पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है?

सेबी ने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज से जु़ड़े अधिकारियों के लिए अनिवार्य किए सर्टिफिकेशन नियम
Mideast Portfolio Management Ltd (MEPM)
मिडईस्ट पोर्टफोलियो मैनेजमेंट शेयर (MEPM शेयर) (ISIN: INE033E01015) के बारे में। आप पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? इस पृष्ठ के अनुभागों में से किसी एक में जा कर ऐतिहासिक डेटा, चार्ट्स, तकनीकी विश्लेषण पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? तथा अन्य के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- प्रकार : इक्विटी
- बाज़ार : भारत
- आईसआईन : INE033E01015
- एस/न : MIDEASTP
Mid East Portfolio Management Limited provides investment services in India. The company offers corporate पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? advisory, loan syndication, debt placement, portfolio management, and finance services; and arranges external commercial borrowings. It also provides IPOs; stock broking/online trading facilities demat; and life, general, travel, and health insurance products and services. In addition, the company invests in mutual funds, as well as saving schemes and NRI Bonds, such as RIB and India Millennium Development Bonds of Government of India. Mid East Portfolio Management Limited was founded in 1985 and is based in Mumbai, India.
Sebi की चेतावनी, फर्जी पोर्टफोलियो मैनेजमेंट स्कीम में किया निवेश तो डूब जाएगा पैसा
Sebi Alert: कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एक बयान में कहा कि ये इकाइयां परचे छपवाकर और सोशल मीडिया के के माध्यम से हाई रिटर्न के वादे के साथ जनता को लुभा रही हैं.
सेबी ने ‘पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस देने का दावा करने वाली इकाइयों को लेकर निवेशकों को आगाह किया. (File Photo)
Sebi Alert: सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (Sebi) ने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस उपलब्ध कराने का दावा करने वाली इकाइयों के गलत तरीके से पैसा जुटाने को लेकर निवेशकों को सतर्क रहने को कहा है. सेबी ने एक बयान में कहा कि ये इकाइयां परचे छपवाकर और सोशल मीडिया के के माध्यम से हाई रिटर्न के वादे के साथ जनता को लुभा रही हैं. यह देखा गया है कि ऐसी योजनाओं में, इकाइयां निश्चित रिटर्न का वादा कर छोटी-छोटी राशि जुटा रही हैं.
केवल रजिस्टर्ड संस्था से लें लेनदेन का सुझाव
इनमें से कुछ इकाइयों के नाम सेबी-पंजीकृत मध्यस्थों के जैसे हैं. वे उस नाम के माध्यम से जनता को गुमराह करती हैं कि उन्होंने रेगुलेटर के पास रजिस्ट्रेशन करा रखा है. इसको देखते हुए सेबी ने निवेशकों को इस तरह की इकाइयों से सावधान रहने को कहा है. साथ ही उन्हें केवल रेगुलेटर के पास रजिस्टर्ड इकाइयों के साथ ही लेन-देन का सुझाव दिया है.
Sebi ने यह भी कहा कि पोर्टफोलियो मैनेजमेंट समेत सेबी रजिस्टर्ड इंटरमीडियरिज निवेश पर फिक्स्ड रिटर्न का वादा नहीं कर सकते. फिक्स्ड रिटर्न का दावा करने वाली योजनाएं पोंजी योजनाएं की तरह चलती हैं. इस प्रकार की योजनाओं में पैसा सिक्योरिटीज मार्केट में नहीं लगाया जाता. सेबी ने निवेशकों से निवेश करने से पहले संबंधित इकाई की पूरी जांच-पड़ताल करने की सलाह दी है.
इसके अलावा, एक पोर्टफोलियो मैनेजर ग्राहक से 50 लाख रुपये से कम के फंड या प्रतिभूतियों को स्वीकार नहीं कर सकता है और मानदंडों के अनुसार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी गारंटीकृत या सुनिश्चित रिटर्न का वादा नहीं कर सकता है.
