म्यूचुअल फंड को समझना

निवेश लिए बेहतर विकल्प
एक्सपर्ट के मुताबिक, अन्य फंड्स की तुलना में बेहतर परफॉर्मेंस करने वालों की तुलना म्यूचुअल फंड को समझना में एचडीएफसी इक्विटी ग्रोथ, एबीएसएल फ्रंटलाइन इक्विटी, कोटक सिलेक्ट फोकस फंड, एसबीआई ब्लूचिप रेगुलर ग्रोथ, आईसीआईसीआई प्रु.फोकस्ड ब्लूचिप इक्विटी, आईसीआईसीआई प्रु. वैल्यू डिस्कवरी, एचडीएफसी टॉप 200, मोतीलाल ओसवाल मल्टीकैप 35, फ्रैंकलिन इंडिया प्राइमा प्लस, आईसीआईसीआई प्रु. डायनैमिक प्लान म्यूचुअल फंड शामिल है। इनमें निवेश करना एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
म्यूचुअल फंड बनाम फिक्स्ड डिपॉजिट
यदि आप एक ऐसे इन्वेस्टर हैं, जो फाइनेंशियल मार्केट के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आपके लिए कई इन्वेस्टमेंट विकल्प उपलब्ध हैं. हालांकि, जिन दो विकल्प को लेकर लोग अधिकतम भ्रमित रहते हैं, वे हैं म्यूचुअल फंड बनाम एफडी. म्यूचुअल फंड एक स्टैंडर्ड इन्वेस्टमेंट विकल्प है, लेकिन जब आप इसकी तुलना फिक्स्ड डिपॉजिट से करते हैं, तो आपको आश्चर्य होगा कि फिक्स्ड डिपॉजिट कितने सामान्य हैं. दोनों इन्वेस्टमेंट अलग-अलग तरीके के इन्वेस्टमेंट हैं. इन्वेस्टमेंट करने से पहले, किसी भी व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि इन्वेस्टमेंट क्या होता है और इसके क्या लाभ और नुकसान हो सकते हैं.
लोकप्रिय इन्वेस्टमेंट साधनों के रूप में, फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड ने इन्वेस्टर्स को अपनी सेविंग को तेजी से बढ़ाने में सक्षम बनाया है. हालांकि, इन दोनों तरीकों से प्रदान किए जाने वाले लाभ आपकी इन्वेस्टमेंट आवश्यकताओं के अनुसार अलग-अलग होते हैं. इसलिए, दोनों में से किसी एक को चुनने से पहले इन्वेस्टमेंट के दोनों तरीकों के बारे में विस्तार से जानना बेहतर है.
फिक्स्ड डिपॉजिट क्या है
सबसे सुरक्षित इन्वेस्टमेंट विकल्पों में से एक के रूप में, फिक्स्ड डिपॉजिट आपको अपने डिपॉजिट पर सुनिश्चित रिटर्न प्राप्त करने में मदद कर सकती है. आप लंपसम राशि डिपॉजिट कर सकते हैं जिस पर पूर्वनिर्धारित अवधि के लिए एक निश्चित ब्याज़ प्राप्त होता है. फिक्स्ड डिपॉजिट में, इन्वेस्टर के समूह द्वारा पैसे का पूलिंग नहीं होती है, और इन्वेस्ट करने से पहले ब्याज़ का निर्णय लिया जाता है, इसलिए रिटर्न बाहरी मार्केट के प्रभावों से अप्रभावित रहता है.
म्यूचुअल फंड एक फाइनेंशियल साधन है, जो स्टॉक, बांड, इक्विटीज़ और अन्य मार्केट लिंक्ड इंस्ट्रूमेंट या सिक्योरिटीज़ के पोर्टफोलियो से बनाया जाता है. कई इन्वेस्टर मिलकर म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट करने के लिए आते हैं और अपनी सेविंग बढ़ाने के एक सामान्य लक्ष्य के साथ आते हैं. इन इन्वेस्टमेंट के माध्यम से अर्जित कुल आय खर्च काटने के बाद इन्वेस्टर के बीच बराबर बराबर बांट दी जाती है.
फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट के लाभ
- आपने कौन से प्रकार का फंड चुना है इस आधार पर म्यूचल फंड में लॉक इन पीरियड हो सकता है, या फिर आप जब चाहें इन से निकल सकते हैं. इसी प्रकार, आप अपने पैसे को फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए 1–5 वर्षों तक फंड के साथ रख सकते हैं.
- चाहे आप म्यूचुअल फंड का विकल्प चुनें या फिक्स्ड डिपॉजिट का, लंबी अवधि के लिए इन्वेस्टमेंट करना हमेशा फायदेमंद रहता है. आप कम अवधि (यानी एक वर्ष से कम समय) चुनने पर उच्च रिटर्न प्राप्त नहीं कर सकते.
- म्यूचुअल फंड के मामले में, वर्ष समाप्त म्यूचुअल फंड को समझना होने से पहले आपके द्वारा किए गए लाभ पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स का टैक्स लगाया जाता है. फिक्स्ड डिपॉजिट के मामले में, फाइनेंशियल वर्ष 2020-21 के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट से अर्जित ब्याज़ पर टीडीएस. फाइनेंशियल वर्ष के दौरान रु. 5,000. इसे 14 मई, 2020 से लागू किया गया है.
म्यूचुअल फंड में निवेश दे सकता है छप्पर फाड़ के पैसा, लेकिन पहले इन बातों को समझना है जरूरी
नई दिल्ली, 7 मई। इन दिनों टेलीविजन पर चैनल बदलते समय आपको म्यूचुअल फंड्स के विज्ञापन दिख जाएगें और इसमें बड़ी ही आसानी से निवेश और पैसा दोगुना करने की बात कही जाती है। तो क्या वाकई लोग इसमें तेजी म्यूचुअल फंड को समझना से पैसा इन्वेस्ट कर रहे हैं? क्या ये पैसा कमाने का एक आसान तरीका है? किस फंड में निवेश करने से सबसे ज्यादा फायदा होगा? कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब हम आपको बता रहे हैं।
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के दो तरीके
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के बारे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसमें दो तरीके से निवेश किया जा सकता है। पहला SIP और दूसरा एक मुश्त रकम का निवेश। SIP के लिए आपको बाजार में ज्यादा समय देने की जरूरत नहीं पड़ती। इसमें बीते समय की एक अवधि के दौरान शेयर बाजार की अस्थिरता के चलते जोखिम का औसत निकालते हैं। वहीं म्यूचुअल फंड में एक मुश्त रकम का निवेश करते समय आपको गाइडलाइंस ठीक से पढ़ने की जरूरत है।
ये 3 तरह के लोग गलती से भी ना लगाएं म्यूचुअल फंड में पैसे, फायदा होना तो दूर की बात है, उल्टा पछताना पड़ेगा
म्यूचुअल फंड में निवेश की राय तो आपको बहुत से लोग देते होंगे, लेकिन ये बात कोई नहीं बताएगा. 3 तरह के लोगों को म्यूचुअल फंड में पैसे कभी नहीं लगाने चाहिए. ऐसे लोग म्यूचुअल फंड में म्यूचुअल फंड को समझना पैसे लगाकर बहुत पछताते हैं.
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के बारे में तो हम सभी जानते हैं, लेकिन अधिकतर लोग इसे ठीक से समझते नहीं हैं. म्यूचुअल फंड एक ऐसा फंड होता है, जिसे एएमसी (AMC) यानी असेट मैनेजमेंट कंपनियां ऑपरेट करती हैं. यह फंड बहुत सारे लोगों के पैसों से मिलकर बना होता है. एएमसी इन पैसों को थोड़ा-थोड़ा करके निवेश (Investment) करती हैं और निवेश करने के दौरान यह ध्यान रखती हैं कि पैसे सुरक्षित तरीके से निवेश हों. यह कंपनियां निवेशकों के पैसों को सोच-समझकर पूरी रिसर्च के बाद म्यूचुअल फंड को समझना कहीं निवेश करती हैं. इन पैसों को शेयर बाजार में भी लगाया जाता है और सोने में भी लगाया जाता है. जो भी रिटर्न मिलता है, उसे निवेशकों में उनके शेयरों की हिस्सेदारी के हिसाब से बांट म्यूचुअल फंड को समझना दिया जाता है.
