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कितनी बार फ्रेम का पालन करना है

कितनी बार फ्रेम का पालन करना है

इलेक्ट्रॉनिक्स ट्रेडस से जुड़े सवाल और उनके जवाब

आज इस आर्टिकल में हम आपको इलेक्ट्रोनिक्स ट्रेडस से जुड़े सवाल और उनके जवाब के बारे में बताने जा रहे है जिसकी मदद से आप इलेक्ट्रॉनिक्स थ्योरी की तैयारी कर सकते है.

इलेक्ट्रॉनिक्स ट्रेडस से जुड़े सवाल और उनके जवाब

टच अलार्म में IC 555-

मोनो स्टेबल वाइब्रेटर प्रयोग किया जाता है.

पिक्चर फ्रेम में एक सेकंड में कितनी बार दोहराई जाते हैं?

टीवी ऑन करने पर आवाज, तस्वीर तथा रास्टर नहीं मिलता, तब दोष है-

ओसीलेटर की मौलिक आवश्यकताएं क्या है?

एंपलीफायर, फीड-बैक नेटवर्क, एंप्लीट्यूड नियंत्रित करने का साधन.

इंटीग्रेटेड सर्किट का आविष्कार कब हुआ?

इल्युमिनेशन का दूसरा नियम ….. कहलाता है?

लैंबर्ट का कोसाइन नियम

जब दो जनरेट समांतर में चल रहे हो और एक जनरेटर हटा लिया कितनी बार फ्रेम का पालन करना है जाए तो-

पहले की उत्तेजना धीरे-धीरे कम और दूसरे की धीरे-धीरे बढ़ती है।

ट्यूनिंग रेशों का मान कितना होना चाहिए?

रिसीवर की बैट्री खपत बढ़ जाने के संभावित कारण क्या हो सकते हैं?

बैट्री लाइन फिल्टर कैपेसीटर लिकी हो जाना, आउटपुट ट्रांजिस्टर्स विक हो जाना। एच.टी. लाइन का फिल्टर कैपेसिटर लीकी हो जाना।

लाउडस्पीकर्स कितने प्रकार के होते हैं?

कलर टेलीविजन की पिक्चर ट्यूब में विद्यमान इलेक्ट्रॉन्स गन्स की संख्या कितनी होती है?

एक टाइप सेंमी-कंडक्टर पदार्थ में मेजॉरिटी कैरियर होते है-

किस प्रकार का लॉजिक गेट् इसके आउटपुट पर उच्च वोल्टेज पैदा करता है जब इसके केवल एक आउटपुट पर उच्च वोल्टेज हो-

जब रसिस्टेंस का ओम मीटर के द्वारा मापते हैं तब-

सबपैरेरल परिपथ को डि-सोल्डर करने पर सही मान मिलता है।

जब मल्टीमीटर के द्वारा खुले हुए रेसिस्टेंस का मान पढ़ते हैं, तो उसका मान ……. होता है।

पी. टाइप सेंमी-कंडक्टर पदार्थ में माइनॉरिटी कैरियर होते हैं-

जर्मनियम डायोड में फॉरवर्ड वाइस वोल्टेज होती है-

सिलिकॉन डायोड में नी वोल्टेज लगभग होती है-

ऑटो ट्रांसफार्मर अधिकतर कहां पर प्रयोग किया जाता है?

E.H.T (एक्स्ट्रा हाई टेंशन) ट्रांसफार्मर के रूप में टेलीविजन में।

सिलैक्टिविटी को अच्छा बनाने के लिए रिसीवर की बैंड विडथ को नीचे बताए गए कौनसे तरीके से घटाया जा सकता है?

अधिक ट्यून सर्किट का प्रयोग करके

सिंगल साइड बैंड, डबल साइड बैंड की तुलना में-

अध्यक्ष एफिशिएंट होता है, पावर अधिक होता कितनी बार फ्रेम का पालन करना है है, ट्यून करने में कठिनाई होती है।

मीटर जो विद्युत धारा मापता है उसे क्या कहते हैं?

