क्रिप्टोकरेंसी बाजार

विकल्पों का परिचय

विकल्पों का परिचय
अब,

त्रिकोणमिति का परिचय

space space fraction numerator 2 tan 30 degree over denominator 1 plus tan squared 30 degree end fraction space equals space fraction numerator 2 cross times begin display style fraction numerator 1 over denominator square root of 3 end fraction end style over denominator 1 plus open parentheses begin display style fraction numerator 1 over denominator square root of 3 end fraction end style close parentheses squared end fraction space equals fraction numerator begin display style fraction numerator 2 over denominator square root of 3 end fraction end style over denominator 1 plus begin display style 1 third end style end fraction space space space space space space space space space space space space space space space space space space space space space space space space space space equals space fraction numerator begin display style fraction numerator 2 over denominator square root of 3 end fraction end style over denominator begin display style 4 over 3 end style end fraction space equals space fraction numerator square root of 3 over denominator 2 end fraction space equals space sin space 60 degree

माना कि एक समकोण त्रिभुज है जिसमें
हमें दिया गया हैं:
15 cot A = 8

sinA equals BC over AC equals fraction numerator 15 straight K over denominator 17 straight K end fraction equals 15 over 17 secA space equals space AC over AB equals fraction numerator 17 straight K over denominator 8 straight K end fraction equals 17 over 8.

माना
AB = 8K, BC = 15K
पाइथागोरस प्रमेय के प्रयोग से:
AC 2 = AB 2 + BC 2 = (8K) 2 + (15K) 2
= 64K 2 + 225K 2
= 289K 2
अत;
AC = 17K
अब,
AC = 17K

सलंग्न आकृति में tan p - cot R का मान ज्ञात कीजिए।

मान लीजिए:
PQ = 12K
तथा
PR = 13K

पाइथागोरस प्रमेय के प्रयोग से:
PR 2 = PQ 2 + QR 2
⇒(13K) 2 = (12K) 2 + QR 2
⇒169K 2 = 144K 2 + QR 2
⇒QR 2 = 169K 2 - 144K 2
⇒ QR 2 = 25K 2
∴ QR = 5K

अब,

अत:

sec space straight theta space equals space 13 over 12

यदि हो तो अन्य त्रिकोणमितीय अनुपात परिकलित कीजिए।

माना कि एक समकोण त्रिभुज है जिसमें
हम जानते हैं:

माना कि AB = 12 K, AC = 13K
यहाँ K एक घनात्मक संख्या हैं।

पाइथागोरस प्रमेय के प्रयोग से:
AC 2 = AB 2 + BC 2
⇒(13K) 2 = (12K) 2 + BC 2
⇒169K 2 = 144K 2 + BC 2
⇒BC 2 = 169K 2 -144K 2
BC 2 = 25K 2
BC = 5K
अब,

ΔABC में, जिसका कोण B समकोण है, AB = 24 cm और BC = 7 cm है। निम्नलिखित का मान ज्ञात कीजिए:
(i) sin A cos A,
(ii) sin C, cos C.

हमे प्राप्त हैं, AB = 24 cm
BC = 7cm, पाइथागोरस प्रमेय के प्रयोग से,
AC 2 = AB 2 + BC 2
= (24 cm) 2 + (7 cm) 2
= 576 cm 2 + 49 cm 2
= 625 cm 2
So, AC = 25 cm

अब,
(i)
(ii)

sin space straight A space equals space 3 over 4

यदि तो cosA तथा tanA का मान परिकलित कीजिए।

माना कि ABC एक समकोण त्रिभुज है जिसमें
हम जानते हैं:

Let BC = 3K, AC = 4K
यहाँ k एक घनात्मक संख्या हैं।


पाइथागोरस प्रमेय के प्रयोग से:






अब,

tanA space equals space BC over AB equals fraction numerator 3 straight K over denominator square root of 7 straight K end fraction equals fraction numerator 3 over denominator square root of 7 end fraction.

