क्रिप्टो को क्रिप्टोकुरेंसी में डालना

Cryptocurrency News: क्रिप्टोकरेंसी में भारी गिरावट के बाद क्रिप्टो एक्सचेंज ने निवेशकों से क्या कहा, जानिए
Crypto exchange News: संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने संबंधी बिल लाने की खबर के बाद आज सुबह से इसके निवेशकों में भगदड़ मची हुई है और पैनिक सैलिंग देखी जा रही है.
By: पीयूष पांडे, एबीपी न्यूज़ | Updated at : 24 Nov 2021 06:33 PM (IST)
Edited By: Meenakshi
Crypto exchange News: देश में क्रिप्टो एक्सचेंज ने अपने निवेशकों से आग्रह किया है कि वो घबराहट में आकर अपनी क्रिप्टोकरेंसी को आननफानन में ना बेचें. क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज को ऐसा इसलिए कहना पड़ा क्योंकि आज सुबह से ही निवेशक इसमें भारी बिकवाली कर रहे हैं जिसके नतीजे के रूप में कई क्रिप्टो एक्सचेंज लगभग क्रैश होते हुए दिखे.
क्यों आई क्रिप्टोकरेंसी में गिरावट
संसद क्रिप्टो को क्रिप्टोकुरेंसी में डालना के शीतकालीन सत्र में निजी क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने वाला बिल लाने के सरकार की योजना के बाद क्रिप्टो एक्सचेंज में भारी गिरावट दर्ज की गई. आज इस खबर के साथ ही एक और खबर भी आई कि देश की अपनी डिजिटल करेंसी आएगी. दोनों ही खबरों से मौजूदा क्रिप्टो इंवेस्टर्स ने पैनिक सैलिंग शुरू कर दी.
कब लाया जाएगा क्रिप्टोकरेंसी पर बिल
क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 को संसद के शीतकालीन सत्र में लाया जाएगा. बता दें कि ये सत्र 29 नवंबर से शुरू होने जा रहा है और इसका लेजिसलेटिव एजेंडा बीते कल यानी मंगलवार को जारी किया गया था. इसके असर को देखते ही सभी बड़ी डिजिटल क्रिप्टो को क्रिप्टोकुरेंसी में डालना करेंसीज में 15 फीसदी तक की बड़ी गिरावट देखी गई. इसके तहत बिटकॉइन में करीब 18.53 फीसदी, इथेरियम में 15.58 फीसदी और टेथर में 18.29 फीसदी की गिरावट देखी गई.
वजीरएक्स के फाउंडर ने क्या कहा
आज क्रिप्टो एक्सचेंज में दिख रही भारी बिकवाली को देखते हुए वजीरएक्स के फाउंडर और सीईओ निश्चल शेट्टी ने कहा कि कल रात से ही हमें एक्सचेंज पर भारी बिकवाली देखने को मिल रही थी जिसे हमारे वजीरएक्स के आईएनआर मार्केट में देखा गया. ये मुख्य तौर से इसी खबर के बाद आई जिसमें संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टो बिल लाने की बात कही गई थी. वैसे भी बिल में ठीक उसी तरह का वर्णन है जो जनवरी 2021 में था. उस समय भी इस बिल के आने की खबरों के बाद निवेशकों के मन में काफी डर बैठ गया था.
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भारत के मार्केट में दिख रही थी अभूतपूर्व तेजी- निश्चल शेट्टी
निश्चल शेट्टी ने ABP न्यूज से बात करते हुए कहा कि भारतीय क्रिप्टो मार्केट में लगातार बढ़ती मांग के कारण क्रिप्टो बाजार में ग्लोबल बाजारों के मुकाबले 5 से 8 फीसदी का हल्का प्रीमियम देखा जा रहा था. हालांकि पैनिक सैलिंग या घबराहट में की जा रही बिकवाली के चलते भारतीय बाजार में भी गिरावट आई और ये कुछ अंतराल के लिए करीब 15 से 20 फीसदी डिस्काउंट पर ट्रेड कर रहा था. हालांकि अब मार्केट में रिकवरी देखी जा रही है और इस समय ये बाजार करीब 4 फीसदी डिस्काउंट पर ही ट्रेड कर रहा है.
