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मूविंग एवरेज का उपयोग क्यों करें?

मूविंग एवरेज का उपयोग क्यों करें?
4 ) 20 की लेवल ज्यादा सेलिंग की स्थिति को दर्शाती है।

बॅंक निफ़्टी रिलेटिव्ह व्होलॅटिलिटी इंडेक्स ( RVI) का उपयोग कैसे करें ? Example of Bank Nifty.

व्होलॅटिलिटी याने की अस्थिरता। इसे परिवर्तनशीलता भी कह सकतें है। तेज बढ़त और तेज गिरावट को नापने के उपयोग में RVI इंडिकेटर मददगार साबित होता है। इसके साथ बॅंक निफ़्टी ट्रेंड को समज़कर हम बैंक निफ़्टी ऑप्शन ट्रेडिंग अच्छी तरह से कर सकते हैं। तो आइए इसपर गौर करतें है।

यह "स्टॉक मार्केट टेक्निकल एनालिसिस" का इंडिकेटर है।

रिलेटिव्ह व्होलॅटिलिटी का मतलब कीमतों के उतार-चढ़ाव की तुलना।

रिलेटिव्ह व्होलॅटिलिटी इंडेक्स याने की बैंक निफ़्टी या किसी भी शेयर की कीमत, विशिष्ट समय में एव्हरेजली कितनी ऊपर आई है और एव्हरेजली कितनी नीचे गई है इसकी तुलना करने वाला इंडेक्स। ठीक है ?

रिलेटिव्ह व्होलॅटिलिटी कैसे निकलते है ?

इस इंडेक्स को बनाने के लिए शेयर के कीमतों में होने वाला एक्चुअल उतार चढ़ाव कंसीडर ना करके इसके स्टैंडर्ड डेविएशन का इस्तेमाल किया जाता है।

स्टैंडर्ड डेविएशन यह एक गणितीय अवधारणा है। इसके जरिए कई सारे महत्वपूर्ण इंडिकेटर का निर्माण हुआ है। इसमें शेयर के कीमतों के उतार-चढ़ाव का एवरेज लिया जाता है। इसके ऊपर और कैलक्युलेशन करके रिलेटिव व्होलॅटिलिटी इंडेक्स का निर्माण किया गया है।

यह इंडिकेटर चार्ट्स में अव्हेलेबल रहता है। इसे इन्व्हेस्टिंग इंडिया वेबसाइट में चार्ट पर सेट-अप इस तरह से किया जाता है।

1 ) बैंक निफ़्टी या शेयर के चार्ट के दाहिने कोने पर टेक्निकल चार्ट पर क्लिक करें।

2 ) इससे बैंक निफ़्टी या शेयर का स्ट्रीमिंग चार्ट आएगा।

3 ) चार्ट पर राइट क्लिक करके इन्सर्ट इंडिकेटर पर क्लिक करें।

रिलेटिव व्होलॅटिलिटी इंडेक्स का महत्व

हम बैंक निफ़्टी ऑप्शन्स या किसी और हाय व्होलॅटिलिटी शेयर में ट्रेड करते है। तब हमारे मन में हमेशा यह सवाल उठता है की इस व्होलॅटिलिटी को कैसे प्रेडिक्ट किया जाए ? यहीं पर रिलेटिव व्होलॅटिलिटी इंडेक्स उपयुक्त साबित होता है।

RVI इंडिकेटर से हम बॅंक निफ़्टी सपोर्ट, रेजिस्टेंस को बढ़िया तरीके से इम्प्लीमेंट कर सकतें हैं। 80 के ऊपर जाकर निचे आने लगता है। और इसके साथ शेयर का चार्ट भी निचे आता है। तब उस टॉप लेवल पर रेजिस्टेंस बनता है। और जब RVI इंडिकेटर 20 के निचे से ऊपर आने लगता है। और इसके साथ शेयर का चार्ट भी ऊपर की तरफ आता है। तब उस लो लेवल पर सपोर्ट बनता है।

इस इंडिकेटर को समज़ने में एक्सपर्ट होने के बाद हम चार्ट पर इसे देखते ही व्होलॅटिलिटी का जायजा ले सकतें है।

इन 20 स्टॉक्स में आ सकती है गिरावट, कहीं आपने भी तो नहीं लगाया इनमें पैसा?

  • Rahul Oberoi
  • Updated On - August 19, 2021 / 12:15 PM IST

इन 20 स्टॉक्स में आ सकती है गिरावट, कहीं आपने भी तो नहीं लगाया इनमें पैसा?

