आसान विदेशी मुद्रा

विदेशी मुद्रा भंडार में इस हफ्ते भी आई गिरावट, गोल्ड रिजर्व में रही तेजी, चेक करें आंकड़े
Foreign Exchange Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार तीसरे हफ्ते गिरावट देखने को मिली है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार 25 मार्च को समाप्त सप्ताह में 2.03 अरब डॉलर घटकर 617.648 अरब डॉलर रह गया है.
By: पीटीआई, एजेंसी | Updated at : 02 Apr 2022 03:01 PM (IST)
विदेशी मुद्रा भंडार (फाइल फोटो)
Foreign Exchange Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार तीसरे हफ्ते गिरावट देखने को मिली है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार 25 मार्च को समाप्त सप्ताह में 2.03 अरब डॉलर घटकर 617.648 अरब डॉलर रह गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of Indai) ने इस बारे में जानकारी दी है.
लगातार आ रही है गिरावट
इससे पहले 18 मार्च को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.597 अरब डॉलर घटकर 619.678 अरब डॉलर रह गया था. इससे पहले यानी 11 मार्च, 2021 को समाप्त सप्ताह में विदेशीमुद्रा भंडार 9.646 अरब डॉलर घटकर 622.275 अरब डॉलर रह गया था.
RBI ने जारी किए आंकड़े
आरबीआई की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (FCA) के घटने की वजह से आई जो कुल मुद्राभंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है.
FCA में आई गिरावट
आंकड़ों के मुताबिक, 25 मार्च को समाप्त सप्ताह में FCA 3.202 अरब डॉलर घटकर 550.454 अरब डॉलर रह गया. डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाले विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसे गैर अमेरिकी मुद्रा में मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है.
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कितना रहा गोल्ड रिजर्व?
आलोच्य सप्ताह में स्वर्ण भंडार (Gold Reserve) 1.23 अरब आसान विदेशी मुद्रा डॉलर बढ़कर 43.241 अरब डॉलर हो गया. समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (SDR) 4.4 करोड़ डॉलर घटकर 18.821 अरब डॉलर रह गया. IMF में रखे देश का मुद्रा भंडार 1.4 करोड़ डॉलर घटकर 5.132 अरब डॉलर रह गया.
Published at : 02 Apr 2022 03:00 PM (IST) Tags: foreign currency gold reserve foreign exchange reserves Gold forex हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
शिक्षण केंद्र
विदेशी मुद्रा कारोबार की अवधारणा बहुत आसान है, एक बार यह सिद्ध हो जाए कि मुद्रा एक कमोडिटी है जिसका मान किसी दूसरी मुद्रा के मुकाबले बदलता रहता है। कोई मुद्रा खरीद कर (या बेच कर), विदेशी मुद्रा ट्रेडर विदेशी मुद्रा दर में परिवर्तनों से लाभ कमाने का लक्ष्य रखते हैं। विदेशी मुद्रा बाजार की खूबसूरती है कि इसमें ट्रेडिंग की लागत बहुत कम है। इसका अर्थ है कि ट्रेडिंग लेनदेन बहुत ही छोटे समय, वस्तुतः सेकेंडों में, साथ ही साथ लंबी अवधि के लिए निष्पादित हो सकते हैं।
