सोने में निवेश कैसे करें

हालांकि, पोर्टफोलियो में सोने की हिस्सेदारी को कितनी रखनी है, इसको लेकर कई तरह की राय है. यह जोख़िम उठाने की क्षमता, उम्र, लिक्विडिटी की जरूरत, निवेश की अवधि, इनकम और रिटर्न की उम्मीद जैसे कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है.
डिजिटल गोल्ड निवेश अन्य निवेश से कैसे बेहतर है?
सोना खरीदना आपके पोर्टफ़ोलियो में विविधता लाने का बेहतरीन तरीका है और इससे मैक्रोइकोनॉमिक और भौगोलिक राजनीतिक अनिश्चितता के दौरान आपको फ़ाइनेंशियल कवर भी मिलता है। जानिए कैसे?
अगर आप निवेश में नए हैं, तो आपको पता होना ज़रूरी है कि मौजूदा समय में निवेश के अच्छे विकल्प बेहद कम हैं (जब तक आप जोखिम नहीं लेना चाहते)।
फ़िक्स-इंटरेस्ट निवेश, खास तौर पर फ़िक्स डिपॉजिट से रिटर्न प्राप्त करना बेहद कठिन है।
दूसरी ओर, शेयर और इक्वेटी में इतनी मज़बूती आई है कि उनके जोखिम भरे साधन बने रहने की संभावना है।
रियल एस्टेट लिक्विड नहीं है और इसे लांग टर्म प्लान माना जाता है। इसलिए, इसमें पहले से कुछ भी कहना संभव नहीं है।
लेकिन सोना? इसकी क़ीमत पिछले 10 सालों में 300% बढ़ चुकी हैं। इसके अभाव के कारण, सोने ने सोने में निवेश कैसे करें अनिश्चित बाज़ार में खुद को समय समय पर बड़े कवर के तौर पर साबित किया है।
ये हैं सोने के अन्य निवेश विकल्प
फिजिकल गोल्ड के अलावा सोने में डिजिटल गोल्ड (Digital Gold), गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF), गोल्ड म्यूचुअल फंड्स (Gold Mutual Funds), सॉवरेन गोल्ड बांड्स (Sovereign Gold Bonds) आदि जैसे विभिन्न फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स के माध्यम से भी निवेश किया जा सकता है। इन सब निवेश प्रोडक्ट्स के बीच एक बात यह कॉमन है कि इनकी कीमतें सोने के भाव से लिंक्ड होती है। लेकिन इसके अलावा, इनके बीच लागत, रिटर्न्स, लिक्विडिटी, रिस्क, लॉक-इन पीरियड, खरीदारी के विकल्प और टैक्स के मामले में ढेर सारे डिफरेंसेज हैं।
क्यों खरीदें सोना?
रिटर्न के नजरिये से देखें..तो सोने ने पिछले 40 वर्षों में 9.6 फीसद की दर से सालाना रिटर्न दिया है। रिस्क के नजरिये से देखे, तो सोने ने इक्विटीज की तुलना में निश्चित रूप से कम अस्थिरता दिखाई है। दरअसल, सोने और शेयर बाजारों के बीच एक तरह का उलटा संबंध होता है। जब शेयर बाजारों में गिरावट आती है या बहुत अधिक अनिश्चितता होती है, तो सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिलती है। जब अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट आती है या कोई बड़ी वित्तीय आपदा आ जाए जैसे 1991-92, 2000, 2008/2009 और साल 2020 में आई, तो सोना काफी अच्छा परफॉर्म करता है।
कैसे खरीदा जा सकता है सोना?
सोने को फिजिकल फॉर्मेट और इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में खरीदा जा सकता है। आप कई एप्स के माध्यम से डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं। इसके बाद कई गोल्ड म्यूचुअल फंड्स आते हैं। गोल्ड ईटीएफ की बात करें, तो इसके जरिए आप अपने डीमैट अकाउंट से भी सोना खरीद सकते हैं। इसके बाद आता है सॉवरेन गोल्ड बांड। सॉवरेन गोल्ड बांड कुछ अवधि के लिए ही उपलब्ध रहता है। भारतीय रिजर्व बैंक हर एक से दो महीने में इश्यू लेकर आता है, जिसमें आप सॉवरेन गोल्ड बांड खरीद सकते हैं। इन इश्यू या buying windows की लिस्ट आपको आरबीआई की वेबसाइट पर मिल जाएगी। यह विंडो पांच दिनों के लिए खुली रहती है।
कहां कितना है रिस्क?
