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शुरुआत से विदेशी मुद्रा व्यापारी तक का रास्ता

शुरुआत से विदेशी मुद्रा व्यापारी तक का रास्ता

मुंबई: देश का विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. यह गिरावट विदेशी मुद्रा आस्तियों में बढ़ोतरी के बावजूद आई है. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों में इस बात की जानकारी दी गई है.

RBI के पूर्व गवर्नर ने बताया 46 टन सोना भारत से बाहर भेजने का पूरा सच

नई दिल्ली: RBI के पूर्व गवर्नर पद्म विभूषण डॉ. सी. रंगराजन ने हाल ही में अपनी नवीनतम पुस्तक फोर्क्स इन द रोड आरबीआई द्वारा प्रकाशित की. जिसमें उन्होंने अपने वर्षों और ऐतिहासिक क्षणों को याद करते हुए जिक्र किया है. पद्म विभूषण रंगराजन एक अकादमिक प्रोफेसर भी रहे हैं और कई प्रमुख बैंकरों और निजी-इक्विटी पेशेवरों को पढ़ाते हैं, जो अब अपने स्वयं के फंड और संस्थान चलाते हैं और संसद के पूर्व सदस्य भी हैं. जिसमें उन्होंने जिक्र किय कि उनका किताब लिखने का विचार काफी समय से था लेकिन वह एक चीज से दूसरी चीज पर चले गए और यह स्थगित हो गई, लेकिन 2014 में दिल्ली से बाहर आ गया, सरकार बदलने के अगले दिन मैंने सोचा कि यह लिखना शुरू करने का सही समय है.

उन्होंने अपनी किताब में कहा कि जनवरी 1991 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.2 बिलियन डॉलर था और जून तक आधे से कम हो गया था, जो लगभग 3 सप्ताह के आवश्यक आयात के लिए मुश्किल से पर्याप्त था, भारत भुगतान दायित्वों के अपने बाहरी संतुलन पर चूक से केवल कुछ सप्ताह दूर था. भारत सरकार की तत्काल प्रतिक्रिया अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से 2.2 बिलियन डॉलर के आपातकालीन ऋण को सुरक्षित शुरुआत से विदेशी मुद्रा व्यापारी तक का रास्ता करने के लिए भारत से 46 टन सोना देश से बाहर भेजना पड़ा था. जिससे देश के कई लोगों के घर में स्थिति की गंभीरता आ गई.

भारतीय रिजर्व बैंक को 500 मिलियन डॉलर जुटाने के लिए 46 टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड को देना पड़ा था. हवाई अड्डे पर सोना ले जा रही वैन टायर फटने से रास्ते में ही टूट गई और इसके बाद हड़कंप मच गया. एयरलिफ्ट को गोपनीयता के साथ किया गया था क्योंकि यह 1991 के भारतीय आम चुनावों के बीच में किया गया था. जब यह पता चला कि सरकार ने ऋण शुरुआत से विदेशी मुद्रा व्यापारी तक का रास्ता के खिलाफ देश के पूरे सोने के भंडार को गिरवी रख दिया है, तो राष्ट्रीय भावनाएं आक्रोशित हो गईं और लोगों में आक्रोश फैल गया.शुरुआत से विदेशी मुद्रा व्यापारी तक का रास्ता

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एक चार्टर्ड विमान ने 21 मई और 31 मई 1991 के बीच कीमती माल को लंदन ले गया, जिसने देश को आर्थिक नींद से बाहर कर दिया. एयरलिफ्ट को अधिकृत करने के कुछ महीने बाद चंद्रशेखर सरकार गिर गई थी. इस कदम ने भुगतान संतुलन संकट से निपटने में मदद की और पी. वी. नरसिम्हा राव की आर्थिक सुधार प्रक्रिया को गति दी. पी वी नरसिम्हा राव ने जून में प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला और मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री नियुक्त किया. नरसिम्हा राव सरकार ने कई सुधारों की शुरुआत की.

