कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 35 पैसे बढ़कर 81.58 पर पहुंचा
जनादेश/मुंबई: अमेरिकी मुद्रा में कमजोरी के चलते रुपया बृहस्पतिवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 35 पैसे बढ़कर 81.58 पर पहुंच गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 81.60 पर खुला और बढ़त के साथ 81.58 पर पहुंच गया। इस तरह रुपये ने पिछले बंद भाव के मुकाबले 35 पैसे की बढ़त दर्ज की। शुरुआती सौदों में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 81.75 के स्तर पर पहुंच गया था।
रुपया बुधवार को 40 पैसे की बड़ी गिरावट के साथ अपने अबतक के सबसे निचले स्तर 81.93 प्रति डॉलर कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल पर बंद हुआ था। कारोबार के दौरान यह 82.02 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक भी गया था। इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.61 प्रतिशत चढ़कर 113.28 पर आ गया।
वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 0.46 प्रतिशत गिरकर 88.91 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था। शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को शुद्ध रूप से 2,772.49 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
ब्रेकिंग : दिन भर की टॉप हेडलाइंस। आज की बड़ी खबरें | 18 अप्रैल 2022
Breaking: Top headlines of India today. Today’s big news 18 April 2022
लखीमपुर खीरी हत्याकांड : सर्वोच्च न्यायलय ने आशीष मिश्रा की जमानत रद्द की
सर्वोच्च न्यायालय ने आज लखीमपुर खीरी हिंसा कांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द कर दी और उन्हें एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।
सर्वोच्च न्यायलय के निर्णय के बाद कांग्रेस ने कहा, ‘पीएम आखिर टेनी को कब बर्खास्त करेंगे?
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लखीमपुर खीरी हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने और उन्हें एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने के निर्देश देने के बाद कांग्रेस ने केंद्र पर हमला तेज कर दिया है और पूछा है कि क्या अब गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त किया जाएगा?
देश को बांटने की राजनीति कर रहा है विपक्ष, भाजपा अध्यक्ष ने लिखा खुला पत्र
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने देशवासियों के नाम खुला पत्र लिखकर मोदी सरकार की 8 वर्षों की उपलब्धियों को सामने रखते हुए वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया और विरोधी दलों पर तीखा निशाना साधा।
विरोधी दलों द्वारा लिखे गए संयुक्त अपील वाले पत्र को लेकर नड्डा ने कांग्रेस, कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल लेफ्ट और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले आठ वर्षों में भारत का हर क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ है। कोविड के खिलाफ भारत की लड़ाई को दुनिया ने सराहा है। आज दुनिया भर की नजरें भारत पर लगी हुई है।
एकतरफा जांच के आरोपों पर दिल्ली पुलिस आयुक्त ने कहा, ‘किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा‘
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जहांगीरपुरी सांप्रदायिक हिंसा की जांच एकतरफा होने और केवल एक विशेष समुदाय के सदस्यों को निशाना बनाए जाने के सभी आरोपों का खंडन करते हुए दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने कहा है कि पुलिस किसी के साथ भेदभाव नहीं कर रही है।
यूपीएससी नए चेयरमैन की नियुक्ति को लेकर राहुल गांधी ने कसा तंज, यूपीएससी को ‘यूनियन प्रचारक संघ कमीशन‘ कहा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यूपीएससी के अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा, ‘यूनियन प्रचारक संघ कमीशन। भारत के संविधान को ध्वस्त किया जा रहा है, एक समय में एक संस्था।’
पूर्व सेना प्रमुख ने भगवंत मान की ब्रिटिश सांसद ढेसी से मुलाकात पर उठाए सवाल
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि पूर्व सेना प्रमुख जनरल जे.जे. सिंह ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और ‘आप’ के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा से ब्रिटिश लेबर पार्टी के सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी के साथ बैठक पर स्पष्टीकरण मांगा है, जिनका कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोधी रुख है।
दिल्ली में ऑटो-टैक्सी हड़ताल शुरू
दिल्ली-एनसीआर में सीएनजी की कीमतें कम करने, किराए में बढ़ोतरी समेत अन्य मांगों को लेकर ऑटो, टैक्सी और मिनी बस चालकों के कई संगठनों ने आज हड़ताल का आह्वान किया है।
कर्नाटक मछली कारखाने में हुआ गैस रिसाव, 3 मजदूरों की मौत
प्राप्त जानकारी के अनुसार कर्नाटक के कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल मेंगलुरु में एक मछली कारखाने में जहरीली गैस के रिसाव के बाद पश्चिम बंगाल के तीन मजदूरों की मौत हो गई और आठ से अधिक की हालत गंभीर बताई जा रही है।
दिल्ली : स्कूल आने के लिए कोरोना टेस्ट जरूरी नहीं !