तकनीकी मामले में क्या देखना चाहिए
तकनीकी विश्लेषण में जो चीज आप सबसे पहले सुनेंगे वह निम्न कहावत है: 'रूझान आपका दोस्त है'। प्रचलित रूझान की खोज आपको समग्र बाजार दिशा के बारे में जागरूक होने में मदद करेगी - विशेषकर जब अल्पकालिक गतिविधि माहौल में कोलाहल उत्पन्न कर देती है। साप्ताहिक और मासिक चार्ट दीर्घकालिक रूझानों की पहचान करने के लिए आदर्श रूप से उपयुक्त हैं। एक बार आपने समग्र रूझान को पा लिया हो, फिर आप उस समयावधि के रूझान को चुन सकते हैं जिसमें आप ट्रेड करना चाहते हैं। इस प्रकार, आप उठते रूझान के दौरान प्रभावी ढंग से डिप्स पर खरीद सकते हैं, और गिरते रूझानों के दौरान रैली पर बेच सकते हैं।
सहायता एवं प्रतिरोध
सहायता एवं प्रतिरोध वे बिंदुएँ हैं जहाँ चार्ट आवर्ती बढ़ते या घटते दबाव का अनुभव करता है। सहायता स्तर आमतौर पर किसी चार्ट पैटर्न (घंटेवार, साप्ताहिक या वार्षिक) का निम्न बिंदु होता है, जबकि प्रतिरोध स्तर पैटर्न का उच्च, या शीर्ष बिंदु होता है। इन बिंदुओं की पहचान सहायता और प्रतिरोध के रूप में होती है जब वे दोबारा प्रकट होने की प्रवृत्ति दिखाते हैं। उन सहायता/प्रतिरोध स्तरों के निकट बेचना सबसे बढ़िया होता है जिनके खंडित होने की संभावना नहीं होती है।
एक बार ये स्तर खंडित हो जाते हैं, वे विपरीत अवरोध बन जाते हैं। इस तरह, एक उठते बाजार में, खंडित प्रतिरोध स्तर उठते रूझान के लिए सहायक हो सकता है; जबकि गिरते बाजार में, सहायता स्तर के खंडित होने पर, यह प्रतिरोध में बदल सकता है।
रूझान की लाइनें आसान हैं, फिर भी बाजार के रूझानों की दिशा की पुष्टि करने के लिए मददगार टूल हैं। कम से कम दो लगातार निम्न बिंदुओं को जोड़ कर एक सीधी लाइन खींची जाती है। स्वाभाविक रूप से, दूसरा बिंदु पहले से ऊँचा होना चाहिए। लाइन की निरंतरता उस पथ के निर्धारण में मदद करती है जिस पर बाजार बढ़ेगा। ऊपर की ओर रूझान सहायता लाइनें/स्तरों की पहचान का एक ठोस तरीका है। इसके विपरीत, नीचे जाने वाली लाइनें दो या अधिक बिंदुओं को जोड़ कर बनाई जाती हैं। किसी ट्रेडिंग लाइन की वैधता जुड़ने वाली बिंदुओं की संख्या से आंशिक रूप से संबंधित होती हैं। फिर भी यह बताना महत्वपूर्ण है कि बिंदुएं एक दूसरे के काफी नजदीक नहीं होनी चाहिए। चैनल दो समानांतर रूझान लाइनों द्वारा खींचे गए मूल्य पथ के रूप में परिभाषित है। लाइनें मूल्य के लिए ऊपर जाने वाली, नीचे जाने वाली या सीधी कॉरिडोर के रूप में काम करती है। किसी रूझान लाइन की बिंदु को कनेक्ट करने वाले किसी चैनल का चिरपरिचित गुण इसकी विरोधी लाइनों के बीच कनेक्ट करने वाली बिंदुओं के बीच होना है।
