शेयर बाजार में निवेश के लिए कौन सा बैंक चुनें

शेयर बाजार में निवेश करते वक्त, समय पर ध्यान देना जरूरी है। सामान्य नियम यही है कि ‘दाम घटने पर खरीदें और दाम बढ़ने पर बेच दें’। अच्छे रिटर्न्स पाने के लिए सही समय पर खरीद-बिक्री करके अपना फायदा सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है। नहीं तो शेयर के दाम, अपने टॉप पॉइंट से नीच आ गए तो अच्छे रिटर्न पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। यदि आप सीधे शेयरों में इनवेस्ट करने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपके पास पर्याप्त पैसा, समझ और बहुत ज्यादा धैर्य होना बहुत जरूरी है।
शेयर मार्केट या म्यूचुअल फंड में से किसमें इनवेस्ट करना है बेहतर? जानिए
शेयर बाजार में निवेश करते वक्त, समय पर ध्यान देना जरूरी है। सामान्य नियम यही है कि ‘दाम घटने पर खरीदें और दाम बढ़ने पर बेच दें’।
आदिल शेट्टी, सीईओ, बैंक बाजार
अगर अपने इनवेस्टमेंट पर ज्यादा रिटर्न्स लेने हैं तो उसके लिए ज्यादा रिस्क भी लेना पड़ेगा। रिटर्न और रिस्क में संतुलन बनाए रखना बहुत मुश्किल काम है। इसके चक्कर में कई लोग कम जाने माने निवेश उत्पादों में इनवेंस्ट करने से रह जाते हैं। ज्यादातर लोग मुख्य रूप से दो तरीके से शेयर मार्केट में इनवेस्ट करते हैं, एक तो सीधे शेयर में निवेश करके और दूसरा इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम के माध्यम से निवेश करके।
किस कंपनी के शेयर खरीदें
हमने आपको पहले भी कई बार बताया है कि कभी भी टिप्स के आधार पर निवेश ना करें। दोस्तों, रिश्तेदारों के बताये टिप्स की अवहेलना करना ही बेहतर होता है। इसी प्रकार आपके ब्रोकर या अन्य कई वेब साइट आपको निवेश के टिप्स और मैसेज भेजते होंगे। सबसे अच्छा तो यह है कि आप स्वयं स्टडी करें और अपने निवेश को समझें। आपको बताते हैं कि फंडामेंटल यानी आधारभूत रूप में मजबूत शेयर कैसे चुन सकते हैं।
जब आप यह सोच रहे हैं कि किस कंपनी के शेयर खरीदें तो आपको इसमें यह देखना होगा कि कंपनी लगातार अच्छे फायनेंशल नतीजे दे रही है कि नहीं। आप तीन से पांच साल तक के नतीजे देख सकते हैं। कंपनी यदि आधारभूत रूप में मजबूत शेयर बाजार में निवेश के लिए कौन सा बैंक चुनें नहीं है तो उसमें निवेश ना करें। इसके लिये आपको जांचना होगा। निवेश के लिये शेयर चुनते हुए निम्न मानकों को जरूर परखें।
EPS ईपीएस
कंपनी कि प्रति शेयर आय की जाँच करें। सालाना ही नहीं आप तिमाही नतीजों में भी देख सकते हैं कि कंपनी का ईपीएस लागातार बढ़ रहा है या नहीं। इसका सीधा अर्थ है कि कंपनी की कमाई बढ़ रही है तो शेयर भी बढ़ेगा ही।
कंपनी क्या काम करती है
यह समझना बहुत जरूरी है कि जिस Share में आप Invest कर रहे हैं वह कंपनी क्या बनाती है या कौन शेयर बाजार में निवेश के लिए कौन सा बैंक चुनें सी सेवायें देती है। कई प्रॉडक्टस ऐसे होते हैं जो हमारे रोज मर्रा के काम में हम प्रयोग करते हैं, उनके बारे में हमें अच्छी समझ होती है। आप जिस कंपनी के शेयर को खरिदना चाहते हैं वह कंपनी क्या करती है इसकी अपको बहुत अच्छे से समझ होनी चाहिये। कई बार कंपनी के वास्तविक काम को समझने में गलतफहमी हो सकती है। याद रखिये मोबाइल निर्माता और मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियां अलग अलग होतीं हैं। उसी प्रकार मोबाइल सेवा प्रदाता और मोबाइल टॉवर मैनटेनेंस कंपनियां अलग अलग होतीं हैं। उसी प्रकार तेल प्रोसेस कंपनियां और तेल मार्केटिंग कंपनियां भी अलग अलग होतीं हें। इस यरह की गलतफहमी से बचने के लिए कंपनी के बिजनेस को समझना बहुत आवश्यक है।
जो कंपनी भूत काल में अच्छी थी उस कंपनी का भविष्य कैसा होगा यह भी समझ लें। क्या कंपनी का उत्पाद लंबे समय तक प्रयोग होने वाला होगा। कंपनी कोई ऐसा उत्पाद तो नहीं बनाती जो कुछ सालों में प्रयोग होना ही बंद हो जाये। बदलती तकनीक के जमाने में यह जानना बहुत आवश्यक है। कभी किसी ने सोचा था कि टापराइटर म्यूजियम में रखने की चीज बन जायेंगे?
