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खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है?

खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है?
परिचालन लागत का अर्थ, प्रयोग, वर्गीकरण एंव परिचालन लागत इकाईयों को बताइये।

खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है?

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लेखांकन के कार्य – Function Of Accounting In Hindi

लेखांकन के कार्य – Function Of Accounting

लेखांकन के 6 महत्वपूर्ण कार्य हैं। जो कि नीचे इस प्रकार से दिए गए हैं –
1.लेखा कार्य
2.व्याख्या कार्य
3.संप्रेषण कार्य
4.वैधानिक कार्य
5.व्यवसाय की संपत्तियों को सुरक्षा प्रदान करना
6.निर्णय लेना

1.लेखा वर्क – लेखांकन का यह आधारभूत कार्य होता है। इस कार्य के अंतर्गत व्यवसाय के प्रारंभिक बहियों (Book) में तिथिवार, क्रमबद्ध तरीके से,उनको सही खाते में वर्गीकरण करना,एवं उनसे खाते तैयार करना शामिल होता है। इसमें तलपट का कार्य भी सम्मिलित होता है जिसके आधार पर अंतिम खाता बनाया जाता है ।अंतिम खाता के अंतर्गत व्यापार खाता (Trading Account) ,लाभ- हानि खाता (Profit & Loss A/C) तथा आर्थिक चिट्ठा (Balance Sheet) तैयार किया जाता है।

2. व्याख्या वर्क – इसके अंतर्गत लेखाकर्म का मुख्य काम सूचनाओं में हित रखने वाले पक्षों ke लिए वित्तीय विवरण (Financial Statement) व रिपोर्ट का व्याख्या तथा विश्लेषण करना होता है।

3. संप्रेषण वर्क –जिस प्रकार से भाषा के माध्यम से हम दूसरे व्यक्तियों से बातचीत कर लेते हैं । ठीक वैसे ही लेखांकन व्यवसाय की वित्तीय स्थिति व अन्य सूचनाओं को जानने एवं उन सभी पक्षकारों को प्रदान करता है जो आवश्यक है।

लेखांकन के अन्य कार्य

4. वैधानिक वर्क – वैधानिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना लेखांकन का अहम् कार्य होता है। कई तरह के कानूनों विधान जैसे की- बिक्री कर अधिनियम, खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? आयकर अधिनियम, कंपनी अधिनियम आदि द्वारा कई तरह के विवरणों को जमा करने पर बल दिया जाता है। उदाहरण में – आयकर रिटर्न, बिक्री कर रिटर्न, अंतिम खाते आदि।यह कार्य तभी पूरा हो सकता है जब लेखांकन ठीक से रखा जाए।

5. व्यवसाय की संपत्तियों को सुरक्षा देना – व्यवसाय की संपत्तियों को सुरक्षा देना यह लेखांकन का महत्वपूर्ण कार्य होता है। यह कार्य तभी सफल हो सकता है जब सभी संपत्तियों का उचित लेखा – जोखा रखा गया हो।

6. निर्णय लेना – लेखांकन करने से किसी भी व्यवसाय में एक महत्वपूर्ण आंकड़ा उपलब्ध होता है । जिससे कि निर्णय लेने में सुविधा होती है। यह लेखांकन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है।

Check कितने प्रकार के होते हैं

यदि City A का चेक City A में ही clear हो तो इसे स्थानीय चेक कहते हैं. जैसे आपको यदि मैंने आपके नाम पर चेक दिया, तो आपको उस चेक को लेकर शहर के ही सम्बंधित ब्रांच में जाना पड़ेगा, आप शहर से बाहर ले कर उसे clear करवाओगे तो आपको अलग से पैसे लगेंगे (fixed banking charges).

आउटस्टेशन चेक

यदि स्थानीय चेक को शहर से बाहर ले जाकर clear कराया जाए तो वह चेक आउटस्टेशन चेक कहलायेगा जिसके लिए बैंक फिक्स्ड चार्जेज लेती है.

एट पार चेक

चेकों का वर्गीकरण: मूल्य के आधार पर

१. साधारण मूल्य वाले चेक -Normal Value Cheques

1 लाख से कम मूल्य वाले चेक नॉर्मल वैल्यू चेक कहलाते हैं.

