फॉरेक्स टाइम

Forex Trading Strategies in Hindi: फॉरेक्स ट्रेडिंग में मुनाफा कमाने के लिए इस तरह बनाएं स्ट्रेटेजी
Forex Trading Tips in Hindi: How To Invest in Foreign Stock: अगर आप भी फॉरेन स्टॉक में निवेश करना चाहते है लेकिन नहीं मालूम कि फॉरेक्स ट्रेडिंग से मुनाफा कमाने के लिए स्ट्रेटेजी कैसे बनाएं? तो ऐसे में यह लेख आपके लिए इस समस्या का समाधान करेगा। यहां हम Forex Trading Strategies in Hindi पर चर्चा करेंगे।
Best Forex Trading Strategy in Hindi: फॉरेक्स एक्सचेंज, ट्रेडिंग या टूरिज्म जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए एक करेंसी को दूसरी मुद्रा फॉरेक्स टाइम में बदलने की प्रक्रिया है। एक FX या फॉरेन एक्सचेंज ट्रेडिंग ग्लोबल मार्केट स्पेस है जहां मुद्राओं (Currencies) का आदान-प्रदान एक सहमत मूल्य पर किया जाता है। Forex Trading में कई रणनीतियां (Strategy)हैं, लेकिन सवाल यह है कि सबसे अच्छी फॉरेक्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Best Forex Trading Strategies) कौन सी हैं जिनका पालन करने की आवश्यकता है? तो आइए इस लेख में समाझते है कि फॉरेक्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी क्या है? और अपने लिए सबसे बढ़िया फॉरेक्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी कैसे बनाएं? (How to Create a Forex Trading Strategy?)
फॉरेक्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी क्या है? | What is Forex Trading Strategy in Hindi
एक विदेशी Forex Trading Strategy एक ऐसा सिस्टम है जिसका उपयोग ट्रेडर यह निर्धारित करने के लिए करता है कि करेंसी का व्यापार कब करना है? लेकिन यह इतना मायने क्यों रखता है? फॉरेन करेंसी की वैल्यू हर दिन बदलती है, और सबसे अच्छी स्ट्रेटेजी व्यापारी को अधिकतम लाभ कमाने की अनुमति देती है।
यह निर्धारित करने के लिए कि फॉरेन करेंसी के लिए कौन सी स्ट्रेटेजी सबसे अच्छी है, व्यापारी कई मानदंडों का उपयोग करके उनकी तुलना करते हैं -
टाइम रिसोर्स की आवश्यकता
व्यापार के अवसरों की फ्रीक्वेंसी
लक्ष्य के लिए विशिष्ट दूरी
फॉरेक्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी कैसे बनाएं? | Forex Trading Strategies in Hindi
1) प्राइस एक्शन ट्रेडिंग (Price Action Trading)
प्राइस एक्शन ट्रेडिंग फॉरेक्स ट्रेडिंग और अन्य ट्रेडिंग द्वारा उपयोग किए जाने वाले मूल्य भविष्यवाणियों और अटकलों के लिए एक दृष्टिकोण है। इस दृष्टिकोण में ऐतिहासिक डेटा और पिछले प्राइस मूवमेंट में सभी टेक्निकल एनालिसिस टूल शामिल फॉरेक्स टाइम हैं जैसे चार्ट, बार, ट्रेंड लाइन, प्राइस बैंड, हाई और लौ स्विंग, टेक्निकल लेवल शामिल है।
प्राइस एक्शन ट्रेडिंग में रुझान विभिन्न समय-सीमाओं जैसे कि शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म पर निर्धारित किया जा सकता है। यह व्यापारी को कई समय-सीमाओं का उपयोग करके एनालिसिस करने और बेचने या खरीदने के लिए निष्कर्ष निकालने की सुविधा देता है। प्राइस एक्शन ट्रेडिंग फॉरेक्स टाइम में कई support/resistance लेवेक FX ट्रेडर को आगे बढ़ने में मदद करते हैं। उनमें से कुछ फाइबोनैचि रिट्रेसमेंट, कैंडल विक्स, ट्रेंड आइडेंटिफिकेशन, इंडिकेटर, ऑसिलेटर्स और अन्य प्रतीकात्मक पहचानकर्ता हैं।
