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आरंभिक मार्जिन

आरंभिक मार्जिन
इन कंपनियों पर होगा असर
रिपोर्ट कहती है कि एलआईसी की कारोबारी प्रमुखता में बदलाव का सबसे ज्यादा असर एसबीआई लाइफ (SBI Life), आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल (ICICI Prudential), एचडीएफसी लाइफ (HDFC Life) और मैक्स लाइफ (HDFC Life) जैसी जीवन बीमा कंपनियों को उठाना आरंभिक मार्जिन पड़ेगा।
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बढ़ा एलआईसी का मार्जिन
रिपोर्ट के मुताबिक, एलआईसी पहले ही अपने मार्जिन को सात फीसद अंक बेहतर करते हुए 9.9 फीसद पर पहुंचा चुकी है। सरकार ने एलआईसी के अधिशेष एवं लाभ वितरण नियमों में बदलाव कर इसके मार्जिन में बढ़ोतरी आरंभिक मार्जिन का रास्ता आसान बनाया है। इसकी वजह से एलआईसी अपने कारोबार में भागीदार पॉलिसी के साथ गैर-प्रतिभागी पॉलिसी को भी 10 फीसद जगह दे सकेगी, जो फिलहाल महज चार फीसद है। इससे एलआईसी अपने मार्जिन को 20 फीसद तक भी लेकर जा सकती है।
LIC IPO: करीब 1 करोड़ खुदरा निवेशक लगा सकते हैं एलआईसी के आईपीओ में पैसा, जानिए कब जारी होगा प्राइस बैंड
जानिए क्या मिलते हैं लाभ
क्रेडिट सुइस का यह अनुमान इस संकल्पना पर आधारित है कि एलआईसी का बीमा कारोबार पूरी तरह नए अधिशेष वितरण की तरफ स्थानांतरित हो जाएगा। प्रतिभागी बीमा पॉलिसी के तहत पॉलिसीधारकों को बोनस या लाभांश वितरण के रूप में गारंटीशुदा एवं बिना गारंटी वाले दोनों लाभ दिए जाते हैं। वहीं, गैर-प्रतिभागी पॉलिसी में पॉलिसीधारक को अमूमन गारंटीशुदा फायदे मिलते हैं, लेकिन उन्हें लाभ या लाभांश नहीं दिया जाता है।

लेटेंट व्यू एनालिटिक्स लिमिटेड का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) 10 नवंबर, 2021 को खुलेगा

वित्त वर्ष 2019, 2020 और 2021 के लिए कंपनी का पीएटी मार्जिन क्रमशः 20.72 फीसदी, 23.47 प्रतिशत और 29.90 फीसदी रहा है। कंपनी का नकदी प्रवाह भी मजबूत है। वित्तीय वर्ष 2019, 2020 और 2021 में कंपनी ने क्रमशः 11.32 करोड़ रुपए, 23.94 करोड़ रुपए और 61.81 करोड़ रुपए का नेट कैश फ्लो जनरेट किया है। इस तरह 30 जून, 2021 को समाप्त अवधि के अनुसार कंपनी की बैलेंस शीट पर नकद स्थिति लगभग 280 करोड़ रुपए की है।

कंपनी की योजना अपनी बैलेंस शीट पर मौजूद नकदी के साथ-साथ आईपीओ से प्राप्त होने वाली नई आमदनी को ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक आरंभिक मार्जिन साधनों के माध्यम से अपनी विकास योजनाओं में तेजी लाने की है। कंपनी की योजना बीएफएसआई, उपभोक्ता उत्पादों और खुदरा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में क्षमताओं और कार्यात्मक विशेषज्ञता का निर्माण करने की है। कंपनी बिक्री प्रयासों में तेजी लाने सहित नए ग्राहकों को अपने साथ जोड़ने से संबंधित उपायों पर ध्यान केंद्रित करके अपने ग्राहक आधार और अपनी मौजूदगी का विस्तार करने का भी इरादा रखती है। कंपनी ऐसे रणनीतिक अधिग्रहण के अवसरों की भी तलाश कर रही है, जो इसे नए भौगोलिक क्षेत्रों, उद्योगों और ग्राहक आधार तक पहुंच प्राप्त करने में सक्षम बनाएंगे।

