कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें?

भारत में स्वच्छ वायु की दिशा में किये जा रहे प्रयास
इस 5 मिनट की एनीमेशन फिल्म में भारत में वायु प्रदूषण के एयरशेड प्रबंधन की अवधारणा का परिचय दिया गया है और यह समझने की कोशिश की गयी है कि PM2.5 कैसे बनता है, यह कैसे यात्रा करता है और यह स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है।
World Bank Group
कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदु
- भारत के सभी 1.4 अरब लोग (सौ फीसद जनसंख्या) अपने चारों ओर हवा में हानिकारक स्तर पर मौजूद पीएम 2.5 कणों के संपर्क में हैं, जो सबसे खतरनाक वायु प्रदूषक है और विभिन्न स्रोतों से निकल कर हवा में मुक्त हो रहा है।
- वायु प्रदूषण की स्वास्थ्य लागत अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान पहुंचा रही है। 2017 में वायु प्रदूषण के कारण हुई घातक बीमारियों के चलते खोए हुए श्रम की लागत 30 से 78 अरब डॉलर थी, जो भारत की जीडीपी का लगभग 0.3-0.9% है। भारत सरकार का राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) हवा की ख़राब होती गुणवत्ता को एक समस्या के रूप में स्वीकारने और उससे निपटने की दिशा में उठाया गया एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- विश्व बैंक कार्यक्रम, राज्य एवं क्षेत्र-स्तर पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली की सहायता के लिए उपकरणों का निर्माण कर रहा है। ये भारत का पहला स्टेट एयर क्वालिटी एक्शन प्लान और उसके साथ-साथ सिंधु-गंगा मैदान के अंतर्गत आने वाले सात राज्यों और संघ प्रशासित क्षेत्रों के लिए एयरशेड एक्शन प्लान तैयार करने में मदद करेगा, जो इतने बड़े स्तर पर भारत की पहली ऐसी योजना है।
विश्व भर में वायु प्रदूषण मृत्यु का एक बड़ा कारक है. भारत में वायु प्रदूषण का स्तर विश्व में सर्वाधिक है, जो देश के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के लिए भारी खतरा है। भारत की लगभग पूरी आबादी (1.4 अरब लोग) अपने चारों ओर हवा में हानिकारक स्तर पर मौजूद पीएम 2.5 कणों के संपर्क में हैं, जो सबसे खतरनाक वायु प्रदूषक है और विभिन्न स्रोतों से निकल कर हवा में मुक्त हो रहा है। इन सूक्ष्म कणों का व्यास 2.5 माइक्रोन से भी कम होता है, जिसकी चौड़ाई मनुष्य के सिर के एक बाल का 1/30 वां हिस्सा होती है. पीएम 2.5 कणों के संपर्क में आने से फेफड़ों के कैंसर, मस्तिष्क-आघात और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। ऐसा अनुमान है कि घर के भीतर मौजूद प्रदूषित हवा के कारण साल 2019 में 17 लाख भारतीयों की अकाल मृत्यु हो गई। 2017 में वायु प्रदूषण के कारण हुई घातक बीमारियों के चलते खोए हुए श्रम की लागत 30 से 78 अरब डॉलर थी, जो भारत की जीडीपी का लगभग 0.3-0.9% है।
पीएम 2.5 के हवा में उत्सर्जन के बहुत सारे स्रोत हैं। लेकिन कुछ सबसे आम स्रोत जीवाश्म ईंधनों जैसे कोयला, पेट्रोलियम उत्पाद और बायोमास जैसे लकड़ी, चारकोल और फसल अवशेषों का दहन है। पीएम 2.5 हवा में उड़ने वाली धूल से भी वातावरण में फैल सकता है, जिसमें प्राकृतिक धूल के साथ-साथ निर्माण स्थलों, सड़कों और औद्योगिक संयंत्रों की धूल भी शामिल है।
भारत में पीएम 2.5 कणों का आधे से अधिक उत्सर्जन ऊपरी वायुमंडल में "द्वितीयक" तरीके से होता है, जब एक क्षेत्र से उत्सर्जित प्रदूषक गैसें जैसे अमोनिया (NH3), दूसरे स्थानों से निकली कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें? प्रदूषक गैसों जैसे सल्फर डाईऑक्साइड (SO2) और नाइट्रोजन ऑक्साइडों (NOX) से मिल जाती हैं। कृषि, उद्योग, बिजली संयंत्र, घर और परिवहन, सभी बड़े स्तर पर पीएम 2.5 के द्वितीयक स्रोत हैं। प्राथमिक स्तर पर निर्मित पीएम 2.5 कणों की तुलना में द्वितीयक कणों का प्रसार शहरों, राज्यों की सीमाओं के पार कहीं अधिक दूरी तक और बहुत बड़े क्षेत्रफल में है।