तकनीकी विश्लेषण में मुख्यतः तीन प्रकार के चार्ट का उपयोग होता है:
लाइन चार्ट:
लाइन चार्ट किसी मुद्रा जोड़ी का किसी अवधि के दौरान मुद्रा विनिमय दर इतिहास का चित्रात्मक वर्णन है। लाइन दैनिक बंद भावों को जोड़ कर बनाई जाती है।
बार चार्ट:
बार चार्ट किसी मुद्रा जोड़ी के मूल्य प्रदर्शन का वर्णन होता है, यह तय इंट्रा-डे समय अंतराल (उदाहरण के लिए हर 30 मिनट) पर लंबवत बार से बने होते हैं। प्रत्येक बार में 4 'हुक' होते हैं, जो खुला, बंद, उच्च और निम्न (OCHL) विनिमय दरों का प्रतिनिधित्व करता है।
कैंडलस्टीक चार्ट:
कैंडलस्टीक चार्ट बार चार्ट का एक भिन्न रूप है, सिवाय इसके कि कैंडलस्टीक चार्ट OCHL मूल्यों का वर्णन एक 'कैंडलस्टीक' के रूप में करता है जिसके प्रत्येक छोर पर एक 'पलीता' होता है। जब खुला भाव बंद भाव से अधिक होता है तो कैंडलस्टीक 'ठोस' होता है। जब बंद भाव खुला भाव से अधिक होता है तो कैंडलस्टीक 'खोखला' होता है।
सहायता एवं प्रतिरोध स्तर
तकनीकी विश्लेषण का एक उपयोग 'सहायता' और 'प्रतिरोध' स्तरों को संचालित करता है। अंतर्निहित विचार यह है कि बाजार अपनी सहायता स्तरों के ऊपर और अपने प्रतिरोध स्तरों के नीचे ट्रेड करेगा। सहायता स्तर एक विशिष्ट मूल्य स्तर को दिखाता है जिसके नीचे जाने में मुद्रा को कठिनाईयाँ होंगी। यदि मूल्य लगातार इस विशिष्ट बिंदु के नीचे जाने में विफल रहता है, तो एक सीधी-लाइन पैटर्न प्रकट होगा।
दूसरी ओर, प्रतिरोध स्तर एक विशिष्ट मूल्य स्तर को दिखाते हैं जिसके ऊपर जाने में मुद्रा को कठिनाईयाँ होंगी। इस बिंदु से ऊपर जाने में मूल्य के बार-बार विफल होने पर एक सीधी-लाइन पैटर्न बन जाएगा।
यदि सहायता या प्रतिरोध स्तर खंडित होता है, तो बाजार से उसी दिशा में बढ़ने की अपेक्षा की जाती है। ये स्तर, चार्ट विश्लेषण के माध्यम से और बाजार द्वारा पूर्व में अखंडित सहायता या प्रतिरोध का सामना करने के स्थान के मूल्यांकन द्वारा निर्धारित होते हैं।
चल औसत मूल्य रूझानों पर नज़र रखने के लिए एक और टूल प्रदान करता है। चल औसत, अपने सरलतम स्वरूप में, किसी समयावधि में रॉल होने वाले मूल्यों का औसत है। 10-दिन चल औसत की गणना पिछले 10 दिनों का बंद भाव जोड़ कर और उन्हें 10 से भाग देकर की जाती है। अगले दिन, सबसे पुराना मूल्य हटा दिया जाता है और उसके बजाय नए दिन का बंद भाव जोड़ दिया जाता है; अब इन 10 मूल्यों को 10 से भाग कर दिया जाता है। इस प्रकार, औसत हर दिन 'आगे बढ़ता' है।
चल औसत बाजार में प्रवेश करने या बाहर निकलने का अधिक यांत्रिक पद्धति प्रदान करता है। प्रवेश और निकास बिंदुओं की पहचान करने में मदद करने के लिए, अक्सर चल औसत को बार चार्ट के ऊपर रख दिया जाता है। जब बाजार चल औसत के ऊपर बंद होता है, इसे सामान्यतः खरीद संकेत के रूप में देखा जाता है। उसी प्रकार, जब बाजार चल औसत के नीचे बंद होता है तो उसे बिक्री संकेत माना जाता है। कुछ कारोबारी इसे खरीद या बिक्री संकेत के रूप मे स्वीकार करने से पहले चल औसत को असल में दिशा बदलते देखना चाहते हैं।