2) रेंज ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Range Trading Strategy)
रेंज ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी सभी व्यापारिक बाजारों में लोकप्रिय ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी में से एक है, और FX ट्रेडर अक्सर इसका इस्तेमाल करते हैं। फॉरेक्स ट्रेडर रेंज ट्रेडिंग फॉरेक्स टाइम स्ट्रेटेजी में सपोर्ट और रेसिस्टेंस पॉइंट की पहचान करते हैं और उसी के अनुसार ट्रेड करते हैं।
टेक्निकल एनालिसिस जैसे कि ऑसिलेटर्स का उपयोग रेंज ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी की कुंजी है, और यह स्ट्रेटेजी बिना किसी अस्थिरता या समझ के पूरी तरह से काम करती है, जो इसे बेस्ट फॉरेक्स ट्रेडिंग प्रैक्टिस में से एक बनाती है। इसका उपयोग प्राइस एक्शन ट्रेडिंग के संयोजन में किया जा सकता है और यह पर्याप्त संख्या में व्यापारिक अवसर प्रदान करता है।
3) ट्रेंड ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Trend Trading Strategy)
यह सभी अनुभवी फॉरेक्स ट्रेडर द्वारा उपयोग किया जाता है, ट्रेंड ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी गति (Momentum) के सिद्धांत पर काम करती है। फॉरेक्स ट्रेडर्स का मानना है कि सुरक्षा उसी दिशा में गति बनाए रखेगी क्योंकि यह वर्तमान में इस रणनीति में चलन में है। दूसरे शब्दों में यह स्ट्रेटेजी मार्केट डायरेक्शन मोमेंटम का उपयोग करके प्रॉफिट जनरेट करने का प्रयास करती है।
फॉरेक्स ट्रेडर्स को पता है कि इस तरह की स्ट्रेटेजी थोड़े समय के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि प्रवृत्ति में उतार-चढ़ाव होता रहता है। यह एक मध्यम या लंबी समय सीमा के लिए एक अच्छा विकल्प है जहां ज़ूम-आउट फ्रेम में प्रवृत्ति का विश्लेषण किया जा सकता है। इसमें बाहर निकलने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो शामिल है, जबकि टेक्निकल एनालिसिस के लिए, RSI और CCI जैसे ऑसिलेटर्स का उपयोग किया जाता है।
4) पोजीशन ट्रेडिंग (Position Trading)
एक लंबी अवधि की स्ट्रेटेजी जो हाई रिटर्न और पॉजिटिव रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो में से एक साबित हुई है, फोरेक्स की सबसे उम्दा ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी में से एक है। इसके कांसेप्ट में इलियट वेव थ्योरी का उपयोग शामिल है, और चूंकि यह एक लॉन्ग टर्म स्ट्रेटेजी है, इसलिए छोटे बाजार में उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
पोजीशन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के लिए लंबी अवधि और व्यापक चार्ट पर तकनीकी और मौलिक विश्लेषण की उच्च समझ की आवश्यकता होती है।
यह समझना भी जरूरी है कि आर्थिक या सामाजिक आर्थिक कारक किसी विशेष देश के वातावरण में रुझानों या परिवर्तनों पर निरंतर नजर के माध्यम से व्यापारिक संख्याओं को कैसे प्रभावित करते हैं, व्यापारी लघु, मध्यम और लंबी अवधि में व्यापार कर रहा है।
5) डे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Day Trading Strategy)