PMS Fund का फुल फॉर्म
PMS का फुल फॉर्म पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस होता है। PMS का हिंदी में पूरा नाम ‘पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएं’ है। इसलिए PMS को Portfolio Management Services भी कहा जाता है।
PMS Fund में निवेशक को अपने फंड मैनेजर पर पूरा भरोसा करना होता है। फंड मैनेजर को रिटर्न के आधार पर कमीशन शुल्क प्राप्त होता है और इसके साथ साथ उसे एक उचित और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? फिक्स राशि भी प्राप्त होती है। पीएमएस फंड बड़े निवेश के लिए सही माना गया है। ऐसे में PMS Fund, Mutual Fund की तुलना में जोखिम का खतरा ज्यादा रहता है। पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS) Fund तीन प्रकार के होते है, जो की निम्नलिखित है:–
1) विवेकाधीन पीएमएस (पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? Discretionary PMS)
2) गैर-विवेकाधीन पीएमएस (Non-discretionary PMS)
3) सलाहकार पीएमएस (Advisory PMS)
PMS Fund में निवेश करने के फायदे
- पीएमएस फंड बड़े निवेश के लिए सही है।
- इस फंड में वही निवेश कर सकता है जिसके पास कम से कम 50 लाख रुपए की राशि है।
- पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS) fund विभिन्न निवेश विकल्पों में निवेश पोर्टफोलियो को बनाती है।
- प्रोफेशनल मनी मैनेजर, निवेश पोर्टफोलियो का ध्यान रखते हैं।
- PMS Fund, रिटर्न को अधिकतम करने में मदद करती हैं।
- PMS Fund जैसे कि एचएनआई, एचयूएफ, साझेदारी फर्म, एनआरआई, व्यक्तियों के संघ, एकल स्वामित्व इत्यादि में अधिक लोकप्रिय हैं।
- पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS), निवेश पोर्टफोलियो के लिए न्यूनतम टिकट आकार को दिखाती हैं।
PMS Fund में केवल बड़े निवेश ही होते है यानी जिनकी इनकम ज्यादा हो वही इसमें निवेश कर सकते है। इसमें कम से कम 50 लाख निवेश करने होते है और इसके साथ ही इसमें जोखिम भी ज्यादा होता है। दूसरी तरफ अगर म्यूचुअल फंड की बात करे तो ये एकदम साधारण फंड हैं। कोई भी व्यक्ति mutual fund में निवेश कर सकता है यह तक की कोई भी निवेशक चाहे छोटा हो या बड़ा महज 500 रुपये के सिप के द्वारा Mutual Funds में पैसा लगाना शुरू कर सकता है।
PMS Fund में किसे करना चाहिए निवेश
Mutual Fund की तरह PMS Fund में छोटे व बड़े सभी तरह के निवेशकों को निवेश नही करना चाहिए। PMS Fund में केवल ऐसे निवेशक ही निवेश कर सकते है जिनके पास निवेश करने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? के कम से कम 50 लाख रुपए हो। PMS Fund यह उन्हीं के लिए सबसे ज्यादा बेहतर है जिनके पास निवेश करने के लिए पर्याप्त मात्रा में राशि तो हो लेकिन उसे मैनेज करने के लिए समय की कमी हो। PMS Fund में निवेश का अधिकार आपको अपने पोर्टफोलियो मैनेजर को देना पड़ेगा। इससे साफ होता है की PMS Fund में आपको निवेश तभी करना चाहिए जब आपको अपने फंड मैनेजर पर पूरा विश्वास हो।
निष्कर्ष:
आज हमने इस आर्टिकल में PMS Fund Kya Hai – म्यूचुअल फंड और पीएमएस फंड में कौन है बेहतर निवेश के लिए के बारे में समस्त जानकारी आपके समक्ष रखी। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।
Portfolio Management Services के लिए सेबी का नया नियम, मैनेजर, डिस्ट्रीब्यूटर और स्टाफ को लेना होगा NISM का सर्टिफिकेट
सेबी ने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज से जु़ड़े अधिकारियों के लिए अनिवार्य किए सर्टिफिकेशन नियम
मार्केट रेगुलेटर पोर्टफोलियो सेबी ( SEBI) ने पोर्टफोलियो मैनेजर की ओर से नियुक्त किए जाने वाले कर्मचारियों के लिए सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य कर दिया है. सेबी के नोटिफेकेशन के मुताबिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) से जुड़े लोग चाहे वे डिस्ट्रीब्यूटर्स हों या मुख्य अधिकारी या फिर कर्मचारी, सभी का सर्टिफिकेशन जरूरी होगा. सेबी के मुताबिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS) से जुड़े व्यक्ति पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? और फंड मैनेजमेंट में फैसला लेने वाले हर अथॉरिटी के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटीज मार्केट ( NISM) से सर्टिफिकेट लेना जरूरी होगा. यह सर्टिफिकेट NISM की परीक्षा पास करने पर मिलता है.