चल औसत लाइन की संवेदनशीलता और इसके द्वारा उत्पन्न खरीद और बिक्री संकेतों की संख्या चल औसत के लिए चुनी गई समयावधि के साथ सीधे संबद्ध है। 5-दिन चल औसत और अधिक संवेदनशील होगा और 20-दिन चल औसत के मुकाबले अधिक खरीद और बिक्री संकेत प्रॉम्प्ट करेगा। यदि औसत बहुत संवेदनशील रहता है, कारोबारी अक्सर स्वयं को बाजार में प्रवेश करते और निकलते पाएँगे। दूसरी ओर, यदि चल औसत बहुत अधिक संवेदनशील नहीं होता है, तो खरीद और बिक्री संकेतों की पहचान में बहुत देरी के कारण कारोबारियों के लिए अवसर खोने का जोखिम होगा।
चल औसत तकनीकी कारोबारियों के लिए अत्यंत उपयोगी हो सकते हैं।
रूझान लाइन रूझान, और साथ ही साथ सहायता और प्रतिरोध के संभावित क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करती है। रूझान लाइन एक सीधी रेखा होती है जो किसी अंतर्निहित ट्रेडिंग प्रक्रिया के मूल्य में कम से दो महत्वपूर्ण शिखर या गर्त को जोड़ती है। किसी भी दूसरी मूल्य क्रिया को दो बिंदुओं के बीच रूझान लाइन को खंडित नहीं करना चाहिए। इस प्रकार, रूझान लाइन एक सहायता या प्रतिरोध क्षेत्र चिह्नित करती है जहाँ मूल्य मुड़ गया हो (शिखर और गर्त) और उल्लंघन नहीं हुआ हो। रूझान लाइन जितनी लंबी होती है, यह उतनी ही मान्य होती है, विशेषकर जब मूल्य ने लाइन को बगैर काटे कई बार छुआ हो।
दीर्घकालिक रूझान लाइन को काटना एक संकेत हो सकता है कि रूझान पलटने वाला है। हालाँकि, इसकी कोई गारंटी नहीं कि ऐसा होगा। जैसा कि सभी मूल्य रूझान उलटाव के सभी संकतों के साथ है, ऐसी कोई प्रमाणित पद्धति नहीं है जो मूल्य की दिशा पूर्वनिर्धारित कर सके।
डबल (ट्रिपल) बॉटम और डबल (ट्रिपल) टॉप
डबल या ट्रिपल बॉटम बनावट भी तकनीकी बिक्री-रोक ऑर्डर के लिए अच्छा स्तर प्रदान करता है। ऐसा बिक्री-रोक ऑर्डर सामान्यतः पूर्व निम्न के ठीक नीचे दिया जाएगा। उसी प्रकार, डबल या ट्रिपल टॉप बनावट पूर्व उच्च के ठीक ऊपर तकनीकी खरीद-रोक ऑर्डर के लिए अच्छा स्तर प्रदान करता है।
जब बाजार एक दिशा में तेज़ी से बढ़ रहा होता है, यह कभी-कभी पीछे हट सकता है जब प्रतिभागी अपने लाभ लेते हैं। इस घटना को रिट्रेसमेंट कहा जाता है। यह अधिक आसान विदेशी मुद्रा आकर्षक स्तरों पर बाजार में पुनः प्रवेश करना का एक अच्छा अवसर प्रदान करता है इससे पहले कि अंतर्निहित रूझान फिर से प्रारंभ हो जाए।
भारतीय कंपनियों के लिए विदेश में निवेश के नियम आसान
विदेशी मुद्रा भंडार से उत्साहित भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय कंपनियों के विदेशों में निवेश के.