औपचारिक रूप से सुधार 1 जुलाई 1991 को शुरू हुए जब आरबीआई ने भारतीय रुपये का 9% और 3 जुलाई को 11% और अधिक अवमूल्यन किया. यह दो खुराक में किया गया था ताकि पहले बाजार की प्रतिक्रिया का परीक्षण करने के लिए 9% का एक छोटा मूल्यह्रास किया जा सके. इस तरह के सुधारों का महत्वपूर्ण विरोध हुआ था, यह सुझाव देते हुए कि वे “भारत की स्वायत्तता में हस्तक्षेप” थे. तब प्रधानमंत्री राव ने पदभार ग्रहण करने के एक सप्ताह बाद के भाषण में शुरुआत से विदेशी मुद्रा व्यापारी तक का रास्ता सुधारों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला.

प्रधानमंत्री राव के शपथ लेते ही पहले ही राष्ट्र को एक संकेत भेज दिया है. साथ ही साथ आईएमएफ- कि भारत को “नरम विकल्प” का सामना नहीं करना पड़ा और विदेशी निवेश के लिए दरवाजा खोलना चाहिए, लालफीताशाही को कम करना चाहिए जो अक्सर पहल को पंगु बनाता है, और औद्योगिक नीति को सुव्यवस्थित करता है. राव ने राष्ट्र के नाम एक भाषण में अपनी टिप्पणी कर कहा था कि उदारीकरण की नीतियों की शुरुआत के साथ विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ना शुरू हो गया और 13 नवंबर 2020 तक 530.268 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया.

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भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, व्यापार घाटा 43 महीने के उच्चतम स्तर पर, स्वर्ण भंडार भी घटा

विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. जून 2018 में व्यापार घाटा नवंबर 2014 के बाद सबसे अधिक रहा है. The post भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, व्यापार घाटा 43 महीने के उच्चतम स्तर पर, स्वर्ण भंडार भी घटा appeared first on The Wire - Hindi.

विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. जून 2018 में व्यापार घाटा नवंबर 2014 के बाद सबसे अधिक रहा है.

Reserve Bank Reuters


मुंबई: देश का विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. यह गिरावट विदेशी मुद्रा आस्तियों में बढ़ोतरी के बावजूद आई है. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों में इस बात की जानकारी दी गई है.

इससे पहले के सप्ताहांत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.76 अरब डॉलर घटकर 406.06 अरब डॉलर रह गया था.

इससे पूर्व विदेशी मुद्रा भंडार 13 अप्रैल 2018 को 426.028 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गया था. आठ सितंबर 2017 को मुद्रा भंडार पहली बार 400 अरब डॉलर के स्तर को लांघ गया था लेकिन उसके बाद से उसमें उतार-चढ़ाव बना रहा.

रिजर्व बैंक के आंकड़े दर्शाते हैं कि समीक्षाधीन सप्ताह में कुल मुद्राभंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा, विदेशी मुद्रा आस्तियां 7.39 करोड़ डॉलर की मामूली वृद्धि के साथ 380.792 अरब डॉलर की हो गईंं.

डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले मुद्राभंडार में रखे गये विदेशी मुद्रा आस्तियां, यूरो, पॉंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की मूल्य वृद्धि अथवा उनके अवमूल्यन के प्रभावों को भी अभिव्यक्त करता है.

समीक्षाधीन सप्ताह में स्वर्ण भंडार 32.99 करोड़ डॉलर घटकर 21.039 अरब डॉलर रह गया.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में विशेष निकासी अधिकार 29 लाख डॉलर बढ़कर 1.489 अरब डॉलर हो गया.

केंद्रीय बैंक ने कहा कि आईएमएफ में देश का मुद्राभंडार भी 49 लाख डॉलर बढ़कर 2.489 अरब डॉलर का हो गया.

व्यापार घाटा 43 माह के उच्चस्तर पर

वहीं, देश का निर्यात कारोबार जून में 17.57 प्रतिशत बढ़कर 27.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया. पेट्रोलियम और रसायन जैसे क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन की वजह से निर्यात में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है. हालांकि, कच्चे तेल का आयात महंगा होने से व्यापार घाटा 43 महीने के उच्च स्तर 16.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया.

