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स्थिर मुद्रा क्या है?

स्थिर मुद्रा क्या है?
निष्कर्ष: उपरोक्त विवेचन से यह निष्कर्ष निकलता है कि भारत के पास अब तक का सर्वाधिक 360 बिलियन का मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार स्थिर मुद्रा क्या है? है। जो कि एक आरामदायक स्तिथि है परन्तु इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि अभी भी भारत की अर्थव्यस्था दुनिया की अन्य बड़ी और मजबूत अर्थव्यस्थाओं के मुकाबले काफी कमजोर है इसलिए इसे पूंजी खाते में पूर्ण परिवर्तनीयता की अनुमति नहीं दी चाहिए ।

भारत में जलियांवाला बाग जैसी जघन्य घटना से हर कोई परिचित है

फिएट मनी: यह क्या है?

फिएट मनी सरकार द्वारा जारी एक मुद्रा है जो सोने जैसी वस्तु द्वारा समर्थित नहीं है। केंद्रीय बैंक फिएट मुद्रा से मुद्रित धन की स्थिर मुद्रा क्या है? मात्रा को नियंत्रित कर सकते हैं, जिससे उन्हें अर्थव्यवस्था पर अधिक नियंत्रण प्राप्त होता है। फिएट मुद्राएं, जैसे अमेरिकी डॉलर, सबसे आम कागजी मुद्राएं हैं।

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भारत में मुद्रा की परिवर्तनीयता

प्रथम विश्व युद्ध से पहले पूरी दुनिया में स्वर्णमान (गोल्ड स्टैण्डर्ड) के मानक होते थे, जिसके तहत मुद्राओं का मूल्य सोने के रूप में एक स्थिर दर पर निश्चित किया जाता था । लेकिन 1971 में ब्रेटन वुड्स प्रणाली की विफलता के बाद इस प्रणाली को बदल दिया गया। मुद्रा की परिवर्तनीयता से तात्पर्य एक ऐसी प्रणाली से है जिसके अंतर्गत एक देश की मुद्रा विदेशी मुद्रा में परिवर्तित हो जाती है और विलोमशः भी। 1994 के बाद से भारतीय रुपया चालू खाते के लेन-देन में पूरी तरह से परिवर्तनीय बना दिया गया।

प्रथम विश्व युद्ध से पहले पूरी दुनिया में स्वर्णमान (गोल्ड स्टैण्डर्ड) के मानक होते थे, जिसके तहत मुद्राओं का मूल्य सोने के रूप में एक स्थिर दर पर निश्चित किया जाता था । लेकिन 1971 में ब्रेटन वुड्स प्रणाली की विफलता के बाद इस प्रणाली को बदल दिया गया। मुद्रा की परिवर्तनीयता से तात्पर्य एक ऐसी प्रणाली से है जिसके अंतर्गत एक देश की मुद्रा विदेशी मुद्रा में परिवर्तित हो जाती है और विलोमशः भी। 1994 के बाद से भारतीय रुपया चालू खाते के लेन-देन में पूरी स्थिर मुद्रा क्या है? तरह से परिवर्तनीय बना दिया गया।

वक्त की जरूरत है रुपये में व्यापार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में अन्य के मुकाबले मजबूत और स्थिर होगी भारतीय मुद्रा

रुपये को वैश्विक मान्यता दिलाने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार में वृद्धि करनी होगी जिसके लिए भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाना होगा। रुपये में निवेश एवं व्यापार को बढ़ाने से रुपये के मूल्य में भी वृद्धि होगी जो वैश्विक व्यापार में भारत की भागीदारी के नए आयाम स्थापित करेगी।

[डा. सुरजीत सिंह]। हाल में जारी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विश्व की अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है। डालर के निरंतर मजबूत होने से महत्वपूर्ण मुद्राएं कमजोर पड़ने लगी हैं। विभिन्न देशों के विदेशी मुद्रा भंडार घटने लगे हैं, जिसके चलते वैश्विक वृद्धि दर घट रही है। आर्थिक परिदृश्य बदलने से वैश्विक भू-राजनीति भी बदल रही है। भारत सरकार ने इस पर गंभीरता से विचार करना प्रारंभ किया है कि इन बदलते वैश्विक हालात के लिए जिम्मेदार अमेरिकी डालर पर निर्भरता को कैसे कम किया जाए?

घरेलू मुद्रा स्थिर हो जाएगी: चिदंबरम

घरेलू मुद्रा स्थिर हो जाएगी: चिदंबरम

डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर दो महीने के न्यूनतम स्तर 63 पर आ जाने के मद्देनजर वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज आश्वस्त किया कि घरेलू मुद्रा स्थिर हो जाएगी। उन्होंने स्थिर मुद्रा क्या है? यहां संवाददाताओं से कहा कि रुपये की घटबढ़ शांत हो जायेगी।

शुरुआती कारोबार में आज डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 63.33 पर पहुंच गया, जो 18 सितंबर से अब तक का न्यूनतम स्तर है। घरेलू मुद्रा में पिछले सप्ताह से गिरावट आने लगी है। तेल कंपनियों को उनकी डॉलर जरूरत का कुछ हिस्सा बाजार से खरीदने की अनुमति दिये जाने के बाद से रुपया अस्थिर हुआ है।

आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने पिछले सप्ताह कहा था कि रुपए में कमजोरी तेल विपणन कंपनियों की बाजार से विदेशी मुद्रा खरीदने के कारण आई। तेल विपणन कंपनियां अपनी 30-40 प्रतिशत मांग बाजार से पूरी कर रही हैं।

घरेलू मुद्रा स्थिर हो जाएगी: चिदंबरम

घरेलू मुद्रा स्थिर हो जाएगी: चिदंबरम

डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर दो महीने के न्यूनतम स्तर 63 पर आ जाने के मद्देनजर स्थिर मुद्रा क्या है? वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज आश्वस्त किया कि घरेलू मुद्रा स्थिर हो जाएगी। उन्होंने यहां संवाददाताओं स्थिर मुद्रा क्या है? से कहा कि रुपये की घटबढ़ शांत हो जायेगी।

शुरुआती कारोबार में आज डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 63.33 पर पहुंच गया, जो 18 सितंबर से अब तक का न्यूनतम स्तर है। घरेलू मुद्रा में पिछले सप्ताह से गिरावट आने लगी है। तेल स्थिर मुद्रा क्या है? कंपनियों को उनकी डॉलर जरूरत का कुछ हिस्सा बाजार से खरीदने की अनुमति दिये जाने के बाद से रुपया अस्थिर हुआ है।

आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने पिछले सप्ताह कहा था कि रुपए में कमजोरी तेल विपणन कंपनियों की बाजार से विदेशी मुद्रा खरीदने के कारण आई। तेल विपणन कंपनियां अपनी 30-40 प्रतिशत मांग बाजार से पूरी कर रही हैं।

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