वित्त सचिव पहले ही दे चुके थे संकेत
कई मौकों पर पूर्व फाइनेंस सेक्रेटरी सुभाष चंद्र गर्ग इस बात की पैरवी कर चुके हैं कि क्रिप्टो के लिए करेंसी शब्द के यूज पर कुछ लगाम लगाई जानी चाहिए. निश्चल शेट्टी ने ये भी कहा कि " क्रिप्टो को कई वर्ग जैसे करेंसी, ऐसेट, यूटिलिटी और सिक्योरिटी के तहत क्लासीफाइड या वर्गीकृत किया जा सकता है तो करेंसी इसके कई रूपों में से एक हो सकता है. एक इंडस्ट्री के रूप में हमें इस बात का पूरा ज्ञान है कि आईएनआर (इंडियन नेशनल रुपी) देश में चलने वाली एकमात्र लीगल करेंसी है और क्रिप्टो एक ऐसेट है जिसे लोग खरीद और बेच सकते हैं.
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अगर क्रिप्टो बिल संसद में लाया जाता है तो इस पर कई विचार विमर्श होंगे और बिल को लेकर कई तरह के आयाम सामने आएंगे. साथ ही क्रिप्टो के रेगुलेशन पर भी काम किया जा रहा है क्रिप्टो को क्रिप्टोकुरेंसी में डालना और हमें अपने कानून के निर्माताओं पर भरोसा होना चाहिए.
पीएम मोदी भी जता चुके हैं चिंता
इस महीने में पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ऐसी बैठक की अध्यक्षता कर चुके हैं जिसमें क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य पर चर्चा की गई और इसमें सर्वसम्मति बनी कि क्रिप्टो को अनाधिकृत बाजारों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग का जरिया न बनने दिया जाए.
ZebPay के अविनाश शेखर ने भी बताया अपना रुख
ZebPay के को-सीईओ अविनाश शेखर ने कहा कि हम इस बिल के विषय में और विवरण का इंतजार कर रहे हैं. सरकार ने पहले ही क्रिप्टो को समझने और इसके स्टेकहोल्डर्स, निवेशकों, एक्सचेंज और पॉलिसीमेकर्स पर होने वाले असर को जानने के लिए कई पॉजिटिव कदम उठाए हैं. हमें विश्वास है कि इनके साथ हुई चर्चा को ध्यान में रखकर और सभी इनपुट पर नजर डालते हुए सरकार कोई फैसला लेगी.
जितनी भी निजी क्रिप्टोकरेंसी हैं उनके चलते ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को 'गहरी चिंता' जताने पर मजबूर होना पड़ा. बिटकॉइन जो दुनिया की सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी है वो फिलहाल करीब 60,000 डॉलर के रेट पर ट्रेड कर रही है जो इस साल की शुरुआत में इसके लेवल के दोगुने से भी ज्यादा है. इसके चलते ही इसे खरीदने के लिए निवेशकों में आपाधापी मची. बता दें कि आरबीआई ने जून 2021 में ही कहा था कि वो दिसंबर 2021 तक अपनी डिजिटल करेंसी लॉन्च करने पर कार्य कर रहा है.
ABP न्यूज से बात करते हुए कैशा के फाउंडर और सीईओ कुमार गौरव ने कहा कि "क्रिप्टोकरेंसी में पहले ही भारी मात्रा में पैसा आ चुका है, इसके वॉल्यूम काफी बड़े हैं और बीतते समय के साथ इसके इंवेस्टर्स लगातार बढ़े ही हैं. अगर इन पर पूरी तरह बैन लगाया जाता है तो अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होगा क्योंकि फिर ये सिर्फ ब्लैक मार्केट को बढ़ाने का ही काम करेंगी. सरकार भी इन सारी बातों को समझती है और जानती है कि इसके चलन को देखते हुए केवल ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे ये मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गलत क्षेत्र में उपयोग नहीं की जाए- ऐसा हमें भरोसा है.
इंडस्ट्री के एस्टीमेट के अनुसार देखा जाए तो भारत में करीब 1.5 करोड़ से 2 करोड़ क्रिप्टो इंवेस्टर्स हैं जिनके पास मौजूद कुल क्रिप्टो ऐसेट्स की वैल्यू करीब 40,000 करोड़ रुपये हो सकती है यानी ये 5.39 अरब डॉलर के आसपास का कारोबार हो सकती है. वहीं दुबई के एक केंद्रीयकृत एक्सचेंज DIFX के मुताबिक भारत का क्रिप्टो को बैन करने वाला बिल लाने की बात निराशाजनक है.