अपने उद्योग में लीडर
ऐसी कंपनी जिसको उसके कंपीटीटर हरा ना सकते हों। अपने आसपास देखिये, कई प्रॉडक्टस मिल जायेंगे जो घर घर में प्रयोग होते हैं। जैसे कि सर्फ, यहां तक कि वाशिंग पॉवडर की जगह सर्फ ही बोला जाता है। ऐसी कई कंपनियां मिल जायेंगी जिनका अपने उद्योग में बोलबाला है और कोई प्रतिद्वंद्वी उनके नजदीक नहीं पहुंच पाता है। अधिकतर ब्लूचिप शेयर और FMCG शेयर इसी श्रेणी में आते हैं।
ऐसा काम जो कोई नहीं कर रहा उस उद्योग में। कोई सर्विस सैंटर का नेटवर्क या कोइ प्रॉडक्ट का कॉपीराइट जिसे कोई दूसरा बना नहीं सकता। जैसे मारुति उद्योग का सर्विस नेटवर्क देश भर में फैला है। ऐसी कंपनियां अपने उद्योग में लीडर बन जातीं हैं।
शेयर का ट्रेडिंग लॉट
ट्रेडिंग लॉट किसी भी शेयर कि निर्धारित न्यूनतम संख्या होती है जिस पर उन शेयरों की खरीद बिक्री हो सकती है। हर कम्पनी के शेयरों का ट्रेडिंग लॉट पहले से निर्धारित होता है। उस शेयर की ट्रेडिंग उसी लॉट या उसके गुनकों में की जा सकती है। डीमैट होने से पहले जब शेयरों की डिलीवरी शेयर सर्टिफिकेट के जरिए होती थी तब अधिकतर शेयरों का लॉट 100 शेयर निर्धारित रहता था। आजकल अधिकतर लॉट एक शेयर के ही होते हैं।
यदि आप यह सोच कर निवेश करते हैं कि आप केवल कम कीमत वाले शेयर ही खरीदेंगे जिससे आपको कम निवेश करना पड़े तो केवल कीमत के आधार पर किसी शेयर में निवेश ना करें। किसी भी शेयर की कीमत उसकी वर्तमान और भविष्य की ग्रोथ की सम्भावनाओं पर आधारित होती है। कम कीमत किसी भी शेयर में निवेश करने का आधार नहीं हो सकती, उसके लिए आप उस कम्पनी के भविष्य की सम्भावनाओं को जांच कर ही उसमें निवेश करें।
अधिक क़ीमत वाले शेयर
इसी प्रकार इस बात की भी सम्भावना है कि जिस शेयर को हम महंगा समझ रहे हैं उस में ग्रोथ की सम्भावना अधिक हो। इसी लिए हम केवल इसी कारण से किसी शेयर को इग्नोर नहीं कर सकते क्योंकि वह पहले से अधिक कीमत पर ट्रेड कर रहा है।
कम कीमत देख कर कभी कोई शेयर ना खरीदें। यदि आप शेयर बाजार में नए हैं तो पैनी शेयर कभी ना खरीदें। पैनी शेयरों की कीमत सबसे कम होती है मगर इनमें रिस्क सबसे अधिक होता है। शुरुआत में निवेश जानी मानी कम्पनी से ही करें। किस मित्र, साथी या ब्रोकर के कहने पर अनजानी कंपनी का शेयर कभी ना खरीदें। वास्तव में जब तक खुद को अच्छे से समझ ना आए, शेयर बाजार में सीधे निवेश करने से बचें और म्यूचूअल फंड में निवेश करें।
शेयर की मजबूती देखें
कीमत के बजाए शेयर के भविष्य की सम्भावनाएं देखें। उसके EPS, PE रेश्यो को समझें। भविष्य की परियोजनाओं को समझें। पिछले सालों का रिकार्ड देखें। किसी कंपनी का शेयर क्या देख कर खरीदना चाहिये यह जानने के लिये पढ़ें किस कंपनी का शेयर खरीदें हमारी साइट पर।
इस प्रकार यह ना सोचें कि शेयर बाजार में कम से कम कितना निवेश कर सकते हैं। अपने लिए अच्छे भविष्य वाली कम्पनी को निवेश के लिए चुनें और जितना आप निवेश करने की क्षमता रखते हैं उतने शेयर खरीद लें। निवेश करने से पहले इससे जुड़े जोखिम को भी भली भाँति समझ लें। Minimum amount to invest in Share Market in Hindi.
