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मुख्य निवेश विकल्प

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मुनाफे की बात: नए वित्त वर्ष में इन पांच विकल्पों में जरूर करें निवेश, पैसों से भरी रहेगी जेब

निवेश के विकल्प

कोरोना वायरस महामारी ने 2020 में लोगों को बहुत परेशान और चिंतित रखा है। इसकी वजह से सभी क्षेत्रों में नुकसान हुआ है। निवेशक भी मुनाफे को लेकर परेशान हैं। नए वित्त वर्ष की शुरुआत हो चुकी है। मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए बचत करना आसान नहीं है। कब उनकी सारी सैलरी खर्च हो जाती है पता ही नहीं चलता। कम पैसे खर्च करने की पूरी कोशिश के बावजूद मध्यमवर्गीय परिवार पैसा नहीं बचा पाते। ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं, जिससे आप अपने भविष्य के लिए पैसे जमा कर सकते हैं।

सार्वजनिक भविष्य निधि योजना (PPF)

सार्वजनिक भविष्य निधि योजना (PPF)
लोग निवेश के बारे में नहीं सोचते और इस कारण वो कीमती समय निकल जाता है जिसमें किया गया निवेश काफी अच्छे रिटर्न दे सकता था। जितनी जल्दी निवेश शुरू किया जाए, ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है। लोकप्रिय कर, दीर्घकालिक बचत योजना में निवेशकों को 7.1 फीसदी ब्याज मिलता है। निवेशक पांच साल के बाद आंशिक निकासी का लाभ उठा सकते हैं और खाते को 15 साल के लिए आगे भी बढ़ा सकते हैं। खाते को सक्रिय रखने के लिए प्रति वर्ष 500 रुपये की न्यूनतम राशि जमा करना आवश्यक है।

नेशनल पेंशन स्कीम

नेशनल पेंशन स्कीम
नेशनल पेंशन स्कीम की शुरुआत केंद्र सरकार ने की थी। इस योजना को शुरू करने के पीछे मुख्य कारण रिटायरमेंट के लिए तैयारी करना था। अगर रिटायरमेंट के लिए अभी से तैयारी करनी है तो पेंशन स्कीम फायदेमंद होगी। रिटायरमेंट के बाद भी किसी व्यक्ति की मासिक आय आती रहे, इस उद्देश्य से एनपीएस की शुरुआत की थी। 500 रुपये निवेश कर भी इस योजना का फायदा उठाया जा सकता है। योजना के तहत रिटायरमेंट के वक्त कर्मचारी को एकमुश्त राशि मिलेगी, जिससे रिटायरमेंट आपको बोझ नहीं लगेगा। पीएफआरडीए एनपीएस से जुड़ने के लिए वन-टाइम पासवर्ड (OTP) सुविधा देता है। ई-हस्ताक्षर के जरिए बिना किसी कागजी दस्तावेज के ऑनलाइन एनपीएस खाता खोला जा सकता है। एनपीएस टियर-1 अकाउंट को एक्टिव रखने के लिए सालाना न्यूनतम योगदान 6,000 रुपये से घटाकर सिर्फ 1,000 रुपये कर दिया गया है। रिटायर होने पर आप पूरी पूंजी का 60 फीसदी तक हिस्सा एकमुश्त टैक्स-फ्री ले सकते हैं और बाकी 40 फीसदी फंड से आजीवन पेंशन ले सकते हैं।

ज्यादा रिटर्न देने वाले विकल्पों में लगाएं पैसा

ज्यादा रिटर्न देने वाले विकल्पों में लगाएं पैसा
अगर आप सिर्फ एफडी या पीपीएफ जैसे पारंपरिक निवेश विकल्पों में निवेश करते हैं, तो आपको रिटर्न भी एक ही तरह का मिलता है। आपको सिर्फ एक तरीके के निवेश विकल्पों से हटकर तेजी से रिटर्न देने वाले विकल्पों में भी पैसा लगाना चाहिए। म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए पैसा लगाते हैं, तो आपको काफी फायदा होगा।

