क्रिप्टोकरेंसी बाजार

ब्रोकरेज कंपनी को खोलने के तीन तरीके

ब्रोकरेज कंपनी को खोलने के तीन तरीके

इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग करके घर बैठे ऑनलाइन पैसे कैसे कमाए ?

दोस्तों आज मैं आपको इस आर्टिकल में ऑनलाइन पैसे कैसे कमाते है? इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग के जरिये पैसे कमाना बताऊंगा। ये ऐसा तरीका है जिसे आप काम पैसे में ही शुरुआत करके लाखों रुपये कमा सकते हैं। आज इस तरीके से लोग घर बैठे ही लाखों रुपये कमा रहे है। तो चलिए जानते है कि इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग करके घर बैठे ऑनलाइन पैसे कैसे कमाते हैं?

इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग क्या होता हैं ?

ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट दोनों ही शेयर मार्केट से पैसे कमाने के अलग-अलग तरीके है हालाँकि दोनों में ही आपको शेयर ही खरीदने व बेचने होते है तो सबसे पहले जानते है इन्वेस्टमेंट क्या होता है ?

इन्वेस्टमेंट

इन्वेस्टमेंट शब्द का हिंदी में मतलब होता है निवेश करना यानि अपने पैसे को कही ऐसी जगह देना जहाँ पर उसे अच्छा इंटरेस्ट यानि आसान शब्दों में बोले तो ब्याज मिलना। निवेश तो आप अपने पैसे को कई तरीके से कर सकते हैं – बैंक में, म्यूच्यूअल फण्ड में,बांड्स में,शेयर मार्केट में स्टॉक खरीद कर।

मैं जो इन्वेस्टमेंट (निवेश करना) करने की बात कर रहा हूँ वो शेयर मार्केट में स्टॉक्स खरीदकर निवेश करने की बात कर रहा हूँ तो आये जानते हैं स्टॉक मार्केट में कैसे इन्वेस्टमेंट करें। इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग करके घर बैठे ऑनलाइन पैसे कैसे कमाए ?

कैसे स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट करें ?

शेयर मार्केट में स्टॉक्स को लम्बे समय तक खरीदकर इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं। लेकिन शेयर मार्केट में स्टॉक्स में इन्वेस्टमेंट करने के लिए भी आपको काफी रीसर्च करना होगा। आप ऐसे ही किसी कंपनी के बारें में जानें बिना उसमें इन्वेस्ट नहीं कर सकते है। बिना किसी कंपनी को जानें बिना उसमें निवेश करना अँधेरे में तीर चलाना वाला बात होगी इसलिए निवेश करने के लिए आपको कुछ रिसर्च करना होता यानि कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।

सबसे पहले आपको केटेगरी तय करना होता है कि आप अपना पैसा किस केटेगरी में निवेश करना चाहते है जैसे – आईटी सेक्टर, बैंकिंग सेक्टर,मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर,पावर सेक्टर,लोजिस्टिक्स सेक्टर,ऑटोमोबाइल सेक्टर इसके अलावा बहुत से सेक्टर हैं आप चाहे तो हर सेक्टर के कम्पनीज के स्टॉक को चुन सकते हैं।

सेक्टर का चुनाव करने के बाद आपको उस सेक्टर के टॉप कम्पनीज की लिस्ट बनायेंगे फिर आप उस सेक्टर के कम्पनीज के स्टॉक्स को compare करेंगे मतलब फंडामेंटल एनालिसिस करेंगें जैसे – स्टॉक का प्राइस, एअर्निंग पर शेयर,कंपनी का कैपिटल मार्केट,रेवेनुए, प्रॉफिट ग्रोथ, सेल्स ग्रोथ,कंपनी की लीअब्बिलिटी,प्रमोटर्स की होल्डिंग,कंपनी का आने वाले समय में क्या प्लान है, कंपनी की मैनेजमेंट इन सभी बातों का आपको पता लगाना होगा।

फंडामेंटल एनालिसिस करने के बाद आप अपने बजट के हिसाब से चाहे तो सभी सेक्टर के अच्छी कमपनीज़ में इन्वेस्ट कर सकते है।

ट्रेडिंग

अगर आप ट्रेडिंग करके ऑनलाइन पैसे कमाना चाहते है तो आपको पहले ट्रेडिंग के बारें में जानना व सीखना होगा। ट्रेडिंग से दो प्रकार के होते है।