शंट रजिस्टेंस को जब मिली मीटर में प्रयोग करते हैं तब-

ट्यूनल डायोड दर्शाता है-

सिलीकान डायोड में नी वोल्टेज लगभग बराबर होती है-

वोल्टेज जिसके इलेक्ट्रॉन एनोड कैथोड की और प्रवाह शुरू कर देते हैं उसे क्या कहते हैं?

प्रतीप शिखर वोल्टेज

प्रवर्धन की बैंड विडथ घटाकर तापीय शोर-

ट्रांजिस्टर में काला बिंदु दर्शाता है-

साउंड में प्रयोग होने वाली सिग्नल मोडुलेशन किस प्रकार की होती है जो रिसीवर में प्रचलित होती है?

विद्युत चुंबक ………. की बनी होती है?

नर्म लोहे की कोर जिसमें से धारा गुजर रही हो।

डूपिंग क्रिया के समय-

शुद्ध सेमी-कंडक्टर के होल्स इलेक्ट्रॉन्स की संख्या बढ़ जाती है।

जर्मनिया डायोड में फॉरवर्ड नामक वोल्टेज होती है-

फुलवम रैक्टिफायर की रिपुल फ्रीक्वेंसी कितनी होती है?

ब्रिज रैक्टिफायर में कितने क्रिस्टल डायोड प्रयोग होते हैं?

तब क्या होगा यार एक ट्रांसफार्मर को डी.सी. स्रोत के साथ जोड़ा जाए?

अधिक मात्रा में करेंट देने से प्राइमरी जल जाएगी और कोई e.m.f. सेकेंडरी से पैदा नहीं होगा।

जब एक कैपेसीटीव लोड में करंट प्रवाह किया जाता है, तब करंट और वोल्टेज-

C.W. (केरियर वेब) ट्रांसमीटर से सूचना भेजी जाती है-

रेडियो सिग्नल के बीच में रुकावट पैदा करके

धारा को प्रत्यावर्ती कहते हैं जब-

धारा की माप व दिशा समय के साथ बदलती है।

यदि मल्टीमीटर की बैटरी कमजोर हो, तो यह

वायर वाउंड रजिस्टेंस की क्या विशेषताएं होती है?

इनमें इनमें रोकने की सामर्थ्य होती है

हाइड्रोमीटर से किस चीज को मापा जाता है?

सर्किट जिसके द्वारा सूचना रेडियो सिग्नल पर लागू की जाती है उसको-

मोडूलेटर कहते हैं

फ्रिकवेंसी माड्यूलेशन, एंप्लीट्यूड माड्यूलेशन की तुलना में-

शौर को अच्छी प्रकार रोकता है, अधिक बैंडविथ प्रदान करता है, इसमें पचीदे डिटेकेटर प्रयोग होते हैं।

सिंगल साइड बेंड डबल साइडेड की तुलना में-

अधिक एफिशिएंट होते हैं, पावर अधिक देते हैं, ट्यून करने में कठिनाई आती है।

1 khz का सिग्नल सुपरहिट रिसीवर को कौन सा स्टेज पर जांच करने के काम आती कितनी बार फ्रेम का पालन करना है है?

बैटरी को चार्ज करते समय कौन सी सावधानी बरतनी चाहिए?

तापक्रम का वेश्या 7 ० C बनाए रखना चाहिए।

इंटीग्रेटेड सर्किट के प्रयोग से-

पुर्जो की संख्या कम और साइज छोटा हो जाता है, कीमत कम हो जाती है, इसकी भी रीएबिलिटी अधिक हो जाती है।

इंटीग्रेटेड सर्किट को पहचानने का कौन-सा एकमात्र तरीका है?

इस स्कीमेटिक चित्र को चेक करके

एमप्लीफायर्स के क्लास B ऑपरेशन में करंट बहता है-

निमन भाग में लगभग नगण्य

यदि फीडबैक वोल्टेज सिग्नल के 180 डिग्री आउटपुट ऑफ फेज है, तो फिड बैंक कहलाती है-

पॉजिटिव फीडबैक-

एंपलीफायर का गेन बढ़ाता है

रजिस्टेंस में लोड पावर डिसिपेशन किस अनुपात में होता है?