यह न केवल फॉरेक्स ट्रेडिंग बल्कि अन्य बाजारों जैसे स्टॉक में एक सामान्य स्ट्रेटेजी है। इस स्ट्रेटेजी में दिन के अंत तक निर्णय लिया जाता है, और ट्रेडर बाजार बंद होने से पहले सभी वस्तुओं को बेच देता है। दिन के अंत में दिन का व्यापार एक व्यापार तक सीमित नहीं है, और पूरे दिन के लिए इस रणनीति में कई व्यापार आम हैं। इसके अलावा, कोई यह समझ सकता है कि यह एक शॉर्ट टर्म स्ट्रेटेजी है और आमतौर पर 1:1 रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो के साथ समाप्त होती है।
टेक्निकल एनालिसिस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसके बिना यह एक अंधा व्यापार होगा और इसमें नुकसान हो सकता है।
Conclusion -
ये सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली और अच्छी Forex Trading Strategies in Hindi हैं जिनका उपयोग एक ट्रेडर टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस के साथ कर सकता है। उपरोक्त बताएं गए स्टेप द्वारा आप भी फॉरेक्स ट्रेडिंग के लिए रणनीति बनाकर मुनाफा कमा सकते है।
क्या फॉरेक्स मार्केट का मतलब जानते हैं आप?
इंटरनेट के जरिये आप घर बैठे फॉरेक्स ट्रेडिंग कर फॉरेक्स टाइम सकते हैं. इसे एफएक्स (FX) मार्केट भी कहते हैं
आप भी कर सकते हैं फॉरेक्स ट्रेडिंग
इंटरनेट के जरिये आप घर बैठे फॉरेक्स ट्रेडिंग कर सकते हैं. लेकिन सबसे पहले आपको किसी फॉरेक्स ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा. फॉरेक्स मार्केट में एक करेंसी को दूसरी करेंसी से बदला (एक्सचेंज) जाता है. ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा जरूरी बात है एक्सचेंज रेट. इसका फॉरेक्स टाइम मतलब है कि एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा से एक्सचेंज करने की दर क्या होगी.
आपने आमतौर पर देखा होगा कि रुपये की कीमत डॉलर की अपेक्षा इतनी है या डॉलर की कीमत यूरो की तुलनी में कितनी है. उदाहरण के तौर पर अगर एक डॉलर की कीमत 70 रुपये है तो एक डॉलर के लिए आपको 70 रुपये चुकाने होंगे.
मान लीजिये डॉलर के बदले आप 1,000 यूरो लेने का मन बनाते हैं. जिस वक्त आपने यूरो खरीता उस वक्त डॉलर/यूरो का एक्सचेंज रेट 1.5 था यानी आपको 1,000 यूरो खरीदने के लिए 1,500 डॉलर देने पड़े. कुछ समय बाद एक्सचेंज रेट में थोड़ा बदलाव हुआ और यह बढ़कर 1.55 हो गया. अब जब आप 1,000 यूरो बेचेंगे तो आपको 1,550 डॉलर मिलेंगे. इस तरह आपको कुल 50 डॉलर का फायदा हुआ.
इसी तरह अगर यूरो बेचने के वक्त एक्सचेंज रेट 1.35 रहा, तो आपको उन्हीं 1000 यूरो के बदले 1,350 डॉलर मिलेंगे यानी आपको 100 डॉलर का नुकसान हुआ. इसी तरह से दूसरी करेंसी की भी खरोद-फरोख्त कर सकते हैं.
Rupee vs Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपया ऑल टाइम लो पर, जानिए भारतीय करेंसी में क्यों आई गिरावट?
Rupees All Time Low: कारोबार के अंत में रुपया 81.94 रुपये प्रति डॉलर के ऑल टाइम लो पर बंद हुआ. इस तरह रुपये में पिछले कारोबारी दिन के मुकाबले 32 पैसे की भारी गिरावट दर्ज की गई. मंगलवार को रुपया 81.62 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था.