२. ऊँचे मूल्य वाले चेक -High Value Cheques

1 लाख से ऊपर वाले चेक हाई वैल्यू चेक कहलाते हैं.

३. उपहार चेक – Gift Cheques

अपने प्रिय जनों को उपहारस्वरूप दिए जाने वाले चेक गिफ्ट चेक कहलाते हैं. उपहार चेकों की राशि 100 रु. से लेकर 10,000 रु. तक हो सकती है.

यह ऐसा चेक है जो पूरे देश में सबंधित बैंक के सभी ब्रांचों में स्वीकार्य है. और ख़ास बात यह है कि बाहर के ब्रांचों में इसे clear करने के दौरान अतिरिक्त प्रभार नहीं लगता (no additional charges).

चेक मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं –

1. खुला चेक

खुला चेक वह चेक होता है जिसे बैंक में प्रस्तुत कर काउंटर पर ही नकद प्राप्त किया जा सकता है. Clarence के लिए आपको इंतज़ार करने की जरुरत नहीं है. गीव एंड टेक…..ओपन चेक को धारण करने वाला व्यक्ति काउंटर में जा कर, चेक दिखाकर….पैसे ले सकता है और या तो अपने अकाउंट में पैसे को ट्रान्सफर कर सकता है या चेक के पीछे हस्ताक्षर कर के किसी अन्य व्यक्ति को प्राधिकृत (authorize) कर सकता है.

2. बेयरर चेक

बेयरर चेक वह चेक है जो खाताधारी (account holder) का कोई भी प्रतिनिधि बैंक में जाकर भुना सकता है. प्रतिनिधि को चेक देते समय चेक के पीछे हस्ताक्षर करने की आवश्यकता नहीं होती एवं मात्र चेक दे देने से निकासी हो जाती है. ये चेक risky भी हो सकते हैं क्योंकि अगर यह चेक अगर भुला गया तो कोई भी बैंक जा कर इसे भुना सकता है.

क्रॉस्ड चेक किसी विशेष व्यक्ति या संस्था के नाम से लिखा जाता है और ऊपर बायीं ओर दो समानांतर लाइनें खींच दी जाती हैं जिनके बीच “& CO.” or “Account Payee” or “Not Negotiable” लिखा या नहीं भी लिखा जा सकता है. इस चेक से नकद निकासी नहीं होती और सम्बंधित राशि केवल नामित व्यक्ति/संस्था के खाते में हो सकती है.

इस चेक में “bearer” शब्द को काट दिया जाता है और उसके स्थान पर “order” लिख दिया जाता है. इसमें खुले चेक की तरह चेक से अपने अकाउंट में पैसे को ट्रान्सफर कर सकता है या चेक के पीछे हस्ताक्षर कर के किसी अन्य व्यक्ति को प्राधिकृत (authorize) कर सकता है.

चेक का वर्गीकरण: गारंटी भुगतान के आधार पर

1. सेल्फ चेक – Self Cheque

सेल्फ चेक वह होता है जिसे खाताधारी बैंक में प्रत्यक्ष भुगतान के लिए स्वयं प्रस्तुत करता है. इसमें भुगतान पाने वाले के नाम की जगह पर “Self” लिखा जाता है.

2. आगे की तारीख वाला चेक – Post-dated Cheque (PDC)

आगे की तिथि में भुगतान वाला चेक एक ऐसा क्रॉस किया हुआ बेयरर चेक होता जिसमें आगे की तिथि अंकित की जाती है. इसका अर्थ यह हुआ है कि इस चेक का भुगतान अंकित तिथि या उसके बाद हो सकता है.

3. पीछे की तारीख वाला चेक – Ante-dated Cheque (ADC)

इस चेक में बैंक में प्रस्तुत करने के पहले की तिथि होती है. यह चेक अंतिम तिथि से तीन महिना के पूरा होने के तक भुनाया जा सकता है.

4. काल बाधित चेक – Stale Cheque

हर चेक को उसमें अंकित तिथि के तीन महीने के अन्दर-अन्दर भुनाने का नियम है. यदि यह तिथि पार हो जाती है काल बाधित चेक कहलाता है जो बैंक के द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है.