टू- इन वन क्या होता है?

कैसेट रिकॉर्डर तथा रेडियो रिसीवर का संयुक्त रुप है।

लैमिनेटेड सिलिकॉन कोर का प्रयोग ………. होता है।

लोहा-क्षति कम करने के लिए

रेक्टिफायर्स कितने प्रकार के होते हैं?

अल्फा तथा बीटा का अधिकतम कितना मान होता है?

मूविंग क्वायल यंत्र किस सिद्धांत पर कार्य करता है?

डी सी मोटर के सिद्धांत पर

रेडियो तरंगों कितनी बार फ्रेम का पालन करना है की चाल कितनी होती है?

3 x 106 मीटर प्रति सेकंड

विद्युत झटके से पीड़ित व्यक्ति को क्या प्राथमिक उपचार करना चाहिए?

पीड़ित के मुह से नकली दांत है, पान, तंबाकू आदि निकाल दे।

आप कैसे पहचानोगे कि मीटर MI टाइप का है या MC टाइप का?

टर्मिनल की मार्किंग से, स्केल के प्रकार से, मीटर फ्लैट पर दिए गए चि\न्ह द्वारा।

अप्रत्यक्ष प्रतिरोधी हिटिंग फर्नेस की हीटिंग एलिमेंट के लिए प्रयुक्त पदार्थ के गुण होने चाहिए-

उच्च गलनांक ,उच्च विशिष्ट प्रतिरोध, उच्च तापमान पर ऑक्सीकरण से मुक्त

सोलन्योड क्या होता है?

इकहरी पर्त वाली कव्वायल

एंपलीफायर को उस लेटर बनाने के लिए क्या-क्या हो आवश्यकताएं हैं?

सर्किट में लागू किया जाने वाला फीडबैक सर्किट में हुई हानि से अधिक मात्रा में होना चाहिए।

मोटर कितने प्रकार की होती है?

ग्रेविटी नियंत्रण विधि का दोष है?

इसे उर्ध्वाधर स्थिति में रखना पड़ता है।

मेट्रो पर लगाने वाले टार्क क्या होते हैं?

आमीटर फ्लावर का इनपुट ……… होता है।

किस प्रकार के अग्नि शामक विद्युत परिपथ में आग लगने पर प्रयोग करते हैं?

सी टी सी (कार्बन टेट्रा क्लोराइड)

इलेक्ट्रॉनिक बेसिक नेगेटिव चार्ज का बेसिक यूनिट है-

केपीसीटर मोटरें प्राय एक्सहास्ट पंखों के लिए प्रयोग की जाती, क्योंकी –

इनका स्टार्टिंग टार्क उच्च होता है,इनका रनिंग टार्क निमन होता है, इनकी पूर्ण लोड दक्षता अधिक होती है।

Cage Fish Farming Technology: ये है मछली पालन का बेस्ट तरीका, कम लागत में होगी दोगुनी कमाई

Cage Fish Farming: मछली पालन के लिए कई प्रकार की मछलियों को बेहतर माना गया है. लेकिन हमें मछली पालन की शुरुआत में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसमें तेजी से बड़े होने की दर हो, आसानी से मिल जाए और लोगों में उसकी डिमांड हो.

Cage Fish Farming

अजीत तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 17 अगस्त 2021,
  • (कितनी बार फ्रेम का पालन करना है अपडेटेड 17 अगस्त 2021, 9:45 AM IST)

मछली पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें आपको लागत के मुकाबले दोगुना फायदा हो सकता है. लेकिन इसके लिए जरूरी है बेहतर तकनीक की. अगर आप बेहतर तरीके से मछली पालन करना जानते हैं तो आप जबरदस्त लाभ कमा सकते हैं. मछली पालन में एक तरीका ऐसा जो अमेरिका, रूस और यूरोप के देशों में काफी प्रचलन में है और ये है पिंजरे में मछली पालन (Cage Fish Farming).