- भाषा
- Last Updated : October 06, 2022, 17:54 IST
हाइलाइट्स
रुपया 32 पैसे गिरकर 81.94 प्रति डॉलर के ऑल टाइम लो पर
मंगलवार को रुपया 81.62 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था
डॉलर सूचकांक 0.06 फीसदी बढ़कर 111.27 पर पहुंचा
मुंबई. कच्चे तेल की कीमतों में मजबूती से पैदा हुए भारी उतार-चढ़ाव के बीच गुरुवार को रुपया (Rupee) अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के मुकाबले 32 पैसे गिरकर 81.94 (प्रोविजनल) के ऑल टाइम लो पर आ गया. इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में रुपये ने 81.52 के स्तर पर खुलने के साथ सकारात्मक शुरुआत की थी लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव होने से रुपये पर दबाव देखा गया. कारोबार के दौरान रुपये ने 81.51 का उच्चस्तर और 81.94 का निचला स्तर भी देखा.
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक के ऑल टाइम लो लेवल पर
कारोबार के अंत में रुपया 81.94 रुपये प्रति डॉलर के ऑल टाइम लो पर बंद हुआ. इस तरह रुपये में पिछले कारोबारी दिन के मुकाबले 32 पैसे की भारी गिरावट दर्ज की गई. मंगलवार को रुपया 81.62 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था. बुधवार को दशहरा के अवसर पर बाजार बंद रहा था.
अमेरिका में सर्विसेज पीएमआई और प्राइवेट नौकरियों के आंकड़े उम्मीद से बेहतर
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के फॉरेक्स और बुलियन एनालिस्ट गौरांग सोमैया ने कहा, ‘‘मंगलवार को रुपये में थोड़ी मजबूती देखी गई थी लेकिन आज यह फिर से दबाव में आ गया. अमेरिकी डॉलर में मजबूती आने से रुपये में गिरावट देखी गई, दरअसल, अमेरिका में सर्विसेज पीएमआई और प्राइवेट नौकरियों के आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहने से डॉलर को मजबूती मिली.’’
यूरोपियन सेंट्रल बैंक की बैठक के ब्योरे पर नजरें
सोमैया ने कहा कि डॉलर के मुकाबले यूरो और पाउंड में भी ऊपरी स्तरों पर बिकवाली का दबाव देखा गया. उन्होंने कहा कि अब यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ECB) की फॉरेक्स टाइम बैठक के ब्योरे पर नजरें टिकी रहेंगी. सोमैया ने कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये का हाजिर भाव 81.20 से लेकर 82.05 के दायरे में रहने की उम्मीद है.
इस बीच, दुनिया की प्रमुख 6 करेंसी के मुकाबले डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.06 फीसदी बढ़कर 111.27 पर पहुंच गया. अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.08 फीसदी गिरकर 93.30 डॉलर प्रति बैरल रह गया.
घरेलू स्तर पर शेयर बाजारों में बढ़त का रुख
घरेलू स्तर पर शेयर बाजारों में बढ़त का रुख बना रहा. सेंसेक्स 156.63 अंक चढ़कर 58,222.10 अंक पर पहुंच गया जबकि निफ्टी 57.50 अंक की बढ़त के साथ 17,331.80 अंक हो गया. विदेशी संस्थागत निवेशकों ने पूंजी बाजार में शुद्ध खरीदारी की. उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार को विदेशी निवेशकों ने 1,334.63 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की लिवाली की.
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Fixed Time Trade, Forex में ट्रेड करने के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा है?