इसलिए भारत में वायु प्रदूषण से जुड़ी चुनौतियां स्वाभाविक रूप से बहुस्तरीय और बहुपक्षीय हैं. एयरशेड एक ऐसा साझा भौगोलिक क्षेत्र होता है, जहां अलग-अलग प्रदूषक आपस में मिश्रित होकर एक समान गुणवत्ता वाली वायु का निर्माण करते हैं. प्रभावी वायु प्रदूषण नियंत्रण रणनीतियों के लिए शहरों को अपने तत्काल अधिकार क्षेत्र से परे देखने और एयरशेड-आधारित प्रबंधन के लिए उपकरणों का एक नया सेट लागू करने की आवश्यकता है।
शहरों को प्रभावी वायु प्रदूषण रणनीतियों को लागू करने के लिए अपने निकटतम क्षेत्रों से परे इसे व्यापक संदर्भ में देखना होगा और एयरशेड आधारित प्रबंधन के लिए नए उपकरणों को अपनाना होगा. इसके अलावा, पूरे देश में प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों के मानक तय करने होंगे और इसके लिए नियंत्रण से जुड़ी रणनीतियों और उपयुक्त आंकड़ों को एक दूसरे के साथ जोड़ा जा सकता है.
भारत इस समस्या से निपटने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठा रहा है। भारत सरकार मौजूदा परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों में संशोधन का मसौदा तैयार कर रही है और हालिया वर्षों में उसने वाहनों और औद्योगिक उत्सर्जन मानकों को मजबूत किया है। अक्षय ऊर्जा का प्रसार करना, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना और लाखों घरों में एलपीजी गैसों की आपूर्ति करना आदि भारत सरकार द्वारा वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अपनाई रणनीतियों के कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं।
भारत सरकार का राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) वायु गुणवत्ता में आई गिरावट को एक समस्या के रूप में रेखांकित करने और उससे निपटने की दिशा में उठाया गया एक महत्त्वपूर्ण कदम है। एनसीएपी ने देश भर में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए एक समयबद्ध लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके केंद्र में विशेष रूप से 132 "नॉन एटेनमेंट" शहरों को रखा गया है, जहां वायु प्रदूषण की स्थिति राष्ट्रीय मानकों से कहीं नीचे यानी बहुत गंभीर है। एनसीएपी शहरों को वायु गुणवत्ता प्रबंधन योजनाओं को तैयार करने के लिए निर्देशित करता है और विभिन्न क्षेत्रों में नीति निर्माण के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।
2020 में 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों को अपनाते हुए भारत सरकार ने दस लाख से अधिक आबादी वाले 42 भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए अगले पांच वर्षों में 1.7 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना बनाई है, बशर्ते वे अपने वायु प्रदूषण के स्तर को हर साल 15 प्रतिशत कम करें। यह शहरों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें? वित्त पोषण प्रदान करने वाला दुनिया का पहला ऐसा कार्यक्रम है, जहां प्रदर्शन के आधार पर शहरों को वित्त का आवंटन किया जायेगा।
वायु प्रदूषण के संदर्भ में उसके प्रसार और विभिन्न अधिकार क्षेत्रों को देखते हुए और एक केंद्रीकृत एयरशेड आधारित कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें? कार्य योजना की आवश्यकता को पहचानते हुए, भारतीय संसद ने राष्ट्रीय राजधानी और सीमावर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की स्थापना के लिए अगस्त 2021 में एक कानून पारित किया है.
"सबसे बड़ी चुनौती इस बात की है कि कैसे हम एक नए वातावरण में पहले से कहीं बेहतर एवं हरित तंत्र का निर्माण करेंगे जबकि हम मौजूदा समस्याओं से अभी उबर ही रहे हैं. अब समय आ गया है कि लोग सही जगह निवेश करें."