दो साल के भीतर हासिल करना होगा सर्टिफिकेशन
सेबी के 7 सितंबर, 2021 को जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS)से जुड़े डिस्ट्रीब्यूटर्स और संबंधित फंड से जुड़े फैसले लेने वाले प्रमुख अधिकारियों के लिए दो साल के भीतर सर्टिफिकेट हासिल करना होगा. नोटिफिकेशन में आगे कहा गया है कि इस तरह के किसी व्यक्ति को रखने वाला या उसे नौकरी देने वाले पोर्टफोलियो मैनेजर को यह सुनिश्चित करना होगा कि 7 सितंबर 2021 के बाद नौकरी शुरू करने से एक साल के भीतर वह शख्स सर्टिफिकेट हासिल कर ले. हालांकि पीएमएस का डिस्ट्रीब्यूटर होने के नाते वैलिड AMFI रजिस्ट्रेशन नंबर (ARN) या NISM सर्टिफिकेशन हासिल करना वाला शख्स इस नियम से मुक्त होगा.
मार्च में जारी किए थे सेबी ने क्वालिफिकेशन से जुड़े नियम
इस साल मार्च में सेबी ने पोर्टफोलियो मैनेजर और उनकी क्वालिफिकेशन को लेकर नए नियम जारी किए थे. इसके मुताबिक सिक्योरिटीज मार्केट में पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम को ही मान्यता दी जाएगी. पोर्टफोलियो मैनेजर के लिए NISM की ओर से चलाए जाने वाले एक साल से कम अवधि के कोर्स को मान्यता नहीं दी जाएगी. सेबी ने कहा था कि पोर्टफोलियो मैनेजर बनने के लिए किसी यूनिवर्सिटी या यूनिवर्सिटी के तौर पर मान्यता प्राप्त किसी इंस्टीट्यूट से फाइनेंस, लॉ, एकाउंटेंसी में प्रोफेशनल डिग्री की जरूरत होगी. या फिर उसे NISM से सिक्योरिटीज मार्केट (पोर्टफोलियो मैनेजमेंट) में पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम पूरा करना होगा.
Get Business News in Hindi, latest India News in Hindi, and other breaking news on share market, investment scheme and much more on Financial Express Hindi. Like us on Facebook, Follow us on Twitter for latest financial news and share market updates.
म्यूचुअल फंड्स, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) स्कीम्स से कैसे अलग हैं?
-bada.png)
हालांकि म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) दोनों ही पेशेवर फंड मैनेजर्स के द्वारा प्रबंधित किए जाने वाले एक पूल्ड इंवेस्टमेंट व्हीकल के माध्यम से निवेशकों को शेयर और बॉन्ड्स में अपना पैसा निवेश करने की सुविधा देते हैं, लेकिन ये दोनों अलग-अलग निवेश विकल्प हैं और इनके उद्देश्य भिन्न हैं तथा ये दोनों दो अलग-अलग तरह के निवेशकों के लिए हैं।
म्यूचुअल फंड में कोई भी 500 रुपए प्रति माह की छोटी सी रकम से निवेश कर सकता है, लेकिन पीएमएस स्कीम्स में कम से कम 25 लाख का निवेश करना होता है क्योंकि ये मुख्यतः एचएनआई को लक्ष्य करने वाले वेल्थ मैनेजमेंट प्रोडक्ट्स हैं। म्यूचुअल फंड को सेबी द्वारा रेगुलेट किया जाता है जबकि पीएमएस स्कीम्स के लिए कोई सख्त डिस्क्लोजर मानदंड नहीं हैं। इसके अलावा, पीएमएस प्रोडक्ट्स उन एडवांस निवेशकों के लिए हैं जो इसमें निहित जोखिमों को समझ सकते हैं क्योंकि पीएमएस फंड्स उन सिक्योरिटीज में निवेश कर सकते हैं जिनको बाज़ार में आसानी से खरीदा-बेचा नहीं जा सकता है। म्यूचुअल फंड उन सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं जो कि लिक्विड (तरल) हैं। अच्छी तरह से डायवर्सिफ़ायड पोर्टफोलियो होने के कारण म्यूचुअल फंड, पीएमएस स्कीम्स की तुलना में कम जोखिम होते हैं। पीएमएस फंड्स में आम तौर पर 20-30 शेयरों का एक केंद्रित पोर्टफोलियो होता है। इस पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? तरह, फंड का प्रदर्शन पूरी तरह फंड मैनेजर की शेयर को चुनने की क्षमता पर निर्भर करता है।