आईपीओ में 600 करोड़ रुपए तक के शेयरों की बिक्री शामिल है। इसमें से 474 करोड़ रुपए के नए शेयर शामिल हैं और 126 करोड़ रुपए के शेयरों की बिक्री के लिए प्रस्ताव है। प्रस्ताव का 75 प्रतिशत पात्र संस्थागत खरीदारों को, 15 प्रतिशत एनआईआई को और 10 प्रतिशत खुदरा निवेशकों को आवंटित किया जाना है। एंकर निवेशकों को आवंटन 9 नवंबर को होने की उम्मीद है।

गैर-प्रतिभागी पॉलिसी पर जोर से एलआईसी बनेगी निजी कंपनियों के लिए आरंभिक मार्जिन बड़ी चुनौती: रिपोर्ट

मुंबई, 20 फरवरी (भाषा) आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने जा रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) आने वाले समय में अपने कारोबार को गैर-प्रतिभागी पॉलिसी की दिशा में मोड़कर निजी बीमा कंपनियों को तगड़ी चुनौती दे सकती है। स्विस ब्रोकरेज फर्म क्रेडिट सुइस ने आईपीओ की मंजूरी के लिए बाजार नियामक सेबी के पास दायर आवेदन ब्योरे का विश्लेषण करने के बाद तैयार एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई गई है। रिपोर्ट कहती है कि एलआईसी की कारोबारी प्रमुखता में बदलाव का सबसे ज्यादा असर एसबीआई लाइफ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, एचडीएफसी लाइफ और मैक्स लाइफ जैसी जीवन

LIC IPO Latest News

इन कंपनियों पर होगा असर
रिपोर्ट कहती है कि एलआईसी की कारोबारी प्रमुखता में बदलाव का सबसे ज्यादा असर एसबीआई लाइफ (SBI Life), आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल (ICICI Prudential), एचडीएफसी लाइफ (HDFC Life) और मैक्स लाइफ (HDFC Life) जैसी जीवन बीमा कंपनियों को उठाना पड़ेगा।
LIC IPO Date: आखिर हो गया एलआईसी आईपीओ की तारीख का खुलासा! जानिए आपको कब से मिल सकता है निवेश का मौका
बढ़ा एलआईसी का मार्जिन
रिपोर्ट के मुताबिक, एलआईसी पहले ही अपने मार्जिन को सात फीसद अंक बेहतर करते हुए 9.9 फीसद पर पहुंचा चुकी है। सरकार ने एलआईसी के अधिशेष एवं लाभ वितरण नियमों में बदलाव कर इसके मार्जिन में बढ़ोतरी का रास्ता आसान बनाया है। इसकी वजह से एलआईसी अपने कारोबार में भागीदार पॉलिसी के साथ गैर-प्रतिभागी पॉलिसी को भी 10 फीसद जगह दे सकेगी, जो फिलहाल महज चार फीसद है। इससे एलआईसी अपने मार्जिन को 20 फीसद तक भी लेकर जा सकती है।
LIC IPO: करीब 1 करोड़ खुदरा निवेशक लगा सकते हैं एलआईसी के आईपीओ में पैसा, जानिए कब जारी होगा प्राइस बैंड
जानिए क्या मिलते हैं लाभ
क्रेडिट सुइस का यह अनुमान इस संकल्पना पर आधारित है कि एलआईसी का बीमा कारोबार पूरी तरह नए अधिशेष वितरण की तरफ स्थानांतरित हो जाएगा। प्रतिभागी बीमा पॉलिसी के तहत पॉलिसीधारकों को बोनस या लाभांश वितरण के रूप में गारंटीशुदा एवं बिना गारंटी वाले दोनों लाभ दिए जाते हैं। वहीं, गैर-प्रतिभागी पॉलिसी में पॉलिसीधारक को अमूमन गारंटीशुदा फायदे मिलते हैं, लेकिन उन्हें लाभ या लाभांश नहीं दिया जाता है।