चीन के 'सुपर कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें? प्लान' को मात देने की यूरोप की तैयारी, कितनी मिलेगी सफलता
चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव का निवेश अब यूरोप के मोंटेनिग्रो तक पहुंच चुका है.
यूरोपीय संघ एक ऐसी वैश्विक निवेश योजना की घोषणा करने वाला है जिसे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जा रहा है.
सूत्रों का कहना है कि इस व्यापक योजना में डिजिटल, परिवहन, जलवायु और ऊर्जा योजनाओं पर 'ठोस' क़दम शामिल होंगे. इसे अफ़्रीका और अन्य जगहों पर चीनी प्रभाव का मुकाबला करने के पश्चिम के प्रयासों के तौर पर देखा जा रहा है.
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन बुधवार इसी 'ग्लोबल गेटवे' इनिशिएटिव को दुनिया के सामने पेश करेंगी. यूरोपीय संघ देख रहा है कि वो कैसे अपने सदस्य देशों, वित्तीय संस्थानों और निजी क्षेत्र के अरबों यूरो का फ़ायदा उठा सकता है.
वॉन डेर लेयेन ने सितंबर में अपने 'स्टेट ऑफ़ द यूनियन' भाषण में कहा था, "हम दुनिया भर में उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे में निवेश करना चाहते हैं ताकि लोगों को सामान (गुड्स) और सेवाओं (सर्विसेज़) से जोड़ा जा सके.
बुधवार को जारी होने वाले 14 पन्नों के दस्तावेज़ में स्पष्ट रूप से खुद को चीन की रणनीति के प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश करने की संभावना नहीं है. मंगलवार को भी इस योजना के बारे में पूछे जाने पर यूरोपीय आयोग ने चीन का उल्लेख तक करने से भी परहेज़ किया.
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यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन
लेकिन जर्मन मार्शल फंड के एक वरिष्ठ ट्रान्साटलांटिक फेलो एंड्रयू स्मॉल का कहना है कि संकेत साफ़ हैं, "अगर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव नहीं होता तो 'ग्लोबल गेटवे' भी नहीं होता."
एंड्रयू स्मॉल कहते हैं, "ये यूरोप की ओर कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें? से उन देशों के लिए एक विकल्प की तरह होगा. जो चीन से लोन लेते हैं उनके पास एक और विकल्प होगा. ये यूरोप की पहली गंभीर कोशिश है."
चीन का BRI
बेल्ट एंड रोड चीन की विदेश नीति का केंद्र बिंदु रहा है. इसके तहत चीन ने नई सड़कें, बंदरगाहें, रेलवे और पुलों में पैसा लगाकर अपने व्यापारिक संबंधों को दुनिया भर में विकसित किया है.
चीन की ये रणनीति एशिया, इंडो-पैसिफिक, अफ्रीका और यहां तक कि यूरोपीय संघ के पड़ोस तक पहुंच गई है. चीन की इस नीति को 'कर्ज़े का फंदा' और 'ऋण के जाल में फंसाना' जैसी संज्ञाएं दी गई हैं.
लेकिन कुछ लोग ये भी कहते हैं कि तस्वीर दरअसल इससे कहीं अधिक जटिल है क्योंकि एक बड़ी रकम उधार लेना, जोखिम-मुक्त नहीं होता. इसके अलावा चीन इन देशों की एक ऐसी ज़रूरत पूरी कर रहा है जो दुनिया के दूसरे देश नहीं कर रहे.
जो भी हो, पश्चिम के साथ तनाव बढ़ने के साथ-साथ दुनिया भर में चीन के आर्थिक और भू-राजनीतिक पदचिह्न बढ़ रहे हैं.
यूरोप की क्या है मंशा
इस क़दम से यूरोपीय संघ अपने दबदबे और संसाधनों को एक दिशा देने का प्रयास करेगा. एंड्रयू स्मॉल कहते हैं कि यह एक बड़ी परीक्षा होगी
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यूरोप वास्तव में इस भू-राजनीतिक क्षेत्र के ज़रिए, चीन को चुनौती दे सकता है. स्मॉल कहते हैं, "सवाल ये भी है कि क्या यूरोपीय संघ आंतरिक नौकरशाही की लड़ाई में बहुत अधिक फंस गया है? अगर यूरोप इस प्रयास में असफल होता है, तो यह एक बड़ी चूक होगी."