Unocoin के को-फाउंडर ने क्या कहा
ABP न्यूज से बात करते हुए Unocoin के को-फाउंडर और सीईओ सात्विक विश्वनाथ ने कहा कि हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि बिल के क्या क्या प्रावधान होंगे. ये निराशाजनक है कि बाजार इसे इस निगेटिव व्यू में ले रहा है. अभी ये बताना मुश्किल है कि देश के क्रिप्टो एक्सचेंज पर इसका कैसा असर होगा. खासतौर पर जब भारत डिजिटाइजेशन की तरफ बढ़ रहा है तो बैन लगाना एक अवसर को खोने जैसा होगा. देश में करीब 1.5 करोड़ क्रिप्टो निवेशक हैं और करीब 20 क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज काम कर रहे हैं.
आपको बता दें कि हाल के दिनों में ऐसे विज्ञापनों की संख्या में काफी तेजी आई जो ये दावा करते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी निवेश एक सरल रास्ता है और ये बड़े अच्छे रिटर्न दिला सकता है. हालांकि इस दौरान ये डर लगातार बना हुआ है कि ऐसी करेंसी सामान्य निवेशकों को झूठे आश्वासन दे रही हैं जो चिंता का विषय है.
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Published at : 24 Nov 2021 06:26 PM (IST) Tags: Cryptocurrency Bitcoin cryptocurrency exchange Crypto exchange Cryptocurrency Fear Cryptocurrency Rate हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News क्रिप्टो को क्रिप्टोकुरेंसी में डालना पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
Cryptocurrency: बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी पर भारत में लगेगा प्रतिबंध, खुद की डिजिटल करेंसी की तैयारी में RBI
Cryptocurrency: बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी पर भारत में प्रतिबंध लगेगा. वहीं, आरबीआई खुद की डिजिटल करेंसी लाने की तैयारी में है.
Published: November 24, 2021 9:13 AM IST
Cryptocurrency: सरकार द्वारा एक नया वित्तीय विनियमन विधेयक पेश करने की घोषणा के बाद भारत निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक विधेयक पेश करने के लिए तैयार में है. लोकसभा की एक विज्ञप्ति के अनुसार, “भारत में सभी निजी क्रिप्टो को क्रिप्टोकुरेंसी में डालना क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने वाला विधेयक” अगले सप्ताह से शुरू होने वाले सत्र में संसद में लाए जाने वाले 26 कानूनों में से एक है.
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बता दें, भारत में वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी के लिए कोई विनियमन नहीं है – विकेंद्रीकृत डिजिटल मुद्राओं जैसे कि बिटकॉइन, डॉगकोइन और एथेरियम का एक सेट जो किसी भी बैंकिंग नियामक द्वारा विनियमित नहीं है. आपको बता दें, क्रिप्टोकुरेंसी बिल ऐसे समय में सूचीबद्ध होने जा रहा है, जब इस विषय में ज्यादा लोग रुचि दिखा रहे हैं.
सभी ‘निजी क्रिप्टोकरेंसी’ पर प्रतिबंध लगाने वाला विधेयक
- ‘द क्रिप्टोक्यूरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’, यह पेश करने, विचार करने और पारित करने के लिए नए बिलों की सूची में से एक है.
- यह विधेयक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक ढांचा तैयार करेगा.
- इस बिल में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने का भी प्रयास है.
- हालांकि, यह क्रिप्टोकुरेंसी की अंतर्निहित तकनीक और इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कुछ अपवाद भी इससे जुड़े हैं.
पीएम ने युवाओं को क्रिप्टोकरंसी के जाल में नहीं फंसने की गुजारिश की
पिछले हफ्ते एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, पीएम मोदी ने दुनिया के लोकतंत्रों के बीच सहयोग का आग्रह किया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी “गलत हाथों में न जाए”.
पीएम मोदी ने कहा था कि सभी राष्ट्रों को राष्ट्रीय अधिकारों को पहचानना चाहिए और साथ ही व्यापार, निवेश और व्यापक सार्वजनिक भलाई को बढ़ावा देना चाहिए. उदाहरण के लिए क्रिप्टो-मुद्रा या बिटकॉइन को लें. यह महत्वपूर्ण है कि सभी लोकतांत्रिक राष्ट्र क्रिप्टो को क्रिप्टोकुरेंसी में डालना इस पर एक साथ काम करें और सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों में न जाए, जो हमारे युवाओं को खराब कर सकता है.