बाजार के मौजूदा हालात में निवेश को लेकर लग रहा है डर, ऐसे बनाएं मजबूत पोर्टफोलियो

Investment Strategy: इक्विटी बाजार लंबी अवधि के लिए आपकी दौलत में इजाफा करते हैं, लेकिन वे इनमें इस दौरान टर्म में उतार चढ़ाव भी रहता है. इक्विटी निवेश के जरिए पाउंडिंग का फायदा पाने के लिए आपको लंबी अवधि तक अपने निवेश को बनाए रखना होगा.

Investment Strategy: शेयर बाजार (Stock Market) में कभी तेजी आ रही है तो कभी गिरावट. साल 2022 में अबतक भले ही बाजार पॉजिटिव हैं, लेकिन अनिश्चितताएं बनी हुई हैं. इसके पीछे कई तरह के ग्लोबल फैक्‍टर ज्यादा जिम्मेदार हैं. जैसे महंगाई, रेट हाइक, मंदी की आशंका और जियो-पॉलिटिकल टेंशन. फिलहाल इस बीच निवेशक अपने निवेश को लेकर या तो कनफ्यूज हो रहे हैं या डरे हुए हैं. आखिर मौजूदा हालात में उन्हें कहां निवेश करना चाहिए?

बड़ौदा बीएनपी परिबा म्यूचुअल फंड के CEO सुरेश सोनी ने कहा, अभी हम दुनिया भर के बाजारों में में बहुत ज्यादा अस्थिरता देख रहे हैं. डेवलप्ड इकोनॉमिज में पिछले चार दशक में महंगाई का उच्चतम स्तर दिख रहा है. जिसकी वजह से केंद्रीय बैंक एग्रेसिव तरीके से ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी करने को मजबूर हो रहे हैं. जिसके चलते मंदी की आशंका बढ़ रही है और साथ ही कैपिटल मार्केट में अस्थिरता का कारण बन रहा है. अमेरिकी डॉलर इंटरेस्ट रेट में तेज बढ़ोतरी से मुद्राओं और उभरते बाजारों पर दबाव पड़ा है.

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हालांकि इस दौरान भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया है. भारत में महंगाई दर उच्च है, लेकिन यह मैनेजबल रही है और अर्थव्यवस्था ने भी लचीलापन दिखाया है. बड़े मुख्य निवेश विकल्प मुख्य निवेश विकल्प घरेलू आधार को देखते हुए हमारा मानना है कि देश की अर्थव्यवस्था प्रत्याशित ग्लोबल मंदी से अपेक्षाकृत कम प्रभावित रह सकती है. विदेशी पूंजी प्रवाह ग्लोबल फैक्‍टर्स के चलते अस्थिर रह सकता है, क्योंकि यह ग्लोबल सेंटीमेंट से जुड़ा है. गनीमत है कि इक्विटी बाजार में घरेलू निवेशकों की भागीदारी बनी हुई है, बल्कि बढ़ी है.

पैसिव स्‍पेस में कर सकते हैं एंट्री

पैसिव फंड्स इंडस्‍ट्री ने हाल के वर्षों में निवेशकों की भागीदारी में बढ़ोतरी देखी है और यह इंडस्‍ट्री एक्टिव फंडों की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है, हालांकि अभी इसका बेस कम है. पैसिव फंड में बढ़ोतरी काफी हद तक EPFO/अन्य PF ट्रस्टों के साथ-साथ एचएनआई (NHAI) और अन्य संस्थागत निवेशकों द्वारा कुछ हद तक संचालित हुई है. वर्तमान में पैसिव फंड कुल इंडस्‍ट्री एसेट का 15% हिस्सा है और हम आने वाले वर्षों में उनके मार्केट शेयर में और बढ़ोतरी की उम्मीद करते हैं.