एक ओर जब बेंचमार्क इक्विटी इंडेक्स BSE सेंसेक्स और NSE निफ्टी ने बुधवार को अपने नए रिकॉर्ड हाई बनाए हैं, उसी समय मोमेंटम इंडिकेटर MACD (मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डाइवर्जेंस) NSE पर 20 स्टॉक्स में बिकवाली के संकेत दे रहा है. ऐसे में अगर इन 20 में से आपके पास भी कोई स्‍टॉक है तो आपको भी अलर्ट रहने की जरूरत है. अगर इन स्‍टॉक्‍स में गिरावट आती है तो निवेशकों को नुकसान हो सकता है.

यहां देखिए कौन से हैं वो स्‍टॉक्‍स

मोमेंटम इंडिकेटर के अनुसार वेदांता, इंडसइंड बैंक, रेडिको खेतान (Radico Khaitan Ltd.), सेंचुरी एक्स्ट्रुशन्स(Century Extrusions Ltd), केईआई इंडस्ट्रीज, भाग्यनगर प्रॉपर्टीज, जेएचएस स्वेन्दगार्ड, एचईजी, रोसारी बायोटेक, आरपीजी लाइफ साइंस सिनेलाइन इंडिया, कारबोरंडम, एनडीटीवी, Aphageo (India), सीमेक (Seamec), मनकसिया स्टील्स, कार्बोरंडम यूनिवर्सल, एसएमएस लाइफ साइंस, लक्ष्मी फाइनेंस और खंडवाला सिक्योरिटीज ऐसे स्टॉक्स हैं जिनमें गिरावट के संकेत मिल रहे हैं.

यह एक मोमेंटम ऑक्‍सीलेटर है. जिसे मोमेंटम को समझने के लिए गेराल्ड एपेल द्वारा बनाया गया था. MACD लेगिंग इंडिकेटर के रूप में काम करता है. और इसे दो एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज का उपयोग करके बनाया गया है. MACD लाइन इंडिकेटर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और डिफ़ॉल्ट रूप से यह 12 पीरियड ईएमए और 26 पीरियड ईएमए (एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज) के बीच का अंतर है. सिग्नल लाइन एमएसीडी लाइन का 9 पीरियड ईएमए होता है. जो ‘खरीद’ या ‘बिक्री’ के अवसरों को दर्शाने के लिए MACD के शीर्ष पर प्लॉट किया जाता है.

कैलकुलेशन

MACD लाइन = (12 Days EMA – 26 Days EMA)
सिग्नल लाइन = (एमएसीडी लाइन का 9 Days EMA)
सिग्नल लाइन क्रॉसओवर ‘खरीद’ या ‘बिक्री’ के अवसरों को दर्शाता है.

जब MACD सिग्नल लाइन को पार करता है. तो यह चार्ट पर एक तेजी का संकेत देता है. यह दर्शाता है कि स्टॉक की कीमत ऊपर की ओर बढ़ सकती है. दूसरी ओर, एक मंदी का क्रॉसओवर तब होता है. जब MACD सिग्नल लाइन के नीचे से गुजरता है. वर्तमान में, स्पाइसजेट, जुबिलेंट फूडवर्क्स, डाबर इंडिया, कंटेनर कॉर्पोरेशन, ग्रेविटा इंडिया, आरती इंडस्ट्रीज, एशियन पेंट्स, एम्फैसिस, एस्ट्रोन पेपर और सुवेन लाइफ साइंसेज ऐसे स्टॉक्स हैं. जो सिग्नल लाइन से ऊपर कारोबार कर रहे हैं.

टेक्निकल अनलिस्ट्स के मुताबिक MACD एक अनबॉण्डेड इंडिकेटर है यह ओवर बॉट और ओवरसोल्ड जोन का पता लगाने में इतना कारगर नहीं है. लेगिंग इंडिकेटर होने के कारण ये प्राइस मूवमेंट को फॉलो करता है.

Stochastic Indicator kya hai? jaane Stochastic Indicator kaha use hota hai

Stochastic Indicator एक बहुत ही उपयोगी इंडिकेटर है, यह यू कहे टेक्निकल एनालिसिस करने में Stochastic Indicator उपयोग बहुत ज्यादा किया जाता है। हम लोग आज इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे कि Stochastic Indicator का हम उपयोग कैसे कर सकते है तथा इसकी सहायता से हम अपनी ट्रेडिंग को कैसे बेहतर बना सकते है।

कैसे बनता है Stochastic Indicator :