रिजर्व बैंक ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में संशोधन करते इस बारे में अधिसूचना जारी की है। इसमें कहा गया है कि बैंक किसी भारतीय पक्ष के संयुक्त उद्यम या पूर्ण सहायक सब्सिडियरी के शेयरों को घरेलू या विदेशी कर्जदाता के पास गिरवी रखकर धन जुटाने की अनुमति दे सकते हैं।
अभी तक भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशों में निवेश के उद्देश्य से धन जुटाने पर कई तरह की सीमाएं लागू थीं।
संयुक्त उद्यमों व पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी के अलावा सब्सिडियरी की सब्सिडियरी को भी शेयरों को गिरवी रखने के मामले में केंद्रीय बैंक ने यह रियायत दी है।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 19 दिसंबर को खत्म हफ्ते में 3.16 अरब डॉलर बढ़कर 319.99 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 25 जुलाई, 2014 को खत्म हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 320.56 अरब डॉलर पर पहुंचा था। दो सितंबर, 2011 को विदेशी मुद्रा भंडार 320.79 अरब डॉलर के अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचा था।
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गिरावट : डॉलर का दुनिया में और घटा रुतबा, यूरो-येन और युवान को फायदा
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा मुख्य रूप से चीन और रूस के अपने विदेशी मुद्रा भंडारों में अलग-अलग देशों की मुद्राओं को अधिक जगह देने की वजह से हुआ है। साथ ही डॉलर की दीर्घकालिक संभावना को लेकर गहरा रही चिंता भी इसका एक कारण है।
2020 लगातार पांचवां साल रहा, जब दुनिया भर के देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर का हिस्सा घटा। बीते साल उसका हिस्सा 59 फीसदी रह गया। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा मुख्य रूप से चीन और रूस के अपने विदेशी मुद्रा भंडारों में अलग-अलग देशों की मुद्राओं को अधिक जगह देने की वजह से हुआ है। साथ ही डॉलर की दीर्घकालिक संभावना को लेकर गहरा रही चिंता भी इसका एक कारण है।
गौरतलब है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से तमाम देशों की सरकारें अमेरिकी बॉन्ड्स में निवेश को अपनी आर्थिक स्थिरता से जोड़ कर देखती रही हैं। मौद्रिक आपातकाल के लिए तमाम देश अपने भंडार में डॉलर की एक निश्चित मात्रा रखते आए हैं। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के ताजा आंकड़ों से संकेत मिलता है कि रिजर्व करेंसी के रूप में डॉलर का आकर्षण घट रहा है। कोरोना महामारी के समय अमेरिका पर कर्ज का अनुपात और राजकोषीय घाटा बढ़ने से डॉलर की दीर्घकालिक संभावना को लेकर संदेह बढ़ा है। इसलिए अब सरकारें वैकल्पिक मुद्राओं और सोना जैसे गैर-करेंसी विकल्पों में ज्यादा निवेश कर रही हैं।
आईएमएफ ने 2020 में 149 देशों के विदेशी मुद्रा भंडार की सूची जारी की है। इसके मुताबिक इन देशों का साझा मुद्रा भंडार 12.7 ट्रिलियन डॉलर का था। पिछले साल सकल रूप में डॉलर की मात्रा में चार प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह सात ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया। जापान के मिजुहो बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री दाइसुके काराकामा के मुताबिक, इसकी वजह यह थी कि उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों ने अपनी देसी मुद्रा का ज्यादा निवेश डॉलर में किया, ताकि उनके लिए आयात करना आसान बना रहे। काराकामा के मुताबिक, इसकी एक और वजह यह रही कि पिछले साल अमेरिका ने अधिक संख्या में बॉन्ड जारी किए, ताकि वह कोरोना प्रोत्साहन पैकेज के लिए ज्यादा रकम जुटा सके।