एक राजनयिक ने बीबीसी को बताया, "आख़िरकार यूरोप इस मुद्दे पर अपनी छाप छोड़ने का प्रयास कर रहा है. यह एक अच्छा संकेत है. साथ ही ये हमारे मित्र देशों - अमेरिका और ब्रिटेन के साझा हितों से भी मेल खाता है."
लेकिन सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट के सीनियर फेलो स्कॉट मॉरिस के अनुसार- इस क़दम से प्रतिस्पर्धा और अधिक बढ़ सकती है. अमेरिका ने भी पिछले साल जून में "बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड" पहल लॉन्च की थी. मॉरिस कहते हैं, "यह एक बहुत ही भीड़भाड़ वाला बाज़ार है जहां बहुत सारे ब्रांड एक-दूसरे से कंमीट करते हैं."
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जोखिम की चेतावनी: ट्रेडिंग जोखिम भरा है। आपकी पूंजी जोखिम में है। Exinity Limited FSC (मॉरीशस) द्वारा विनियमित है।
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आज का राशिफल 10 नवंबर, 2022- सभी मूलांक वालों के लिए कैसा रहेगा
मूलांक – 1
मूलांक 1, 10, 19, व 28 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व सूर्य देव करते हैं। पारिवारिक और व्यावसायिक जिम्मेदारियों में वृद्धि होगी। आय और व्यय में नियंत्रण रखने में सफलता मिलेगी। आज अधिकतर काम योजना के अनुसार पूरा होंगे। मकान के रख-रखाव में पैसा व्यय करेंगे।
उपाय- भूरी चींटियों को आटा दें।
मूलांक – 2
मूलांक 2, 11, 20 और 29 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व चन्द्र देव करते हैं। कार्यक्षेत्र में अपनी प्रतिभा को निखारने में प्रयासरत रहेंगे। आय के नए स्त्रोत मिलेंगे। माता की सलाह और आशीर्वाद से कुछ दिनों से चल रहे मानसिक तनाव से मुक्ति मिलेगी। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
उपाय- शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाएं।
मूलांक – 3
मूलांक 3, 12, 21, 30 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व बृहस्पति देव करते हैं। विद्यार्थियों के लिए आज का दिन शुभकारी रहेगा। कारोबार में तेज़ी रहेगी। रुका धन वापिस मिलने की सम्भावना है, जिससे आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। व्यवसाय के लिए छोटी यात्रा करनी पड़ेगी।
उपाय- गुड़ चने का प्रसाद बांटें।
मूलांक – 4
मूलांक 4, 13, 22 और 31 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व राहु देव करते हैं। व्यावसायिक गतिविधियों में अधिक मेहनत करने की जरूरत है परन्तु लाभ की स्थिति कम रहेगी। परिवार के साथ किसी मनोरंजक स्थान में घूमने का कार्यक्रम बना सकते हैं। मौसमी बदलाव के कारण शरीर दर्द की समस्या होगी।
उपाय- काले और नीले रंग से परहेज करें।
मूलांक – 5
मूलांक 5, 14 और 23 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व बुध देव करते हैं। कार्यक्षेत्र में दिन मिलाजुला रहेगा। उच्च अधिकारियों से मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। प्रॉपर्टी से जुड़े व्यक्तियों को सुनहरे अवसर हाथ लग सकते हैं। पारिवारिक माहौल खुशनुमा रहेगा। आर्थिक स्थिति सामान्य रहेगी।
उपाय- फिटकरी से दांत साफ़ करें।
मूलांक – 6
मूलांक 6, 15 और 24 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व शुक्र देव करते हैं। जीवनसाथी के साथ आज अपनी परेशानियों को साझा करेंगे। व्यापार में नयी साझेदारी में काम शुरू न करें। युवाओं को प्रेम प्रसंगों में सफलता मिलेगी। कार्यक्षेत्र में उच्च अधिकारियों से कुछ नया सीखने का अवसर मिलेगा।
उपाय- गाय को गुड़ खिलाएं।
मूलांक – 7