Olymp Trade, IQ Option, Binomo जैसे किसी भी ब्रोकर पर FTT, FOREX ट्रेडिंग के लिए ट्रेड करने का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है| इंडिकेटर, रणनीतियों और कैंडलस्टिक के बारे में जान लेना ही पर्याप्त नहीं है, आप जो समय चुनते हैं वह भी आपकी ट्रेड पर बहुत प्रभाव डालता है| यह लेख उन कारणों का विश्लेषण करेगा कि आपको पैसे कमाने के लिए ट्रेडिंग का सही समय क्यों चुनना होगा| ट्रेडरों के ट्रेड का यह नया बहुत बढ़िया तरीका है|
सही ट्रेडिंग समय चुनने की रणनीति
टाइम फ्रेम यानि समय चुनना अत्यंत महत्वपूर्ण है और Olymp Trade, IQ Option, Binomo जैसे एक्सचेंजों पर ट्रेडिंग करने के लिए इसे एक कला माना जाता है|
ऐसा क्यूँ है?
क्योंकि हर टाइम फ्रेम के लिए अपने लाभ और हर एसेट के लिए एक अलग ट्रेडिंग स्टाइल होगी| मान लेते हैं कि आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिसे 1 मिनट या 5 मिनट की छोटी अवधि के साथ FTT में ट्रेड करना पसंद है, तो आपको ऐसी मुद्रा जोड़ी चुननी होगी जिस पर ख़बरों का कम असर होता हो और जो कम परिवर्तनशील हो| अगर आप हमेशा ख़बरों पर नज़र रखते हों और लंबी अवधि की ट्रेड लगाने की आदत हो, तो आप ऐसी मुद्रा जोड़ी का चुनाव करेंगे जिस पर ख़बरों का प्रभाव होता हो और जो बहुत अधिक परिवर्तनशील हो|
ट्रेडिंग टाइम फॉरेक्स टाइम फ्रेम का चुनाव
Forex में ट्रेड करते समय, आप 24 घंटे और सप्ताह में 5 दिन ट्रेड कर सकते हैं| अगर आप नए हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि forex का सिर्फ एक बाज़ार नहीं होता|
और इस कारण, अलग-अलग देशों का अलग-अलग समय होता है, जो मुद्रा जोड़ी की कीमत पर प्रभाव डालेगा|
लेकिन वे सभी एक ही नियम का पालन करते हैं, वह यह कि, देश अपनी खबरे सुबह 7 से शाम 5 बजे के बीच पोस्ट करते हैं| और दिन के इन घंटों के दौरान फॉरेन करेंसी में लेनदेन बढ़ जाते हैं|
यहाँ महत्वपूर्ण टाइम ज़ोन दिए गए हैं जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए:
- एशियाई: GMT +9 (टोक्यो), GMT +10 (सिडनी)
- यूरोपीय: GMT +0 (लन्दन), GMT +1 (लन्दन – Daylight Saving Time )
- अमेरिकी: GMT -5 (न्यू यॉर्क)
बाज़ार खुलने और बंद होने का समय न चुनें
अगर आप इंडिकेटर के आधार पर ट्रेडिंग नहीं करते हैं तो आपको निम्नलिखित टाइम फ्रेम फॉरेक्स टाइम नहीं चुनने चाहिए:
- किस सत्र की समयावधि के प्रारम्भ और अंत का समय
- सप्ताह की शुरुआत या सप्ताहांत का समय
अगर आप इस समय ट्रेड करना चाहते हैं, तो आपको समाचार विशेषज्ञ होना चाहिए, एक ऐसा व्यक्ति जो खरीद/ बिक्री के लिए समाचार के अनुसार अनुमान लगा सके| या फिर आपके पास कोई तेज और सटीक स्रोत उपलब्ध हो|
सार्वजनिक अवकाश का दिन न चुनें
आपको अमेरिका और यूके में बैंक के सार्वजनिक अवकाश के दिनों पर ध्यान देना होगा| इन देशों में लेनदेन न होने पर, लेनदेन की संख्या सामान्य से कम होगी|
हर टाइम फ्रेम की विशेषताएं
जैसे ही सत्र सक्रिय होता है करेंसी में गतिविधियाँ और उनकी संख्या उस समय के अनुसार प्रभावित होती हैं| उदाहरण के लिए, अमेरिकी सत्र में, डॉलर के लेनदेनों की संख्या में सबसे ज्यादा उतार चढ़ाव आता है क्योंकि यूएस फॉरेन ट्रेड एक्सचेंज की कम्पनियाँ अन्य देशों की कंपनियों के साथ ट्रेड करती हैं|
और हर टाइम फ्रेम की अलग रणनीति और ट्रेड का अलग तरीका होता है| सबसे अच्छा टाइम फ्रेम चुनना आपकी वरीयताओं पर निर्भर करता है| आप विश्लेषण के आधार पर सुरक्षित ट्रेड लगाना चाहते हैं, ख़बरों पर ट्रेड करना चाहते हैं या आप छोटी अवधि की ट्रेड लगाना चाहते हैं?