गैर-प्रतिभागी पॉलिसी से सिर्फ 4% प्रीमियम
फिलहाल एलआईसी का अपने नए कारोबार प्रीमियम का सिर्फ चार फीसद ही गैर-प्रतिभागी पॉलिसी से आता है। इसके उलट निजी क्षेत्र की शीर्ष बीमा कंपनियों का यह अनुपात 20 से 45 फीसद तक है। रिपोर्ट कहती है कि एलआईसी का गैर-प्रतिभागी पॉलिसी का मार्जिन अपने ही प्रतिभागी पॉलिसी कारोबार से अधिक है और निजी कंपनियां भी इस मामले में उससे पीछे हैं।

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जानिए कितनी है एलआईसी की बाजार हिस्सेदारी
देश में उदारीकरण की नीतियों की शुरुआत के 21 साल बाद भी एलआईसी का नई बीमा पॉलिसी कारोबार में बाजार हिस्सेदारी 66 फीसद है। इसकी बड़ी हैसियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एलआईसी के बाद दूसरे स्थान पर मौजूद कंपनी से उसकी प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां 16 गुना अधिक हैं।

लेटेंट व्यू एनालिटिक्स लिमिटेड का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) 10 नवंबर, 2021 को खुलेगा

वित्त वर्ष 2019, 2020 और 2021 के लिए कंपनी का आरंभिक मार्जिन पीएटी मार्जिन क्रमशः 20.72 फीसदी, 23.47 प्रतिशत और 29.90 फीसदी रहा है। कंपनी का नकदी प्रवाह भी मजबूत है। वित्तीय वर्ष 2019, 2020 और 2021 में कंपनी ने क्रमशः 11.32 करोड़ रुपए, 23.94 करोड़ रुपए और 61.81 करोड़ रुपए का नेट कैश फ्लो जनरेट किया है। इस तरह 30 जून, 2021 को समाप्त अवधि के अनुसार कंपनी की बैलेंस शीट पर नकद स्थिति लगभग 280 करोड़ रुपए की है।

कंपनी की योजना अपनी बैलेंस शीट पर मौजूद नकदी के साथ-साथ आईपीओ से प्राप्त होने वाली नई आमदनी को ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक साधनों के माध्यम से अपनी विकास योजनाओं में तेजी लाने की है। कंपनी की योजना बीएफएसआई, उपभोक्ता उत्पादों और खुदरा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में क्षमताओं और कार्यात्मक विशेषज्ञता का निर्माण करने की है। कंपनी बिक्री प्रयासों में तेजी लाने सहित नए ग्राहकों को अपने साथ जोड़ने से संबंधित उपायों पर ध्यान केंद्रित करके अपने ग्राहक आधार और अपनी मौजूदगी का विस्तार करने का भी इरादा रखती है। कंपनी ऐसे रणनीतिक अधिग्रहण के अवसरों की भी तलाश कर रही है, जो इसे नए भौगोलिक क्षेत्रों, उद्योगों और ग्राहक आधार तक पहुंच प्राप्त करने में सक्षम बनाएंगे।

आईपीओ में 600 करोड़ रुपए तक के शेयरों की बिक्री शामिल है। इसमें से 474 करोड़ रुपए के नए शेयर शामिल हैं और 126 करोड़ रुपए के शेयरों की बिक्री के लिए प्रस्ताव है। प्रस्ताव का 75 प्रतिशत पात्र संस्थागत खरीदारों को, 15 प्रतिशत एनआईआई को और 10 प्रतिशत खुदरा निवेशकों को आवंटित किया जाना है। एंकर निवेशकों को आवंटन 9 नवंबर को होने की उम्मीद है।