वाणिज्य मंत्रालय के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन महीने में आयात भी 21.31 प्रतिशत बढ़कर 44.3 अरब डॉलर रहा.

जून, 2018 में व्यापार घाटा नवंबर, 2014 के बाद सबसे अधिक रहा है. उस समय व्यापार घाटा 16.86 अरब डॉलर रहा था. जून, 2017 में व्यापार घाटा 12.96 अरब डॉलर था.

चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून की तिमाही में निर्यात शुरुआत से विदेशी मुद्रा व्यापारी तक का रास्ता 14.21 प्रतिशत बढ़कर 82.47 अरब डॉलर रहा है. पहली तिमाही में आयात 13.49 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 127.41 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इस दौरान व्यापार घाटा 44.94 अरब डॉलर रहा.

जून में पेट्रोलियम उत्पादों, रसायन, फार्मास्युटिकल्स, रत्न एवं आभूषण तथा इंजीनियरिंग क्षेत्रों की वजह से निर्यात में उल्लेखनीय इजाफा हुआ.

हालांकि, इस दौरान कपड़ा, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, पॉल्ट्री, काजू, चावल और कॉफी के निर्यात में गिरावट आई.

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष गणेश गुप्ता ने बढ़ते व्यापार घाटे पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे चालू खाते का घाटा (कैड) प्रभावित होगा, जिससे राजकोषीय मोर्चे पर सरकार की परेशानी बढ़ेगी.

जून माह के दौरान कच्चे तेल का आयात 56.61 प्रतिशत बढ़कर 12.73 अरब डॉलर रहा.

वहीं, सोने का आयात तीन प्रतिशत घटकर 2.38 अरब डॉलर रह गया.

इसके बीच, भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार मई में सेवाओं का निर्यात 7.91 प्रतिशत घटकर 16.17 अरब डॉलर रह गया. माह के दौरान सेवाओं में व्यापार संतुलन 5.97 अरब डॉलर रहने का अनुमान है. मई में सेवाओं का आयात 10.21 अरब डॉलर रहा.

शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया 12 पैसे फिसलकर 82.71 प्रति डॉलर पर पहुंचा, सेंसेक्स 140 अंक गिरा

मुंबई। घरेलू शेयर बाजार में नकारात्मक रुख के बीच बुधवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी मुद्रा डॉलर की तुलना में 12 पैसे फिसलकर 82.71 प्रति डीलर पर आ गया। विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति के फैसले से पहले रुपया बिना किसी घटबढ़ के खुला। …

मुंबई। घरेलू शेयर बाजार में नकारात्मक रुख के बीच बुधवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी मुद्रा डॉलर की तुलना में 12 पैसे फिसलकर 82.71 प्रति डीलर पर आ गया। विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति के फैसले से पहले रुपया बिना किसी घटबढ़ के खुला। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 82.64 पर खुला और फिर गिरकर 82.71 पर आ गया, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 12 की गिरावट दर्शाता है।

रुपया मंगलवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 82.62 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। इस शुरुआत से विदेशी मुद्रा व्यापारी तक का रास्ता बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.23 प्रतिशत गिरकर 111.22 पर आ गया। वहीं, वैश्विक तेल सूचकांक ब्रेंट क्रूड वायदा 1.27 प्रतिशत चढ़कर 95.85 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था। शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को शुद्ध रूप से 2,609.94 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

शेयरों बाजारों में शुरुआती कारोबार के दौरान गिरावट
वैश्विक बाजारों में मिलेजुले रुख के बीच घरेलू शेयरों बाजारों में पिछले चार कारोबारी सत्र से जारी तेजी बुधवार को थम गयी और सेंसेक्स 140 अंक गिर गया। सकारात्मक शुरुआत के बावजूद तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स बढ़त को बनाए रखने में विफल रहा और बाद में 140.5 अंक गिरकर 60,980.85 पर आ गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 36 अंक गिरकर 18,109.40 पर आ गया। सेंसेक्स के शेयरों में भारती एयरटेल, टाइटन, मारुति, इंफोसिस, नेस्ले, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, एशियन पेंट्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा प्रमुख रूप से गिरावट में रहे।