इस तकनीक से मछली पालन के लिए बेहद कम जगह की जरूरत होती है. इस तरीके को अपनाकर आप कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. तो आइए जानते हैं पिंजरे में मछली पालन का तरीका.

पिंजरे में मछली पालन से लाभ
मरम्मत व रखरखाव में आसानी होती है. साथ ही मछलियों के बड़े होने पर उन्हें निकालने में कोई परेशानी नहीं आती. पिंजरे में मछलियों पर नियंत्रण होता है और इनकी ग्रोथ तेजी से होती है. साथ कितनी बार फ्रेम का पालन करना है ही इस तरीसे मछली पालन में मछलियों की कम मात्रा में मौत होती है. यही नहीं हम इन्हें अन्य पशुओं से भी बचा पाने में सफल रहते हैं.

देश में मछलियों की मांग और पूर्ति
देश के जलाशयों से औसतन 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का ही उत्पादन हो पाता है. जबकि बेहतर तरीके को अपनाकर इसे 100 किलो प्रति हेक्टेयर किया जा सकता है. वर्तमान में मछलियों के बीज के उत्पादन का आंकड़ा 200 करोड़ है जबकि आवश्यकता 1600 करोड़ की है.

कैसे होने चाहिए पिंजरे?
पिंजरे में मछली पालन की शुरुआत के लिए सबसे पहली चीज जिसका हमें ध्यान रखना होता है वो है पिंजरे की क्वालिटी (Fish Cage Farms) और उसे थामे रखने के लिए मजबूत फ्रेम. आप मछली पालन के लिए दो प्रकार का पिंजरों का इस्तेमाल कर सकते हैं. एक वो जो स्थिर रहें यानी एक ही जगह पर रहें और दूसरे वो जो पानी में तैरने वाले हों. स्थिर पिंजरों का इस्तेमाल 5 मीटर तक की गहराई वाले पानी की जगह के लिए किया जाता है.

वहीं, 5 मीटर या उससे अधिक गहराई वाले पानी में तैरने वाले पिंजरों का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, यहां पर ध्यान देने वाली बात ये है कि पिंजरे में मछली पालन हर जगह के पानी में सफल नहीं हो पाता. इसे झील, बांध, तालाब और नदियों में करना लाभदायक हो सकता है. पिंजरों के लिए जगह का चुनाव करते वक्त इस बात का खास ख्याल रखें कि वहां, पानी कम से कम 10 फीट गहरा हो, गंदगी न हो, पशुओं की पहुंच से दूर हो, ऑक्सीजन की कमी न हो.

कौन सी मछली पालें?
मछली पालन के लिए कई प्रकार की मछलियों को बेहतर माना गया कितनी बार फ्रेम का पालन करना है है. लेकिन हमें मछली पालन की शुरुआत में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसमें तेजी से बड़े होने की दर हो, आसानी से मिल जाए और लोगों में उसकी डिमांड हो. इनमें सिंघी, मांगुर, महाशीर, रोहू और झींगा को रख सकते हैं.

इन बातों का रखें ख्याल
पिंजरे में काई आने पर पूरक भोजन देना बंद कर दें. ज्यादा खाना देने से प्रदूषण होने लगता है. पिंजरे की जाली को सप्ताह में एक बार जरूर साफ करें. घायल मछलियों को तुरंत अलग करें. समय समय पर उनकी वृद्धि और स्वास्थ्य की जांच करते रहें. पिंजरे की देखभाल, उसकी रस्सियों को समय समय पर बांधना और उनकी सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. नियमित समय पर बड़ी हो चुकी मछलियों को अलग कर लें और छोटी मछलियों को एक साथ रखें.