Stochastic Indicator रिसेंट प्राइस की जानकारी तथा रिसेंट हाई,लो की जानकारी ले कर हमे किसी भी स्टॉक के momentum की जानकारी देता है। Stochastic Indicator हम ये नही पता लगा सकते की ये किस ओर मूव करे गा ये हमे momentum बताया है और ये ऊपर था नीचे किसी ओर हो सकता है।

Stochastic Indicator 2 लाइनों से बना होता है। लाइन 1 को %K लाइन कहा जाता है और दूसरी लाइन को %D लाइन कहा जाता है %k का 3 दिन का सिम्पल मूविंग एवरेज ही %D लाइन है।

Stochastic Indicator का उपयोग कर ट्रेडिंग को कैसे बेहतर बनाए :

अब सवाल यह उठता है कि हम अपनी ट्रेडिंग को बेहतर बनाने के लिए Stochastic आरएसआई का उपयोग कैसे कर सकते हैं। जैसा कि पहले बताया गया है, Stochastic Indicator का उपयोग करते टाइम ट्रेडर डी लाइन पर अधिक ध्यान देते हैं।

Stochastic indicator 0 से 100 के बीच में ही मूव करता है। 2 लाइनों में से %K लाइन %D लाइन से तेज है। जब डी लाइन्स ओवरबॉट जोन यानी 80 से मूविंग एवरेज का उपयोग क्यों करें? ऊपर पहुंच जाती हैं तो ट्रेडर बिक्री के मौके तलाशते हैं। इसी तरह, जब डी लाइन मूविंग एवरेज का उपयोग क्यों करें? 20 से नीचे चली जाती है तो उस ज़ोन को ओवरसोल्ड ज़ोन कहा जाता है, और वहाँ, ट्रेडर्स खरीदने के अवसरों की तलाश करते हैं।

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नोट : यह एक और ध्यान देने वाली बात है कि आप लोग केवल Stochastic indicator का उपयोग कर के किसी स्टॉक को खरीद या बेच नही सकते है एंट्री लेने के लिए आप Pivot Points Standard को देख सकते है या Fibonacci Retracement लेवल टेस्ट करे आदि, आप अपने हिसाब से देखे जो आप को अच्छा लगे।

Stochastic Indicator से लाभ:

टेक्निकल एनालिसिस करने में उपयोग होने वाले सभी इंडिकेटरो में सबसे आसान इंडिकेटर में से एक है , आम तौर पर, सभी indicator को सेटिंग संशोधन की थोड़ी आवश्यकता होती है लेकिन हम इसकी डिफ़ॉल्ट सेटिंग्स को बदले बिना स्टोचास्टिक इंडिकेटर का उपयोग कर सकते हैं।

Stochastic इंडिकेटर का एक और फायदा यह है कि इसके द्वारा उत्पन्न सिग्नल विश्वसनीय होते हैं और लाइव बाजारों में आसानी से देखे जा सकते हैं। जिसे हम अपनी ट्रेडिंग में लॉस को कम kar सकते है

जैसा कि प्रत्येक Indicator की कुछ सीमाएँ होती मूविंग एवरेज का उपयोग क्यों करें? हैं, यहाँ Stochastic Indicator की कुछ सीमाएँ हैं –

जैसा कि मैंने पहले बताया है केवल Stochastic Indicator का उपयोग स्टॉक को खरीदने और बेचने के लिए नहीं किया जा सकता है। इसके लिए आप को कई सारी और जानकारी की आवश्कता होती है आप लोग केवल Stochastic Indicator का उपयोग कर के कोई पोजिशन न बनाए Pivot Points Standard, आदि देखे।

मूविंग एवरेज का उपयोग क्यों करें?

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कोरोना ने किया बेदम, कैसे वायरस से लड़ रहे देश के 5 सबसे प्रभावित राज्य

कोरोना का कैसे कर रहे हैं मुकाबला?

  • नई दिल्ली,
  • 28 अप्रैल 2020,
  • (अपडेटेड 28 अप्रैल 2020, 11:44 PM IST)

कोरोना वायरस सभी देशों में या एक देश के भीतर के राज्यों में समान रूप से नहीं फैल रहा है. इसके प्रसार की तीव्रता इस बात पर निर्भर है कि पहला मामला सामने आने के बाद देशों या राज्यों ने इसे कैसे संभाला है. भारत में शुरुआती संकेत दिख रहे हैं कि नये मामले सामने आने के पांच दिवसीय औसत में गिरावट आ रही है.

भारत के पांच सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में पांच-दिवसीय मूविंग एवरेज के आधार पर हम यहां बता रहे हैं कि देश में मार्च के मध्य में 100 मामले सामने आने के बाद कोरोना वायरस की संक्रमण की गति कैसी है.

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