हमारा मानना है कि पैसिव फंडों की डिमांड मजबूत बनी रहेगी और उम्मीद है कि इंडस्‍ट्री AUM में प्रमुख हिस्सेदारी बनाए रखेंगे. हमारा मानना है कि एक्टिव मैनेजर्स ने भारत में अल्फा बनाया है और अच्छी तरह से मैनेज होने वाले एक्टिव फंड बेहतर प्रदर्शन जारी रख सकते हैं. फिलहाल पैसिव स्‍पेस में इंटरेस्ट बढ़ रहा है, लेकिन हम अपने एक्टिव फंड बिजनेस में भी मजबूत बढ़ोतरी देख रहे हैं. हम स्पष्ट रूप से टारगेटेड ऑफरिंग यानी लक्षित पेशकशों के साथ पैसिव स्‍पेस में एंट्री करने पर भी विचार कर सकते हैं.

Mutual Fund में बढ़ा निवेश

भारतीय म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) इंडस्ट्री में पिछले कुछ सालों में महत्वपूर्ण ग्रोथ देखने को मिली है. बाजार के विकास और रेगुलेशन के साथ साथ इंडस्‍ट्री में भी साल दर साल ग्रोथ देखने को मिली है. पिछले कुछ वर्षों में म्‍यूचुअल फंड इंडस्ट्री निवेशकों के बीच अच्छा खासा पॉपुलर हुआ है और निवेश लगातार बढ़ रहा है. रिटेल निवेशक अब संस्थागत निवेशकों यानी इंस्टीट्यूशनल इन्‍वेस्‍टर्स की तुलना में AuM के बड़े हिस्से का योगदान करते हैं. बचत का वित्तीयकरण म्‍यूचुअल फंड इंडस्ट्री के लिए फायदेमंद साबित हुआ है.

हमारा मानना है कि भारतीय निवेशक अब मैच्‍योर हो रहे हैं और बाजार के बारे में उनकी समझ में काफी सुधार हुआ है. यह इस फैक्‍ट से भी साबित होता है कि पिछले 12 महीनों में म्यूचुअल फंड अन्य डीआईआई के साथ बाजारों में नेट इन्‍वेस्‍टर रहे हैं, जबकि FPIs ने भारी मात्रा में पैसा निकाला है.

मंथली बेसिस पर SIP AuM और अकाउंट में बढ़ोतरी इंडस्‍ट्री के लिए एक बड़ा और सपोर्ट देने वाला फैक्‍टर रहा है. यह आम तौर पर लंबी अवधि का निवेश है और 2022 जैसी निगेटिव बाजार स्थितियों में भी लचीला साबित हुआ है.

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किस तरह के फंड में करें निवेश?

सुरेश सोनी ने कहा, Mutual Fund में निवेश किसी भी निवेशक के वित्तीय लक्ष्यों, उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक इन्‍वेस्‍टमेंट हॉरिजॉन के साथ-साथ निवेशक की रिस्‍क लेने की क्षमता पर आधारित होना चाहिए. अधिक जोखिम लेने की क्षमता वाले और/या लंबी अवधि के लक्ष्य वाले निवेशक एसेट के अधिक रेश्‍यो को इक्विटी जैसे एसेट क्लास में निवेश करने का विकल्प चुन सकते हैं, जहां रिस्‍क ज्‍यादा है.

म्यूचुअल फंड में नए निवेशकों को SIP के जरिए या हाइब्रिड फंड (Hybrid Fund) जैसे बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (Balanced Advantage Fund) या लार्ज कैप डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड (Large cap Diversified Equity Fund) में निवेश करने पर विचार करना चाहिए. हालांकि निवेश के पहले अपने स्तर पर एडवाइजर से सलाह लें ताकि उनका पोर्टफोलियो बेहतर बन सके.

Small Cap Fund में कितने साल के लिए निवेश करना चाहिए?

