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सोने में निवेश कैसे करें?

सोने में निवेश कैसे करें?
Investment in Gold : सोने में इस तरह करें निवेश

गोल्ड में कैसे करें इन्वेस्ट, 5 तरीके हैं मौजूद

गोल्ड में कैसे करें इन्वेस्ट, 5 तरीके हैं मौजूद

अगर कोई सोने में इन्वेस्ट करना चाहता है तो इसके 5 तरीके हैं- फिजिकल गोल्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड, गोल्ड ETF, डिजिटल गोल्ड और सॉवरेन गोल्ड बांड.

भारतीयों को सोना (Gold) हमेशा से लुभाता रहा है. फिर चाहे सोने की ज्वेलरी पहनकर इतराना हो या फिर इसे निवेश के माध्यम के रूप में देखना हो. अगर कोई सोने में इन्वेस्ट करना चाहता है तो इसके 5 तरीके हैं- फिजिकल गोल्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड, गोल्ड ETF, डिजिटल गोल्ड और सॉवरेन गोल्ड बांड. आइए जानते हैं इन 5 तरीकों से कैसे आप गोल्ड में निवेश कर सकते हैं.

फिजिकल गोल्ड

फिजिकल गोल्ड यानी गोल्ड ज्वेलरी, गोल्ड बार या सिक्के. भारत में फिजिकल गोल्ड की खरीद काफी ज्यादा पॉपुलर है. कई लोग इसे सोने में इन्वेस्टमेंट का सबसे आसान और सुविधाजनक तरीका मानते हैं. लेकिन याद रहे कि फिजिकल गोल्ड की खरीद पर 3 फीसदी जीएसटी लगता है. अगर आप गोल्ड ज्वैलरी के माध्यम से सोने में निवेश करना चाहते हैं तो बीआईएस हॉलमार्क वाली गोल्ड ज्वैलरी ही खरीदें. यह सोने की शुद्धता को प्रमाणित करता है.

गोल्ड ETF

आप गोल्ड ETF में भी निवेश कर सकते हैं, हालांकि भारत में ये ज्यादा लोकप्रिय नहीं हैं. गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF ) आपकी कैपिटल को फिजिकल गोल्ड में निवेश करता है और यह सोने की कीमत के हिसाब से घटता-बढ़ता रहता है. गोल्ड ETF के तौर पर मिनिमम 1 ग्राम सोने में भी निवेश किया जा सकता है, निवेश की कोई अपर लिमिट नहीं है. गोल्ड ETF में कोई लॉक इन पीरियड नहीं होता है.

गोल्ड म्यूचुअल फंड्स

गोल्ड म्यूचुअल फंड्स भी सोने में निवेश का एक तरीका है. यह गोल्ड ईटीएफ में निवेश करता है. म्यूचुअल फंड की तरह गोल्ड में भी SIP शुरू कर सकते हैं. इससे 500 रुपये की छोटी रकम से भी सोने में लॉन्ग टर्म के लिए निवेश किया जा सकता है. SIP की रकम अपने आप बैंक खाते से कट जाती है. गोल्ड SIP में निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट की जरूरत नहीं है.

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड गवर्मेंट सिक्योरिटीज हैं, जिन्हें केंद्रीय बैंक आरबीआई, सरकार की ओर से जारी करता है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर निवेशकों को हर साल 2.5 फीसदी का ब्याज हासिल होता है. आमतौर पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का लॉक इन पीरियड 5 साल है और मैच्योरिटी पीरियड 8 साल है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, पेपर फॉर्म में होता है. निवेशक को कम से कम एक ग्राम सोने के लिए निवेश करना होगा. कोई भी व्यक्ति और हिंदू अविभाजित परिवार अधिकतम 4 किलो मूल्य तक का गोल्ड बॉन्ड खरीद सकता है. ट्रस्ट और समान संस्थाओं के लिए खरीद की अधिकतम सीमा 20 किलो है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सभी बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SHCIL), नामित डाकघरों और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों (Stock Exchanges), नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड (BSE) के माध्यम से बेचे जाते हैं.