और

भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र

EPZ Centre

कांडला में 1965 में एशिया के पहले ईपीजेड के खोले जाने के साथ, भारत निर्यात को बढावा देने में निर्यात प्रसंस्‍करण क्षेत्र (ईपीजेड) मॉडल की प्रभावोत्‍पादकता स्‍वीकार करने वाले पहले देशों में एक था । नियंत्रणों एवं मंजूरियों की विविधता; विश्‍व स्‍तरीय अवसरंचना का अभाव; और एक अस्‍थिर वित्‍तीय व्‍यवस्‍था के कारण सामने आने वाली दिक्‍कतों का सामना करने तथा भारत में अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए, अप्रैल 2000 में विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) नीति की घोषणा की गई ।

इस नीति का उद्देश्‍य विकल्पों का परिचय केंद्र एवं राज्‍य दोनों ही स्‍तर पर न्‍यूनतम संभावित विनियमनों के साथ आकर्षक वित्‍तीय प्रोत्‍साहन तथा गुणवत्‍ता – पूर्ण अवसंरचना की सहायता से विकल्पों का परिचय सेज को आर्थिक विकास का वाहक बनाना था । भारत में सेज 1.11.2000 से 09.02.2006 तक विदेश व्‍यापार नीति के प्रावधानों के तहत कार्यरत रहा और आवश्‍यक वैधानिक प्रावधानों के माध्‍यम से वित्‍तीय प्रोत्‍साहनों को प्रभावी बनाया गया ।

निवेशकों में आत्‍मविश्‍वास विकल्पों का परिचय भरने और एक स्‍थिर सेज नीति व्‍यवस्‍था के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का संकेत देने के लिए तथा सेज व्‍यवस्‍था में स्‍थिरता लाने के द्वारा अधिक आर्थिक्‍ कार्यकलाप और रोजगार सृजन करने के उद्देश्‍य से हितधारकों के साथ विस्‍तृत परामर्शों के बाद एक व्‍यापक प्रारूप सेज विधेयक का निर्माण किया गया । वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री तथा वरिष्‍ठ अधिकारियों दोनों द्वारा इस उद्देश्‍य के लिए देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में कई बैठकें की गईं । संसद द्वारा मई, 2005 में विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 पारित किया गया जिसे 23 जून, 2005 को राष्‍ट्रपति की सहमति प्राप्‍त हुई । प्रारूप सेज नियमों पर व्‍यापक चर्चा की गई और सुझाव/टिप्‍पणियां आमंत्रित करते हुए इन्‍हें वाणिज्‍य विभाग की वेबसाइट पर डाला गया । प्रारूप नियमों पर लगभग 800 सुझाव प्राप्‍त हुए । व्‍यापक परामर्शों के बाद, सेज नियमों द्वारा समर्थित सेज अधिनियम 2005, 10 फरवरी , 2006 को प्रभावी हुआ जिसमें प्रक्रियाओं में सरलीकरण तथा केंद्र एवं राज्‍य सरकारों से संबंधित मामलों पर सिंगल विंडो मंजूरी का प्रावधान था ।

सेज अधिनियम के मुख्‍य उद्देश्‍य है :

  • अतिरिक्‍त आर्थिक कार्यकलाप का सृजन
  • वस्‍तुओं एवं सेवाओं के निर्यात का संवर्धन
  • घरेलू एवं विेदेशी स्रोतों से निवेश का संवर्द्धन
  • रोजगार अवसरों का सृजन
  • अवसंरजना सुविधाओं का विकास

ऐसी उम्‍मीद है कि इससे सेज में, अवसंरचना एवं उत्‍पादक क्षमता में बड़ी मात्रा में विदेशी एवं घरेलू निवेश की आवक होगी जिससे अतिरिक्‍त आर्थिक गतिविधियों एवं रोजगार अवसरों का सृजन होगा ।

सेज अधिनियम 2005 में निर्यात संवर्धन एवं संबंधित बुनियादी ढांचे के सृजन में राज्‍य सरकारों के लिए एक प्रमुख भूमिका की परिकल्‍पना की गई है । 19 सदस्‍यीय अंत: मंत्रिस्‍तरीय मंजूरी बोर्ड (बीओए) के जरिये सिंगल विंडों सेज मंजूरी तंत्र की व्‍यवस्‍था की गई है । संबंधित राज्‍य सरकार/संघ शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा उपयुक्‍त रूप से अनुशंसित आवेदनों पर बीओए द्वारा सावधिक रूप से विचार किया जाता है । बोर्ड की मंजूरियों से संबंधित सभी निर्णय सर्वसहमति से लिए जाते हैं ।