स्विंग ट्रेडिंग

स्विंग ट्रेडिंग में आप किसी भी स्टॉक को कुछ दिनों के लिए होल्ड कर सकते है यानी 2 से लेकर 15 दिन उससे ज्यादा दिन के लिए कर सकते है। इसका ट्रेडिंग का इस्तेमाल तब करते है जब हमें किसी स्टॉक का प्राइस लगातार बढ़ रहा हो या लगे ये आने वाले दिन में बढ़ेगा।

इंट्राडे ट्रेडिंग

इंट्राडे ट्रेडिंग का मतलब होता हैं की आपको आज ही शेयर खरीदना व बेचना होता है यानी आप रोज सुबह 9:15 से इंट्राडे शुरू कर सकते हैं। और तीन बजकर पंद्रह मिनट तक आप ट्रेडिंग कर सकते हैं लेकिन अगर इन टाइम के बीच में अगर शेयर खरीद कर बेचते नहीं है तो आटोमेटिक वो 3:15 तक सेल हो जायेगा।

ट्रेडिंग में लगभग सभी ब्रोकरेज कम्पनियाँ ट्रेडिंग करने के लिए आपको आपके फंड्स से ज्यादा पैसे देती है यानी अगर आपके डीमैट अकाउंट में 1000 रुपये है और आप किस कंपनी के स्टॉक में ट्रेडिंग करना चाहते है तो आपको आपकी ब्रोकरेज कंपनी आपके फंड्स से 5 गुना लिवरेज है यानि आप 1000 की जगह 5000 तक के स्टॉक्स से ट्रेडिंग कर सकते हैं लेकिन अगर आपको नुकसान होता है तो आपको अपने फंड्स से देना होता हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होता हैं।

सबसे पहले ये ध्यान रखना होता है कि इसमें बहुत ही हाई रिस्क होता हैं क्यूंकि एक दिन में किसी स्टॉक का प्राइस किधर जायेगा ये बात कोई भी 100% कन्फर्म नहीं होता हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए आपको टेक्निकल एनालिसिस आना चाहिए क्यूंकि टेक्निकल एनालिसिस से ही आप किसी भी स्टॉक को पढ़ सकते है कि उसका प्राइस ऊपर जायेगा या निचे जायेगा लेकिन अगर आपको टेक्निकल एनालिसिस आता है तो स्टॉक का प्राइस ऊपर जाये या निचे जाये आप दोनों अवसर में पैसे कमा सकते हैं।

अगर आप भी डिमैट अकाउंट खोलकर इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग करना चाहते है तो निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें जहाँ अकाउंट खोलना बिलकुल फी हैं।

Demat Account Opening: सिर्फ 4 डॉक्युमेंट से खुल जायेगा अकाउंट, फॉलो करें स्टेप बाई स्टेप प्रोसेस

शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो आपने Demat account के बारे में जरूर सुना होगा. शेयर बाजार का हिस्सा बनने के लिए आपके पास Demat account का होना जरूरी है.

open demat account

बाजार में गिरावट के बाद भी शेयर बाजार निवेशकों को बढ़िया रिटर्न दे रहा है. इसके चलते निवेशकों में शेयर बाजार को लेकर रुझान भी बढ़ा है. लोग अब शेयर बाजार में ज्यादा से ज्यादा निवेश करना चाहते हैं. लेकिन शेयर बाजार की पूरी जानकारी ना होना आपको परेशानी दे सकता है. इसलिए जरूरी है कि आप जानें कैसे फिजिकल या ऑनलाइन तरीके से आप Demat Account ओपन करवा सकते हैं.

SEBI के आदेशानुसार डीमैट अकाउंट खुलवाना जरूरी है. Demat अकाउंट को आप जीरो बैलेंस पर भी खोल सकते हैं. इसमें कोई भी मिनिमम बैलेंस लिमिट नहीं होती है.

ऐसे खोलें Demat अकाउंट


Demat अकाउंट 18 साल के ऊपर के सभी व्यक्ति खोल सकते हैं . अकाउंट डिजिटली भी खोला जा सकता है. लेकिन इसके पहले आपको ये तय करना होगा की आप किस कंपनी या फिर ब्रोकरेज फर्म के माध्यम से खाता खुलवाना चाहते हैं.