डिजिटल गोल्ड

सोने में निवेश के लिए डिजिटल गोल्ड का विकल्प भी है. कई बैंक, मोबाइल वॉलेट और ब्रोकरेज कंपनियों ने MMTC-PAMP या सेफगोल्ड के साथ साझेदारी की हुई है. इसी की मदद से वे डिजिटल गोल्ड खरीदने की सुविधा देते हैं. डिजिटल गोल्ड में छोटे-छोटे अमाउंट में सोने में पैसा लगा सकते हैं. डिजिटल तरीके से 24 कैरेट यानी 99.99 सोने में निवेश कैसे करें? फीसदी शुद्ध सोना डिजिटली सुरक्षित रखा जा सकता है, जब चाहे इसे बेचा जा सकता है और चाहें तो फिजिकल फॉर्म में यानी बिस्किट, कॉइन या ज्वेलरी के रूप में डिलीवरी भी पाई जा सकती है. डिजिटल फॉर्म में 1 रुपये में भी सोना खरीदा जा सकता है. Paytm, Google Pay और PhonePe यूजर्स को डिजिटल गोल्ड की खरीद-बिक्री की सुविधा दे रहे हैं.

Investment in Gold : त्योहारी सीजन में खरीदने जा रहे हैं सोना? पहले जाने लें कि कैसे किया जाए गोल्ड में निवेश

Investment in Gold : सोने को फिजिकल फॉर्मेट (Physical Gold) और इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट (e-Gold) में खरीदा जा सकता है। आप कई एप्स के माध्यम से डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) खरीद सकते हैं। इसके बाद कई गोल्ड म्यूचुअल फंड्स (Gold Mutual Fund) आते हैं। गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) की बात करें, तो इसके जरिए आप अपने डीमैट अकाउंट से भी सोना खरीद सकते हैं।

Gold Price Today

Investment in Gold : सोने में इस तरह करें निवेश

हाइलाइट्स

  • सोने को फिजिकल फॉर्मेट और इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में खरीदा जा सकता है
  • कई एप्स के माध्यम से डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं
  • फिजिकल गोल्ड में चोरी हो जाने, क्वालिटी के साथ छेड़छाड़ का रहता है डर
  • गोल्ड एक महत्वपूर्ण एसेट है और यह पोर्टफोलियो में होना चाहिए

इस तरह भी खरीद सकते हैं सोना
सोने को फिजिकल फॉर्मेट और इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में खरीदा जा सकता है। आप कई एप्स के माध्यम से डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं। इसके बाद कई गोल्ड म्यूचुअल फंड्स आते हैं। गोल्ड ईटीएफ की बात करें, तो इसके जरिए आप अपने डीमैट अकाउंट से भी सोना खरीद सकते हैं। इसके बाद आता है सॉवरेन गोल्ड बांड। सॉवरेन गोल्ड बांड कुछ अवधि के लिए ही उपलब्ध रहता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) हर एक से दो महीने में इश्यू लेकर आता है, जिसमें आप सॉवरेन गोल्ड बांड खरीद सकते हैं। इन इश्यू या buying windows की लिस्ट आपको आरबीआई की वेबसाइट पर मिल जाएगी। यह विंडो पांच दिनों के लिए खुली रहती है।

कहां कितनी रिस्क?
फिजिकल गोल्ड में चोरी हो जाने, क्वालिटी के साथ छेड़छाड़, मेकिंग प्रोसेस के साथ थोड़ा कम हो जाने सहित कई छोटे-बड़े इश्यूज होते हैं। डिजिटल गोल्ड के साथ बड़ा जोखिम नियामकीय स्तर पर कमी है। यहां कोई सेबी नहीं है, कोई आरबीआई नहीं है या कोई भी अन्य रेगूलेटरी बॉडी नहीं है, जो इन कंपनियों के मामलों को देखे। रेगूलेशन की कमी डिजिटल गोल्ड के लिए एक बड़ा माइनस पॉइंट है। गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेट फंड्स या गोल्ड ईटीएफ ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स हैं, जो फिजिकल गोल्ड द्वारा समर्थित हैं। ईटीएफ सीधे रूप से सोने या सोने के खनन और रिफाइनिंग कंपनियों में निवेश करता है। गोल्ड ईटीएफ के लिए यह एक बड़ा प्लस पॉइंट है, क्योंकि यह फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट वास्तविक सोने से समर्थित है। वहीं, एक गोल्ड म्यूचुअल सोने में निवेश कैसे करें? फंड सीधे रूप से ईटीएफ का विस्तार है.. क्योंकि अधिकांश गोल्ड म्यूचुअल फंड्स कई सारे गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं। गोल्ड इटीएफ और गोल्ड सोने में निवेश कैसे करें? म्यूचुअल फंड्स के बारे में एक अच्छा पॉइंट यह है कि ये दोनों प्रोडक्ट्स सेबी की निगरानी के साथ आते हैं। इसके अलावा सॉवरेन गोल्ड बांड के साथ रिस्क बहुत ही कम है। यहां जोखिम तब है, जब भारत सरकार सॉवरेन गारंटी में डिफॉल्ट हो जाए।