Agri Commodity News English-Hindi

प्रयास - कारोबार में पारदर्शिता के लिए लगातार नजर रखेगा एफएमसी मार्जिन का नियंत्रण शुरूआत में विशेष मार्जिन 10 फीसदी होगा तेजी आने पर स्पेशल मार्जिन 20 फीसदी से ज्यादा भाव 50 फीसदी से ज्यादा बढ़े तो 70 फीसदी विशेष मार्जिन एनसीडीईएक्स व एमसीएक्स को चार अनुबंध लांच करने की मंजूरी वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने शर्तों के साथ ग्वार सीड और ग्वार गम में वायदा कारोबार शुरू करने की अनुमति दे दी है। एफएमसी ने जोखिम प्रबंधन के लिए ग्वार सीड और ग्वार गम के कांट्रेक्ट में जहां विशेष मार्जिन का प्रावधान किया है, वहीं निवेशकों के पास स्टॉक पोजीशन की स्थिति और वायदा कारोबार में लगाई गई रकम का ब्यौरा भी मांगने पर उपलब्ध कराना होगा। एफएमसी ने एनसीडीईएक्स और एमसीएक्स को ग्वार सीड और ग्वार गम के जून, जुलाई, अक्टूबर व नवंबर अनुबंध लांच करने की अनुमति दी है। एफएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जोखिम प्रबंधन और वायदा कारोबार में पारदर्शिता लाने के लिए अहम बदलाव किए गए हैं। निवेशकों द्वारा वायदा एक्सचेंज में ग्वार सीड और ग्वार गम के वायदा कारोबार में ज्यादा पोजीशन लेने पर लगाए लग पैसे की पूरी जानकारी एक्सचेंज द्वारा मांगी जा सकती है। साथ ही वायदा एक्सचेंज पर ग्वार सीड और ग्वार गम में निवेशकों की पोजीशन आरंभिक मार्जिन के आधार पर उनके पास हाजिर स्टॉक की जानकारी भी ली जा सकेगी। उन्होंने बताया कि कीमतों में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं हो, इसके लिए ग्वार सीड और ग्वार गम के वायदा कारोबार में विशेष मार्जिन का प्रावधान किया गया है। एफएमसी के अनुसार ग्वार सीड और ग्वार गम में विशेष मार्जिन आरंभिक मार्जिन से 10 फीसदी अधिक और भाव बढऩे की सूरत में 20 फीसदी से ज्यादा होगा। जून और जुलाई महीने के वायदा कारोबार में यदि भाव 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ते हैं तो विशेष मार्जिन 70 फीसदी तक हो सकता है। एक्सचेंज के एक अधिकारी ने बताया कि एफएमसी के फॉर्मूले के अनुसार किसी अनुबंध की अवधि में अगर कीमतें बढ़ती है तो मार्जिन भी अपने आप बढ़ जाएगा। ग्वार सीड और ग्वार गम में डिलीवरी अनिवार्य की गई है। एमसीएक्स के बिजनेस डेवलपमेंट के निदेशक एवं सीईओ सुमेश परसरामपुरिया ने बताया कि ग्वार सीड और ग्वार गम में वायदा कारोबार शुरू होने से ट्रेडर्स, किसान और उद्योगों के लिए जोखिम को मैनेज करने में मदद मिलेगी। वायदा में ग्वार गम और ग्वार सीड में भारी मात्रा में कारोबार हो रहा था। मार्च 2012 में एक्सचेंज से ग्वार कारोबार को हटाए आरंभिक मार्जिन जाने से पहले दिसंबर 2011 में एनसीडीईएक्स पर इसका कारोबार अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। ग्वार सीड और ग्वार गम की कीमतों में अचानक काफी तेजी आ गई थी। एनसीडीईएक्स पर 21 मार्च 2012 को ग्वार गम के भाव बढ़कर 1,00,195 रुपये प्रति क्विंटल और ग्वार सीड के 30,533 रुपये प्रति क्विंटल हो गए थे। कीमतों में आई तेजी से नियामक को संदेह हुआ और 27 मार्च 2012 को ग्वार के वायदा कारोबार पर रोक लगा दी। (Business Bhaskar. R आरंभिक मार्जिन आरंभिक मार्जिन S Rana)