13 नवंबर को, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिप्टोकुरेंसी के भविष्य पर चर्चा करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की, इस चिंता के बीच कि अनियमित क्रिप्टो बाजार मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक वित्तपोषण के लिए रास्ते बन सकते हैं.
खुद की डिजिटल करेंसी की दिशा में काम कर रहा आरबीआई
भारतीय रिज़र्व बैंक ने कई मौकों पर इस बात पर प्रकाश डाला है कि उसे लगता है कि बिटकॉइन, एथेरियम और डॉगकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी कई अन्य लोगों के बीच वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा करती है और निवेशकों से वादों से क्रिप्टोकरेंसी पर रिटर्न “लालच” नहीं होने के लिए कहते हुए बाजार मूल्य के अपने दावों पर भी सवाल खड़े क्रिप्टो को क्रिप्टोकुरेंसी में डालना करती है.
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EG richt zich op crypto om energie te besparen
De Europese Commissie heeft een actieplan voorgesteld dat voorziet in de vermindering van het energieverbruik door de technologiesector en roept landen op "voorbereid" te zijn om het delven van crypto-activa te stoppen.
EG richt zich op crypto om energie te besparen
De Europese Commissie heeft deze dinsdag een actieplan gepresenteerd voor de "digitalisering van het energiesysteem", waarin maatregelen zijn voorzien om het verbruik door de technologische sector te verminderen, zonder cryptocurrencies te vergeten. Het uitvoerend orgaan van de Europese Unie (EU) doet zelfs een beroep op landen om "bereid" te zijn te stoppen met het delven van cryptocurrencies als dat nodig is om capaciteit in elektrische systemen vrij te maken.
In een document waarin het plan wordt toegelicht, geeft de Europese Commissie aan dat activiteiten in verband met cryptocurrencies verantwoordelijk zijn voor ongeveer 0,4% van alle energie die op de planeet wordt verbruikt. Daarbij wordt benadrukt dat het energieverbruik van cryptocurrencies de afgelopen twee jaar praktisch is verdubbeld en de afgelopen vijf jaar met 900% is toegenomen.
"Gezien de huidige energiecrisis en de risico's van de komende winter dringt de Commissie er bij क्रिप्टो को क्रिप्टोकुरेंसी में डालना de lidstaten op aan gerichte en ambitieuze maatregelen te nemen om het elektriciteitsverbruik van cryptocurrency-delvers te verminderen", merkt de instantie onder leiding van Ursula Von der Leyen op. "Indien de belasting van de elektrische systemen moet worden verminderd, moeten de lidstaten bereid zijn te stoppen met het delven van crypto-activa", concludeert dezelfde nota.
Bij wijze van voorbeeld: mining is de activiteit die de verwerking van transacties in sommige cryptocurrencies mogelijk maakt, waarvan bitcoin het belangrijkste voorbeeld is. De term verwijst naar de miljoenen permanent verbonden computers die de werking mogelijk maken van het gedecentraliseerde netwerk dat aan de basis ligt van deze crypto-activa. In 2021 meldde ECO dat bitcoin op dat moment 2,5 keer meer elektriciteit gebruikte dan Portugal in een jaar.
De Commissie gaat verder in de strengere controle op mining. "In een langetermijnperspectief is het cruciaal om een einde te maken aan de belastingvoordelen voor delvers van cryptocurrency's die in sommige lidstaten bestaan", concludeert de entiteit.
Om bij te dragen aan de beheersing van het probleem wil de Europese Commissie "tegen 2025 een verslag opstellen met een beschrijving van de milieu- en klimaateffecten van nieuwe technologieën in de cryptomarkt, alsook mogelijke beleidsopties die de negatieve gevolgen voor het klimaat van technologieën die in de cryptomarkt worden gebruikt, helpen beperken".
Ten slotte stelt Brussel voor dit gebied internationale samenwerking voor voor de ontwikkeling van "energie-efficiënte labels voor blockchains", de naam die is gegeven aan de technologie die de opkomst van gedecentraliseerde crypto-assets mogelijk heeft gemaakt.