सिर्फ चार डॉक्युमेंट की होगी जरूरत
अकाउंट खुलवाने के लिए आपको केवल पैन कार्ड, आपका एड्रेस प्रूफ, पहचान पत्र और एक बैंक अकाउंट देना होगा.

demat account


Demat अकाउंट खोलने के ये हैं स्टेप्स

1. आपको तय करना है की किस ब्रोकर कि वेबसाइट से आप अपना खाता खोलना चाहते हैं.

2. तय किये हुए कंपनी की वेबसाइट पर जाकर आपको डिजिटल फॉर्म भरना है.

3. इस डिजिटल फॉर्म में आपको कुछ सामान्य जानकारी जैसे कि, आपका नाम, पैन कार्ड नंबर, आपका एड्रेस और जिस अकाउंट को आप Demat अकाउंट से लिंक करना चाहते हैं उसकी जानकारी भरना है.

4. इतना कर लेने के बाद आपको अपनी फोटो के साथ अपने स्कैन किये हुए सिग्नेचर भी अपलोड करने होंगे. स्कैन किये डॉक्युमेंट सबमिट हो जाने के बाद आपका इन पर्सन वेरिफिकेशन होगा और आपका ट्रेडिंग अकाउंट खुल जायेगा.

जुबिलैंट फूडवर्क्‍स को विविध आधार से दम

त्वरित सेवा रेस्तरां (क्यूएसआर) क्षेत्र की अग्रणी कंपनी जुबिलैंट फूडवर्क्‍स के शेयर में गुरुवार को 5 फीसदी से अधिक की तेजी आई जिसे बिरयानी श्रेणी में कंपनी की दस्तक के बाद ऊंची वृद्धि की अपेक्षाओं से बल मिला। चीनी व्यंजन एवं सॉस को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करने के बाद डोमिनोज पिज्जा के इस भारतीय फ्रैंचाइजी का यह तीसरी बड़ी शुरुआत है। नई पहल के साथ ही कंपनी की मौजूदगी अब भारतीय खाद्य क्षेत्र की शीर्ष तीन श्रेणियों में सुनिश्चित हो गई है।

हालांकि कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के आकलन के अनुसार, बिरयानी श्रेणी में संगठित फूड बाजार का आकार करीब 3,000 करोड़ रुपये का है लेकिन विश्लेषकों का मानना ​​है कि असंगठित बाजार का आकार इसके मुकाबले कम से कम पांच गुना बड़ा है। कंपनी अपने ब्रांड एकदम! के साथ दोनों में हिस्सेदारी को लक्षित कर रही है। कंपनी बिरयानी के अलावा इस ब्रांड के तहत कबाब, करी, ब्रेड, मिठाई और पेय भी पेश कर रही है।

हालांकि इस बाजार में काफी अवसर मौजूद है लेकिन कारोबार को बढ़ाने के लिए कंपनी की क्षमता और अपने प्रमुख कारोबार पिज्जा की तरह जबरदस्त बिक्री हासिल करना महत्त्वपूर्ण होगा। कंपनी ने डिलीवरी, टेकवे और डाइन-इन के लिए गुडग़ांव में तीन रेस्तरां खोलकर इस व्यवसाय में प्रवेश कर लिया है और अगले कुछ महीनों में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रेस्तरां खोलने की योजना बना रही है।

एक घरेलू ब्रोकरेज के विश्लेषक ने कहा, 'चीनी फूड ब्रोकरेज कंपनी को खोलने के तीन तरीके श्रेणी में अपनी मौजूदगी का विस्तार करने के लिए हॉन्ग्स किचन की तरह कंपनी को स्वाद और कीमत के मामले में सही प्रारूप तैयार करने के बाद उसका विस्तार करना होगा। यदि सही तरीके से निष्पादित किया गया तो पहले साल के दौरान ही यह राजस्व में उल्लेखनीय योगदान कर सकता है।'

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का मानना ​​है कि कंपनी के पास एक साल के दौरान डोमिनोज में 100 से 125 और हॉन्ग्स किचन एवं एकदम! में कुल मिलाकर 30 से 40 रेस्तरां खोलने का टेम्पलेट है। विस्तार को 800 करोड़ रुपये की नकदी एवं दमदार नकदी प्रवाह से रफ्तार मिलेगी।