लेकिन जहां तक विदेशी मुद्रा भंडारों में डॉलर के अनुपात का सवाल है, तो उसमें 1.7 प्रतिशत की गिरावट आई। 1995 के बाद ऐसा पहली बार हुआ, जब विदेशी मुद्रा भंडारों में डॉलर का हिस्सा गिरकर 60 प्रतिशत से नीचे आ गया। गौरतलब है कि 2001 के बाद से ज्यादातर समय विदेशी मुद्रा भंडारों में डॉलर का हिस्सा 70 प्रतिशत से ऊपर रहा। आईएमएफ के दो अर्थशास्त्रियों सेरकान अर्सलनाल्प और चीमा सिम्पसन-बेल ने एक ब्लॉग में लिखा है कि लंबी अवधि आसान विदेशी मुद्रा को ध्यान में रखें, तो विदेशी मुद्रा भंडारों में डॉलर का हिस्सा गिरा है। यह इस बात का संकेत है कि अलग-अलग देशों के केंद्रीय बैंक सचमुच धीरे-धीरे डॉलर के विकल्पों की तरफ जा रहे हैं।
अमेरिकी वित्त मंत्रालय के मुताबिक 2020 में चीन का अमेरिका सरकार की प्रतिभूतियों में 1.07 ट्रिलियन का निवेश था। सात साल पहले की तुलना में यह 20 प्रतिशत कम है। निक्को सिक्योरिटीज के वरिष्ठ अर्थशास्त्री कोटा आसान विदेशी मुद्रा हिरायामा ने एक वेबसाइट से कहा कि चीन के ट्रेजली होल्डिंग्स का ज्यादातर हिस्सा विदेशी मुद्रा भंडार के रूप में है। रूस के विदेशी मुद्रा भंडार में भी डॉलर का हिस्सा घटा है। अब उसका विदेशी मुद्रा भंडार 578.7 अरब डॉलर मूल्य का है, जिसमें डॉलर का हिस्सा सिर्फ 20 फीसदी है। 2017 तक ये हिस्सा लगभग 40 प्रतिशत होता था।
डॉलर का हिस्सा घटने का लाभ यूरो, येन (जापानी मुद्रा) और युवान (चीनी मुद्रा) को मिला है। 2020 में विदेशी मुद्रा भंडारों में यूरो का हिस्सा 21 प्रतिशत हो गया। यह छह साल पहले के यूरो के हिस्से के बराबर है। तब यूरो का हिस्सा सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा था। येन का हिस्सा अब 6 प्रतिशत हो गया है। दो दशक में पहली बार उसका हिस्सा यहां तक पहुंचा है। चीन के निवेशकों ने पिछले साल 2.2 ट्रिलियन डॉलर मूल्य के येन को खरीदा। युवान का हिस्सा 2 प्रतिशत हो गया है। यह उसका सर्वोच्च स्तर है। इसके अलावा सोने में भी देशों ने निवेश बढ़ाया है।
विस्तार
2020 लगातार पांचवां साल रहा, जब दुनिया भर के देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर का हिस्सा घटा। बीते साल उसका हिस्सा 59 फीसदी रह गया। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा मुख्य रूप से चीन और रूस के अपने विदेशी मुद्रा भंडारों में अलग-अलग देशों की मुद्राओं को अधिक जगह देने की वजह से हुआ है। साथ ही डॉलर की दीर्घकालिक संभावना को लेकर गहरा रही चिंता भी इसका एक कारण है।