कौन सा इंस्ट्रूमेंट है ज्यादा फ्लेक्सिबल
SIP व RD दोनों निवेश के सबसे ज्यादा चर्चित तरीकों में से एक हैं और दोनों ही निवेशकों को फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करते हैं। लेकिन RD के मुकाबले SIP अधिक फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करता है। इसमें आप डेली, वीकली, मंथली व ऐनुअली फॉर्म में निवेश कर सकते हैं। तो वहीं RD में निवेशक मंथली बेस पर ही निवेश करते हैं।
म्यूचुअल फंड SIP में आपको लॉक इन की कोई बाध्यता नहीं रहती। आप जब चाहें अपनी जमा की गई राशि को निकाल सकते हैं। तो वहीं RD में लॉक इन पीरियड होता है, जिसके बीच में आप जमा की गई राशि यदि निकालते हैं तो आपको पेनाल्टी देनी होती है। RD का समय सामान्यतः 1 से 10 साल तक का होता है, ऐसे में आप 1 से 10 साल के बाद RD का टेन्योर पूरा होने पर ही अपनी राशि बाहर निकाल सकते हैं।
गारंटी रिटर्न व शेयर बाजार में निवेश के लिए कौन सा बैंक चुनें जोखिम
RD में निवेश करने पर आपको गारंटी रिटर्न प्रदान किया जाता है। जिसमें कोई भी जोखिम नहीं होता है, तो वहीं दूसरी तरफ SIP में आपका पैसा शेयर मार्केट में निवेश किया जात है, इसलिए यह बाजार के जोखिमों पर निर्भर होता है। हालांकि, आपका पैसा कई तरह के इक्विटी शेयर में निवेशित किया जाता है, जिससे आपका जोखिम काफी कम हो जाता है। इसके अतिरिक्त SIP में रिटर्न निश्चित नहीं होता व बाजार के आधार पर ही यह रिटर्न देता है।
तो इस प्रकार म्यूचुअल फंड SIP व RD दोनों की अपनी विशेषताएं होती हैं। ऐसे में किसी भी इन्स्ट्रूमेंट में निवेश के लिए अपने फंड मैनेजमेंट को समझना जरूरी होता है। इस प्रकार अपने रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर ही अपने लिए सही टूल का चयन करना चाहिए।
शेयर मार्केट या म्यूचुअल फंड में से किसमें इनवेस्ट करना है बेहतर? जानिए
शेयर बाजार में निवेश करते वक्त, समय पर ध्यान देना जरूरी है। सामान्य नियम यही है कि ‘दाम घटने पर खरीदें और दाम बढ़ने पर बेच दें’।
आदिल शेट्टी, सीईओ, बैंक बाजार
अगर अपने इनवेस्टमेंट पर ज्यादा रिटर्न्स लेने हैं तो उसके लिए ज्यादा रिस्क भी लेना पड़ेगा। रिटर्न और रिस्क में संतुलन बनाए रखना बहुत मुश्किल काम है। इसके चक्कर में कई लोग कम जाने माने निवेश उत्पादों में इनवेंस्ट करने से रह जाते हैं। ज्यादातर लोग मुख्य रूप से दो तरीके से शेयर मार्केट में इनवेस्ट करते हैं, एक तो सीधे शेयर में निवेश करके और दूसरा इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम के माध्यम से निवेश करके।