एक कैटेगरी के रूप में स्मॉल कैप फंड (Small Cap Fund) अधिक वोलेटाइल या अस्थिर होते हैं और कभी-कभी इनमें तेज गिरावट देखी जा सकती है. हालांकि, समय के साथ उनके पास लार्ज कैप की तुलना में अधिक रिटर्न देने की क्षमता होती है, क्योंकि इन कंपनियों की ग्रोथ रेट अधिक हो सकती है. उनमें से कुछ को रीसेट किया जा सकता है.

हमारा मानना है कि स्मॉल कैप फंडों में निवेश लंबी अवधि के लिए होना चाहिए, मसलन 5 साल से अधिक. ध्यान रखें कि अन्य डायवर्सिफाइड इक्विटी फंडों की तुलना में प्रदर्शन महत्वपूर्ण अवधि के लिए अलग-अलग हो सकता है.

निवेश मंत्र

बाजार की अस्थिरता का उपयोग करें. बाजार में जब गिरावट होती है तो आपको आकर्षक वैल्यूएशन पर शेयर मिलते हैं. गिरावट के दौर में बाजार भले ही नीचे आ जाएं, लेकिन वे हमेशा के लिए नीचे नहीं रहते. एक लंबी अवधि के निवेशक के लिए, ये इक्विटी में पैसे लगाने और लंबी अवधि के पैसा बनाने के अवसर की तरह होता है. अपना एसेट एलोकेशन तय करें और निवेश में बने रहें. रोज रोज कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव पर ध्यान न दें.

नए निवेशकों के लिए सलाह

इक्विटी बाजार लंबी अवधि के लिए आपकी दौलत में इजाफा करते हैं, लेकिन वे इनमें इस दौरान टर्म में उतार चढ़ाव भी रहता है. इक्विटी निवेश के जरिए पाउंडिंग का फायदा पाने के लिए आपको लंबी अवधि तक अपने निवेश को बनाए रखना होगा.

पहला- अपना एसेट एलोकेशन सही करें. अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश के लक्ष्य को देखकर इक्विटी में निवेश करें. इक्विटी निवेश को कम से कम 3-5 साल के लक्ष्‍य के साथ शुरू करें. छोटी अवधि के लिए, आप बैंक डिपॉजिट और मुख्य निवेश विकल्प डेट फंड पर विचार कर सकते हैं.

दूसरा- सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIPs) और सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STPs) का इस्तेमाल करें. इक्विटी फंडों में निवेश करने के लिए ये बेहतर और सुरक्षित विकल्प हैं.

इन सेक्टर्स को लेकर पॉजिटिव

उन्होंने कहा, भारत की अर्थव्यवस्था अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में मजबूत बनी रहेगी, मुख्य रूप से घरेलू खपत और खर्च के कारण. इसलिए, हम डोमेस्टिक ओरिएंटेड मुख्य निवेश विकल्प सेक्‍टर्स जैसे फाइनेंशियल, कंज्‍यूमर, इंडस्ट्रियल और हेल्‍थकेयर पर ओवरवेट हैं. कमोडिटी की कीमतों में नरमी से भारत को फायदा हो सकता है. हम कैपेक्स साइकिल के रिवाइवल के शुरुआती संकेत भी देख रहे हैं. अंत में, प्रीमियमकरण की लंबी अवधि की कहानी, अंडर पेनिट्रेशन और फेवरेबल जियोग्राफिक्‍स भारत की ग्रोथ स्टोरी को आगे बढ़ा रही है.

निवेश पर ज्यादा से ज्यादा रिटर्न के लिए रखें इन 5 बातों का ध्यान, होगा फायदा

मौजूदा आय से बचत की रकम को भविष्य की जरूरतों के लिए निवेश करना ही बचत होता है। हम सभी अपना कल सुरक्षित करने के लिए बचत और निवेश का रास्ता चुनते हैं। हालांकि, कई दफा सही फैसला नहीं ले पाते हैं और.