दूसरी तरफ सन फार्मा, टेक महिंद्रा, टाटा स्टील और अल्ट्राटेक सीमेंट के शेयरों में तेजी दर्ज की गई। एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग लाभ में कारोबार कर रहे थे जबकि जापान का निक्की गिरावट में था। वहीं, अमेरिकी शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट मंगलवार को गिरावट के साथ बंद हुए थे। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.26 प्रतिशत बढ़कर 95.84 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल बने हुए हैं। उन्होंने मंगलवार को 2,609.94 करोड़ रुपये के मूल्य के शेयर खरीदे।

शुरुआत से विदेशी मुद्रा व्यापारी तक का रास्ता

भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में दर्ज की गई बढ़ोतरी, जानें देश के लिए मुद्रा भंडार की महत्वता

नई दिल्ली: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 28 अक्टूबर तक सप्ताह में बढ़कर 531,081 मिलियन हो गयाहै।जो 21 अक्टूबर तक सप्ताह में $ 524,520 मिलियन था, जो इस अवधि के दौरान $ 6,561 मिलियन की छलांग दर्शाता है। यह सितंबर 2021 के बाद से सबसे अधिक साप्ताहिक लाभ है। यह आकड़ाभारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साप्ताहिक सांख्यिकीय पूरक शुक्रवार को दिखाए गए है।

विदेशी मुद्रा रिजर्व क्या है?

विदेशी मुद्रा भंडार में नकद (विदेशी मुद्रा) और सोने जैसी अन्य संपत्तियां शामिल हैं जो किसी भी देश के केंद्रीय बैंकों या अन्य वित्तीय संस्थानों जैसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास हैं।

देश विदेशी मुद्रा भंडार क्यों रखते हैं?

देश विभिन्न कारणों से विदेशी नकदी अपने पास रखते हैं। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार, विदेशी नकदी का भंडार रखने से देशों को आर्थिक संकट के समय में मदद मिलती है और साथ ही उन्हें अपनी घरेलू मुद्राओं शुरुआत से विदेशी मुद्रा व्यापारी तक का रास्ता की स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलती है। कुछ कारण नीचे सूचीबद्ध हैं:

घरेलू मुद्रा का मूल्य:प्रत्येक देश की घरेलू मुद्राओं की तुलना अमेरिकी डॉलर से की जाती है। इसलिए, यदि चीन अमेरिकी डॉलर का भंडार करता है, तो वह युआन के मुकाबले डॉलर के मूल्य को बढ़ाता है, जिससे चीनी निर्यात सस्ता हो जाता है जो चीनी सामानों की बिक्री को बढ़ावा देता है।

आर्थिक संकट के समय तरलता (LIQUIDITY) :आर्थिक संकट के मामले में, यदि किसी केंद्रीय बैंक के पास विदेशी मुद्रा भंडार है, तो वह स्थानीय मुद्रा के लिए विनिमय कर सकता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि घरेलू कंपनियां प्रतिस्पर्धात्मक रूप से आयात और निर्यात जारी रख सकें। स्थानीय मुद्रा के साथ विदेशी मुद्रा भंडार का आदान-प्रदान स्थानीय मुद्रा के मूल्य को उच्च रखने में मदद करता है।

विदेशी निवेशक:जब कोई युद्ध या आंतरिक अशांति छिड़ जाती है, तो यह शुरुआत से विदेशी मुद्रा व्यापारी तक का रास्ता अक्सर निवेशकों को डराता है और वे अपना पैसा देश से बाहर ले जाना चाहते हैं। इसलिए, जब कोई देश बहुत अधिक विदेशी मुद्रा भंडार रखता है, तो यह निवेशकों के विश्वास को बढ़ाता है और उनके डर को शांत करता है।

ऐसे कई अन्य कारण हैं जिनके लिए कोई देश विदेशी मुद्रा भंडार रखता है और इसमें अंतरराष्ट्रीय वित्तीय दायित्वों को पूरा करना, बड़ी बुनियादी परियोजनाओं को वित्तपोषित करना और पोर्टफोलियो का विविधीकरण शामिल है।

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