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भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

भारत जीडीपी के संदर्भ में वि‍श्‍व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है । यह अपने भौगोलि‍क आकार के संदर्भ में वि‍श्‍व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्‍या की दृष्‍टि‍ से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधि‍त मुद्दों के बावजूद वि‍श्‍व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्‍वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्‍त करने की दृष्‍टि‍ से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्‍मूलन और रोजगार उत्‍पन्‍न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।

इति‍हास

ऐति‍हासि‍क रूप से भारत एक बहुत वि‍कसि‍त आर्थिक व्‍यवस्‍था थी जि‍सके वि‍श्‍व के अन्‍य भागों के साथ मजबूत व्‍यापारि‍क संबंध थे । औपनि‍वेशि‍क युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रि‍टि‍श भारत से सस्‍ती दरों पर कच्‍ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्‍य मूल्‍य से कहीं अधि‍क उच्‍चतर कीमत पर बेचा जाता था जि‍सके परि‍णामस्‍वरूप स्रोतों का द्धि‍मार्गी ह्रास होता था । इस अवधि‍ के दौरान वि‍श्‍व की आय में भारत का हि‍स्‍सा 1700 ए डी के 22.3 प्रति‍शत से गि‍रकर 1952 में 3.8 प्रति‍शत रह गया । 1947 में भारत के स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात अर्थव्‍यवस्‍था की पुननि‍र्माण प्रक्रि‍या प्रारंभ हुई । इस उद्देश्‍य से वि‍भि‍न्‍न नीति‍यॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्‍यम से कार्यान्‍वि‍त की गयी ।

1991 में भारत सरकार ने महत्‍वपूर्ण आर्थिक सुधार प्रस्‍तुत कि‍ए जो इस दृष्‍टि‍ से वृहद प्रयास थे जि‍नमें वि‍देश व्‍यापार उदारीकरण, वि‍त्तीय उदारीकरण, कर सुधार और वि‍देशी नि‍वेश के प्रति‍ आग्रह शामि‍ल था । इन उपायों ने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को गति‍ देने में मदद की तब से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था बहुत आगे नि‍कल आई है । सकल स्‍वदेशी उत्‍पाद की औसत वृद्धि दर (फैक्‍टर लागत पर) जो 1951 - 91 के दौरान 4.34 प्रति‍शत थी, 1991-2011 के दौरान 6.24 प्रति‍शत के रूप में बढ़ गयी ।

कृषि‍

कृषि‍ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है जो न केवल इसलि‍ए कि‍ इससे देश की अधि‍कांश जनसंख्‍या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्‍कि‍ इसलि‍ए भी भारत की आधी से भी अधि‍क आबादी प्रत्‍यक्ष रूप से जीवि‍का के लि‍ए कृषि‍ पर नि‍र्भर है ।

वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपायों के द्वारा कृषि‍ उत्‍पादन और उत्‍पादकता में वृद्धि‍ हुई, जि‍सके फलस्‍वरूप एक बड़ी सीमा तक खाद्य सुरक्षा प्राप्‍त हुई । कृषि‍ में वृद्धि‍ ने अन्‍य क्षेत्रों में भी अधि‍कतम रूप से अनुकूल प्रभाव डाला जि‍सके फलस्‍वरूप सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍था में और अधि‍कांश जनसंख्‍या तक लाभ पहुँचे । वर्ष 2010 - 11 में 241.6 मि‍लि‍यन टन का एक रि‍कार्ड खाद्य उत्‍पादन हुआ, जि‍समें सर्वकालीन उच्‍चतर रूप में गेहूँ, मोटा अनाज और दालों का उत्‍पादन हुआ । कृषि‍ क्षेत्र भारत के जीडीपी का लगभग 22 प्रति‍शत प्रदान करता है ।

उद्योग

औद्योगि‍क क्षेत्र भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लि‍ए महत्‍वपूर्ण है जोकि‍ वि‍भि‍न्‍न सामाजि‍क, आर्थिक उद्देश्‍यों की पूर्ति के लि‍ए आवश्‍यक है जैसे कि‍ ऋण के बोझ को कम करना, वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश आवक (एफडीआई) का संवर्द्धन करना, आत्‍मनि‍र्भर वि‍तरण को बढ़ाना, वर्तमान आर्थिक परि‍दृय को वैवि‍ध्‍यपूर्ण और आधुनि‍क बनाना, क्षेत्रीय वि‍कास का संर्वद्धन, गरीबी उन्‍मूलन, लोगों के जीवन स्‍तर को उठाना आदि‍ हैं ।