कैसी लगी आपको इस पोस्ट में हम आपको Check कितने प्रकार के होते हैं के बारे में जानकारी देंगे ! ,अगर आपको इसकी पीडीऍफ़ चाहिये की यह पोस्ट हमें कमेन्ट के माध्यम से अवश्य बताये और आपको किस विषय की नोट्स चाहिए या किसी अन्य प्रकार की दिक्कत जिससे आपकी तैयारी पूर्ण न हो पा रही हो हमे बताये हम जल्द से जल्द वो आपके लिए लेकर आयेगे|

लेखांकन के प्रकार या शाखाएँ (Types or Branches of Accounting)

लेखांकन के प्रकार या शाखाएँ

लेखांकन की मुख्य शाखाएँ निम्नलिखित हैं :

(1) वित्तीय लेखांकन (Financial Accounting),

(2) लागत लेखांकन (Cost Accounting),

(3) प्रबन्ध लेखांकन (Management Accounting)

(1) वित्तीय लेखांकन (Financial Accounting) – वित्तीय लेखांकन वह लेखांकन है जिसके अन्तर्गत वित्तीय प्रकृति वाले सौदों को लेखाबद्ध किया जाता है। इन्हें सामान्य लेखाकर्म भी कहते हैं और इन लेखों के आधार पर लाभ-हानि या आय विवरण तथा चिट्ठा (तुलन-पत्र) तैयार किया जाता है।

इस प्रकार वित्तीय लेखांकन के निम्नलिखित मुख्य कार्य हैं :

(i) व्यवसाय या संस्था से सम्बन्धित लेन-देनों को उपयुक्त बही में लिखना

(ii) आवश्यक खाते, लाभ-हानि खाता तथा चिट्ठा तैयार करना

(iii) एक निश्चित अवधि के व्यावसायिक परिणामों से व्यवसाय के स्वामी या सम्बन्धित पक्षकारों को अवगत कराना।

(2) लागत लेखांकन (Cost Accounting) – लागत लेखांकन वित्तीय लेखा पद्धति की सहायक (Subsidiary) है। लागत लेखांकन किसी वस्तु या सेवा की लागत का व्यवस्थित व वैज्ञानिक विधि से लेखा करने की प्रणाली है। इसके द्वारा वस्तु या सेवा की कुल लागत तथा प्रति इकाई लागत का सही अनुमान लगाया जा सकता है। इसके द्वारा लागत पर नियन्त्रण भी किया जाता है। लागत लेखांकन के अन्तर्गत प्रत्येक कार्य या आदेश, ठेका, विधि, सेवा या इकाई की लागत का निर्धारण सम्मिलित रहता है। यह उत्पादन, विक्रय एवं वितरण की लागत भी बताता है।

(3) प्रबन्ध लेखांकन (Management Accounting) – यह लेखांकन की आधुनिक कड़ी है। जब कोई लेखाविधि प्रबन्ध खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? की आवश्यकताओं के लिए आवश्यक सूचनाएँ प्रदान करती है, तब इसे प्रबन्थकीय लेखाविधि कहा जाता है।

रॉबर्ट एन्थोनी के अनुसार, “प्रबन्ध लेखांकन का सम्बन्ध उन लेखांकन सूचनाओं से है जो प्रबन्ध के लिए उपयोगी हैं।”

प्रबन्ध की आवश्यकताएँ मुख्यत: नियोजन (Planning), संगठन ( Organization) तथा नियन्त्रण (Control) से सम्बन्धित होती हैं। अतः प्रबन्धकीय लेखांकन के अन्तर्गत वित्तीय विवरणों का विश्लेषण (Analysis of Financial Statement), अनुपात विश्लेषण (Ratio Analysis), बजटरी नियन्त्रण (Budgetary Control), प्रमाप लागत (Standard Costing), सीमान्त लागत (Marginal Costing), सम-विच्छेद बिन्दु विश्लेषण (Break-Even Point Analysis), रोकड़ प्रवाह विवरण (Cash Flow Statement), कोष प्रवाह विवरण (Fund Flow Statement), संवहन एवं रिपोर्टिंग सम्मिलित हैं।

Previous Chapters :

  • लेखांकन के कार्य (Functions of Accounting)
  • क्या लेखांकन विज्ञान है अथवा कला (Is Accounting a Science or an Art ?)

