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लाभ पद्धति

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Feng Shui: खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए करें फेंगशुई के ये उपाय, घर पर कभी नहीं रहेगा कलेश

Feng Shui Tips for Happy Married Life: वास्तु शास्त्र की तरह खुशहाल जिंदगी के लिए फेंगशुई में भी कई तरह के उपाय बताए गए हैं. हालांकि, फेंगशुई चीनी पद्धति है, लेकिन लाभ पद्धति इससे जुड़ी ऐसी कई चीजें हैं, जिन्हें घर पर रखने से कई परेशानियां दूर हो जाती हैं. चाहे वह घर की आर्थिक स्थिति हो या फिर लड़ाई-झगड़ा या वैवाहिक जीवन. आज के लेख में फेंगशुई से जुड़ी ऐसी बातों के बारे में बताएंगे, जिनको अपनाने से जीवनसाथी के साथ संबंध प्रगाढ़ होते हैं, साथ ही वैवाहिक जीवन में खुशहाली बने रहती है.

भौगोलिक सूचना प्रणाली क्या है? भौगोलिक सूचना प्रणाली के घटक एवं उपयोग

भौगोलिक सूचना प्रणाली क्या है (Geographic Information Systems in hindi) –

भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) पृथ्वी की सतह पर भौगोलिक स्थिति के लिए डेटा संग्रह, विश्लेषण और कल्पना करता है! GIS एक कंप्यूटर-आधारित उपकरण है जो स्थानिक संबंधों, पैटर्न और रुझानों की जांच करता है! भूगोल को डेटा से जोड़कर जीआईएस भौगोलिक संदर्भ का उपयोग करके डाटा को बेहतर ढंग से समझता है!

भौगोलिक सूचना प्रौद्योगिकी से अभिप्राय किसी स्थान अथवा क्षेत्र विषय से संबंधित आंकड़ों एवं सूचनाओं का एकीकरण करना तथा कंप्यूटर द्वारा उन सूचनाओं की संगणना, भंडारण, विशेषण और लाभ पद्धति उपयोग करने से है!

भौगोलिक सूचना तंत्र, सूचनाओं का अपार भंडार है जिसमें स्थानीय आंकड़ों, विशिष्ट सूचनाओं की स्थिति निर्धारण, पृथ्वी से संदर्भित आंकड़ों के प्रग्रहण, भंडारण, जांच समन्वय, हेर-फेर, विश्लेषण, प्रदर्शन आदि को सम्मिलित किया जाता हैं! इन सभी सूचनाओं के तंत्र को “भौगोलिक सूचना तंत्र” कहते हैं

गिस फुल फॉर्म (GIS ka full form in hindi) –

गिस (GIS) फुल फॉर्म – Geographic Information Systems है, जिसका हिंदी अर्थ भौगोलिक सूचना प्रणाली होता है!

भौगोलिक सूचना प्रणाली के घटक (gis ke ghatak in hindi) –

भौगोलिक सूचना प्रणाली या जीआईएस (GIS) घटक इस प्रकार है –

(1) डाटा (Data) –

जीआईएस स्थान डाटा को विषयगत परतों के रूप में संग्रहित करता है! प्रत्येक डाटा सेट में एक लाभ पद्धति लाभ पद्धति विशेषता तालिका होती है, जो सुविधा के बारे में जानकारी संग्रहित करती है! जीआईएस डाटा के दो मुख्य प्रकार रेखापुंज और वेक्टर हैं!

(2) हार्डवेयर (Hardware) –

हार्डवेयर जीआईएस सॉफ्टवेयर चलाता है! यह शक्तिशाली सर्वर मोबाइल फोन या व्यक्तिगत जीआईएस वर्कस्टेशन से कुछ भी हो सकता है! सीपीयू आपका वर्कहार्स है और डाटा प्रोसेसिंग गेम का नाम है! दोहरे मॉनिटर अतिरिक्त भंडारण और कुरकुरा ग्राफिक्स प्रोसेसिंग काट दिया इसमें भी होने चाहिए!

(3) सॉफ्टवेयर (Software) –

आर्कजीस और क्यूजीआईएस GIS सॉफ्टवेयर में अग्रणी है! GIS सॉफ्टवेयर मानचित्रों में गणित का उपयोग करके स्थानिक विश्लेषण के विशेषज्ञ है! यह हमारी दुनिया को मापने, मात्रा निर्धारित करने और समझने के लिए आधुनिक तकनीक के साथ भूगोल को मिश्रित करता है!

(4) लोग (People) –

सूचना तंत्र से उपलब्ध सूचनाओं और ऑकडों का उपयोग लोगों अर्थात विषय विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, विद्वानों, प्रशासकों आदि द्वारा किया जाता है तथा उनका विश्लेषण कर विभिन्न प्रकार के समस्याओं का समाधान किया जाता है!

(5) प्रक्रिया (Process) –

प्रक्रिया में आंकड़ों का प्रत्यानयन, तंत्र में निवेश, संचय, प्रबंध, रूपांतरण, विश्लेषण और अंत में तंत्र में बहिर्वेश सम्मिलित हैं!