निवेश पर ज्यादा से ज्यादा रिटर्न के लिए रखें इन 5 बातों का ध्यान, होगा फायदा

मौजूदा आय से बचत की रकम को भविष्य की जरूरतों के लिए निवेश करना ही बचत होता है। हम सभी अपना कल सुरक्षित करने के लिए बचत और निवेश का रास्ता चुनते हैं। हालांकि, कई दफा सही फैसला नहीं ले पाते हैं और लक्ष्य मुख्य निवेश विकल्प से चूक जाते हैं। निवेश से पहले कुछ बातों का ख्याल रखकर हम आसानी से पोर्टफोलियो बना कर शानदार रिटर्न ले सकते हैं।
इनकम और खर्च का करें आकलन
वित्तीय योजना बनाने से पहले आय और खर्च का आकलन करें। इसमें आप अपनी कुल आय और वे सारे खर्च जैसे लोन का रीपेमेंट, फोन खाने-पीने का खर्च और निकट भविष्य में होने वाले खर्च को भी शामिल करें। आमदनी में से कुल खर्च घटाने के बाद बची राशि अगर कुल आय का 5-10% है तो पैसों के प्रबंधन पर गंभीरतापूर्वक से विचार करें।
जल्दबाजी में फैसला न करें
अपने पैसे का प्रबंधन करना काफी मेहनत का काम हो सकता है। व्यवस्थित व अनुशासित रहने से दीर्घकाल में चीजें आसान हो जाती हैं। याद रखें कि सही समय पर लिए गए और पूरे समझे-विचारे गए निवेश आपके और आपके परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए कभी भी जल्दबाजी में फैसला नहीं लें। निवेश लंबी अवधि के लिए करें।

दुनिया के टॉप-10 अमीरों की लिस्ट में शामिल हुए मुकेश अंबानी
निवेश का टारगेट बनाएं
खर्च के बाद आय से बची हुई रकम को कहीं निवेश करने से पहले अपना लक्ष्य तय करें। इसमें अगले पांच साल में घर खरीदने या आपातकालीन निधि बनाना शामिल हो सकता है। लक्ष्य हमेशा ही एक समय-सीमा के लिए ही निर्धारित करें। ऐसा करने से आपको पता होगा कि इतने साल के बाद कितने पैसे की जरूरत होगी। फिर आप उसी के अनुसार निवेश करेंगे।
जोखिम का ख्याल रखें
निवेश के लिए बाजार में उपलब्ध उत्पादों में जोखिम का स्तर अलग-अलग है। अगर, आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो वहां जोखिम अधिक है जबकि सावधि जमा (एफडी) में जोखिम नहीं है। निवेश पर जोखिम को पहले ही जान लें।
ऐसे चुने निवेश विकल्प
बाजार में निवेश के बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं। किसी भी उत्पाद में निवेश से पहले यह जरूर सोच लें कि आपका वित्तीय लक्ष्य क्या मुख्य निवेश विकल्प है। यानी आपको यह रकम कितने समय बाद चाहिए होगा। इसको देखते हुए ही निवेश के विकल्प का चुनाव करें।

म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले कर लें टैक्स का आकलन, निवेश करना हो जाएगा आसान

हर निवेशक अपनी कमाई पर अधिक से अधिक रिटर्न हासिल करना चाहता है। इसमें म्यूचुअल फंड एक ऐसा विकल्प है जिसमें सावधि जमा (एफडी) और अन्य तय निवेश विकल्पों पर ब्याज की तुलना में ज्यादा रिटर्न की संभावना.