कितना लगता है टैक्स?
जब आपका इन्वेस्टमेंट मैच्योर होता है या जब आप बिक्री करते हैं, उस समय आपको टैक्स देना होता है। फिजिकल गोल्ड, डिजिटल गोल्ड, गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स की बिक्री से मिले कैपिटल गेन पर टैक्स लगता है। यह टैक्स आपके होल्डिंग पीरियड पर निर्भर करता है। अगर सोने को तीन साल के अंदर मुनाफे के साथ बेचा जाता है, तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। इसका मतलब है कि मुनाफा आपकी आय में जुड़ जाएगा और इस पर आपके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा। अगर सोना तीन साल के बाद मुनाफे पर बेचा जाता है, तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। इस मामले में आपका लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स इंडेक्सेशन बेनिफिट्स के साथ 20 फीसदी होगा। सॉवरेन गोल्ड बांड से प्राप्त हुआ सारा ब्याज आपकी आय में जुड़ता है, और इस पर आपके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है। वहीं, अगर सॉवरेन गोल्ड बांड आठ साल बाद रिडीम किया जाता है, तो सारा कैपिटल गेन पूरी तरह टैक्स फ्री होता है।

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इस तरह करें निवेश
गोल्ड एक महत्वपूर्ण एसेट है और यह पोर्टफोलियो में होना चाहिए, क्योंकि यह स्थिर रिटर्न व इन्फ्लेशन हेज देता है और इक्विटीज के साथ कमजोर को-रिलेशन रखता है। अगर आप पांच साल या इससे अधिक के लिए निवेश कर रहे हैं, तो सॉवरेन गोल्ड बांड को चुनिए। यहां आपको अपने निवेश पर सोने में निवेश कैसे करें? ब्याज भी मिलेगा और अगर आप आरबीआई विंडों से रिडीम करते हैं, तो आपका कैपिटल गेन टैक्स फ्री होगा। दूसरी तरफ, अगर आप शॉर्ट टर्म के लिए सोने में निवेश करना चाहते हैं, तो आप गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर सकते हैं, क्योंकि यहां आपको लिक्विडिटी काफी अधिक मिलेगी।

सोने में निवेश करके मिलेगा शानदार रिटर्न, यह है तरीका

सोने में निवेश करके मिलेगा शानदार रिटर्न, यह है तरीका

aajtak.in

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  • नई सोने में निवेश कैसे करें? दिल्ली ,
  • 02 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 10:59 AM IST

भारत में निवेश के लिए सोना एक भरोसेमंद विकल्प होता है. सालों से लोग अपनी बचत को सोने में निवेश करते हैं. इस त्यौहारी सीजन में सोने में निवेश के अलग-अलग विकल्पों का आप इस्तेमाल कर लाभ उठा सकते हैं. फिजिकली गोल्ड में निवेश, गोल्ड म्यूचुअल फंड्स में निवेश, डिजिटल गोल्ड खरीदें और सॉवरेन गोल्ड बांड्स से मिलेगा फायदा. देखें वीडियो.

Gold gives safety and liquidity to the investors who are looking for investing. Gold prices are expected to firm up due to the novel coronavirus. Investing in gold is worthwhile. There are different ways of investing gold to get high returns and make your money safe. Invest in physical gold, mutual funds, buy digital gold, and sovereign gold bonds. Watch the video to know more.