मूलांक 7, 16 और 25 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व केतु देव करते हैं। निजी नौकरी करने वाले व्यक्तियों को अपने शत्रुओं से सावधान रहने की जरुरत है जबकि सरकारी नौकरी करने वाले व्यक्तियों के लिए आज का दिन अनुकूल परिणाम देगा। संतान के स्वास्थ्य को लेकर कुछ चिंतित हो सकते हैं।
उपाय- केसर का तिलक लगायें।
मूलांक – 8
मूलांक 8, 17 और 26 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व शनि देव करते हैं। पिता के साथ वैचारिक मतभेद हो सकते हैं। बिना मांगे की को कोई सलाह न दें। व्यापार में धैर्य और संयम रखने की जरूरत है। दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहेगी। कारोबार के लिए कोई नई मशीनरी खरीदने के बारे में विचार कर सकते हैं।
उपाय- काली उड़द की दाल मंदिर में दान करें।
मूलांक – 9
मूलांक 9, 18 और 27 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व मंगल देव करते हैं। सामाजिक कार्यों में रूचि बढ़ेगी, जिससे मान-सम्मान में वृद्धि होगी। कार्यक्षेत्र में तरक्की के नए विकल्प मिलेंगे। आवेश में आकर कोई निर्णय न लें अन्यथा कोई बना बनाया काम बिगड़ सकता है।
उपाय- लाल चन्दन का तिलक लगाएं।
आचार्य लोकेश धमीजा
वेबसाइट –www.goas.org.in
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें
Energy Transition Accelerator: अमेरिका ने की एनेर्जी ट्रांज़िशन एक्सेलेरेटर की घोषणा, विशेषज्ञों ने जताया इरादे पर संशय
Energy Transition Accelerator: विकासशील देशों ने स्पष्ट किया है कि इस सीओपी में वित्त वार्ता का ध्यान एनेर्जी ट्रांज़िशन के लिए संरचनात्मक बाधाओं को दूर करने के लिए होना चाहिए।
Energy Transition Accelerator (PHOTO:social media )
Energy Transition Accelerator: विकासशील देशों में क्लीन एनेर्जी ट्रांज़िशन में तेजी लाने के लिए निजी क्षेत्र की पूंजी को काम में लाने के उद्देश्य से जलवायु के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति के विशेष दूत, जॉन केरी, द रॉकफेलर फाउंडेशन और बेजोस अर्थ फंड ने आज कॉप 27 के दौरान एक एनेर्जी ट्रांज़िशन एक्सेलेरेटर (ईटीए) नाम की एक साझेदारी की घोषणा की है।
इस लॉन्च इवेंट में, जॉन केरी, यूएस स्पेशल प्रेसिडेंशियल एनवॉय फॉर क्लाइमेट ने कहा, "हमारा इरादा कार्बन मार्केट में कोयला बिजली से साफ बिजली में ट्रांज़िशन को गति देने के लिए पूंजी को तैनात करने के लिए काम करना है। हमारे विशेष रूप से दो उद्देश्य हैं: पहला है बेकार हो चुके कोयले के प्लांट्स को रिटायर किया जाए और दूसरा उद्देश्य है नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग में तेजी लाई जाए।
भले ही अमेरिका ने इस महत्वाकांक्षी योजना, ईटीए, को लॉंच किया हो, लेकिन फिर भी अपने वर्तमान स्वरूप में, इस योजना में सत्यनिष्ठा का अभाव है। विकासशील देशों ने स्पष्ट किया है कि इस सीओपी में वित्त वार्ता का ध्यान एनेर्जी ट्रांज़िशन के लिए संरचनात्मक बाधाओं को दूर करने के लिए अनुदान और रियायती वित्त पर होना चाहिए। मगर ऐसा प्रतीत होता है कि यह योजना एक बार फिर विकसित देशों को एमिशन कम करने की फ़ौरी कार्यवाई से बचने का मौका देगी।
इस योजना की मुख्य बातों पर एक नज़र
राजनीतिक प्राथमिकताएं
कॉप 27 में सबसे बड़ी प्राथमिकता अधिक वास्तविक वित्त जुटाना है।
● विकासशील देशों ने जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन पार्टनरशिप के ज़रिये लगातार साफ किया है कि फिलहाल जलवायु कार्यवाई के लिए न सिर्फ अतिरिक्त अनुदान और रियायती वित्त की आवश्यकता है बल्कि साथ ही वास्तविक सार्वजनिक वित्त।