Asian Trading Hours – एशियाई सत्र
एशियाई सत्र तब शुरू होता है जब सिडनी के बाज़ार 21:00 GMT +0 पर खुलते हैं, चूंकि इस समय केवल सिडनी का बाज़ार ही खुलता है इसलिए अन्य टाइम फ्रेम की तुलना में मूल्य में उतार-चढ़ाव कम होते हैं|
अगला बाज़ार टोक्यों का बाज़ार है जो 22:00 GMT +0 पर खुलता है, JPY की संख्या और लेनदेनों में उतार-चढ़ाव में तेजी से वृद्धि होती है| लेकिन इस बाज़ार का वास्तविक वॉल्यूम बहुत ज्यादा नहीं है, बस औसत स्तर पर है, लिक्विडिटी भी कम है| इसलिए यह अमेरिका और यूरोप के करेंसी पर प्रभाव नहीं डालेगा| इस दौरान सबसे ज्यादा ट्रेड होने वाली मुद्रा जोड़ी AUD / JPY और USD / JPY हैं|
European Trading Time – यूरोपीय सत्र
07:00 GMT +0 वह समय है जब लन्दन का बाज़ार खुलता है और यह वह समय भी है जब टोक्यो अपनी आखिरी ट्रेड के ट्रांजैक्शन करता है| इसलिए इस समय के दौरान सबसे ज्यादा ट्रेडर ट्रेड करते हैं| इससे बाज़ार के वॉल्यूम में बड़ा बदलाव आता है क्योंकि टोक्यो के डेटाइम ट्रेडर एग्जिट कर चुके होते हैं और उसी समय यूरोपीय ट्रेडर प्रवेश करते हैं| यूरोपीय सत्र के दौरान सभी मुद्रा जोड़ियों में ट्रेड होता है, इसलिए बड़ी मुद्रा जोड़ियों का वॉल्यूम बहुत अधिक रहता है|
यह समय ट्रेडिंग के लिए बहुत उपयुक्त रहता है, क्योंकि इससे बाज़ार में लिक्विडिटी सुनिश्चित होती है| जापानी बाजारों में ट्रेडिंग वॉल्यूम 6%, अमेरिकी बाजारों में 17% होता है, यह दोनों को जोड़कर भी यूरोपीय ट्रेडिंग वॉल्यूम 38% के बराबर नहीं होता|
Americas Trading Time – अमेरिकी सत्र
यूएस यानि न्यू यॉर्क का सत्र 12:00 GMT +0 पर शुरू होता है| इस समय, लन्दन बाज़ार अभी भी खुला होता है और टोक्यो बाज़ार बंद हो गया होता है| ऑनलाइन यूएस और यूरोपीय बाज़ारों में अन्य सत्रों के मुकाबले वॉल्यूम और लिक्विडिटी अधिक होते हैं|
17:00 GMT +0 पर, लन्दन का बाज़ार बंद हो जाता है| अमेरिकी सत्र एशियाई बाजारों के खुलने तक खुला रहता है| हालाँकि इस समय न्यू यॉर्क का बाज़ार सक्रिय रहता है, वॉल्यूम फिर भी एशियाई सत्र से अधिक ही रहता है| यूरोपीय ट्रेडर इस समय ट्रेड छोड़ देते हैं|
इस सत्र के दौरान, सभी मुद्रा जोड़ियां सक्रिय होती हैं|
निष्कर्ष
अब आप पहले से ही उन सत्रों के फायदे और नुकसान को जानते हैं। आपको अपनी आदत, अपनी शैली, अपनी मुद्रा जोड़ी के साथ संबंधित समय का विश्लेषण करना चाहिए।
रेगुलेटरी सैंडबॉक्स प्रोग्राम: फॉरेन रेमिटेंस के लिए रियल टाइम एक्सपेरिमेंटल पायलट वाला इनोवेशन हब बनाएगा RBI