सेज नियमों में सेज के विभिन्‍न वर्ग के लिए विभिन्‍न न्‍यूनतम भूमि आवश्‍यकता का प्रावधान है प्रत्‍येक सेज एक प्रसंस्‍करण क्षेत्र जहॉं केवल सेज की इकाइयां ही स्‍थापित हो सकेंगी और एक गैर – प्रसंस्‍करण क्षेत्र में विभाजित होता है जहॉं सहायक अवसरंचना का सृजन किया जाना है ।

सेज नियमों में प्रावधान है :

  • विशेष आर्थिक क्षेत्रों के विकास , परिचालन एवं रखरखाव तथा सेज में इकाइयों एवं व्‍यवसाय संचालन के लिए सरल नियम ;
  • सेल की स्‍थापना के लिए सिंगल विंडो मंजूरी ;
  • एक विशेष आर्थिक क्षेत्र में एक इकाई की स्‍थापना के लिए सिंगल विंडो मंजूरी;
  • केंद्र एवं राज्‍य सरकारों से संबंधित मामलों पर सिंगल विंडो मंजूरी ;
  • स्‍व प्रमाणन पर जोर के साथ सरल अनुपालन प्रक्रियाएं एवं प्रलेखन

सेज का मंजूरी तंत्र एवं प्रशासनिक ढांचा

मंजूरी तंत्र

डेवेलपर संबंधित राज्‍य सरकार के समक्ष सेज की स्‍थापना के लिए प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत करता है । राज्‍य सरकार को ऐसे प्रस्‍ताव की प्राप्‍ति की तिथि से 45 दिनों के भीतर अपनी अनुशंसा के साथ प्रस्‍ताव को मंजूरी बोर्ड को अग्रेषित करना पड़ता है । आवेदन के पास प्रस्‍ताव को सीधे मंजूरी बोर्ड को प्रस्‍तुत करने का विकल्‍प भी होता है ।

मंजूरी बोर्ड का गठन केंद्र सरकार द्वारा सेज अधिनियम के तहत प्रदत अधिकारों के तहत किया गया है । मंजूरी बोर्ड में सभी निर्णय सर्वसहमति से लिए जाते हैं । मंजूरी बोर्ड में 19 सदस्‍य होते है । इनकी संरचना निम्‍न प्रकार से है :

NCERT solutions for Geography Class 11 [भूगोल - भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य ११ वीं कक्षा] chapter 7 - सुदूर संवेदन का परिचय [Latest edition]

NCERT solutions for Geography Class 11 [भूगोल - भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य ११ वीं कक्षा] chapter 7 - सुदूर संवेदन का परिचय - Shaalaa.com

निम्नलिखित में से कौन-से विद्युत चुम्बकीय विकिरण क्षेत्र का प्रयोग उपग्रह सुदूर संवेदन में नहीं होता है?

सूक्ष्म तरंग क्षेत्र

एक्स रे क्षेत्र

चाक्षुष व्याख्या तकनीक में निम्न में किस विधि का प्रयोग नहीं किया जाता है?

धरातलीय लक्ष्यों की स्थानीय व्यवस्था

प्रतिबिंब के रंग-परिवर्तन की आवृत्ति

लक्ष्यों को अन्य लक्ष्यों के संदर्भ में

आंकिक बिंब प्रक्रमण

निम्न प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें।

सुदूर संवेदन अन्य पारंपरिक विधियों से बेहतर तकनीक क्यों है?

आई०आर०एस० व इंसेट क्रम के उपग्रहों में अंतर स्पष्ट करें।

पुशबूम क्रमवीक्षक की कार्य-प्रणाली का संक्षेप में वर्णन करें।

निम्न प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दें।

विस्कब्रूम क्रमवीक्षक की कार्यविधि का चित्र की सहायता से वर्णन करें तथा यह भी बताएँ कि यह पुशबूम क्रमवीक्षक से कैसे भिन्न है?