स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात भारत सरकार देश में औद्योगि‍कीकरण के तीव्र संवर्द्धन की दृष्‍टि‍ से वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपाय करती रही है । इस दि‍शा में प्रमुख कदम के रूप में औद्योगि‍क नीति‍ संकल्‍प की उदघोषणा करना है जो 1948 में पारि‍त हुआ और उसके अनुसार 1956 और 1991 में पारि‍त हुआ । 1991 के आर्थिक सुधार आयात प्रति‍बंधों को हटाना, पहले सार्वजनि‍क क्षेत्रों के लि‍ए आरक्षि‍त, नि‍जी क्षेत्रों में भागेदारी, बाजार सुनि‍श्‍चि‍त मुद्रा वि‍नि‍मय दरों की उदारीकृत शर्तें ( एफडीआई की आवक / जावक हेतु आदि‍ के द्वारा महत्‍वपूर्ण नीति‍गत परि‍वर्तन लाए । इन कदमों ने भारतीय उद्योग को अत्‍यधि‍क अपेक्षि‍त तीव्रता प्रदान की ।

आज औद्योगि‍क क्षेत्र 1991-92 के 22.8 प्रति‍शत से बढ़कर कुल जीडीपी का 26 प्रति‍शत अंशदान करता है ।

सेवाऍं

आर्थिक उदारीकरण सेवा उद्योग की एक तीव्र बढ़ोतरी के रूप में उभरा है और भारत वर्तमान समय में कृषि‍ आधरि‍त अर्थव्‍यवस्‍था से ज्ञान आधारि‍त अर्थव्‍यवस्‍था के रूप में परि‍वर्तन को देख रहा है । आज सेवा क्षेत्र जीडीपी के लगभग 55 प्रति‍शत ( 1991-92 के 44 प्रति‍शत से बढ़कर ) का अंशदान करता है जो कुल रोजगार का लगभग एक ति‍हाई है और भारत के कुल नि‍र्यातों का एक ति‍हाई है

भारतीय आईटी / साफ्टेवयर क्षेत्र ने एक उल्‍लेखनीय वैश्‍वि‍क ब्रांड पहचान प्राप्‍त की है जि‍सके लि‍ए नि‍म्‍नतर लागत, कुशल, शि‍क्षि‍त और धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलनी वाली जनशक्‍ति‍ के एक बड़े पुल की उपलब्‍धता को श्रेय दि‍या जाना चाहि‍ए । अन्‍य संभावना वाली और वर्द्धित सेवाओं में व्‍यवसाय प्रोसि‍स आउटसोर्सिंग, पर्यटन, यात्रा और परि‍वहन, कई व्‍यावसायि‍क सेवाऍं, आधारभूत ढॉंचे से संबंधि‍त सेवाऍं और वि‍त्तीय सेवाऍं शामि‍ल हैं।

बाहय क्षेत्र

1991 से पहले भारत सरकार ने वि‍देश व्‍यापार और वि‍देशी नि‍वेशों पर प्रति‍बंधों के माध्‍यम से वैश्‍वि‍क प्रति‍योगि‍ता से अपने उद्योगों को संरक्षण देने की एक नीति‍ अपनाई थी ।

उदारीकरण के प्रारंभ होने से भारत का बाहय क्षेत्र नाटकीय रूप से परि‍वर्तित हो गया । वि‍देश व्‍यापार उदार और टैरि‍फ एतर बनाया गया । वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश सहि‍त वि‍देशी संस्‍थागत नि‍वेश कई क्षेत्रों में हाथों - हाथ लि‍ए जा रहे हैं एक व्यापार प्रणाली तैयार करें । वि‍त्‍तीय क्षेत्र जैसे बैंकिंग और बीमा का जोरदार उदय हो रहा है । रूपए मूल्‍य अन्‍य मुद्राओं के साथ-साथ जुड़कर बाजार की शक्‍ति‍यों से बड़े रूप में जुड़ रहे हैं ।