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपने रेगुलेटरी सैंडबॉक्स (RS) के इनोवेशन हब वाले प्रोग्राम के दूसरे चरण में रेमिटेंस सिस्टम को लाने की योजना बनाई है। RBI फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी कंपनियों के इनोवेशन के जरिए विदेश से पैसे पाना किफायती और आसान बनाने के लिए यह कदम उठा रहा है। इस मकसद से बनाए जाने वाले इनोवेशन हब का हिस्सा बनने के लिए कंपनियां 21 दिसंबर 2020 से 15 फरवरी 2021 के बीच एप्लिकेशन जमा कर सकती हैं।
इसी साल शुरू हुआ था रेगुलेटरी सैंडबॉक्स प्रोग्राम
RBI ने फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन में टेक्नोलॉजी इनोवेशन को बढ़ावा देने वाला RS प्रोग्राम इसी साल शुरू किया है। इस प्रोग्राम में बैंक, फिनटेक और टेक्नोलॉजी कंपनियां मिलकर रियल टाइम में एक्सपेरिमेंटल पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर सकती हैं। बैंकिंग और टेक्नोलॉजी कंपनियों को अपना काम RBI की एक टीम की निगरानी में करना होगा। यह टीम एप्लिकेशन के टेस्ट रिजल्ट पर तय करेगी कि उसमें मास मार्केट लायक बनने की कितनी क्षमता है।
किफायत, सुरक्षा और पारदर्शिता को बढ़ावा
आरबीआई ने कहा है कि अब रेमिटमेंस के वास्ते टेक सॉल्यूशन बनाने के लिए बैंकिंग, फिनटेक और टेक्नोलॉजी कंपनियों का इनोवेशन हब बनाएगा। यह हब किफायत, सुरक्षा, सुगमता और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए नई टेक्नोलॉजी के जरिए रेमिटेंस में इनोवेशन को बढ़ावा देगा। हब के लिए ज्यादा से ज्यादा कंपनियां आवेदन कर सकें इसके लिए RBI ने मिनिमम नेटवर्थ रिक्वायरमेंट 25 लाख रुपये से घटाकर 10 लाख रुपये कर दी है। प्रोग्राम में पार्टनरशिप फर्म और लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (LLP) को भी पार्टिसिपेट करने की इजाजत दी गई है।
2019 में सबसे ज्यादा रहा था फॉरेन रेमिटेंस
भारत 2019 में 83 अरब डॉलर के साथ दुनिया भर में सबसे ज्यादा फॉरेन रेमिटेंस पाने वाला सबसे बड़ा देश रहा था। RBI के मुताबिक 2020 की पहली छमाही में विदेश से 27.4 अरब डॉलर की रकम भारत भेजी गई थी। RBI का कहना है कि इसके अलावा भारत में OTC फॉरेक्स एक्सचेंज इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए औसतन लगभग 40 अरब डॉलर का लेनदेन होता है और इसमें भी टेक सॉल्यूशंस के जरिए फंड के मूवमेंट को आसान बनाया जा सकता है।