ब्रोकरेज का कहना है कि पिज्जा कारोबार के दमदार प्रदर्शन के बावजूद अपने फूड मेन्यू में विस्तार की रणनीति सही है। विश्लेषकों का कहना है कि बाजार में तमाम बर्गर ब्रांडों की मौजूदगी के कारण बाजार इस श्रेणी को ओर रुख कर सकता है जिससे पिज्जा श्रेणी पर दबाव बढ़ सकता है।

हालांकि यह (विस्तार) दीर्घकालिक दृष्टिकोण से सकारात्मक है लेकिन जुबिलैंट फूडवक्र्स के साथ-साथ अन्य क्यूएसआर कंपनियों के शेयरों में आई तेजी मध्यम अवधि में वृद्धि की संभावनाओं से प्रेरित है। मौजूदा वैश्विक महामारी के दौर में स्वच्छता का ध्यान रखने के लिए लोगों का रुझान स्थापित ब्रांडों की ओर तेजी से बढ़ रहा ब्रोकरेज कंपनी को खोलने के तीन तरीके है। नवंबर की शुरुआत से अब तक इस शेयर में 30 फीसदी से अधिक की वृद्धि हो चुकी है और यह वित्त वर्ष 2022 के आय अनुमान के मुकाबले 66 गुना अधिक भाव पर कारोबार कर रहा है। इसमें निवेश करने से पहले उल्लेशनीय गिरावट का इंतजार करना बेहतर होगा।

10 मिनट में जानिए कमोडिटी ट्रेडिंग कर कैसे कमा सकते हैं मुनाफा

कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग शुरू करने के लिए सबसे पहले आपको ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना पड़ेगा. इस अकाउंट के जरिये ही आप किसी सौदे की ख़रीद या बिक्री कर सकते हैं.

10 मिनट में जानिए कमोडिटी ट्रेडिंग कर कैसे कमा सकते हैं मुनाफा

ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए ये हैं जरूरी कागजात
ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए आपके पास पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ और बैंक खाता होना जरूरी है. जब आप किसी ब्रोकर के यहां ट्रेडिंग अकाउंट ओपन कराते हैं तो यह ब्रोकर आपको एक अकाउंट की आईडी मुहैया कराता . इस आईडी के जरिये आप खुद भी ट्रेड कर सकते हैं . इसके लिए आपके मोबाइल, पीसी, टेबलेट में इंटरनेट की सुविधा होनी जरूरी है. इस अकाउंट के जरिये ब्रोकर को निश्चित शुल्क चुकाना होता है. अगर आप खुद से सौदे नहीं करना चाहते तो आप अपने ब्रोकर को फोन के जरिये सौदे की खरीद या बिक्री कर सकते हैं.

केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक कमोडिटी ट्रेडिंग में खुद सौदे करने से पहले ब्रोकर के माध्यम से सौदे करने से जोखिम घटता है. अगर खुद सौदे करना चाहते हैं तो पहले कुछ दिन मॉक ट्रेडिंग कर सकते हैं. एमसीएक्स में ज्यादातर नॉन एग्री और एनसीडीईएक्स पर एग्री कमोडिटी में कारोबार होता है. कमोडिटी मार्केट में निवेश करने से पहले ये भी जानना जरूरी है किस एक्सचेंज किन-किन कमोडिटीज का कारोबार होता है. मसलन देश के सबसे बड़े नॉन एग्री कमोडिटी एक्सचेंज में बुलियन, क्रूड, बेस मेटल्स का कारोबार होता है.

इसके अलावा कुछ एग्री कमोडिटीज जैसे मेंथा तेल, क्रूड पाम तेल (सीपीओ) की ट्रेडिंग होती है. इसी तरह एनसीडीईएक्स पर ज्यादाातर एग्री कमोडिटीज का वायदा कारोबार होता है. एनसीडीईएक्स पर ग्वार, चना, जौ, गेहूं, सोयाबीन, धनिया, कैस्टर, जीरा, हल्दी समेत अन्य कमोडिटीज का वायदा कारोबार होता है.

Rupee


कमोडिटी वायदा बाजार में जानें क्या है मार्जिन ?