चार दिन की छुट्टियों के बाद दिल्ली के स्कूल सोमवार को खुले। हालांकि दिल्ली के वह दो स्कूल, जिनमें कोरोना पॉजिटिव मामले पाए गए थे, सोमवार को भी बंद रहे। स्कूलों का कहना है कि सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया के कारण स्कूल को बंद रखा गया है। स्कूल ने बाकायदा सभी छात्रों के अभिभावकों को संदेश भेजकर कहा कि अपने बच्चों को सोमवार को स्कूल न भेजें। हालांकि दिल्ली सरकार का कहना है कि स्कूल के जिस हिस्से या विंग में कोरोनावायरस के मामले पाए जाएं उसे ही बंद किया जाए।
ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति ने समुद्र में हाइड्रोकार्बन रिसाव को नियंत्रित करने के दिए आदेश
ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति कैस सैयद ने नौसेना को संभावित आपदाओं को रोकने के लिए एक डूबे हुए ईंधन जहाज के कारण पड़ने वाले पर्यावरणीय प्रभाव को नियंत्रित करने का निर्देश दिया है।
गोलीबारी की घटनाओं से अमेरिकी नागरिक हुए भयभीत
24 घंटों के दौरान अमेरिका में गोलीबारी की कई घटनाएं हुईं, जिसमें तमाम हताहत हुए हैं। अमेरिकी जनता भय के माहौल में है।
17 अप्रैल की सुबह अमेरिकी पेनसिल्वेनिया स्टेट के पिट्सबर्ग शहर की पुलिस को गोलीबारी घटना की रिपोर्ट मिली। जैसे ही पुलिस कर्मी घटनास्थल पर पहुंचे, उन्होंने गोलियों की आवाज़ सुनी और देखा कि कुछ युवक भाग रहे हैं। इस घटना में कुल 11 लोग हताहत हुए हैं, उनमें दो नाबालिग गंभीर रूप से घायल हुए, बाद में उनकी मौत हो गयी।
इस साल अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण पूरा करेगा चीन
चीनी राज्य परिषद के प्रेस दफ्तर से मिली जानकारी के मुताबिक 2022 में चीन अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण को पूरा करेगा। चीनी मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम कार्यालय के प्रमुख हाओ छ्वन के अनुसार चीनी अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण कुंजीभूत तकनीक परीक्षण और निर्माण दो चरणों में किया जाएगा।
खबरों में : चेन्नई सुपर किंग्स, वस्तु एवं सेवा कर, भारतीय जीवन बीमा निगम, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, इंडियन प्रीमियर लीग, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, मेटा, भारत, भारतीय स्टेट बैंक, मुद्रास्फीति.
गांवों का भी हो समुचित विकास !