1- जिन्हें एक्स्ट्रा चार्ज देना पसंद नहीं
म्यूचुअल फंड को संभालने के लिए आपको अपने निवेश में से एक एक्सपेंस रेश्यो का चार्ज चुकाना पड़ता है. एसेट मैनेजमेंट कंपनियां फंड डिस्ट्रिब्यूशन और मार्केटिंग का खर्च उठाती हैं. इतना ही नहीं, यह कंपनियां ट्रांसफर कस्टोडियन, लीगल और ऑडिटिंग का खर्च भी उठाती हैं. ये सारे ही खर्चे म्यूचुअल फंड खरीदने वाले निवेशकों से वसूले जाते हैं. एक्सपेंस रेश्यो एक ही बार में नहीं वसूले जाते हैं, फंड हाउस हर दिन के खर्चों को जोड़कर डेली बेसिस के हिसाब से खर्च निकालते हैं. जो इन खर्चों को नहीं चुकाना चाहते, उन्हें म्यूचुअल फंड से दूर ही रहना चाहिए.
अगर आप उन लोगों में से हैं, जिन्हें अपने निवेश पर जल्दी रिटर्न चाहिए होता है, तो म्यूचुअल फंड आपके लिए नहीं है. अधिकतर मामलों में विशेषज्ञ मानते हैं कि म्यूचुअल फंड में फायदा तभी है, जब लंबे वक्त के लिए पैसे लगाए जाएं. वहीं म्यूचुअल फंड में एक लॉक-इन पीरियड भी होता है. तो अगर म्यूचुअल फंड को समझना आपको लंबे वक्त के लिए पैसे निवेश करना पसंद नहीं है तो म्यूचुअल फंड आपके लिए बिल्कुल नहीं है.
3- जो टैक्स नहीं देना चाहते
अगर आप पीपीएफ या एनपीएस जैसी योजनाओं में निवेश करते हैं तो आपको टैक्स में छूट मिलती है. वहीं अगर आप म्यूचुअल फंड में पैसे लगाते हैं तो आपको टैक्स छूट नहीं मिलती है. म्यूचुअल फंड के रिटर्न पर भी आपको टैक्स चुकाना होता है. इसकी वजह से आपका नेट मुनाफा घट जाता है. ऐसे में अगर आप टैक्स नहीं चुकाना चाहते हैं तो म्यूचुअल फंड से मुनाफा म्यूचुअल फंड को समझना कमाने की ना सोचें, अपने पैसे कहीं और निवेश करें.
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म्यूचुअल फंड: निवेश पर घटा सकते म्यूचुअल फंड को समझना म्यूचुअल फंड को समझना हैं जोखिम, लॉन्ग टर्म रिटर्न के हिसाब से करें किसी भी फंड का चुनाव
बीपीएन फिनकैप के निदेशक एके निगम का कहना है कि इक्विटी बाजार की तरह म्यूचुअल फंडों में निवेश पर भी जोखिम रहता है। इस जोखिम के कई कारण होते हैं। इनमें घरेलू के साथ वैश्विक कारण भी होते हैं, जिससे म्यूचुअल फंड में निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ता है। हालांकि, फंड मैनेजरों की मदद से और अपनी निवेश रणनीति बदलकर इस जोखिम को कम किया जा सकता है। बाजार में म्यूचुअल फंड की कई योजनाएं उपलब्ध हैं, जिसमें अपने लिए बेहतर का चयन कर निवेश कर सकते हैं।
- एके निगम का कहना है कि अगर रिटर्न के हिसाब से अपने लिए किसी म्यूचुअल फंड योजना का चुनाव कर रहे हैं तो हमेशा लॉन्ग टर्न रिटर्न देखें।
- लॉन्ग टर्म यानी 8-10 साल के ट्रैक रिकॉर्ड को देखें तो इससे लिवाली और बिकवाली दोनों परिस्थितियों में फंड के प्रदर्शन को समझने में मदद मिलती है।