खर्च और कमाई
अगर हम 6 महीने की कमाई का आंकलन करें तो आपको पिंजरे की खरीद पर 45 हजार रुपये का खर्च कितनी बार फ्रेम का पालन करना है आएगा. इस पर करीब 75000 रुपये की मजदूरी लग सकती है. इसके अलावा दो लाख रुपये का खर्च पंगेसियस मछली के बीच और उसके खाने में खर्च होगा. ऐसे में आपका कुल खर्च करीब 3.2 लाख रुपये आएगा. लेकिन इससे होने वाली कमाई कहीं ज्यादा होगी. क्योंकि 1 लाख रुपये के पंगेसियस मछली के बीज 6 महीने में तैयार होकर 10 हजार किलो हो जाएगा. यह मछली करीब 100 रुपये किलो के रूप में बिकती है तो कुल आय 10 लाख होगी जिसमें से 3.2 लाख के निवेश को हटा दें तो आपको करीब 7 लाख रुपये की आमदनी होगी.

दर्पण को सही तरीके से कैसे साफ करें

क्या आप एक दर्पण को साफ करते समय दाग से थक जाते हैं और आप नहीं जानते कि इसे कैसे साफ किया जाए ताकि यह सही तरीके से दिखे? हालाँकि उन्हें साफ करना आसान नहीं लगता, अगर आप जानते हैं कि सही कदम कैसे उठाए जाते हैं, तो यह आपके हिसाब से आसान है। आपको अपने घर के आसपास देखने के लिए एक मिनट लेना होगा।

आप सभी दर्पणों को देखकर आश्चर्यचकित हो सकते हैं: बाथरूम में, ड्रेसर पर, दीवार पर, प्रदर्शन अलमारियाँ में, हाथ में . जब हम धोने और कपड़े पहनते हैं, तो एक दर्पण हमारी मदद करने के लिए कार्यात्मक है, लेकिन यह गहराई से जोड़ने और एक कमरे के चारों ओर प्रकाश को प्रतिबिंबित करने में मदद करने के लिए भी सजावटी है।

हालांकि, सफाई के बाद एक गंदा या खरोंच वाला दर्पण आकर्षक नहीं है। सौभाग्य से, आप चमकदार दर्पण और बस कुछ ही उपकरण और उत्पादों के साथ साफ सजावटी फ्रेम हो सकते हैं जो आपके पास संभवतः हाथ पर हैं।

दर्पणों को कितनी बार साफ करना है

बाथरूम के दर्पणों को अक्सर पानी, टूथपेस्ट और सौंदर्य उत्पादों के छींटों से साफ रखने के लिए दैनिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है। सजावटी दर्पण को साप्ताहिक रूप से एक लिंट-फ्री डस्टर से साफ किया जाना चाहिए और सतह पर बसने वाले दूषित पदार्थों को हटाने के लिए महीने में कम से कम एक बार अच्छी तरह से साफ किया जाना चाहिए। बेहतर दृश्यता के लिए वाहन के दर्पणों को कम से कम हर दो महीने में साफ करना चाहिए।

दर्पण को कैसे साफ़ करें

निम्नलिखित चरणों का विस्तार न करें ताकि आपका दर्पण त्रुटिहीन हो:

