ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है

जब किसी देश को एफएटीएफ ग्रे लिस्ट में रखता है तो उसके सामने कुछ चुनौतियां पेश आती हैं. आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक और एडीबी जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं और ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है अन्य देशों से आर्थिक सहयोग, कर्ज़ मिलने में मुश्किल के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कई तरह की अड़चनें और इंटरनेशनल बहिष्कार तक की नौबत का खतरा पैदा ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है होता है, अगर कोई देश ग्रे लिस्ट में आता है.
आईपीओ ग्रे मार्केट प्रीमियम
अगर आप स्टॉक मार्केट या आईपीओ में निवेश करते है तो आपने कभी न कभी आईपीओ ग्रे मार्केट और आईपीओ ग्रे मार्केट प्रीमियम का नाम जरुर सुना होगा। इसलिए आज हम आईपीओ ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या है और कैसे काम करता है, विस्तार में समझते है।
ग्रे मार्केट एक समानांतर मार्केट है जहां स्टॉक्स में अनऔपचारिक तरीके से ट्रेड होता है। ये जब होता है जब कोई कंपनी अपना आईपीओ लेकर आती है।
चलिए आईपीओ ग्रे मार्केट और आईपीओ ग्रे मार्केट प्रीमियम के बारे में विस्तार से समझते है।
आईपीओ ग्रे मार्केट क्या है?
ग्रे मार्केट को समझने से पहले हम ये समझ लेते है कि मार्केट कौन–कौन से होते है। मार्केट को तीन वर्गों में बांटा जा सकता है।
- वाइट मार्केट (White Market):- यह एक ओपन मार्केट है, जहां सारी ट्रेडिंग गतिविधि रूल्स एंड रेगुलेशंस के अनुसार होती है। जैसे कि स्टॉक मार्केट, जिसे सेबी रेगुलेट करता है और सारी ट्रेडिंग गतिविधि नियम और कानून के अनुसार होती है।
- ब्लैक मार्केट (Black Market):- एक ब्लैक मार्केट उन सामानों से संबंधित है जो आमतौर पर आयात शुल्क और अन्य शुल्कों से बचने के लिए देश में तस्करी कर लाए जाते हैं। जो कि पूरी तरह से गैर कानूनी होता है। इसके बहुत से ऐसे काम है जो गैर कानूनी तरीके से किए जाते है वह ब्लैक मार्केट की श्रेणी में आते हैं।
- ग्रे मार्केट (Gray Market):- एक आईपीओ ग्रे मार्केट वह मार्केट है जहां किसी कंपनी के शेयरों की बोली लगाई जाती है और ट्रेडर्स द्वारा अनौपचारिक(Unofficial) रूप से शेयर प्राइस पेश किए जाते है। यह किसी कंपनी द्वारा आईपीओ में शेयर जारी किए जाने से पहले होता है।
ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या होता है?
ग्रे मार्केट प्रीमियम जिसे जीएमपी (GMP) के नाम से भी जाना जाता है, जीएमपी एक प्रीमियम राशि है जिस पर ग्रे मार्केट आईपीओ में शेयरों को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने से पहले कारोबार किया जाता है।
अगर आसान शब्दों में कहें तो IPO लाने वाली कंपनी का स्टॉक शेयर मार्केट के बाहर भी खरीदा और बेचा जाता है। ये खरीद-बिक्री ग्रे मार्केट में होती है।
ग्रे मार्केट जीएमपी दर्शाता है कि लिस्टिंग के दिन आईपीओ कैसे प्रतिक्रिया कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई कंपनी आईपीओ ला रही है और वह अपने शेयर का प्राइस 100 रुपये पैश करती है और ग्रे मार्केट प्रीमियम लगभग 20 रुपये है तो उस आईपीओ की लिस्टिंग लगभग 120 रुपये पर होगी।
जीएमपी कोई पक्की गारंटी नही देता है लेकिन ज्यादातर मामलों में, जीएमपी सही से काम करता है और आईपीओ प्राइस प्रीमियम के आसपास सूचीबद्ध होता है।
निष्कर्ष
जैसा कि पहले बताया गया है, कि ग्रे मार्केट एक Unofficial Market है। जिसमें कि एक निवेशक के लिए, ग्रे मार्केट को एक इंडीकेटर के रूप में देखा जा सकता है कि स्टॉक सूचीबद्ध होने के बाद कैसा प्रदर्शन कर सकता है।
अगर ग्रे मार्केट प्रीमियम की वैल्यू ज़्यादा है तो उससे ये अनुमान लगाया जाता है की स्टॉक का लिस्टिंग प्राइस ज़्यादा होगा और दूसरी तरफ GMP की कम वैल्यू कम लिस्टिंग प्राइस और मुनाफा दर्शाती है ।
स्टॉक मार्केट में निवेश करना जोखिमों से भरा होता है और इसलिए ज़रूरी है कि आप सही ज्ञान और समझ के साथ ही इसमें निवेश करे। तो अगर आप एक सही शुरुआत करना चाहते है तो अभी ऑनलाइन शेयर मार्केट कोर्स ले और सही स्टॉक में निवेश कर अपने मुनाफे और रिटर्न को बढ़ाये।
ब्लैक मार्केट और ग्रे मार्केट के बीच अंतर
मुख्य अंतर: काला बाजार प्रतिबंधित, नकली या चोरी की वस्तुओं से संबंधित है जो अवैध रूप से बाजार में बेची जाती हैं। ग्रे मार्केट आमतौर पर वितरण के अनधिकृत चैनल के माध्यम से बेचे और खरीदे जाने वाले वास्तविक माल से संबंधित होता है।
ब्लैक मार्केट और ग्रे मार्केट बाजार के अवैध पहलू से संबंधित हैं। ब्लैक मार्केट और ग्रे मार्केट एक दूसरे से अलग हैं। काला बाजार उन सभी वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार के बारे में है जिन्हें कानून द्वारा अवैध माना जाता है। ये लेन-देन आम तौर पर काले बाजार में नकली या नकली उत्पादों पर किया जाता है।
