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विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद

विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद
एमईआईएस का उद्देश्य विशेष बाजारों को विशेष वस्तुओं का निर्यात करना है, जबकि एसईआईएस का उद्देश्य अधिसूचित सेवाओं का निर्यात बढ़ाना है. इसके तहत पात्रता और उपयोग के लिए अलग-अलग शर्तें रखी गई हैं.

विदेश व्यापार नीति 2015-2020 जारी की गई

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार की पांच साल (2015 से 2020) की पहली विदेश व्यापार नीति-2015-20 नई दिल्‍ली में 1 अप्रैल 2015 को जारी किया.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार की पांच साल (2015 से 2020) की पहली विदेश व्यापार नीति-2015-20 नई दिल्‍ली में 1 अप्रैल 2015 को जारी किया.

इस पंचवर्षीय विदेश व्यापार नीति में वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात बढ़ाने के साथ-साथ रोजगार सृजन करने और प्रधानमंत्री के 'मेक इन इंडिया' विजन को ध्यान में रखते हुए देश में मूल्य संवर्द्धन को विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद नई गति प्रदान करने की रूपरेखा का जिक्र किया गया है. इस नीति में विनिर्माण एवं सेवा दोनों ही क्षेत्रों को समर्थन देने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है. वहीं, विदेश व्यापार नीति-2015-20 में 'कारोबार करने को और आसान बनाने' पर विशेष जोर दिया गया है.

भारत सरकार

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विदेश व्‍यापार महानिदेशालय (डी जी एफ टी) वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय का एक संबद्ध कार्यालय है तथा विदेश व्‍यापार महानिदेशक इसके अध्‍यक्ष हैं। 1991 में जब इसकी शुरूआत हुई है, जब सरकार की आर्थिक नीतियों में उदारीकरण शुरू हुआ, यह संगठन विनियमन के माध्‍यम से विदेश व्‍यापार को विनियमित करने एवं बढ़ावा देने के काम में मूल रूप से लगा हुआ है। उदारीकरण विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद एवं भूमंडलीकरण तथा निर्यात बढ़ाने के समग्र उद्देश्‍य को ध्‍यान में रखकर तब से विदेश व्‍यापार महानिदेशालय को सूत्रधार की भूमिका सौंपी गई है। देश के हितों को ध्‍यान में रखकर आयात / निर्यात के नियंत्रण / निषेध के स्‍थान पर निर्यात / आयात के संवर्धन एवं सुगमता पर बल दिया गया।

नई दिल्‍ली में अपने मुख्‍यालय के साथ इस निदेशालय के मुखिया विदेश व्‍यापार महानिदेशक हैं। यह भारत के निर्यात को बढ़ावा देने के मुख्‍य उद्देश्‍य के साथ विदेश व्‍यापार नीति के कार्यान्‍वयन के लिए जिम्‍मेदार है। डीजीएफटी निर्यातकों को लाइसेंस भी जारी करता है तथा 36 क्षेत्रीय कार्यालयों तथा इंदौर में एक विस्‍तार काउंटर के नेटवर्क के माध्‍यम से उनकी तदनुरूपी बाध्‍यताओं की निगरानी करता है। क्षेत्रीय कार्यालय निम्‍नलिखित स्‍थानों पर स्थिति हैं :

डेली अपडेट्स

  • 08 Dec 2017
  • 3 min read

संदर्भ

हाल ही में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा विदेश व्यापार नीति (2015-20) की मध्यावधि समीक्षा जारी की गई है। इसके साथ ही वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात तथा देश में रोज़गार की संभावनाओं में वृद्धि के लिये नीतिगत उपाय किये जाने की उम्मीद जताई गई है।

प्रमुख बिंदु

  • विदेश व्यापार नीति सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी के उद्यमों, श्रमोन्मुखी उद्योगों और कृषि क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करेगी।
  • वस्तु निर्यात योजना (MEIS) और सेवा निर्यात योजना (SEIS) का दायरा बढ़ाया जाएगा।
  • श्रम बहुल उद्योगों तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों से निर्यात के लिये MEIS के अंतर्गत प्रोत्साहन दर 2 % बढ़ाई गई।
  • सेवा क्षेत्र में भी निर्यात को बल देने के लिये SEIS के अंतर्गत प्रोत्साहन दर 2% बढ़ाई गई।
  • श्रम बहुल कपड़ा क्षेत्र में तैयार परिधानों तथा मेड-अप्स के लिये एमईआईएस प्रोत्साहनों को दो प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत किया जाएगा।
  • ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप्स की वैधता अवधि 18 माह से बढ़ाकर 24 माह कर दी गई है तथा स्क्रिप्स के हस्तांतरण/बिक्री पर जीएसटी दरें घटाकर शून्य कर दी गई हैं।
  • वाणिज्य विभाग में एक नया लॉजिस्टिक्स प्रभाग बनाया गया है, ताकि लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के एकीकृत विकास में समन्वय स्थापित किया जा सके। इसके लिये नीतिगत बदलाव किये जाएंगे, मौजूदा प्रक्रियाओं को बेहतर किया जाएगा और विभिन्न बाधाओं की पहचान की जाएगी।
  • रेशम के कालीन और जूट से बने सामानों, चमड़ा क्षेत्र, कृषि उत्पादों, इलेक्ट्रॉनिक तथा दूरसंचार उपकरणों, चिकित्सा उपकरणों तथा समुद्री उत्पादों के लिये अतिरिक्त वार्षिक प्रोत्साहन दिया जाएगा।

विदेश व्यापार नीति 2015-2020 जारी की गई

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार की पांच साल (2015 से 2020) की पहली विदेश व्यापार नीति-2015-20 नई दिल्‍ली में 1 विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद अप्रैल 2015 को जारी किया.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार की पांच साल (2015 से 2020) की पहली विदेश व्यापार नीति-2015-20 नई दिल्‍ली में 1 अप्रैल 2015 को जारी किया.

इस पंचवर्षीय विदेश व्यापार नीति में वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात बढ़ाने के साथ-साथ रोजगार सृजन करने और प्रधानमंत्री के 'मेक इन इंडिया' विजन को ध्यान में रखते हुए देश में मूल्य संवर्द्धन को नई गति प्रदान करने की रूपरेखा का जिक्र किया गया है. इस नीति में विनिर्माण एवं सेवा दोनों ही क्षेत्रों को समर्थन देने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है. वहीं, विदेश व्यापार नीति-2015-20 में 'कारोबार करने को और आसान बनाने' पर विशेष जोर दिया गया है.

वर्तमान विदेश व्यापार नीति (FTP) मार्च ’22 तक बढ़ाई गई

विदेश व्यापार नीति के तहत, सरकार शुल्क मुक्त आयात प्राधिकरण (DFIA) और निर्यात संवर्धन पूंजीगत सामान (EPCG) जैसी विभिन्न योजनाओं के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है। विदेश व्यापार नीति (2015-20) को 1 अप्रैल, 2015 को लॉन्च किया गया था। यह भारत में वस्तुओं और सेवाओं के बढ़ते निर्यात, रोजगार सृजन और बढ़ते मूल्यवर्धन की विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद रूपरेखा प्रदान करती है। यह नीति मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया के साथ-साथ ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पहल जैसी योजनाओं के अनुरूप है।

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