नीचे के चित्रों में हिमालय क्षेत्र की वनस्पति आवरण में बदलाव को पहचानें व सूचीबद्ध करें।

चित्र : आई०आर०एस० उपग्रह द्वारा प्राप्त मई (बाएँ) एवं नवंबर (दाएँ) में हिमालय तथा उत्तरी मैदान ( भारत ) के प्रतिबिंब वनस्पति | के प्रकार में अंतर दर्शाते हैं। मई के प्रतिबिंब में लाल धब्बे शंकुधारी वन दर्शाते हैं। नवंबर के प्रतिबिंब के अतिरिक्त लाल धब्बे पर्णपाती वन दर्शाते हैं तथा हल्का लाल रंग फ़सल को दर्शाता है।

Chapter 7: सुदूर संवेदन का परिचय

NCERT solutions for Geography Class 11 [भूगोल - भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य ११ वीं कक्षा] chapter 7 - सुदूर संवेदन का परिचय - Shaalaa.com

NCERT solutions for Geography Class 11 [भूगोल - भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य ११ वीं कक्षा] chapter 7 - सुदूर संवेदन का परिचय

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Concepts covered in Geography Class 11 [भूगोल - भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य ११ वीं कक्षा] chapter 7 सुदूर संवेदन का परिचय are उपग्रह से प्राप्त प्रतिबिंबों का निर्वचन, सुदूर संवेदन का परिचय, सुदूर संवेदन की अवस्थाएँ, संवेदक, उपग्रहों की विभेदन क्षमता, संवेदन विभेदन, आँकड़ा उत्पाद.

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भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र

EPZ Centre

कांडला में 1965 में एशिया के पहले ईपीजेड के खोले जाने के साथ, भारत निर्यात को बढावा देने में निर्यात प्रसंस्‍करण क्षेत्र (ईपीजेड) मॉडल की प्रभावोत्‍पादकता स्‍वीकार करने वाले पहले देशों में एक था । नियंत्रणों एवं मंजूरियों की विविधता; विश्‍व स्‍तरीय अवसरंचना का अभाव; और एक अस्‍थिर वित्‍तीय व्‍यवस्‍था के कारण सामने आने वाली दिक्‍कतों का सामना करने तथा भारत में अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए, अप्रैल 2000 में विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) नीति की घोषणा की गई ।

इस नीति का उद्देश्‍य केंद्र एवं राज्‍य दोनों ही स्‍तर पर न्‍यूनतम संभावित विनियमनों के साथ आकर्षक वित्‍तीय प्रोत्‍साहन तथा गुणवत्‍ता – पूर्ण अवसंरचना की सहायता से सेज को आर्थिक विकास का वाहक बनाना था । भारत में सेज 1.11.2000 से 09.02.2006 तक विदेश व्‍यापार नीति के प्रावधानों के तहत कार्यरत रहा और आवश्‍यक वैधानिक प्रावधानों के माध्‍यम से वित्‍तीय प्रोत्‍साहनों को प्रभावी बनाया गया ।

निवेशकों में आत्‍मविश्‍वास भरने और एक स्‍थिर सेज नीति व्‍यवस्‍था के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का संकेत देने के लिए तथा सेज व्‍यवस्‍था में स्‍थिरता लाने विकल्पों का परिचय के द्वारा अधिक आर्थिक्‍ कार्यकलाप और रोजगार सृजन करने के उद्देश्‍य से हितधारकों के साथ विस्‍तृत परामर्शों के बाद एक व्‍यापक प्रारूप सेज विधेयक का निर्माण किया गया । वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री तथा वरिष्‍ठ अधिकारियों दोनों द्वारा इस उद्देश्‍य के लिए देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में कई बैठकें की गईं । संसद द्वारा मई, 2005 में विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 पारित किया गया जिसे 23 जून, 2005 को राष्‍ट्रपति की सहमति प्राप्‍त हुई । प्रारूप सेज नियमों पर व्‍यापक चर्चा की गई और सुझाव/टिप्‍पणियां आमंत्रित करते हुए इन्‍हें वाणिज्‍य विभाग की वेबसाइट पर डाला गया । प्रारूप नियमों पर लगभग 800 सुझाव प्राप्‍त हुए । व्‍यापक परामर्शों के बाद, सेज नियमों द्वारा समर्थित सेज अधिनियम 2005, 10 फरवरी , 2006 को प्रभावी हुआ जिसमें प्रक्रियाओं में सरलीकरण तथा केंद्र एवं राज्‍य सरकारों से संबंधित मामलों पर सिंगल विंडो मंजूरी का प्रावधान था ।