  • एक सफाई समाधान बनाएँ। एक स्प्रे बोतल में, बराबर भागों ठंडे पानी और आसुत सफेद सिरका मिलाएं। आपको बोतल में एक लेबल जोड़ना सुनिश्चित करना होगा।
  • जिद्दी अवशेषों को साफ करता है। इससे पहले कि आप दर्पण की एक सामान्य सफाई करें, आपको टूथपेस्ट जैसे सूखे अवशेषों को हटा देना चाहिए और सौंदर्य उत्पादों से अलग हो जाना चाहिए। कुछ रगड़ शराब के साथ एक कपास की गेंद या कॉस्मेटिक कपास पैड को गीला करें। धीरे से इसे रगड़ने के लिए अवशेषों को रगड़ें और इसे मिटा दें। शराब ग्लास से कितनी बार फ्रेम का पालन करना है हेयरस्प्रे अवशेषों को हटाने में बहुत प्रभावी है। दैनिक आधार पर दृश्य अवशेषों को हटाने के लिए एक मिनट लेने से सामान्य साप्ताहिक सफाई बहुत आसान और तेज़ हो जाएगी।
  • शीर्ष पर शुरू करें। चाहे आप एक वाणिज्यिक ग्लास क्लीनर या सिरका और पानी के मिश्रण का उपयोग कर रहे हों, हमेशा दर्पण के शीर्ष पर सफाई शुरू करें। यदि आप दर्पण के शीर्ष तक नहीं पहुंच सकते हैं, तो आपको फॉल्स को रोकने के लिए एक मजबूत स्टूल का उपयोग करना सुनिश्चित करना होगा। दर्पण के शीर्ष के पास क्लीनर की हल्की धुंध स्प्रे करें। इस तरह, यह किसी भी बूंद को पकड़ लेगा क्योंकि वे दर्पण के नीचे जाते हैं। दर्पण को साफ करने के लिए एक लिंट-फ्री माइक्रोफाइबर कपड़े का उपयोग करें। यदि आवश्यक हो तो एक अतिरिक्त धुंध स्प्रे करें।
  • क्वार्टर में या हाथ के आकार के बंडल में अपने माइक्रोफ़ाइबर कपड़े को मोड़ो। यह आपको सफाई करते समय कई पक्षों का उपयोग करने के लिए देगा। यदि आवश्यक हो तो दर्पण एक पक्ष की ओर ले जाएं, यदि दर्पण असाधारण रूप से गंदा है।
  • धारियों के लिए जाँच करें। यदि आपने बहुत अधिक सफाई समाधान का उपयोग नहीं किया है, तो सफाई होने पर दर्पण सूखा होना चाहिए। एक तरफ कदम और धारियों के लिए खत्म की जाँच करें। यदि आप कोई दाग देखते हैं, तो दर्पण को अंतिम चमक देने के लिए एक साफ, सूखे माइक्रोफाइबर कपड़े का उपयोग करें।

सजावटी दर्पण फ्रेम को कैसे साफ करें

शीशे की सफाई करने से शीशों के चारों ओर फ्रेम साफ करना थोड़ा और जटिल हो सकता है। कई फ्रेम, विशेष रूप से एंटीक गिल्ट की लकड़ी, घरेलू और वाणिज्यिक दर्पण क्लीनर की अम्लीय प्रकृति से क्षतिग्रस्त हो सकती है। सफाई प्रक्रिया के हिस्से के रूप में दर्पण के आसपास के किसी भी फ्रेम पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके अलावा:

  • ओवरस्पीयर से बचें। चूंकि अम्लीय क्लीनर लकड़ी और कितनी बार फ्रेम का पालन करना है कुछ धातुओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए फ़्रेम की सतह पर ओवरस्पी से बचना महत्वपूर्ण है। दर्पण पर सीधे क्लीनर की धुंध छिड़कने के बजाय, इसे माइक्रोफ़ाइबर कपड़े पर स्प्रे करें।
  • ऊपर से साफ। दर्पण के शीर्ष पर शुरू करें और माइक्रोफ़ाइबर कपड़े से साफ करें जो क्लीनर के साथ नम है। यह सुनिश्चित करने के लिए कोनों पर पूरा ध्यान दें कि वे साफ हैं।
  • डस्ट फ्रेम। एक सूखे माइक्रोफ़ाइबर कपड़े या डिस्पोजेबल डस्टर का उपयोग करके, ध्यान से फ्रेम को धूल दें। यदि आप फ्रेम के शीर्ष पर नहीं पहुंच सकते हैं, तो एक मजबूत मल का उपयोग करें। एक नया, मुलायम ब्रश विशेष रूप से नक्काशीदार तख्ते को बंद करने के लिए उपयोगी है।
  • Smudges के लिए फ़्रेम की जाँच करें। स्पलैश या स्मूदीज के लिए फ्रेम की जांच करें जिन्हें हटाने की आवश्यकता है। यदि आपको कोई ऐसा क्षेत्र दिखाई देता है जिसमें सफाई की आवश्यकता होती है, तो रसायनों या अपघर्षक क्लीनर का उपयोग न करें। बहते पानी में एक माइक्रोफाइबर कपड़ा डुबोएं। थोड़ा नम होने तक निचोड़ें और दर्पण फ्रेम पर किसी भी गंदगी को धीरे से पोंछ दें।
  • धारियों के लिए जाँच करें। जब आप फ़्रेम को डस्टिंग करते हैं, तो साइड पर जाएं और लकीरों की आशा जांचें। यदि आप कोनों में कोई अवशेष या अवशेष देखते हैं, तो दर्पण को अंतिम पॉलिश देने के लिए एक सूखे माइक्रोफ़ाइबर कपड़े का उपयोग करें।