हाजिर बाज़ार में किसी जिंस को खरीदते हैं तो एक साथ पूरा भुगतान करना पड़ता है लेकिन कमोडिटी वायदा बाजार में कुछ रकम देकर भी ट्रेडिंग संभव है और इस रकम को मार्जिन कहा जाता है. हर कमोडिटी को खरीदने या बेचने के लिए एक निश्चित मार्जिन पहले से तय होता है . सामान्यतया यह मार्जिन मनी 3-5 फीसदी के बीच होती है. लेकिन कभी भारी उतार-चढ़ाव की स्थिति में एक्सचेंज अतिरिक्त या स्पेशल मार्जिन भी लगाते हैं.

कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग से पहले ये हैं 10 जरूरी बातें
1-कमोडिटी ट्रेडिंग करते समय आप स्टापलॉस का ध्यान जरूर रखें, इससे आपका जोखिम कम होता है. स्टॉपलॉस लगाने से उस निश्चित भाव पर सौदा खुद ही कट जाता है इससे नुकसान होने की संभावना कम रहती है.

2- वायदा बाजार में ट्रेडिंग करने में कम मार्जिन मनी देकर सौदे का विकल्प मिलता है, इसलिए ज्यादा सौदे करने से मुनाफा ज्यादा होगा इस लालच में न फंसे . मतलब यह आप कई लॉट्स में सौदे न करके अपनी आय के अनुसार की ट्रेडिंग करें

3-कमोडिटी ट्रेडिंग और शेयर बाज़ार ट्रेडिंग करने में बुनियादी फर्क है. शेयर बाजार में आप शेयरों को एक बार खरीद कर कई साल बाद भी बेच सकते हैं लेकिन कमोडिटी मार्केट में दो-तीन नियर मंथ में ही कारोबार होता है. इसलिए सौदे खरीदते या बेचने में एक निश्चित अवधि का पालन करना जरूरी होता है.

4-शुरूआत में छोटे सौदे (मिनी लॉट) में ब्रोकरेज कंपनी को खोलने के तीन तरीके कारोबार करने से मुनाफा कमाने की संभावना ज्यादा रहती है. जब आप कमोडिटी मार्केट से पूरी तरह से वाकिफ हो जाये तभी बड़े लॉट्स में कारोबार कर सकते हैं.

5-बाजार के ट्रेंड (रुख) के हिसाब से चलें यानी अगर किसी खास कमोडिटी में लगातार गिरावट का रुख है तो उसी तरह के सौदे डालें.

6- कमोडिटी मार्केट्स में शेयर बाज़ार की तरह ही ग्लोबल स्तर पर जारी होने वाले आंकड़ों का बड़ा असर होता है खासतौर से अमेरिका और चीन के बाज़ारों की खबरें बाज़ार में काफी हलचल लाती हैं इसलिए इन देशों में जारी होने वाले इवेंट्स और आर्थिक आंकड़ों का ध्यान रखें.

7-लिक्विड सौदे में कारोबार करने से फायदेमंद होता है . उदाहरण के तौर पर बुलियन, कच्चा तेल और बेस मेटल्स में कारोबार करने से जोखिम कम होता है और बाज़ार से हमेशा बाहर ब्रोकरेज कंपनी को खोलने के तीन तरीके निकलने का मौका बना रहा है.

8- शेयर बाजार में कमोडिटी मार्केट की तरह डिवीडेंड, बोनस नहीं मिलता है. इसमें सौदा बिकने के बाद ही फायदा या नुकसान होता है.

9-दुनियाभर के केन्द्रीय बैंक की पॉलिसी का भी कमोडिटी मार्केट पर खासा असर होता है खासतौर से बुलियन कारोबार, कच्चा तेल और बेस मेटल्स की कीमतों में इन केन्द्रीय की पॉलिसी का असर दिखता है. इन बैंकों में फेडरल रिजर्व बैंक, बैंक ऑफ इंग्लैड का असर दिखता है.

10- हाजिर बाजार में सप्लाई-डिमांड का भी ध्यान रखें . खासकर एग्री कमोडिटी में कारोबार करते समय मंडियों में किसी फसल की आवक कैसी है और आगे उत्पादन कैसा रहेगा.