सेज अधिनियम के मुख्‍य उद्देश्‍य है :

  • अतिरिक्‍त आर्थिक कार्यकलाप का सृजन
  • वस्‍तुओं एवं सेवाओं के निर्यात का संवर्धन
  • घरेलू एवं विेदेशी स्रोतों से निवेश का संवर्द्धन
  • रोजगार अवसरों का सृजन
  • अवसंरजना सुविधाओं का विकास

ऐसी उम्‍मीद है कि इससे सेज में, अवसंरचना एवं उत्‍पादक क्षमता में बड़ी मात्रा में विदेशी एवं घरेलू निवेश की आवक होगी जिससे अतिरिक्‍त आर्थिक गतिविधियों एवं रोजगार अवसरों का सृजन होगा ।

सेज अधिनियम 2005 में निर्यात संवर्धन एवं संबंधित बुनियादी ढांचे के सृजन में राज्‍य सरकारों के लिए एक प्रमुख भूमिका की परिकल्‍पना की गई है । 19 सदस्‍यीय अंत: मंत्रिस्‍तरीय मंजूरी बोर्ड (बीओए) के जरिये सिंगल विंडों सेज मंजूरी तंत्र की व्‍यवस्‍था की गई है । संबंधित राज्‍य सरकार/संघ शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा उपयुक्‍त रूप से अनुशंसित आवेदनों पर बीओए द्वारा सावधिक रूप से विचार किया जाता है । बोर्ड की मंजूरियों से संबंधित सभी निर्णय सर्वसहमति से लिए जाते हैं ।

सेज नियमों में सेज के विभिन्‍न वर्ग के लिए विभिन्‍न न्‍यूनतम भूमि आवश्‍यकता का प्रावधान है प्रत्‍येक सेज एक प्रसंस्‍करण क्षेत्र जहॉं केवल सेज की इकाइयां ही स्‍थापित हो सकेंगी और एक गैर – प्रसंस्‍करण क्षेत्र में विभाजित होता है जहॉं सहायक अवसरंचना का सृजन किया जाना है ।

सेज नियमों में प्रावधान है :

  • विशेष आर्थिक क्षेत्रों के विकास , परिचालन एवं रखरखाव तथा सेज में इकाइयों एवं व्‍यवसाय संचालन के लिए सरल नियम ;
  • सेल की स्‍थापना के लिए सिंगल विंडो मंजूरी ;
  • एक विशेष आर्थिक क्षेत्र में एक इकाई की स्‍थापना के लिए सिंगल विंडो मंजूरी;
  • केंद्र एवं राज्‍य सरकारों से संबंधित मामलों पर सिंगल विंडो मंजूरी ;
  • स्‍व प्रमाणन पर जोर के साथ सरल अनुपालन प्रक्रियाएं एवं प्रलेखन

सेज का मंजूरी तंत्र एवं प्रशासनिक ढांचा

मंजूरी तंत्र

डेवेलपर संबंधित राज्‍य सरकार के समक्ष सेज की स्‍थापना के लिए प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत करता है । राज्‍य सरकार को ऐसे प्रस्‍ताव की प्राप्‍ति की तिथि से 45 दिनों के भीतर अपनी अनुशंसा के साथ प्रस्‍ताव को मंजूरी बोर्ड को अग्रेषित करना पड़ता है । आवेदन के पास प्रस्‍ताव को सीधे मंजूरी बोर्ड को प्रस्‍तुत करने का विकल्‍प भी होता है ।

मंजूरी बोर्ड का गठन केंद्र सरकार द्वारा सेज अधिनियम के तहत प्रदत अधिकारों के तहत किया गया है । मंजूरी बोर्ड में सभी निर्णय सर्वसहमति से लिए जाते हैं । मंजूरी बोर्ड में 19 सदस्‍य होते है । इनकी संरचना निम्‍न प्रकार से है :

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