शहरों के विकास से ही देश के विकास वाली सोच के कारण शहरीकरण तेजी से बढ़ा है। रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में लोग शहरों की तरफ निरंतर पलायन करते जा रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में आबादी का दबाव इतना अधिक हो गया है कि वहां पैर रखने को भी जगह नहीं मिल रही है। लोग गंदे नालों के किनारे झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं। इसके विपरीत, देखें तो गांवों के विकास के बिना समग्र भारत का विकास संभव ही नहीं है। महात्मा गांधी हमेशा कहा करते थे कि भारत के वास्तविक विकास का तात्पर्य शहरी औद्योगिक केंद्रों का विकास नहीं बल्कि मुख्य रूप से गांवों का विकास ही है। हमारे देश की जनसंख्या का एक बडा हिस्सा आज भी ग्रामीण क्षेत्र में निवास करता है। देश की इस विशाल जनसंख्या को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाये बिना देश का समग्र विकास अधूरा है। इस लिए ग्रामीण विकास ही राष्ट्रीय विकास का केंद्र बिंदु है।
सभी का ध्यान शहरों के इर्द-गिर्द ही उद्योग धंधे, कल-कारखाने स्थापित करने की तरफ रहता है। कल कारखानों से निकलने वाला धुंआ, गटर का गंदा पानी, वाहनों से होने वाले प्रदूषण की मार से देश के प्राय: सभी शहर कराह रहें हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों ने बढ़ते प्रदूषण पर लगातार चेतावनी जारी की है। फिर भी वास्तविकता को कोई समझना ही नहीं चाहता है। शहरों के विपरीत गांव में आज भी स्वच्छ पर्यावरण, हरा भरा वातावरण देखा जा सकता है। वैसे, आज भी देश के आधे से अधिक गांव में अभी तक मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हो पाई हैं। इन्हीं सुविधाओं के अभाव में लोग शहरों की तरफ जाने को मजबूर होते हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि शहरों की तर्ज पर ही गांव का भी विकास करवाएं।
यदि गांवों में छोटे कल कारखाने, उद्योग धंधे व ग्रामीण कुटीर उद्योग को सरकार की तरफ से बढ़ावा मिले तो गांवों का भी शहरों की तरह कायाकल्प हो सकता है। गांव में रोजगार के साधन बढ़ने से लोगों का पलायन रुकेगा। स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलने से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की आय बढ़ेगी। इससे गांव में समृद्धि आएगी। देश के अधिकांश गांवों में पर्याप्त श्रम शक्ति उपलब्ध है। यदि उनको स्थानीय स्तर पर ही नियमित रोजगार मिल सके तो वो बेहतर परिणाम दे सकते हैं। शहरों में गंदे नालों के किनारे कच्चे झोपड़ियां बनाकर रहने वाले श्रमिकों को यदि गांव के स्वच्छ वातावरण में रहकर काम के अवसर मिलें, तो वे अधिक मेहनत व लगन से काम करेंगे। शहरों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग धंधों की स्थापना के लिए जमीन भी कई गुना कम कीमत पर मिल सकेगी। साथ ही स्थानीय स्तर पर श्रमिकों की उपलब्धता होने के चलते उद्योग धंधों के उत्पादन का लागत मूल्य भी कम रहेगा। सरकार को जब किसी उद्योगपति को कल कारखाना लगवाना होता है, तो उसको सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जमीनों का अधिग्रहण कर जमीन उपलब्ध करवाती है।
सरकार अपनी नीति में थोड़ा परिवर्तन कर उद्योग धंधे लगाने वाली जगह पर रहने वाले किसानों को उस उद्योग धंधे में उनकी योग्यता अनुसार नियोजित करें। उनसे ली जाने वाली जमीन के बदले आसपास उतनी ही जमीन उपलब्ध करवाए। इससे गांव की आबादी भी नहीं उजड़ेगी और उद्योग धंधों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी नहीं होंगे। पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में सरकार ने जबरदस्ती किसानों की जमीन का अधिग्रहण कर टाटा समूह को दी थी। किसानों ने सरकार व उद्योग समूह के खिलाफ इतना बड़ा आंदोलन चलाया कि अंततः टाटा समूह को अपना उद्योग वहां से अन्यत्र स्थानांतरित करना पड़ा। उसके चलते ही बंगाल की कम्युनिस्ट सरकार को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था।