आप भी फॉरेन स्टॉक में कर सकते है निवेश, यहां जानें आसान तरीका | How To Invest in Foreign Stock

How To Invest in Foreign Stock: अगर आप भी फॉरेन स्टॉक में निवेश करना चाहते है लेकिन नहीं मालूम कि फॉरेन स्टॉक में निवेश कैसे करें? तो ऐसे में यह लेख आपके लिए इस समस्या का समाधान करेगा। यहां हम भारत से Foreign Stock में निवेश करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे।

How To Invest in Foreign Stock: भारतीय स्टॉक एक्सचेंज मार्केट में 5500 से अधिक कंपनियों की सूची है, लेकिन फिर भी बहुत सारे शेयर निवेशक विदेशी शेयरों (Foreign Stock) में रुचि रखते हैं। APPL हो या GOOGL (Alphabet), NFXL (नेटफ्लिक्स), TWTR (ट्विटर), या कोई अन्य कंपनी हो, मार्केटर्स इनमें भारी निवेश करते हैं। इसका कारण सरल है, क्योंकि ये थोड़े कम जोखिम से जुड़े होते हैं।

हालांकि ये स्टॉक भारत के बाहर सूचीबद्ध हैं, फिर भी वे अपने इंडस्ट्री में प्रतिष्ठित और टॉप कंपनियां हैं। हालांकि यह उन लोगों के लिए एक समस्या है जो भारत से इन Foreign Stock में निवेश करना चाहते हैं। क्योंकि विदशी कंपनियां किसी भी भारतीय स्टॉक एक्सचेंज बाजार में सूचीबद्ध नहीं पाएंगे, चाहे वह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) हो या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) हो।

अब सवाल उठता है कि फॉरेन स्टॉक में निवेश कैसे करें? (How To Invest in Foreign Stock) ऐसे में यह लेख आपके लिए इस समस्या का समाधान करेगा। यहां हम भारत से Foreign Stock में निवेश करने के तीन तरीकों पर चर्चा करेंगे।

ऐसे तीन तरीके हैं जिनका उपयोग करके आप Foreign Stock में निवेश कर सकते हैं-

1) फॉरेन टाई-अप के साथ भारतीय फंड हाउस

2) डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट

3) एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड

1) फॉरेन टाई-अप के साथ भारतीय फंड हाउस

फॉरेन टाई-अप वाले भारतीय फंड हाउस बहुत जटिल लग सकते हैं, लेकिन यह प्रक्रिया आसान है। भारतीय शेयर मार्केटर्स कम से कम प्रयास के साथ Foreign Stock तक पहुंच सकते हैं या फॉरेन करेंसी में निवेश कर सकते हैं। ऐसे अवसरों के साथ आरंभ करने के लिए, 'इमर्जिंग मार्केट' और 'यूरोप फोकस' जैसे शब्दों की तलाश करें जो आपको लोकल मार्केट के माध्यम से विदेशी कंपनियों में निवेश करने की अनुमति देते हैं। यहां विदेशी शेयरों में निवेश किए गए म्यूचुअल फंड खरीदने की प्रक्रिया है और इन्हें म्यूचुअल फंड के NAV का उपयोग करके पता लगाया जा सकता है।

एक अतिरिक्त तरकीब है फंड्स ऑफ फंड्स (FoF) म्यूचुअल फंड में निवेश करना। इन फंडों को विदेशी शेयरों में निवेश किया जाता है और सेंसेक्स या निफ्टी के विफल होने पर मार्केटर्स के लिए एक निश्चित सीमा प्रदान करते हैं। कई ग्लोबल कंपनियों ने महामारी या मौजूदा विफल बाजार की स्थिति के बावजूद बेहतर प्रदर्शन किया है। इसका एक बेहतरीन उदाहरण लेम्बोर्गिनी है जिसने महामारी और लॉकडाउन के बावजूद अपनी बिक्री बढ़ाई। भारतीय फंड हाउस के माध्यम से विदेशी शेयरों में निवेश करना बहुत अच्छा होगा।

कुछ मैच्योर निवेशक म्यूचुअल फंड में निवेश नहीं करना चाहते हैं, और यह तब होता है जब डायरेक्ट निवेश मेथड उनकी मदद करती है। इस तरीके में आप भारत से विदेशी शेयरों में निवेश कर रहे हैं न कि केवल म्यूचुअल फंड खरीद रहे हैं।