लेखांकन की अन्य शाखाएँ (Other Branches of Accounting)

कर लेखांकन (Tax Accounting) – भारत और अन्य देशों में सरकारी काम-काज के लिए कई प्रकार के कर लगाये जाते हैं, जैसे-आयकर, सम्पदा कर, बिक्री कर, उपहार कर, मृत्यु कर, आदि। कर व्यवस्थाओं के लिए विशेष प्रकार की लेखांकन पद्धति अपनायी जाती है। कर व्यवस्थाओं के अनुसार रखे जाने वाले लेखांकन को कर लेखांकन कहा जाता है।

सरकारी/राजकीय लेखांकन (Government Accounting) – केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार एवं स्थानीय सत्ताएँ (जैसे-नगर निगम, नगरपालिका, जिला बोर्ड, आदि) जो लेखांकन पद्धति अपनाती हैं, उसे सरकारी लेखांकन कहा जाता है। सरकार का उद्देश्य प्रशासन करना और विभिन्न विभागों के कार्यों को अच्छी प्रकार चलाना होता है। सरकार अपने आय-व्यय के लिए बजट बनाती है। सरकारी लेखों में लेन-देनों का वर्गीकरण प्रशासनिक क्रियाओं और लेन-देनों की प्रकृति के वर्गीकरण के आधार पर किया जाता है।

वस्तुत: सरकार के कुछ विभागों में लेखांकन के लिए रोकड़ प्रणाली (Cash System) अपनायी जाती है और जिन विभागों का कार्य व्यावसायिक प्रकृति का होता है, उनमें सामान्य सरकारी खातों के अतिरिक्त ये खाते विवरण के आधार पर तैयार किये जाते हैं जिनमें वास्तविक भुगतान दर्शाये जाते हैं और उपार्जन आधार (Accural Basis) पर बाद में समायोजन किये जाते हैं।

सामाजिक लेखांकन (Socini Accounting) – किसी राष्ट्र की आर्थिक क्रियाओं को उचित ढंग से क्रमबद्ध करना ही सामाजिक लेखांकन कहलाता है। ये क्रियाएँ विभिन्न कार्य सम्बन्धी वर्गों में बाँटी जाती हैं। लेखांकन की यह विधि किसी राष्ट्र में निर्धारित अवधि में हुए सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों को वृहत् रूप में प्रकट करती है, इसे राष्ट्रीय लेखांकन भी कहा जाता है।

मानव संसाधन लेखांकन (Human Resource Accounting i.e., HRA) – लेखांकन जगत में मानव शक्ति के मूल्यांकन एवं लेखों में दर्ज कर वित्तीय परिणामों को प्रदर्शित करने की एक नयी प्रणाली विकसित होने लगी है जिसे मानव संसाधन लेखांकन कहा जाता है। अमेरिकन अकाउंटिंग एसोसिएशन की मानव संसाधन लेखांकन समिति के अनुसार, “मानव संसाधन लेखांकन मानव साधनों को पहचानने, इनका आँकड़ों में मापन करने और इस सूचना को सम्बवन्धित पक्षों तक संवहित करने की प्रक्रिया है।”

परिचालन लागत का अर्थ, प्रयोग, वर्गीकरण एंव परिचालन लागत इकाईयों को बताइये।

परिचालन लागत का अर्थ, प्रयोग, वर्गीकरण एंव परिचालन लागत इकाईयों को बताइये।

परिचालन लागत का अर्थ, प्रयोग, वर्गीकरण एंव परिचालन लागत इकाईयों को बताइये।

परिचालन लागत का अर्थ बताइयें। परिचालन लागत की लागतों की गणना पद्धति लागतों का वर्गीकरण कीजिए। विभिन्न परिचालन लागत इकाईयों को बताइये।

परिचालन लागत का अर्थ (Meaning of operating Costs) – परिचालन लागत लेखांकन वह लेखांकन है जिसके अन्तर्गत वस्तुओं की लागत ज्ञात नहीं की जाकर सेवाओं की लागत ज्ञात की जाती है। यही कारण है कि इस लेखांकन विधि का प्रयोग वैसे व्यवसायों में किया जाता है जहाँ वस्तुओं का उत्पादन नहीं किया जाता है बल्कि सेवाएं प्रदान की जाती हैं। अतः इसे सेवा-लागत लेखांकन विधि भी कहते हैं।