इस बात से कोई इनकार नहीं करता है कि देश के विकास के लिए उद्योग धंधों का होना भी बहुत जरूरी है। फिर भी ग्रामीणों को रौंदकर उद्योग धंधे लगवाना तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता है। प्रधानमंत्री रहे नेता चौधरी चरण सिंह कहते थे कि देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों एवं खलिहानों से होकर गुजरता है। कोई भी राष्ट्र तब तक समृद्धि नहीं हो सकता, जब तक वहां का अंतिम सिरे पर बैठा व्यक्ति खुशहाल ना हो जाए। ग्रामीण क्षेत्र का व्यक्ति जब किसी बड़े पद पर पहुंचता है, तो वह भी अपने गांव को भूल जाता है। उसके पास भी गांव के विकास कार्यों की सुध लेने का समय नहीं रहता है। हमें इस प्रवृत्ति को बदलना होगा,तभी गांव का समुचित विकास हो पाएगा, तभी देश समृद्ध बन पाएगा।
लॉकडाउन के दौरान हमने देखा था कि वर्षों से शहरों में रह रहे लोगों ने भी अपनी जान बचाने के लिए अंततः अपने गांव में आकर ही शरण ली थी। शहर छोड़कर आने वाले लोगों में से बहुत से लोग तो गांव में ही रहकर अपना छोटा मोटा कार्य करने लगे हैं। यदि ऐसे लोगों को सरकारी स्तर पर सुविधाएं, संसाधन व सहायता मिले तो ऐसे बहुत से और लोग फिर से गांव की ओर लौट आएंगे। सरकार को स्मार्ट सिटी की तरह स्मार्ट गांव की भी योजना बना कर उस पर काम शुरू करवाना चाहिए। यदि ऐसा होगा तो आने वाले समय में उसके बहुत अच्छे नतीजे देखने को मिल सकेंगे।
छोटे किसानों का बड़ा फायदा- बाजार में आएगा बैटरी से चलने वाला ट्रैक्टर, लागत होगी सिर्फ 1 लाख रुपये
अगर आप सोचते हैं कि ट्रैक्टर बहुत महंगा आता है और इसे खरीदना आम किसान के बस में नहीं है, तो अब इस सोच को बदलने का वक्त आ गया है.
सीएसआईआर का नए ट्रैक्टर से छोटे किसानों को फायदा होगा (फोटो- Pixabay).
अगर आप सोचते हैं कि ट्रैक्टर बहुत महंगा आता है और इसे खरीदना आम किसान के बस में नहीं है, तो अब इस सोच को बदलने का वक्त आ गया है. साइंस और टेक्नालॉजी मिनिस्ट्री के तहत आने वाले काउंसिस ऑफ साइंस एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) छोटे खेतों के लिये कम पॉवर वाले इलेक्ट्रानिक ट्रैक्टर का विकास कर रहा है. ये ट्रैक्टर घरेलू बाजार में सबसे सस्ता होगा और इसकी कीमत एक लाख रुपये से थोड़ा अधिक होगी.
सीएसआईआर पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर कारखाने में इस ट्रैक्टर का टेस्ट करने जा रही है और उसके बाद ट्रैक्टर बाजार में उपलब्ध होगा. सीएसआईआर-सीएमईआरआई के डायरेक्टर हरीश हीरानी ने कहा, ‘‘ट्रैक्टर में लिथियम बैटरी लगी होगी. इसे एक बार पूरी तरह चार्ज करने पर ट्रैक्टर एक घंटा चलेगा.’’
ट्रैक्टर की लागत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसे बनाने पर करीब 1 लाख रुपये की लागत आएगी. इसलिए बाजार में इसकी कीमत 1 लाख रुपये से कुछ अधिक होगी. खेतों में सोलर चार्जिंग स्टेशन से ही इन ट्रैक्टर को चार्ज किया जा सकता है. ऐसे में खेती की लागत में भी कमी आएगी.
हरीश हीरानी ने कहा, ‘‘हम 10 एचपी के बैटरी से चलने वाले छोटे ट्रैक्टर बनाने पर काम कर रहे हैं. हम कम वजन के प्रोडक्ट बनाने पर काम कर रहे हैं जो उन किसानों के लिए फायदेमंद हों, जिनके पास छोटे खेत हैं.’’