- 10 साल का ट्रैक रिकॉर्ड देखें, फंड के पूरे प्रदर्शन को समझने में मिलती है मदद।
- ऐसे फंड का चयन करें, जिसने कम-से-कम 2-3 साल की अवधि में लगातार बेहतर प्रदर्शन किया हो
विस्तार
बीपीएन फिनकैप के निदेशक एके निगम का कहना है कि इक्विटी बाजार की तरह म्यूचुअल फंडों में निवेश पर भी जोखिम रहता है। इस जोखिम के कई कारण होते हैं। इनमें घरेलू के साथ वैश्विक कारण भी होते हैं, जिससे म्यूचुअल फंड में निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ता है। हालांकि, फंड मैनेजरों की मदद से और अपनी निवेश रणनीति बदलकर इस जोखिम को कम किया जा सकता है। बाजार में म्यूचुअल फंड की कई योजनाएं उपलब्ध हैं, जिसमें अपने लिए बेहतर का चयन कर निवेश कर सकते हैं।
- एके निगम का कहना है कि अगर रिटर्न के हिसाब से अपने लिए किसी म्यूचुअल फंड योजना का चुनाव कर रहे हैं तो हमेशा लॉन्ग टर्न रिटर्न देखें।
अपने जोखिम का आकलन करें
सेबी के मुताबिक, एसेट मैनेजमेंट कंपनी को अपने सभी फंड के लिए रिस्क-ओ-मोटर दिखाना होता है। इसमें म्यूचुअल फंड से जुड़े सभी जोखिम के स्तर के बारे में जानकारी देनी होती है। इससे पहले रिस्क-ओ-मीटर में किसी खास श्रेणी म्यूचुअल फंड को समझना से जुड़े जोखिम को दिखाया जाता था, लेकिन अब किसी फंड में निवेश से पहले इस मीटर से जांच लें कि किस फंड से जुड़ा जोखिम आपकी क्षमता के अनुकूल है। इसका स्तर लिक्विडिटी, क्रेडिट, ब्याज दर, बाजार पूंजीकरण और उतार-चढ़ाव जैसे जोखिमों के आधार पर तय होती है।
FD करें या म्यूचुअल फंड में SIP के जरिये निवेश शुरू करें, आप अपने सभी सवालों के जवाब महज 2 मिनट में जानें
Written By: ANISH KUMAR SINGH
Updated on: November 20, 2022 22:01 IST
Photo:FILE म्यूचुअल फंड
नई दिल्ली, अनीश कुमार सिंह। फिक्स्ड डिपोजिट में कभी आपके पैसे 6 ये 7 साल में डबल होते थे, आज आपके पैसों को डबल होने में करीब 12 से 13 साल लग जाएंगे। अब आप कहेंगे कि अपने पैसे लगाएं कहां, तो इसका जवाब महज 2 मिनट में हम दे रहे हैं। यह तो आप जान ही रहे हैं कि चाहे बैंक हो या पोस्टऑफिस, अब आपके पैसों में पंख नहीं लगने वाले। फिक्स्ड डिपोजिट की रेट फिलहाल 6 से 7 फीसदी के करीब है। यानी 12 से 13 साल तो कहीं नहीं गए, जब आप अपने पैसों को डबल होते हुए देखेंगे। और रही बात इन्फ्लेशन की। जिसे आप महंगाई डायन भी कह सकते हैं। वो भी 6 से 7 फीसदी के करीब आंख गड़ाए बैठी है। यानी हर साल आपके पैसों की वैल्यू कम ही होती जा रही है। अगर आपके पास 100 रुपये हैं तो अगले साल उसकी वैल्यू 93 रुपये के करीब रह जाएगी। मौजूदा दौर में आपके के पास एक सबसे उपयुक्त विकल्प बचता है और वो है म्यूचुअल फंड में निवेश। आप इसमें अपनी बचत को निवेश कर शानदार रिटर्न पा सकते हैं।