आज भारत में 20 बि‍लि‍यन अमरीकी डालर (2010 - 11) का वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश हो रहा है । देश की वि‍देशी मुद्रा आरक्षि‍त (फारेक्‍स) 28 अक्‍टूबर, 2011 को 320 बि‍लि‍यन अ.डालर है । ( 31.5.1991 के 1.2 बि‍लि‍यन अ.डालर की तुलना में )

भारत माल के सर्वोच्‍च 20 नि‍र्यातकों में से एक है और 2010 में सर्वोच्‍च 10 सेवा नि‍र्यातकों में से एक है ।

RAILWAY APPRENTICE VACANCY 2022 : वेस्ट सेंट्रल रेलवे में निकली 2521 पदों पर बम्पर एक व्यापार प्रणाली तैयार करें वैकेंसी, आज ही करें आवेदन

Railway Apprentice Vacancy 2022 : रेलवे भर्ती सेल RRC के द्वारा अपरेंटिस के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किया गया है, जिसके अनुसार इच्छुक उम्मीदवार 17.12.2022 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते है । इस नौकरी के संबंध में अन्य जानकारी जैसे वेतनमान, शैक्षणिक योग्‍यता, आयु सीमा, आवेदन प्रक्रिया, चयन प्रक्रिया की जानकारी आप नीचे पेज में प्राप्‍त कर सकते हैं।

आल इंडिया में जारी होने वाली सरकारी नौकरी देखे

Railway Apprentice Vacancy 2022 : Notification Details

Name of Posts –

  1. Jabalpur Division – 884 पद
  2. Bhopal Division – 614 पद
  3. Kota Division – 685 पद
  4. Kota Workshop Division – 160 पद
  5. CRWS BPL Division HQ/ – 158 पद
  6. Jabalpur Division – 20 पद

पदों की संख्या – 2521 पद

Application Fee Railway Apprentice 2022

इस नौकरी में आवेदन करने वाले GEN/OBC/EWS श्रेणी के आवेदकों से ₹100 आवेदन शुल्क लिया जाएगा, तथा ST/SC श्रेणियों के आवेदकों से किसी भी प्रकार का आवेदन शुल्क नहीं लिया जाएगा ।

Age Details Railway Apprentice Recruitment 2022

इस भर्ती में आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष होनी चाहिए तथा अधिकतम आयु सीमा 24 वर्ष तक होनी चाहिए, इस भर्ती में आरक्षित श्रेणी के आवेदकों को अधिकतम आयु सीमा में सरकारी नियमानुसार छूट भी दी जाएगी ।

Qualification Details Railway Apprentice Vacancy 2022

उम्मीदवार को मान्यता प्राप्त बोर्ड से न्यूनतम 50% अंकों के साथ 10 वीं कक्षा की परीक्षा या इसके समकक्ष (10 + 2 परीक्षा प्रणाली के तहत) उत्तीर्ण होना चाहिए और एनसीवीटी / एससीवीटी द्वारा जारी अधिसूचित व्यापार में राष्ट्रीय व्यापार प्रमाणपत्र भी होना चाहिए।

Note – 1. उम्मीदवारों को अधिसूचना जारी होने की तिथि पर पहले से ही निर्धारित योग्यता उत्तीर्ण होना चाहिए। योग्यता परीक्षा में उपस्थित होने वाले उम्मीदवार और जिन उम्मीदवारों की योग्यता परीक्षा का परिणाम प्रतीक्षित है, पात्र नहीं हैं।

2. इंजीनियरिंग स्नातक और डिप्लोमा धारक इस अधिसूचना के जवाब में शिक्षुता के लिए आवेदन करने के पात्र नहीं हैं क्योंकि वे शिक्षुता की अलग योजना द्वारा शासित हैं

Important Dates Railway Apprentice Recruitment 2022

  • आवेदन प्रारंभ : 18-11-2022
  • अंतिम तिथि : 17-12-2022

How to Apply Railway Apprentice Bharti 2022

इच्छुक उम्मीदवार ऑनलाइन ( On – Line ) आवेदन कर सकते हैं इसके लिए नीचे दिए गए आवेदन लिंक पर क्लिक करें ।