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लेख का पूरा रास्ता: दीक्षा » सजावट » दर्पण को सही तरीके से कैसे साफ करें

ये है घर में शीशा लगाने की सही जगह, बनी रहेगी सकारात्मक ऊर्जा और सुख समृद्धि

वास्तु नियमों के अनुसार अगर घर में दर्पण का इस्तेमाल किया जाए तो इससे सुख-समृद्धि आती है, सकारात्मक ऊर्जा का घर में प्रवेश होता है। जानिए, दर्पण लगाते समय किन वास्तु नियमों का पालन करना चाहिए।

ये है घर में शीशा लगाने की सही जगह, बनी रहेगी सकारात्मक ऊर्जा और सुख समृद्धि

दिनभर में कितनी ही बार आप खुद को दर्पण यानी आइने में देखती हैं। कई बार सुंदर फ्रेम में लगे हुए दर्पण को घर की साज-सज्जा में इजाफा करने के लिए भी इस्तेमाल करती हैं, लेकिन क्या आप जानती हैं कि दर्पण की उपयोगिता सिर्फ देखने और सजाने भर तक ही सीमित नहीं है।

घर की किस दिशा में, किस आकृति का दर्पण लगा है, इसका भवन और वहां की आस-पास की ऊर्जा पर अच्छा खासा प्रभाव पड़ता है। वास्तु में इसके सही इस्तेमाल पर बहुत जोर दिया जाता है। सही दिशा में दर्पण लगाकर अगर वास्तु दोष का निवारण किया जा सकता है, तो वहीं इसके गलत दिशा में लगे होने से नकारात्मक ऊर्जा के स्तर में वृद्धि हो जाती है।

सकारात्मक ऊर्जा के लिए

वास्तु विज्ञान के अनुसार सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह पूर्व से पश्चिम की तरफ एवं उत्तर से दक्षिण की तरफ रहता है। ऐसे में दर्पण को हमेशा पूर्व और उत्तर वाली दीवारों पर इस तरह लगाना चाहिए कि देखने वाले का मुख पूर्व या उत्तर में रहे।

इन दिशाओं में दर्पण लगाने से जीवन में उन्नति और धन लाभ के अवसर बढ़ जाते हैं। पश्चिम या दक्षिण दिशा की दीवारों पर लगे दर्पण, पूर्व और उत्तर से आ रही सकारात्मक ऊर्जाओं को रिफ्लेक्ट कर देते हैं।

यहां बिल्कुल न लगाएं

शयन कक्ष में दर्पण नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से दांपत्य जीवन में विश्वास की कमी आती है। इसके साथ ही पति-पत्नी में आपसी मतभेद भी बढ़ते हैं। अगर ड्रेसिंग टेबल रखना जरूरी हो तो इस तरह रखें कि सोने वालों का प्रतिबिंब उसमें दिखाई न दे या फिर सोने से पहले इसे ढंक दें। यह भी ध्यान रहे कि जहां दर्पण लगा हो उसमें नकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने वाली वस्तुओं का प्रतिबिंब दिखाई न पड़े।

ऐसा हो दर्पण

साफ, स्पष्ट और वास्तविक छवि दिखाई देने वाला दर्पण ही काम में लें। नुकीला, चटका हुआ या धुंधला दिखाई देने वाला कितनी बार फ्रेम का पालन करना है दर्पण अनेक समस्याओं का कारण बन सकता है। दर्पण जितने हल्के और बड़े होंगे, उनका प्रभाव उतना ही अच्छा होगा। शुभफलों में वृद्धि के लिए दीवार पर आयताकार, वर्गाकार या अष्टभुजाकार दर्पण लगाएं।

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