Investment in Gold: शेयर बाजार से नहीं मिल रहा रिटर्न? गोल्ड के इन निवेश विकल्पों में पैसा लगाकर कमाएं बढ़िया मुनाफा

एक अनुमान के अनुसार धरती पर करीब 1,90,000 टन गोल्ड (Gold) की इन्वेंट्री मौजूद है। जैसा कि हम उम्मीद कर सकते हैं, इसका करीब 50 फीसद सिर्फ ज्वैलरी के रूप में है। इसके बाद करीब 20 फीसद इंडिविजुअल्स के पास है, सोने में निवेश कैसे करें? जो कि गोल्ड बार (Gold Bar), गोल्ड कॉइन्स (Gold Coins), गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (Gold ETF) और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स (Gold Mutual Funds) आदि के रूप में मौजूद है। इसके बाद अगला 17 फीसद दुनिया के केंद्रीय बैंकों के पास है और बचा हुआ 13 फीसद आपके स्मार्टफोन्स, माइक्रोचिप्स और मेडिसिन में उपयोग हुआ है। अब आप सोचेंगे कि कौन-सी मेडिसिन में सोना यूज होता है, तो हम आपको बता दें कि दंत चिकित्सा में लंबे समय तक चलने वाली फिलिंग को आकार देने के लिए सोने का उपयोग होता है। सोने में निवेश (Investment in Gold) कर आप इससे अच्छी इनकम कमा सकते हैं। आज हम आपको सोने में निवेश के सबसे बेहतर तरीके के बारे में बताएंगे।

फिजिकल गोल्ड के नुकसान

फिजिकल गोल्ड के नुकसान

फिजिकल गोल्ड (Physical Gold) खरीदने का नुकसान यह है कि मेकिंग और डिजाइनिंग चार्जेज के चलते यह अधिक महंगा हो जाता है। इसे आप लॉकर आदि में रखते हो तो आपको उस पर भी पैसा खर्च करना पड़ेगा। साथ ही फिजिकल गोल्ड को बेचना भी महंगा है, क्योंकि यह पूरी तरह प्योर गोल्ड (Pure Gold) नहीं होता है। इसके अलावा आपको अपने पास इसका प्यूरिटी सर्टिफिकेट भी रखना होगा। कुछ परिस्थितियों में, आपने यह कहां से खरीदा इस सोने में निवेश कैसे करें? पर भी सवाल उठ सकते हैं।

ये हैं सोने के अन्य निवेश विकल्प

ये हैं सोने के अन्य निवेश विकल्प

फिजिकल गोल्ड के अलावा सोने में डिजिटल गोल्ड (Digital Gold), गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF), गोल्ड म्यूचुअल फंड्स (Gold Mutual Funds), सॉवरेन गोल्ड बांड्स (Sovereign Gold Bonds) आदि जैसे विभिन्न फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स के माध्यम से भी निवेश किया जा सकता है। इन सब निवेश प्रोडक्ट्स के बीच एक बात यह कॉमन है कि इनकी कीमतें सोने के भाव से लिंक्ड होती है। लेकिन इसके अलावा, इनके बीच लागत, रिटर्न्स, लिक्विडिटी, रिस्क, लॉक-इन पीरियड, खरीदारी के विकल्प और टैक्स के मामले में ढेर सारे डिफरेंसेज हैं।

क्यों खरीदें सोना?

क्यों खरीदें सोना?

रिटर्न के नजरिये से देखें..तो सोने ने पिछले 40 वर्षों में 9.6 फीसद की दर से सालाना रिटर्न दिया है। रिस्क के नजरिये से देखे, तो सोने ने इक्विटीज की तुलना में निश्चित रूप से कम अस्थिरता दिखाई है। दरअसल, सोने और शेयर बाजारों के बीच एक तरह का उलटा संबंध होता है। जब शेयर बाजारों में गिरावट आती है या बहुत अधिक अनिश्चितता होती है, तो सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिलती है। जब अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट आती है या कोई बड़ी वित्तीय आपदा आ जाए जैसे 1991-92, 2000, 2008/2009 और साल 2020 में आई, तो सोना काफी अच्छा परफॉर्म करता है।

कैसे खरीदा जा सकता है सोना?