Selection Process Railway Apprentice Vacancy 2022

1.अधिसूचना के विरुद्ध आवेदन करने वाले सभी पात्र उम्मीदवारों के संबंध में तैयार मेरिट सूची के आधार पर चयन किया जाएगा। योग्यता सूची 10वीं कक्षा की परीक्षा या इसके समकक्ष (अंडर 10+2 परीक्षा प्रणाली) में प्राप्त औसत अंकों के साथ आईटीआई/ट्रेड अंकों के आधार पर तैयार की जाएगी। उम्मीदवार द्वारा चुने गए ट्रेड/डिवीजन/यूनिट के आधार पर

2. मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी यानी। व्यापार वार, मंडल / इकाई वार और समुदाय वार

3. उम्मीदवार द्वारा प्राप्त अंकों के प्रतिशत के अवरोही क्रम में स्लॉट की संख्या के बराबर एक अंतिम योग्यता सूची ट्रेड वार, डिवीजन / यूनिट वार और समुदाय के अनुसार तैयार की जाएगी।

Important Links

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Railway Apprentice Bharti 2022 से सम्बंधित अधिक जानकारियों के लिए आप पब्लिश्ड नोटिफिकेशन देख सकते है कृपया इस जानकारी को अपने दोस्तों को शेयर करें एवं उनकी हेल्प करें एवं अन्य सरकारी भर्तियों, मेरिट लिस्ट और जॉब अपडेट की जानकारी पाने के लिए हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करें ।

FAQs

Recruitment Notification release on 17th November 2022.

Candidates can apply Online for the Recruitment on iroams.com/RRCJabalpur/applicationAfterIndex

The last date to fill the Railway Apprentice Vacancy is 17th December 2022

ISRO को सरकार से मिली ये बड़ी छूट, संस्थान को होगा ये फायदा, बदल जाएगा ये नियम

ISRO news today: पहले, इसरो को उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) की एक शाखा पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) से लाइसेंस लेना पड़ता था.

ISRO news today: केंद्र सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो (ISRO) को बड़ी राहत दी है. सरकार ने अंतरिक्ष रॉकेट के लिए ठोस प्रणोदक (solid propellant) की मैनुफैक्चरिंग, भंडारण, इस्तेमाल और परिवहन के लिए मंजूरी लेने के नियम (ISRO rule change) से छूट दी है. भाषा की खबर के मुताबिक, ठोस प्रणोदक अंतरिक्ष रॉकेट में इस्तेमाल होने वाला मुख्य ईंधन है. सरकार ने कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के तहत यह फैसला किया.

ISRO को पहले लेना पड़ता था लाइसेंस

खबर के मुताबिक, इससे पहले, इसरो को उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) की एक शाखा पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) से लाइसेंस लेना पड़ता था. डीपीआईआईटी की एक नोटिफिकेशन के मुताबिक यह छूट कुछ शर्तों के तहत दी गई है. शर्तों के मुताबिक, इसरो (Indian Space Research Organization) को विस्फोटकों के निर्माण, भंडारण, परिवहन और उपयोग के लिए विस्फोटक भंडारण एवं परिवहन समिति (एसटीईसी) के गाइडलाइंस का पालन करना होगा.

प्राइवेट सेक्टर को दी मदद

इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने देश में बनी निजी प्रक्षेपण यान की मदद के लिए हाल ही में पहली बार रॉकेट सिस्टम की सप्लाई की है. चेन्नई स्थित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमस (Agnikul Cosmos) ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के सहयोग से अपनी पहली उड़ान टर्मिनेशन प्रणाली (एफटीएस) 7 नवंबर को इसरो से हासिल की.

अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता और तकनीकी क्षेत्र

अमेरिका और चीन के रिश्तों में नाटकीय बदलाव आया है। बाली में जी-20 देशों की शिखर बैठक में दोनों देशों के रिश्तों में गर्माहट देखने को मिली और दोनों ने ‘प्रतिस्पर्धा को जिम्मेदारी’ के साथ निभाने की प्रतिबद्धता जताई। परंतु आगे की राह अभी भी तमाम मोड़ों से गुजरनी बाकी है। इसके साथ ही दोनों देशों के रिश्ते इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि तकनीकी क्षेत्र में कौन लंबी छलांग लगाता है क्योंकि अगला बड़ा मोर्चा तो वही है।

टेक्नो-जियोपॉलिटिक्स, टेक्नो-नैशनलिज्म और टेक्नो-टेररिज्म आदि कुछ ऐसे शब्द हैं जिनका इस्तेमाल बढ़ रहा है। टेक्नो-जियोपॉलिटिक्स यानी तकनीक से जुड़ी भूराजनीति एक ऐसी तकनीकी प्रतिस्पर्धा है जिसमें भूराजनीति आबद्ध है। टेक्नो-नैशनलिज्म का अर्थ है ऐसा तकनीकी उन्नयन जो आर्थिक समृद्धि और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हो। वहीं टेक्नो-टेररिज्म में तकनीक का इस्तेमाल शासन कला के औजार के रूप में किया जा रहा है। लब्बोलुआब यह है कि जंग का नया मैदान तकनीक ही है।

तकनीक के माध्यम से ही सुपरकंप्यूटिंग की क्षमताओं का इस्तेमाल होता है, उन्नत चिप और सैन्य उपकरण उसी से चलते हैं। व्यापक जनसंहार के हथियार और निगरानी प्रणाली मसलन चेहरे की पहचान, बायोमे​ट्रिक डेटाबेस, सेफ सिटी परियोजनाएं और डेटा सेंटर आदि सब तकनीक से ही संचालित होते हैं। डिजिटल बुनियादी ढांचे में भूराजनीति भी एक घटक है क्योंकि चीन और अमेरिका क्रमश: एशिया और हिंद प्रशांत क्षेत्र की धुरी बनना चाहते हैं। 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था में जंग के दूसरे मैदानों की बात करें तो जैसा कि अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने कहा वे हैं साइबर दुनिया, व्यापार और अर्थव्यवस्था तथा निवेश।

आज तकनीक का युग है और इससे आंखें नहीं चुराई जा सकतीं। हालिया किताबों पर नजर डालें, मिसाल के तौर पर समाज विज्ञानी पाक नुंग वॉन्ग की टेक्नो-जियोपॉलिटिक्स: यूएस-चाइना टेक वार ऐंड प्रैक्टिस ऑफ डिजिटल स्टेटसक्राफ्ट (2022) और क्रिस मिलर की चिप वॉर: द फाइट फॉर द वर्ल्डस मोस्ट क्रिटिकल टेक्नॉलजी (2022) भी इस दिशा में हो रहे बदलावों की पुष्टि करती हैं। रणनीतिकार और नीति निर्माता आने वाले दशक को सर्वाधिक निर्णायक दशक मान रहे हैं उनका मानना है कि यही वह दशक है जब चीन के साथ प्रतिस्पर्धा की शर्तें तय होंगी।

लंबे समय तक अमेरिका चीन की समृद्धि के साथ समृद्ध होता रहा लेकिन अब फर्क आने लगा है। अमेरिका को एक शत्रु की आवश्यकता है या कहें उसे एक प्रतिद्वंद्वी की झलक मिल रही है, एक भूराजनीतिक चुनौती। एक व्यापार प्रणाली तैयार करें कुछ दशक पहले उसके सामने जापान था और अब चीन की बारी है। यह परिवर्तन भी चीन के कारण ही आया है। चीन ने हिमालय से लेकर दक्षिण चीन सागर के सेंकाकू/दियाओयू द्वीपों तक अपनी महत्त्वाकांक्षा दिखाकर अपने आगमन के सही समय से पहले ही अपने आगमन की घोषणा कर दी।

अमेरिका के रुख में आया परिवर्तन उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी आवश्यकताओं से जुड़ा हुआ है। सन 1980 के दशक के आखिर में अमेरिका नहीं बल्कि जापान चिप निर्माण में अव्वल था। परंतु 1990 के दशक में अमेरिका ने जापान को पछाड़ने में ताइवान और दक्षिण कोरिया की मदद की और दोनों देश चिप निर्माण के दिग्गज बनकर सामने आए।

ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग एक व्यापार प्रणाली तैयार करें कंपनी (टीएसएमसी) दुनिया के सर्वाधिक उन्नत सेमीकंडक्टर बनाती है। ताइवान की बात करें तो वह भी अमेरिका और चीन के रिश्तों में एक कांटा है। वह चीन की एकीकरण योजना और सबसे महत्त्वपूर्ण उन्नत चिप निर्यातक की भूमिका के बीच में उलझा हुआ है। नीदरलैंड की कंपनी एएसएमएल का लिथोग्रॉफी प्रणाली के बाजार पर दबदबा है और ताइवान टीएसएमसी इसी का इस्तेमाल करके उन्नत चिप बनाती है।

टीएसएमएस अमेरिका के एरिजोना में 12 अरब डॉलर की लागत से एक चिप संयंत्र की स्थापना कर रही है जो 2024 में उत्पादन आरंभ कर देगी। अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने अगस्त 2022 में जो ताइवान यात्रा की थी वह कोई संयोग नहीं था। पेलोसी ने टीएसएमसी के संस्थापक और चेयरमैन मॉरिस चांग और मार्क लिउ के साथ दोपहर के भोजन का आनंद लिया।

गत 7 अक्टूबर को अमेरिका ने तकनीकी निर्यात मसलन उन्नत चिप, सुपरकंप्यूटिंग क्षमताओं, चिप निर्माण उपकरणों आदि की बिक्री पर रोक लगा दी। उसने अमेरिकी नागरिकों और ग्रीन कार्ड धारकों को चीन के चिप निर्माताओं की मदद करने से भी रोक दिया। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इसे एक ऐसा रुख करार देते हैं जहां बुनियादी या अत्यधिक महत्त्वपूर्ण तकनीक एक खास दायरे के भीतर हों और उसकी बाड़ेबंदी काफी ऊंची हो।

यानी न तो अमेरिका और न ही उसके सहयोगी इस रणनीतिक समझौते तोड़ते हैं और चीन को अहम तकनीक हासिल करने से रोकते हैं। इसका असर न केवल कई अमेरिकी कंपनियों के निर्यात पर पड़ेगा बल्कि उन यूरोपीय कंपनियों पर भी असर होगा जो चीन को निर्यात करती हैं। चीन सैन्य-असैन्य मिश्रण का इस्तेमाल करता है जहां निजी क्षेत्र द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली तकनीक तक सेना की भी पहुंच होती है। चीन, अमेरिका के कदमों को तकनीकी आतंकवाद करार दे रहा है।

अमेरिका जहां 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था के नियमों को बदलना चाहता है तो वहीं प्रश्न यह भी है कि चीन की प्रतिक्रिया क्या है? चीन ने एकीकृत सर्किट इंडस्ट्री फंड की स्थापना की है ताकि सेमीकंडक्टर क्षेत्र में शोध एवं विकास किया जा सके। वहीं 2020 से 2035 के बीच की अवधि के लिए मध्यम और दीर्घावधि की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास योजना तैयार की गई। सवाल यह है कि आगे कौन है?

चीन सेमीकंडक्टर विनिर्माण को रियायत देने के लिए सरकारी पूंजी वेंचर मॉडल का इस्तेमाल कर रहा है जो वेंचर कैपिटल का अनुसरण करता है। परंतु अभी दिक्कतें बरकरार हैं। शोध एवं विकास में चीन का व्यय 2020 में जीडीपी के 2.5 फीसदी के बराबर था जो कि इजरायल के 5.44 फीसदी और दक्षिण कोरिया के 4.81 फीसदी से काफी कम है।

चीन को कुछ कामयाबी भी मिल रही है। उसके सेमीकंडक्टर मैनुफैक्चरिंग इंटरनैशनल कॉर्पोरेशन ने सात नैनोमीटर की चिप बनाकर एक कामयाबी हासिल की है। अब तक यह काबिलियत केवल सैमसंग, इंटेल और टीएसएमसी के पास थी। हालांकि ताइवान की टीएसएमसी का एरिजोना संयंत्र इससे भी उन्नत पांच एमएम की चिप बनाएगा। फिलहाल अमेरिका इस लड़ाई में काफी आगे है। तकनीक की इस दौड़ में वह बेहतर स्थिति में है और अपनी इस स्थिति को बरकरार रखने की कोशिश भी करेगा।

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