भौगोलिक सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग (Applications of Geographic Information Technology in hindi) –

gis के उपयोग इस प्रकार है –

(1) मैपिंग (Mapping) –

जीआईएस का उपयोग डाटा की एक दृश्य व्याख्या करने के लिए किया जाता है! गूगल मैप्स वेब आधारित जीआईएस मैपिंग समाधान का एक उत्कृष्ट उदाहरण है! इसका उपयोग लोग रोजमर्रा के नेविगेशन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए करते हैं!

(2) दूरसंचार और नेटवर्क सेवाएं –

संगठन अपने जटिल नेटवर्क डिजाइन, अनुकूलन, योजना और रखरखाव गतिविधियों में भौगोलिक डाटा को शामिल कर सकते हैं! यह डाटा बेहतर ग्राहक संबंध प्रबंधन और स्थान सेवा के माध्यम से दूर संचार प्रक्रिया को बढ़ाता है!

(3) पर्यावरणीय प्रभाव विश्लेषण –

प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और लाभ पद्धति पर्यावरण की रक्षा के लिए जीआईएस अनुप्रयोगों के माध्यम से एकत्रित डाटा महत्वपूर्ण है! प्रभाव कथन पर्यावरण पर मानव प्रभाव के परिमाण का आकलन करते हैं, जिससे जीआईएस एकीकरण संकेत देने में मदद करता है!

(4) शहरी नियोजन –

जीआईएस डाटा शहरी विकास और विस्तार की दिशा का विश्लेषण करता है! जब उचित रूप से लागू किया जाता है, तो यह सफल निर्माण के लिए आवश्यक विभिन्न कारकों को देखते हुए, आगे के विकास के लिए नए स्थानों की खोज कर सकता है!

(5) कृषि अनुप्रयोग –

उन्नत डाटा में मिट्टी के आंकड़ों का विश्लेषण करने के साथ, जीआईएस डाटा अधिक कुशल कृषि तकनीक बनाने में मदद करता है! इससे दुनिया के विभिन्न हिस्सों में खाद्य उत्पादन बढ़ सकता है!

भौगोलिक सूचना तंत्र के प्रमुख फायदे या लाभ (Advantages of gis in hindi) –

(1) डेरी उद्योग. वितरण, उत्पादन और दुकानों के स्थान की पहचान के लिए जीआईएस डेटा का उपयोग करता है!

(2) कृषि उत्पादन के लिए कीट नियंत्रण आवश्यक है और जीआईएस तकनीक प्रभावित क्षेत्रों की मैपिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है!

(3) वेब आधारित नेविगेशन मानचित्र जनता को उपयोगी जानकारी प्रदान करने के लिए GIS डेटा का उपयोग करते हैं!

(4) इसका उपयोग रॉक विशेषताओं का विश्लेषण करने और विभिन्न कार्यों के लिए सर्वोत्तम स्थान की पहचान करने के लिए भी किया जा सकता है!

(5) भौगोलिक सूचना तंत्र की सहायता से पर्यावरण का संरक्षण किया जा सकता हैं!

भारत में भौगोलिक सूचना प्रणाली का उपयोग (bharat me gis ke upyog) –

भारत में वर्तमान में इस तकनीक का उपयोग होने लगा है! भारत का जनसंख्या स्थिर कोष इस कार्य को कर रहा है! यह मानचित्रों और जनसंख्या के आंकड़ों के अद्वितीय एकीकरण के जरिए समस्त भारत में 458 जिलों के मानचित्र तैयार कर चुका है, जो प्रत्येक जिले, इसके प्रभागों और प्रत्येक गांव की जनसंख्या तथा स्वास्थ्य सुविधाओं से दूरी की स्थिति को दर्शाते हैं!

प्रत्येक गांव तक पहुंचाई गई सुविधा की विषमताओं को भी मानचित्र में दर्शाया गया है! साथ ही जिन क्षेत्रों में सुविधा का अभाव है, उन क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार सुविधा उपलब्ध कराने संबंधी जानकारी प्रदान की गई है!

प्रश्न :- gis क्या है (gis kya hai)

उत्तर :- GIS पृथ्वी की सतह पर भौगोलिक स्थिति के लिए डेटा संग्रह, विश्लेषण और कल्पना करता है! GIS एक कंप्यूटर-आधारित उपकरण है जो स्थानिक संबंधों, पैटर्न और रुझानों की जांच करता है भूगोल को डेटा से जोड़कर जीआईएस भौगोलिक संदर्भ का उपयोग करके डाटा को बेहतर ढंग से समझता है!

