50 फीसदी तक ऊपर जा सकते हैं। ब्रोकरेज फर्म आईसीआईसीआई डायरेक्ट (ICICI Direct) और इडलवाइज (Edelweiss) दोनों ने इस स्टॉक पर अपनी बाय (BUY) रेटिंग बरकरार रखी है।
Edelweiss की स्टॉक पर क्या है राय?
ब्रोकरेज फर्म Edelweiss ने ग्लोबल स्प्रिट्स के ब्रोकरेज फर्म शेयरों पर BUY बरकरार रखी है और इसे 1,120 रुपये के टारगेट प्राइस के साथ खरीदने की सलाह दी है। यह ग्लोबल स्प्रिट्स के मौजूदा बाजार भाव से करीब 51.39 फीसदी अधिक है।