● फिलहाल इस ईटीए से इतर अमेरिका के पास अन्य प्राथमिकताएं हैं जहां महत्वपूर्ण संरचनात्मक परिवर्तन लाने का मौका है । उदाहरण के लिए, अमेरिका एमडीबी के लिए पूंजी पर्याप्तता ढांचे के सुधार को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है, जो बैंकों को रियायती वित्त में एक ट्रिलियन का लाभ उठाने की अनुमति देगा। G20 बैठकें होने के साथ, प्राथमिकता इस एजेंडे को आगे बढ़ाने पर होनी चाहिए।
● ये प्रस्ताव जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन पार्टनरशिप से अलग है। जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन पार्टनरशिप की सफलता पर्याप्त अनुदान और रियायती वित्त पर आधारित है। कार्बन बाजारों के माध्यम से जुटाई गयी कोई भी पूंजी इस अनुदान से अलग होनी चाहिए।
भाग लेने वाली कंपनियां
● योजना में कहा गया है कि कार्यक्रम केवल उन प्रतिबद्ध कंपनियों के लिए खुला होगा जो 2050 तक नेट ज़ीरो का लक्ष्य रखें हैं और जिनके विज्ञान आधारित लक्ष्य हैं।
● लेकिन सोचने वाली बात यह है कि तमाम कंपनियों कि प्रतिबद्धताएं पर्याप्त नहीं हैं। अधिकांश कॉर्पोरेट संस्थाओं का साल 2050 तक नेट ज़ीरो का लक्ष्य तो है मगर उन्होने उत्सर्जन को पर्याप्त तेज़ी से कम करने की योजनाओं द्वारा प्रतिबद्धताओं को रेखांकित नहीं किया गया है। यहाँ तक कि क्लाइमेट एक्शन कंपनियों में 75% का 2050 तक नेट ज़ीरो का लक्ष्य तो है, लेकिन सिर्फ़ 10% के पास इस दिशा में पेरिस समझौते के अनुकूल योजनाएं हैं।
कार्बन क्रेडिट
● योजना में कहा गया है कि "कंपनियां अपने अंतरिम लक्ष्यों से ऊपर और परे शमन का समर्थन करने के लिए, जलवायु वित्त या अन्य स्वैच्छिक लक्ष्यों में योगदान करने के लिए, या कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें? मेजबान देश की एनडीसी उपलब्धि में योगदान करने के लिए क्रेडिट का उपयोग कर सकती हैं। एक अन्य दृष्टिकोण का पता लगाया जाना है जो कंपनी के निकट-अवधि के लक्ष्य के भीतर स्कोप 3 उत्सर्जन के सीमित हिस्से को संबोधित करने के लिए कुछ क्रेडिट का उपयोग करता है, इस मामले में कंपनियों को केवल ईटीए के वित्तीय और जलवायु लाभों को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त क्रेडिट के लिए भुगतान करना होगा।"
● जबकि प्रस्ताव में "अंतरिम लक्ष्यों से ऊपर और परे" क्रेडिट के उपयोग पर एक बयान शामिल है, यह अभी भी स्कोप 3 उत्सर्जन के एक अपरिभाषित हिस्से की भरपाई की अनुमति देगा, जो निजी क्षेत्र से 80% से 90% उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है।
● यहां तक कि साइंस बेस्ड टरगेट्स इनिशिएटिव (एसबीटीआई), जिसकी नेट ज़ीरो प्रत्यायनकर्ता के रूप में सीमाएं हैं, उच्च गुणवत्ता वाले कार्बन निष्कासन के उपयोग को अवशिष्ट उत्सर्जन के लिए कॉर्पोरेट संक्रमण योजनाओं के 10% से कम तक सीमित करता है। कार्बन क्रेडिट का इतिहास दर्शाता है कि विश्वसनीयता और अखंडता के आसपास बहुत सारे मुद्दे हैं। ICVCM और VCMI जैसी पहलें इसे संबोधित करने के लिए काम कर रही हैं लेकिन इन प्रस्तावों पर अभी तक अमल नहीं हुआ है।
मूल्य निर्धारण
● योजना ऊर्जा संक्रमण के लिए उन्नत खरीद समझौतों के लिए "निश्चित मूल्य" का प्रस्ताव करती है, लेकिन यह निर्दिष्ट नहीं करती है कि यह कैसे निर्धारित किया जाएगा। यदि निश्चित कीमतें बहुत कम हैं, तो यह संभावित रूप से मौजूदा कार्बन ऑफसेट बाजारों के समान कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें? ही अनपेक्षित परिणाम पैदा करता है जहां सबसे सस्ता ऑफसेट भी कम से कम अतिरिक्त या सार्थक होता है।