म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले कर लें टैक्स का आकलन, निवेश करना हो जाएगा आसान

हर निवेशक अपनी कमाई पर अधिक से अधिक रिटर्न हासिल करना चाहता है। इसमें म्यूचुअल फंड एक ऐसा विकल्प है जिसमें सावधि जमा (एफडी) और अन्य तय निवेश विकल्पों पर ब्याज की तुलना में ज्यादा रिटर्न की संभावना रहती है। साथ ही सीधे शेयरों में निवेश के मुकबाले म्यूचु्अल फंड में जोखिम भी कम होता है। लेकिन म्यूचुअल फंड की कमाई भी टैक्स के दायरे में आती है। इसमें अवधि और फंड के प्रकार के हिसाब से टैक्स लगता है। म्यूचुअल फंड में इक्विटी और डेट के लिए टैक्स देनदारी अलग-अलग होती है। ऐसे में निवेश से पहले म्यूचुअल फंड में टैक्स का आकलन करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

इक्विटी फंड में कितना टैक्स

किसी म्यूचु्अल फंड की राशि का शेयर बाजार में सूचीबद्ध घरेलू कंपनी में 65 फीसदी या उससे अधिक निवेश है तो ऐसी स्कीम इक्विटी फंड की श्रेणी में आती है। इक्विटी फंड में 12 माह से कम समय में निवेश पर हुए मुनाफा पर 15 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। इसमें 12 माह के बाद निवेश निकालते हैं उससे हुआ मुनाफा लंबी अवधि का पूंजीगत लाभ कर यानी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एलटीसीजी) माना जाता है। इक्विटी स्कीम में एक लाख तक एलटीसीजी टैक्स फ्री होती है। एक लाख रुपये के बाद इस पर 10 मुख्य निवेश विकल्प फीसदी टैक्स लगता है। इक्विटी स्कीम के एलटीसीजी पर इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलता है।

डेट फंड में कितना देना होगा

इक्विटी फंड के अलावा अन्य सभी स्कीम डेट फंड की श्रेणी में आती हैं। इनमें डेट, लिक्विड, शॉर्ट टर्म डेट, इनकम फंड्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान आते हैं। गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड सेविंग्स फंड, इंटरनेशनल फंड भी इसमें शामिल होते हैं। इस श्रेणी में निवेश 36 महीने पुराना तो एलटीसीजी लगता है। वहीं 36 महीने से पहले बेचने से हुए लाभ पर छोटी अवधि की पूंजीगत लाभ कर यानी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एसटीसीजी) लगता है। डेट फंड में एसटीसीजी करदाता की टैक्स श्रेणी के हिसाब से लगता है। वहीं एलटीसीजी 20 फीसदी की दर से लगता है। इसमें एलटीसीजी पर इंडेक्सेशन का लाभ भी मिलता है।

एसआईपी में कैसे होगा आकलन

सिस्टमैटिक इन्वेस्टमें प्लान यानी एसआईपी (सिप) और सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) में जब आप निवेश करते हैं तो हर निवेश एक नया निवेश माना जाता है। यहां टैक्सेशन के लिए यूनिट अलॉटमेंट की तारीख देखी जाती है। यूनिट अलॉटमेंट की तारीख के आधार पर ही होल्डिंग पीरियड की गणना की जाती है। मान लीजिए आपने एक साल पहले एसआईपी में निवेश शुरू किया तो सबसे पहली एसआईपी आपकी एक साल बाद लॉन्ग टर्म होगी। जबकि बाद की अन्य एसआईपी पहली एसआईपी के साथ लॉन्ग टर्म नहीं होंगी।ऐसे में जो यूनिट सबसे पहले खरीदी, वही यूनिट सबसे पहले भुनाई जाएगी. अलग-अलग डीमैट अकाउंट में यूनिट्स रखी हैं. ऐसे में हर डीमैट अकाउंट एंट्री के आधार पर होल्डिंग पीरियड होगा।