Futures- फ्यूचर्स

क्या होते हैं फ्यूचर्स?
Futures: फ्यूचर्स डेरिवेटिव फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट होते हैं जो पक्षों (पार्टियों) को भविष्य की एक पूर्वनिर्धारित तिथि एवं कीमत पर एसेट के लेनदेन के लिए वचनबद्ध करते हैं। बायर को निश्चित रूप से निर्धारित कीमत पर अंडरलाइंग एसेट की खरीद करनी चाहिए या सेलर को उसकी बिक्री करनी चाहिए, भले ही एक्सपाइरेशन यानी समाप्ति की तारीख पर उसकी आरंभिक मार्जिन जो भी वर्तमान बाजार कीमत रही हो। अंडरलाइंग एसेट में फिजिकल कमोडिटी या अन्य फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट शामिल होते हैं। फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट में आरंभिक मार्जिन अंडरलाइंग एसेट की मात्रा का विवरण लिखा होता है और किसी फ्यूचर्स एक्सचेंज पर ट्रेडिंग को सुगम बनाने के लिए मानकीकृत आरंभिक मार्जिन होते हैं। फ्यूचर्स का उपयोग हेजिंग या ट्रेड स्पेकुलेशन के लिए किया जा सकता है।

मुख्य बातें
- फ्यूचर्स किसी निवेशक को सिक्योरिटी, कमोडिटी या फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट की दिशा में स्पेकुलेट करने की अनुमति देता है।
- फ्यूचर्स का उपयोग प्रतिकूल कीमत बदलावों से नुकसान को रोकने में मदद करने के लिए अंडरलाइंग एसेट की प्राइस मूवमेंट को हेज करने के लिए किया जाता है।

फ्यूचर्स को समझना
फ्यूचर्स -ट्रेडरों को अंडरलाइंग एसेट या कमोडिटी की कीमत को लॉक इन करने की अनुमति देता है। फ्यूचर्स की पहचान उनके एक्सपारेशन महीने से की जाती है। उदाहरण के लिए, दिसंबर गोल्ड फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट दिसंबर में समाप्त हो जाता है। ट्रेडर एवं निवेशक ‘फ्यूचर्स' शब्द का उपयोग एसेट वर्ग के संदर्भ में करते हैं। ट्रेडिंग के लिए कई प्रकार के फ्यूचर्स कांट्रैक्ट्स उपलब्ध होते हैं जिनमें शामिल हैंः-

-क्रूड ऑयल, नैचुरल गैस, कॉर्न और गेहूं जैसे कमोडिटी फ्यूचर्स
-स्टॉक इंडेक्स जैसेकि एसएंडपी 500 इंडेक्स
-यूरो एवं ब्रिटिश पाउंड सहित के लिए करेंस फ्यूचर्स
-गोल्ड एवं सिल्वर के लिए प्रीशियस मेटल फ्यूचर्स
-बॉन्डों एवं अन्य उत्पादों के लिए अमेरिकी ट्रेजरी फ्यूचर्स

फ्यूचर्स के नफा-नुकसान
नफा: निवेशक फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग किसी अंडरलाइंग एसेट की कीमत की दिशा में स्पेकुलेट करने के लिए कर सकता है। कंपनियां प्रतिकूल प्राइस मूवमेंट से अपनी बिक्री की सुरक्षा करने के लिए अपने कच्चे मालों की कीमत को हेज कर सकती हैं।
नुकसान: निवेशकों के सामने अपनी आरंभिक मार्जिन राशि से ज्यादा गवां देने का जोखिम होता है क्योंकि फ्यूचर्स लेवेरेज का उपयोग करते हैं।

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