कैसे खरीदा जा सकता है सोना?

सोने को फिजिकल फॉर्मेट और इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में खरीदा जा सकता है। आप कई सोने में निवेश कैसे करें? एप्स के माध्यम से डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं। इसके बाद कई गोल्ड म्यूचुअल फंड्स आते हैं। गोल्ड ईटीएफ की बात करें, तो इसके जरिए आप अपने डीमैट अकाउंट से भी सोना खरीद सकते हैं। इसके बाद आता है सॉवरेन गोल्ड बांड। सॉवरेन गोल्ड बांड कुछ अवधि के लिए ही उपलब्ध रहता है। भारतीय रिजर्व बैंक हर एक से दो महीने में इश्यू लेकर आता है, जिसमें आप सॉवरेन गोल्ड बांड खरीद सकते हैं। इन इश्यू या buying windows की लिस्ट आपको आरबीआई की वेबसाइट पर मिल जाएगी। यह विंडो पांच दिनों के लिए खुली रहती है।

कहां कितना है रिस्क?

कहां कितना है रिस्क?

फिजिकल गोल्ड में चोरी हो जाने, क्वालिटी के साथ छेड़छाड़, मेकिंग प्रोसेस के साथ थोड़ा कम हो जाने सहित कई छोटे-बड़े इश्यूज होते हैं। सोने में निवेश कैसे करें? डिजिटल गोल्ड के साथ बड़ा जोखिम नियामकीय स्तर पर कमी है। यहां कोई सेबी नहीं है, कोई आरबीआई नहीं है या कोई भी अन्य रेगूलेटरी बॉडी नहीं है, जो इन कंपनियों के मामलों को देखे। रेगूलेशन की कमी डिजिटल गोल्ड के लिए एक बड़ा माइनस पॉइंट है। गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेट फंड्स या गोल्ड ईटीएफ ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स हैं, जो फिजिकल गोल्ड द्वारा समर्थित हैं। ईटीएफ सीधे रूप से सोने या सोने के खनन और रिफाइनिंग कंपनियों में निवेश करता है। गोल्ड ईटीएफ के लिए यह एक बड़ा प्लस पॉइंट है, क्योंकि यह फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट वास्तविक सोने से समर्थित है। वहीं, एक गोल्ड म्यूचुअल फंड सीधे रूप से ईटीएफ का विस्तार है.. क्योंकि अधिकांश गोल्ड म्यूचुअल फंड्स कई सारे गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं। गोल्ड इटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स के बारे में एक अच्छा पॉइंट यह है कि ये दोनों प्रोडक्ट्स सेबी की निगरानी के साथ आते हैं। इसके अलावा सॉवरेन गोल्ड बांड के साथ रिस्क बहुत ही कम है। यहां जोखिम तब है, जब भारत सरकार सॉवरेन गारंटी में डिफॉल्ट हो जाए।

कितना लगता है टैक्स

कितना लगता है टैक्स

जब आपका इन्वेस्टमेंट मैच्योर होता है या जब आप बिक्री करते हैं, उस समय आपको टैक्स देना होता है। फिजिकल गोल्ड, डिजिटल गोल्ड, गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स की बिक्री से मिले कैपिटल गेन पर टैक्स लगता है। यह टैक्स आपके होल्डिंग पीरियड पर निर्भर करता है। अगर सोने को तीन साल के अंदर मुनाफे के साथ बेचा जाता है, तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। इसका मतलब है कि मुनाफा आपकी आय में जुड़ जाएगा और इस पर आपके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा। अगर सोना तीन साल के बाद मुनाफे सोने में निवेश कैसे करें? पर बेचा जाता है, तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। इस मामले में आपका लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स इंडेक्सेशन बेनिफिट्स के साथ 20 फीसद होगा। सॉवरेन गोल्ड बांड से प्राप्त हुआ सारा ब्याज आपकी आय में जुड़ता है, और इस पर आपके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है। वहीं, अगर सॉवरेन गोल्ड बांड आठ साल बाद रिडीम किया जाता है, तो सारा कैपिटल गेन पूरी तरह टैक्स फ्री होता है।

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