● यह कार्बन उपनिवेशवाद की समस्या को और बढ़ा सकता है।
निजी वित्त को प्रोत्साहित करना
● विकासशील देशों में निवेश को जोखिम से मुक्त करने के लिए निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कार्बन क्रेडिट का उपयोग करने का यह एक समस्याग्रस्त प्रस्ताव है, जो कार्बन ऑफसेटिंग के आसपास की अखंडता के मुद्दे को संबोधित करने के लिए बहुत कम करता है।
● विकासशील देशों में निवेश की बाधाएं केवल वित्तीय नहीं बल्कि संस्थागत और राजनीतिक हैं। केवल कार्बन ऑफसेट की पेशकश निवेश के लिए मौजूदा बाधाओं को दूर करने के लिए बहुत कम करेगी।
● निजी वित्त कम जोखिम वाले अवसरों की तलाश करता है जहां निवेश के अवसर लाभदायक और वित्तीय रूप से टिकाऊ होते हैं। ऐसे परिदृश्य की कल्पना करना मुश्किल है जहां विकासशील देशों के लिए निवेश की बाधा को कम करने के लिए कार्बन ऑफसेट का आदान-प्रदान करने की पेशकश काफी आकर्षक होगी। उदाहरण के लिए, 96% निजी वित्त मिश्रित वित्त प्रवाह के माध्यम से एक सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग वाले देशों में जाता है, जो कि अधिकांश निम्न आय वाले देशों के पास नहीं है।
● कम आय वाले देशों के लिए एक प्रणालीगत बाधा है, जिनकी आम तौर पर खराब निवेश माहौल और निवेश योग्य अवसरों की कमी के साथ छोटी अर्थव्यवस्थाएं हैं। वित्त की मांग है, लेकिन निवेश के अवसरों को बढ़ाने के लिए अक्सर सिस्टम नहीं होते हैं। जबकि निजी वित्त लेनदेन की मात्रा से सफलता को मापता है। इसका मतलब है कि विकसित बाजारों में बड़े सौदे अधिक आकर्षक हैं।
इस पर अपनी प्रतिकृया देते हुए विश्व संसाधन संस्थान (भारत) में निदेशक, जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम, उल्का केलकर ने कहा, "कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें? विकासशील देशों को पूर्वानुमेय वित्त की आवश्यकता है - ऑफसेट बाजारों की नहीं। प्रस्तावित पहल संयुक्त राज्य अमेरिका की जलवायु वित्त के अपने उचित हिस्से को प्रदान करने में विफलता के लिए तैयार नहीं हो सकती है - अनुमानित $ 100 बिलियन प्रति वर्ष के अप्राप्त लक्ष्य का अनुमानित $ 40 बिलियन। इसे संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य औद्योगिक देशों के भीतर आवश्यक गहरे डीकार्बोनाइजेशन के लिए स्थानापन्न नहीं करना चाहिए। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए, जो अपनी जलवायु महत्वाकांक्षा को बढ़ा रहे हैं, पहली प्राथमिकता अपने लक्ष्यों को पूरा करना होगा और विकसित देशों में कटौती के लिए ऑफसेट प्रदान नहीं करना होगा।
आगे, आईफा की विभूति गर्ग ने कहा, "जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, विशेष रूप से विकासशील देशों द्वारा वित्त की एक बड़ी आवश्यकता है। अकेले सार्वजनिक पूंजी इन आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकती है और इस प्रकार निजी पूंजी को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। आवश्यक निजी पूंजी प्राप्त करने के लिए ऊर्जा संक्रमण त्वरक एक अच्छा मंच है। हालांकि, इस पूंजी की उपलब्धता बाजार दरों पर होगी जो विकासशील देश अन्यथा भी प्राप्त कर सकते हैं। उन्हें जो चाहिए वह है रियायती पूंजी। यह तंत्र रियायती दरों पर वित्त की उपलब्धता कैसे सुनिश्चित करेगा, यह बहुत स्पष्ट नहीं है। इसके अलावा, इस बात की स्पष्टता होनी चाहिए कि कौन सी परियोजनाएं इस फंड के हिस्से के रूप में योग्य हो सकती हैं और एक उचित वर्गीकरण स्थापित कर लिया है या फिर ग्रीनवाशिंग का डर है।"