सीएसआईआर-सीएमईआरआई इससे पहले स्वराज और सोनालिका जैसे ट्रैक्टर का विकास कर चुकी है. इससे पहले संस्था ने छोटे किसानों के लिए 10 हार्स पावर का ट्रैक्टर - कृषि शक्ति बनाया है, जिसमें डीजल इंजन है. अब इसी तर्ज पर बैटरी से चलने वाले ट्रैक्टर को बाजार में लाने की योजना है.
यूक्रेन में लगे ब्रेक के बाद देश में निर्मित होंगे वंदे भारत के 200 स्लीपर कोच
शेयर बाजार 01 मई 2022 ,13:45
© Reuters. यूक्रेन में लगे ब्रेक के बाद देश में निर्मित होंगे वंदे भारत के 200 स्लीपर कोच
में स्थिति को सफलतापूर्वक जोड़ा गया:
नई दिल्ली, 1 मई (आईएएनएस)। रेलवे के आत्मनिर्भर भारत के तहत तैयार की जा रही वंदे भारत पर यूक्रेन के ब्रेक लगाने की चर्चा के बीच, इस ट्रेन को स्लीपर वर्जन में लाने के लिए 200 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए निविदा आमंत्रित किया गया है जोकि लातूर कारखाने में बनेंगे।दरअसल सिटिंग चेयर के बाद अब भारतीय रेल स्लीपर कोच वाली तेज रफ्तार 200 नई वंदे भारत ट्रेन चलाएगी। जिनका निर्माण लातूर के कारखाने में किया जायेगा। इन ट्रेनों को भारतीय रेलवे प्राइवेट प्लेयर्स की मदद से तैयार कराएगी। इन 200 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों की कुल लागत तकरीबन 26,000 करोड़ रुपए के आसपास रहेगी। स्लीपर कोच वाली वंदे भारत एक्सप्रेस राजधानी ट्रेनों की जगह चलाई जाएंगी। इसी चरण में हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल खजुराहो से वंदे भारत एक्सप्रेस के प्रचालन की घोषणा की। हालांकि वंदे भारत के निर्धारित समय से देर से शुरू होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
भारत ने यूक्रेन में आधारित कंपनी को 36,000 पहियों के लिए 16 मिलियन डॉलर की कीमत पर ऑर्डर दिए थे। यूक्रेन पहियों का दुनिया के सबसे बड़े सप्लायर्स में से एक है। यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद ज्यादातर कर्मचारियों व कंपनियों ने नए उत्पादन को बंद कर दिया है। वंदे भारत में लगने वाले इन पहियों को यूक्रेन के ब्लैक सी पोर्ट से महाराष्ट्र के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट तक लाने की योजना थी, लेकिन अब इसमें देरी होगी। समय पर डिलिवरी नहीं होने से 7,500 करोड़ रुपए का यह प्रोजेक्ट अटक गया है।
इस बीच रेल राज्यमंत्री दर्शनाबेन जरदोश ने कहा कि यूक्रेन से व्हील और एक्सल को जहाज व विमान से मंगाने पर विचार किया जा रहा है।
फिलहाल यूक्रेन से पड़ोसी देश रोमानिया लाकर अब तक तैयार हुए 128 कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल पहियों को वहां से एयर लिफ्ट कराया जायेगा। जिसकी मदद से वंदे भारत का ट्रायल शुरू किया जायेगा। सूत्रों के अनुसार, यूक्रेन में युद्ध के चलते अब भारत ने स्पीड ट्रेनों में लगने वाले पहियों के आर्डर चेक गणराज्य, पोलैंड और अमेरिका को दे दिए हैं। अन्य देशों के साथ आर्डर देने के कदम से खरीद की लागत काफी हद तक बढ़ जाएगी।
हालांकि चैन्नई में स्थित इंटरनल कोच फैक्ट्री के पूर्व जनरल मैनेजर सुधांशु मणि के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से सप्लाई को लगा झटका रेलवे के लिए बड़ी रूकावट नहीं है। पहियों का रैक वैसे भी मई से पहले नहीं आने वाला था। और अब यह जून या जुलाई के करीब ही आएगा। अगर पहले रैक के लिए न्यूनतम 128 पहियों की जरूरत पड़ती है, तो वे ट्रायल शुरू कर सकते हैं और वे यूक्रेन से रोमानिया के जरिए डिलीवरी को तेज करने की कोशिश कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की रेलवे फैक्ट्री में यह व्हील तैयार हो सकते हैं लेकिन क्षमता कम होने के कारण यूक्रेन की एक कंपनी को इस कार्य का ऑर्डर दिया गया था।