2) LRS का उपयोग करके डायरेक्ट इंवेस्टिंग

LRS का सही उपयोग करके Foreign Stock में निवेश करने का एक अधिक सीधा तरीका है। Liberalized Remittance Scheme भारत के नागरिकों को बिना किसी अनुमति के सीधे विदेशों में निवेश करने की अनुमति देती है। हालांकि आप प्रति वर्ष कितना निवेश कर सकते हैं इसकी एक निश्चित सीमा है। LRS (Liberalized Remittance Scheme) के अनुसार, आप बिना किसी प्रश्न के प्रति वर्ष $250,000 तक निवेश कर सकते हैं। यह महसूस करना महत्वपूर्ण है कि यह राशि न केवल स्टॉक बल्कि विदेशों में समग्र निवेश या व्यय को कवर करती है।

डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट और LRS के तरीकों के माध्यम से विदेशी शेयरों में निवेश करने के लिए आपको एक अंतरराष्ट्रीय ब्रोकर के साथ एक ट्रेडिंग एकाउंट खोलना होगा। US में स्थित ब्रोकरेज फर्मों के साथ ट्रेडिंग एकाउंट खोलने और US स्टॉक एक्सचेंज से निपटने के लिए आपके पास यूएस-आधारित पता या नागरिकता होना आवश्यक नहीं है।

एक बार जब आप एक ट्रेडिंग एकाउंट खोल लेते हैं, तो आपको अपने शेयरों का चयन करने और ब्रोकर को सीधे भारतीय बैंकों के माध्यम से पैसे भेजने की आवश्यकता होती है। एक निश्चित धन कटौती होती है जिसे बैंक कटौती के रूप में भी जाना जाता है, और फिर अन्य शुल्क जैसे टैक्स और फॉरेन कर्रेंसी एक्सचें।

आमतौर पर, आपके बैंक लेनदेन में पैसे की कटौती को रिफ्लेक्ट होने में 3-5 दिन लगते हैं, हालांकि पैसा तुरंत काट लिया जाता है। आपको इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है। एक बार जब आप स्टॉक खरीद लेते हैं, तो आप उन्हें उन ऐप्स पर पा सकते हैं जो ब्रोकर सुझाते हैं।

3) एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड

हमारे पास फॉरेन स्टॉक मार्केट में प्रवेश करने के लिए फंड ऑफ फंड्स (FoF) म्यूचुअल फंड में निवेश करने का विकल्प है। हालांकि म्यूचुअल फंड सभी निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। इसके अलावा अगर आप विदेशी बाजार में डायरेक्ट ब्रोकरेज कंपनी को खोलने के तीन तरीके निवेश के बारे में अनिश्चित हैं, लेकिन म्यूचुअल फंड में निवेश नहीं करना चाहते हैं, तो हमारे पास केवल एक ही विकल्प बचा है, और वह है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) है।

ETF म्यूचुअल फंड से थोड़े अलग होते हैं और सबसे बड़ा अंतर यह होता है कि आप उन्हें कब खरीद/बेच सकते हैं। म्युचुअल फंड का कारोबार केवल मार्केट क्लोज होने पर (Buy/Sell) किया जा सकता है, जबकि ETF का कारोबार दिन के किसी भी समय किया जा सकता है।

आपको विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय ब्रोकर के साथ एक ट्रेडिंग एकाउंट रखने की आवश्यकता नहीं है। आप लोकल ब्रोकरेज और अंतरराष्ट्रीय ब्रोकर दोनों के माध्यम से ETF में निवेश कर सकते हैं और यह म्यूचुअल फंड में निवेश करने जितना आसान है।

ETF में निवेश करते समय एक निश्चित सावधानी बरतनी चाहिए। इन फंडों को SEBI द्वारा रजिस्टर्ड करने की आवश्यकता है। बहुत सारे धोखेबाज लोग हैं जो चाहते हैं कि आप ETF में निवेश करें, इसलिए सतर्क रहना बेहतर है। फायदे की बात करें तो, ETF एक बेहतरीन निवेश है क्योंकि वे जोखिम को कम करते हैं क्योंकि यह केवल सूचकांक की गति को दोहराता है। ETF में निवेश का एक और फायदा यह है कि म्युचुअल फंड की तुलना में एक्सपेंस रेश्यो काफी कम है।

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