इंडेक्सेशन क्या है

इंडेक्सेशन से टैक्स देनदारी काफी कम हो जाती है। महंगाई दर के हिसाब से इसका आकलन किया जाता है। निवेश पर लगी रकम को महंगाई के अनुपात में बढ़ा लिया जाता है। इससे निवेश की रकम ज्यादा होने से मुनाफा कम आता है और फिर टैक्स की देनदारी भी कम हो जाती है। हर वर्ष के लिए अलग-अलग दर होती है। इंडेक्सेशन कई बार तो टैक्स पूरी तरह से खत्म हो जाता है।

निवेश पर ज्यादा से ज्यादा रिटर्न के लिए रखें इन 5 बातों का ध्यान, होगा फायदा

मौजूदा आय से बचत की रकम को भविष्य की जरूरतों के लिए निवेश करना ही बचत होता है। हम सभी अपना कल सुरक्षित करने के लिए बचत और निवेश का रास्ता चुनते हैं। हालांकि, कई दफा सही फैसला नहीं ले पाते हैं और.

निवेश पर ज्यादा से ज्यादा रिटर्न के लिए रखें इन 5 बातों का ध्यान, होगा फायदा

मौजूदा आय से बचत की रकम को भविष्य की जरूरतों के लिए निवेश करना ही बचत होता है। हम सभी अपना कल सुरक्षित करने के लिए बचत और निवेश का रास्ता चुनते हैं। हालांकि, कई दफा सही फैसला नहीं ले पाते हैं और लक्ष्य से चूक जाते हैं। निवेश से पहले कुछ बातों का ख्याल रखकर हम आसानी से पोर्टफोलियो बना कर शानदार रिटर्न ले सकते हैं।
इनकम और खर्च का करें आकलन
वित्तीय योजना बनाने से पहले आय और खर्च का आकलन करें। इसमें आप अपनी कुल आय और वे सारे खर्च जैसे लोन का रीपेमेंट, फोन खाने-पीने का खर्च और निकट भविष्य में होने वाले खर्च को भी शामिल करें। आमदनी में से कुल खर्च घटाने के बाद बची राशि अगर कुल आय का 5-10% है तो पैसों के प्रबंधन पर गंभीरतापूर्वक से विचार करें।
जल्दबाजी में फैसला न करें
अपने पैसे का प्रबंधन करना काफी मेहनत का काम हो सकता है। व्यवस्थित व अनुशासित रहने से दीर्घकाल में चीजें आसान हो जाती हैं। याद रखें कि सही समय पर लिए गए और पूरे समझे-विचारे गए निवेश आपके और आपके परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए कभी भी जल्दबाजी में फैसला नहीं लें। निवेश लंबी अवधि के लिए करें।

दुनिया के टॉप-10 अमीरों की लिस्ट में शामिल हुए मुकेश अंबानी
निवेश का टारगेट बनाएं
खर्च के बाद आय से बची हुई रकम को कहीं निवेश करने से पहले अपना लक्ष्य तय करें। इसमें अगले पांच साल में घर खरीदने या आपातकालीन निधि बनाना शामिल हो सकता है। लक्ष्य हमेशा ही एक समय-सीमा के लिए ही निर्धारित करें। ऐसा करने से आपको पता होगा कि इतने साल के बाद कितने पैसे की जरूरत होगी। फिर आप उसी के अनुसार निवेश करेंगे।
जोखिम का ख्याल रखें
निवेश के लिए बाजार में उपलब्ध उत्पादों में जोखिम का स्तर अलग-अलग है। अगर, आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो वहां जोखिम अधिक है जबकि सावधि जमा (एफडी) में जोखिम नहीं है। निवेश पर जोखिम को पहले ही जान लें।
ऐसे चुने निवेश विकल्प
बाजार में निवेश के बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं। किसी भी उत्पाद में निवेश से पहले यह जरूर सोच लें कि आपका वित्तीय लक्ष्य क्या है। यानी आपको यह रकम कितने समय बाद चाहिए होगा। इसको देखते हुए ही निवेश के विकल्प का चुनाव करें।

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