गौरतलब है कि रेलवे ने स्लीपर वंदे भारत में तीन क्लास चलाने का फैसला किया है। फस्र्ट एसी, सेकेंड एसी और थर्ड एसी। इसके अलावा स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस में डिब्बों की संख्या भी अलग-अलग होगी। बताया जा रहा है कि भारतीय रेल 16, 20 और 24 डिब्बों वाली स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने की योजना बना रही है। भारतीय रेल ने 200 स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस के लिए टेंडर जारी किया है। टेंडर की आखिरी तारीख 26 जुलाई 2022 निर्धारित की गई है। मौजूदा वंदे भारत एक्सप्रेस के अपग्रेडेशन का काम महाराष्ट्र के लातूर में स्थित मराठवाड़ा रेल कोच फैक्टरी में किया जाएगा या फिर चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्टरी में किया जाएगा।
वहीं स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगी। ये स्लीपर ट्रेन यात्रियों को लेकर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से पटरियों पर दौड़ेगी और टेस्टिंग के दौरान इसकी स्पीड 180 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। रेल मंत्रालय स्लीपर सुविधाओं वाली 200 वंदे भारत ट्रेनों की तीसरी खेप की खरीद की तैयारी शुरू कर दी है। इसके कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल लिए रेलवे ने 24,000 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया है। इससे पहले केंद्रीय बजट 2022-23 में 400 और वंदे भारत ट्रेनों की खरीद की घोषणा की गई थी। बजट प्रावधान के अनुसार, 16 डिब्बों वाली एक वंदे भारत ट्रेन पर 120 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
हालांकि अब तक, रेलवे ने 102 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को केवल बैठने की व्यवस्था के साथ चुना है। जबकि रेलवे पहले ही इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में 44 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण के लिए मेधा को ठेका दे चुका है, ऐसी 58 और ट्रेनों की खरीद के लिए बोली प्रक्रिया अभी जारी है।
संस्करण -3 के रूप में कहा जाता है कि वंदे भारत की यह बहुत सारी ट्रेनें हल्की, ऊर्जा-कुशल और अतिरिक्त यात्री सुविधाओं के साथ अधिक आधुनिक सुविधाओं से लैश होंगी। साथ ही वंदे भारत एक्सप्रेस में यात्री परम्परागत रेडियो संगीत का लाभ उठा सकेंगे। वंदे भारत एक्सप्रेस के लिए बोली लगाने वालों को एल्युमीनियम और स्टील दोनों तरह कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल के डिब्बों के विकल्प दिए जाएंगे। आगामी 200 वंदे भारत सेवा में एसी-1, एसी-2 और एसी-3 कक्षाएं होंगी।
लेकिन अगर निर्माता स्टील का विकल्प चुनता है, तो उसे पहले वाले से कम वजन का होना चाहिए क्योंकि नई तकनीक के उपयोग के साथ हल्के वजन वाले बोगी, ट्रांसफार्मर और मोटर आदि के लिए विनिर्देश तैयार किए जा रहे हैं।
संस्करण -3 वंदे भारत रात भर की यात्रा के लिए है और इसके चरणों में राजधानी और दुरंतो सेवाओं को बदलने की संभावना है।
वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में वाणसी से नई दिल्ली के बीच की थी। इसे ट्रेन 18 के नाम से भी जाना जाता है। यह देश की अपनी तरह की पहली और सबसे तेज चलने वाली ट्रेन है। इसका लुक बुलेट ट्रेन से मिलता-जुलता है।