समाज कल्याण विभाग

समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित योजनाओं में अनुसूचित जातियों/ जनजातियों एवं विमुक्त जातियों कीं छात्रवृत्ति योजना, सामान्य वर्ग के गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले, स्वैच्छिक संगठनों द्वारा शिक्षा संबंधी कार्य तथा उन्हें दी जाने वाली आर्थिक सहायता से संबंधित योजना, राजकीय उन्नयन बस्तियों के रख-रखाव से संबंधित योजना, अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम-१९८९ के क्रियान्वयन से संबंधित योजना, आश्रम पद्धति विद्यालयों एवं छात्रावासों का संचालन, अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को शादी/बीमारी अनुदान दिये जाने की योजना सम्मिलित है। इसके अतिरिक्त स्पेशल कम्पोनेंट प्लान के अन्तर्गत अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम द्वारा स्वत: रोजगार योजना, सेनिटरी मार्ट योजना, दुकान निर्माण योजना, कौशल वृद्ध प्रशिक्षण की योजना तथा निशुल्क बोरिंग की योजना संचालित की जा रही है।

Research Article Detail

Yash Dhakad

जैविक खेती से अभिप्राय कृषि की ऐसी प्रणाली से है, जिसमें रासायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाओं का प्रयोग न कर उसके स्थान पर जैविक खाद या प्राकृतिक खाद का प्रयोग किया जाए।यह कृषि की एक पारंपरिक विधि है, जिसमें भूमि की उर्वरता में सुधार होने के साथ ही पर्यावरण प्रदूषण भी कम होता है। जैविक खेती पद्धतियों को अपनाने से धारणीय कृषि, जैव विविधता संरक्षण आदि लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये किसानों को प्रशिक्षण देना महत्त्वपूर्ण है। सूखा, ऋणग्रस्तता और मृदा की घटती उत्पादकता के दुष्चक्र से बाहर निकलने के लिये जैविक खेती एक उपयोगी विकल्प हो सकती है। लेकिन जैविक खेती को लेकर एक सार्वजनिक भ्रम मौजूद है। जैविक खेती के संबंध में हमारी कल्पना महँगे तथा कथित गैर-रासायनिक रूप से उत्पन्न खाद्य उत्पादों तक सीमित है जो उत्पाद कुछ विशिष्ट खुदरा दुकानों पर उपलब्ध होते हैं।

जैविक खेती के लाभ

  • जैविक खेती पद्धति को अपनाने से यह कृषि में कीटनाशकों के उपयोग को कम कर देगा जिससे खेतों में काम करने वाले लोगों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव बहुत कम पड़ेगा।
  • कृषि में जैविक पद्धतियों को अपनाने से किसानों की आय और लाभप्रदता दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिन किसानों ने भी इसे अपनाया है उनकी कृषि उत्पादकता में भारी वृद्धि हुई है।
  • इसके साथ ही कृषि भूमि की उर्वरता और उत्पादकता भी बढ़ रही है।
  • भारत में जैविक खेती की सफलता प्रशिक्षण और प्रमाणन पर निर्भर करती है। किसानों को त्वरित गति से रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग को कम कर अपनी पारंपरिक कृषि पद्धतियों को अपनाना होगा।
  • किसानों को उर्वर मिट्टी के निर्माण, कीट प्रबंधन, अंतर-फसल और खाद एवं कम्पोस्ट निर्माण जैसे पहलुओं पर प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।
  • पर्यावरण संबंधी लाभ के साथ-साथ स्वच्छ, स्वस्थ, गैर-रासायनिक उपज किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिये लाभदायक है। जैविक खेती भारतीय कृषि क्षेत्र के विकास के लिये अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।

निष्कर्ष
भारत एवं विश्व के अन्य देशों के किसानों का अनुभव रहा हैं कि रासायनिक खेती को तत्काल छोड़कर जैविक खेती अपनाने वाले किसानों को पहले तीन सालों तक आर्थिक रूप से घाटा हुआ, चौथे साल ब्रेक-ईवन बिंदु आता है तथा पाँचवे साल से लाभ मिलना प्रारंभ होता है। भारत में जैविक खेती की संभावनाएँ तभी सफल हो सकती हैं जब सरकार जैविक खेती करने वालों को स्वयं के संस्थानों से प्रमाणीकृत खाद सब्सिडी पर उपलब्ध करवाए तथा चार साल की अवधि के लिये गारंटी युक्त आमदनी हेतु बीमा की व्यवस्था करके प्रारंभिक सालों में होने वाले घाटे की क्षतिपूर्ति करे। सरकार को पशुपालन को बढ़ावा देना चाहिये जिससे किसान जैविक खाद के लिये पूरी तरह बाज़ार पर आश्रित न रहें। सरकार को रासायनिक कृषि क्षेत्र को प्रदत्त अवांछित सब्सिडी को जैविक कृषि क्षेत्र की ओर मोड़ देना चाहिये और देश भर में कृषकों को प्रोत्साहित व प्रशिक्षित करना चाहिये कि वे जैविक कृषि अभ्यासों की ओर आगे बढें तथा इस प्रकार अपनी आजीविका में वृद्धि करें एवं रासायनिकों के खतरे से जीवन की रक्षा करें।

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