परिचालन लागत लेखांकन का प्रयोग (Application of Operating Costs ) – परिचालन लागत लेखांकन विधि का प्रयोग निम्नलिखित संस्थाओं द्वारा किया जाता है-

  1. यातायात सेवा, जैसे- रेलवे, बस, हवाई जहाज सेवा इत्यादि ।
  2. सप्लाई सेवा, जैसे- गैस, विद्युत, पानी सप्लाई इत्यादि।
  3. कल्याणकारी सेवाएँ, जैसे-अस्पताल, कैण्टीन, लाइब्रेरी इत्यादि ।
  4. नगर सेवाएँ, जैसे- सड़क निर्माण, प्रकाश की व्यवस्था करना इत्यादि ।

परिचालन लागतों की गणना (Computation of Operating Costs)- परिचालन लागत की गणना करने के पूर्व यह जानकारी प्राप्त कर लेनी आवश्यक होती है कि व्यवसाय केवल सेवा ही प्रदान करता है या वह सेवा से सम्बन्धित वस्तु का निर्माण भी करता है। उदाहरणतः होटल/ कैण्टीन केवल भोजन परोसता है या भोजन भी बनाता है। इसी प्रकार एक बिजली (विद्युत) कम्पनी केवल बिजली का वितरण ही करती है या विद्युत का उत्पादन भी करती है। यदि वह निर्माण का भी कार्य करती है तो निर्मित वस्तु की लागत की गणना करने के लिए विधि लागत लेखांकन पद्धति, या अन्य लागत लेखांकन पद्धति का भी प्रयोग करना होगा। परिचालन लागत लेखांकन पद्धति तो केवल प्रदान की की गयी सेवा की ही लागत की गणना की जाती है जो कि सामयिक (Periodical) होती है, जैसे-पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक इत्यादि।

लागतों का वर्गीकरण (Classification of Costs)

परिचालन लागतों को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जा सकता है-

1. स्थायी व्यय (Fixed or Standing Charges)- प्रदान की जाने वाली सेवा की मात्रा से प्रभावित नहीं होते। स्थायी व्यय वे व्यय होते हैं जो ये अवधि से सम्बन्धित होते हैं: सेवा की मात्रा से नहीं। एक यातायात कम्पनी के सम्बन्ध में ट्रक या बस के ड्राइवर का वेतन, निरीक्षकों का वेतन, ह्रास, बीमा, सड़क का टैक्स, लाइसेंस फीस तथा पूँजी पर ब्याज इत्यादि। हॉस्पिटल के सम्बन्ध में भवन का ह्रास, बीमा आदि स्थायी व्यय की श्रेणी में आते हैं।

2. अनुरक्षण व्यय (Maintenance Charges)- ये वे व्यय हैं जो सेवाओं को बनाये रखने के लिए किये जाते हैं और जो अर्द्धपरिवर्तनशील (Semi-Variable) प्रकृति के होते है। यातायात कम्पनी के सम्बन्ध में गाड़ियों की मरम्मत एवं अनुरक्षण व्यय, टायर-ट्यूब पर व्यय डेटिंग-पेंटिंग पर व्यय, गैरेज का किराया आदि तथा हॉस्पिटल में दवाओं आदि के स्टॉक पर होने वाले व्यय अनुरक्षण व्ययों के उदाहरण हैं।

3. संचालन व्यय (Running Expenses) – संचालन व्यय वैसे व्ययों को कहते हैं जो यातायात मीलो (दूरी) के अनुपात में परिवर्तित होते रहते हैं। इसके अन्तर्गत यातायात सेवा के सम्बन्ध में पेट्रोल, तेल, ग्रीस आदि तथा हॉस्पिटल के सम्बन्ध में दवाइयों, दूध, भोजन, फल आदि पर व्यय संचालन लागत के उदाहरण हैं।

परिचालन लागत इकाई (Operating Cost Unit)

(i) यातायात (a) सवारी गाड़ी रेल, मोटर

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