गौरतलब है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से तमाम देशों की सरकारें अमेरिकी बॉन्ड्स में निवेश को अपनी आर्थिक स्थिरता से जोड़ कर देखती रही हैं। मौद्रिक आपातकाल के लिए तमाम देश अपने भंडार में डॉलर की एक निश्चित मात्रा रखते आए हैं। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के ताजा आंकड़ों से संकेत मिलता है कि रिजर्व करेंसी के रूप में डॉलर का आकर्षण घट रहा है। कोरोना महामारी के समय अमेरिका पर कर्ज का अनुपात और राजकोषीय घाटा बढ़ने से डॉलर की दीर्घकालिक संभावना को लेकर संदेह बढ़ा है। इसलिए अब सरकारें वैकल्पिक मुद्राओं और सोना जैसे गैर-करेंसी विकल्पों में ज्यादा निवेश कर रही हैं।
आईएमएफ ने 2020 में 149 देशों के विदेशी मुद्रा भंडार की सूची जारी की है। इसके मुताबिक इन देशों का साझा मुद्रा भंडार 12.7 ट्रिलियन डॉलर का था। पिछले साल सकल रूप में डॉलर की मात्रा में चार प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह सात ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया। जापान के मिजुहो बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री दाइसुके काराकामा के मुताबिक, इसकी वजह यह थी कि उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों ने अपनी देसी मुद्रा का ज्यादा निवेश डॉलर में किया, ताकि उनके लिए आयात करना आसान बना रहे। काराकामा के मुताबिक, इसकी एक और वजह यह रही कि पिछले साल अमेरिका ने अधिक संख्या में बॉन्ड जारी किए, ताकि वह कोरोना प्रोत्साहन पैकेज के लिए ज्यादा रकम जुटा आसान विदेशी मुद्रा सके।
लेकिन जहां तक विदेशी मुद्रा भंडारों में डॉलर के अनुपात का सवाल है, तो उसमें 1.7 प्रतिशत की गिरावट आई। 1995 के बाद ऐसा पहली बार हुआ, जब विदेशी मुद्रा भंडारों में डॉलर का हिस्सा आसान विदेशी मुद्रा गिरकर 60 प्रतिशत से नीचे आ गया। गौरतलब है कि 2001 के बाद से ज्यादातर समय विदेशी मुद्रा भंडारों में डॉलर का हिस्सा 70 प्रतिशत से ऊपर रहा। आईएमएफ के दो अर्थशास्त्रियों सेरकान अर्सलनाल्प और चीमा सिम्पसन-बेल ने एक ब्लॉग में लिखा है कि लंबी अवधि को ध्यान में रखें, तो विदेशी मुद्रा भंडारों में डॉलर का हिस्सा गिरा है। यह इस बात का संकेत है कि अलग-अलग देशों के केंद्रीय बैंक सचमुच धीरे-धीरे डॉलर के विकल्पों की तरफ जा रहे हैं।
अमेरिकी वित्त मंत्रालय के मुताबिक 2020 में चीन का अमेरिका सरकार की प्रतिभूतियों में 1.07 ट्रिलियन का निवेश था। सात साल पहले की तुलना में यह 20 प्रतिशत कम है। निक्को सिक्योरिटीज के वरिष्ठ अर्थशास्त्री कोटा हिरायामा ने एक वेबसाइट से कहा कि चीन के ट्रेजली होल्डिंग्स का ज्यादातर हिस्सा विदेशी मुद्रा भंडार के रूप में है। रूस के विदेशी मुद्रा भंडार में भी डॉलर का हिस्सा घटा है। अब उसका विदेशी मुद्रा भंडार 578.7 अरब डॉलर मूल्य का है, जिसमें डॉलर का हिस्सा सिर्फ 20 फीसदी है। 2017 तक ये हिस्सा लगभग 40 प्रतिशत होता था।
डॉलर का हिस्सा घटने का लाभ यूरो, येन (जापानी मुद्रा) और युवान (चीनी मुद्रा) को मिला है। 2020 में विदेशी मुद्रा भंडारों में यूरो का हिस्सा 21 प्रतिशत हो गया। यह छह साल पहले के यूरो के हिस्से के बराबर है। तब यूरो का हिस्सा सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा था। येन का हिस्सा अब 6 प्रतिशत हो गया है। दो दशक में पहली बार उसका हिस्सा यहां तक पहुंचा है। चीन के निवेशकों ने पिछले साल 2.2 ट्रिलियन डॉलर मूल्य के येन को खरीदा। युवान का हिस्सा 2 प्रतिशत हो गया है। यह उसका सर्वोच्च स्तर है। इसके अलावा सोने में भी देशों ने निवेश बढ़ाया है।