यह चोरी की वस्तुओं के व्यापार से संबंधित है, कानूनी रूप से प्रतिबंधित या नकली सामान। इसलिए, इन वस्तुओं या सेवाओं का अवैध तरीके से भी कारोबार किया जाता है। उदाहरण के लिए, हथियार और ड्रग्स दो सबसे अधिक कारोबार वाले ब्लैक मार्केट आइटम हैं। काला बाजार ब्रांड दुरुपयोग से निकटता से संबंधित है।
Pakistan FATF Grey List: पाकिस्तान का नाम FATF की ग्रे लिस्ट से हटा, जानिए क्या है इस लिस्ट का मतलब
TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित गुप्ता
Updated on: Jun 17, 2022, 4:45 PM IST
क्या है FATF की ब्लैक लिस्ट जिसका नाम सुनकर कांप जाता है पाकिस्तान
- News18Hindi
- Last Updated : February 19, 2020, 22:52 IST
पाकिस्तान (Pakistan) फाइनेंशियल एक्शन टास्क ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है फोर्स (Financial Action Task Force) की ग्रे लिस्ट में बना रहेगा. वो इस बार ब्लैक लिस्ट में डाले जाने से खुद को बचा ले गया है. पाकिस्तान को तुर्की (Turkey) और मलेशिया (Malaysia) का समर्थन मिल गया था जिसके चलते उसे ब्लैक लिस्ट में शामिल नहीं किया गया. हालांकि बैठक अभी जारी है और अंतिम निर्णय 21 फरवरी को लिया जाएगा.
क्या है FATF
एफएटीएफ एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जो मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) और टेरर फंडिंग जैसे वित्तीय मामलों में दखल देते हुए तमाम देशों के लिए गाइडलाइन तय करती है और यह तय करती है कि वित्तीय अपराधों (Financial Crimes) को बढ़ावा देने वाले देशों पर लगाम कसी जा सके. एफएटीएफ के ग्रे और ब्लैक लिस्ट का मतलब क्या होता है? और ये भी जानें कि अगर पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया, तो क्या अंजाम होंगे.
बढ़ सकती है पाक की मुश्किल: ग्रे लिस्ट में शामिल पाकिस्तान हो सकता है ब्लैक लिस्ट, इससे कितने बदतर हो जाएंगे हालात?
TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित गुप्ता
Updated on: Feb 17, 2022 | 7:41 PM
पिछले कुछ समय से पाकिस्तान आतंकरोधी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट से खुद का नाम हटाने में जुटा हुआ है, लेकिन आतंकी गतिविधियों के कारण पाक (Pakistan) की योजना पर पानी फिरता नजर आ रहा है. जल्द ही फ्रांस (France) की संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की बैठक होने वाली है। इस बैठक में पाकिस्तान में जारी आतंकी गतिविधियों पर चर्चा की जाएगी. वर्तमान में पाकिस्तान FATF ग्रे लिस्ट (Grey List) में शामिल है, लेकिन चर्चा है कि आतंकी गतिविधियां बढ़ने के कारण पाक को ब्लैक लिस्ट (Black List) में शामिल किया जा सकता है.
ग्रे और ब्लैक लिस्ट के क्या है मायने?
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) संस्था का गठन 1989 में पेरिस में हुई G7 समिट के दौरान किया गया था. इस संस्था का लक्ष्य मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है पॉलिसी तैयार करना था. इसका मुख्यालय पेरिस में है. इसमें दुनिया के अलग-अलग देशों में 35 से अधिक मेम्बर हैं, इसमें भारत भी शामिल है. इस संस्था ने दो तरह की लिस्ट बनाई हुई है, पहली ग्रे और दूसरी ब्लैक.
दुनिया में ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले देशों को इन्हीं दोनों लिस्ट में शामिल किया गया है. ब्लैक लिस्ट को ग्रे लिस्ट से ज्यादा गंभीर माना जाता है. पाकिस्तान फिलहाल ग्रे लिस्ट में शामिल है, उसे लगता है कि कहीं ब्लैक लिस्ट में न शामिल कर दिया जाए.
क्या है ग्रे और ब्लैक लिस्ट के मायने और इनमें कौन-कौन से देश शामिल हैं?
ग्रे लिस्ट: जो देश टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा देते हैं, उन्हें इस लिस्ट में शामिल किया जाता है. ग्रे लिस्ट का मतलब है कि इन देशों को ऐसा न करने की चेतावनी दी गई है. अगर ये देश चेतावनी के बाद भी टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा देते हैं तो इन्हें ब्लैक लिस्ट में शामिल कर दिया जाता है. ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान, पनामा, श्रीलंका, इथियोपिया, बाह्मास, बोत्सवाना, कम्बोडिया, घाना, पनामा, सीरिया, ट्यूनीशिया, यमन, त्रिनिनाद और तोबागो शामिल हैं.
ब्लैक लिस्ट: ऐसे देश जो आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग उपलब्ध कराते हैं और मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा देते हैं, उन्हें इस लिस्ट में डाला जाता है. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, टेरर फंडिंग के कारण नॉर्थ कोरिया और इरान को ब्लैक लिस्ट में शामिल किया गया है.