फिजिकल गोल्ड सोने में निवेश कैसे करें में चोरी हो जाने, क्वालिटी के साथ छेड़छाड़, मेकिंग प्रोसेस के साथ थोड़ा कम हो जाने सहित कई छोटे-बड़े इश्यूज होते हैं। डिजिटल गोल्ड के साथ बड़ा जोखिम नियामकीय स्तर पर कमी है। यहां कोई सेबी नहीं है, कोई आरबीआई नहीं है या कोई भी अन्य रेगूलेटरी बॉडी नहीं है, जो इन कंपनियों के मामलों को देखे। रेगूलेशन की कमी डिजिटल सोने में निवेश कैसे करें गोल्ड के लिए एक बड़ा माइनस पॉइंट है। गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेट फंड्स या गोल्ड ईटीएफ ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स हैं, जो फिजिकल गोल्ड द्वारा समर्थित हैं। ईटीएफ सीधे रूप से सोने या सोने के खनन और रिफाइनिंग कंपनियों में निवेश करता है। गोल्ड ईटीएफ के लिए यह एक बड़ा प्लस पॉइंट है, क्योंकि यह फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट वास्तविक सोने से समर्थित है। वहीं, एक गोल्ड म्यूचुअल फंड सीधे रूप से ईटीएफ का विस्तार है.. क्योंकि अधिकांश गोल्ड म्यूचुअल फंड्स कई सारे गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं। गोल्ड इटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स के बारे में एक अच्छा पॉइंट यह है कि ये दोनों प्रोडक्ट्स सेबी की निगरानी के साथ आते हैं। इसके अलावा सॉवरेन गोल्ड बांड के साथ रिस्क बहुत ही कम है। यहां जोखिम तब है, जब भारत सरकार सॉवरेन गारंटी में डिफॉल्ट हो जाए।
सोना में निवेश से सोने में निवेश कैसे करें पहले कुछ जरूरी बातें जान लीजिए, फायदे में रहेंगे आप
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सोने को हमेशा से सुरक्षित निवेश माना गया है। सोने में निवेश करने मतलब सिर्फ गहने ही खरीदना नहीं होता है, बल्कि आप समझदारी से सोने में निवेश करें तो कुछ सालों के दौरान बेहतर रिटर्न पा सकते हैं। लोगों को सोने में फाइनेंशियल असेट के तौर पर निवेश करना चाहिए। सेबी रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइर जितेंद्र सोलंकी कहते हैं सोने में निवेश करने वाले पेपर गोल्ड, गोल्ड ईटीएफ, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड और डिजिटल गोल्ड को बेहतर विकल्प के तौर पर माना जाता है।
सोलंकी के अनुसार, सोना 10-15 फीसद के बीच किसी भी निवेशक के पोर्टफोलियो का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए। जैसे अगर कोई 100 रुपये बचा रहा है, तो 15 रुपये निश्चित रूप से सोने में जाना चाहिए।
Gold: क्या आपने खरीदा है गोल्ड, सोने में निवेश का बेहतरीन समय, बता रहे हैं एक्सपर्ट सुमित बगड़िया
Gold Investment: दुनिया भर में एक बार फिर मंदी की आहट सुनाई दे रही है. देश-दुनिया सोने में निवेश कैसे करें के शेयर बाजार में गिरावट का दौर चल रहा है. पूरे बाजार में बिकवाली हावी है. स्टॉक के गिरते रेट के कारण निवेशक भी असमंजस में हैं कि कहां निवेश करना बेहतर होगा. इसी कड़ी में जाने माने एक्सपर्ट और ब्रोकरेज हाउस चॉइस ब्रोकिंग के कार्यकारी निदेशक सुमित बगाड़िया ने सोने में निवेश करने की सलाह दी है. सुमित बगाड़िया का कहना है कि गोल्ड में निवेश आने वाले समय में बेहतर रिटर्न दे सकता है. इसके अलावा सिल्वर में भी निवेश करना मुनाफे का सौदा होगा.
डिजिटल गोल्ड
डिजिटल गोल्ड में निवेश करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे कम से कम मात्रा में भी खरीदा जा सकता है. आप जब चाहें, तब लाइव मार्केट में अपने गोल्ड की बिक्री कर कमा सकते हैं. कुछ प्लेटफॉर्म्स तो गोल्ड की फिज़िकल डिलीवरी भी देते हैं. डिजिटल गोल्ड में निवेश करने का नुकसान है कि इसके लिए कोई रेगुलेटरी मैकेनिज़्म नहीं है.
सोने में निवेश करने के लिए यह भी एक अच्छा विकल्प माना जाता है. इस विकल्प की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें जोख़िम कम है और कोई मैनेजमेंट फीस भी नहीं देना होता है. हालांकि, इसमें लिक्विडिटी की सुविधा उतनी बेहतर नहीं है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश की सबसे अच्छी बात यह है कि इसपर सालाना 2.5 फीसदी का अतिरिक्त रिटर्न मिलता है. अगर इस इन्वेस्टमेंट को मैच्योरिटी तक रखा जाता है तो सोने में निवेश कैसे करें इसके कैपिटल गेन्स पर टैक्स भी नहीं दिया जा सकता है.
गोल्ड ईटीएफ
गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना ज्वेलरी खरीदने या गोल्ड सेविंग्स स्कीम में निवेश करने से बेहतर विकल्प माना जात है. लेकिन इनके साथ डीमैट चार्ज का बोझ भी होता है. गोल्ड ईटीएफ को स्टॉक मार्केट पर लिस्ट होता है. गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने से पहले इस ट्रैक करना और लिक्विडिटी के बारे में पूरी जानकारी जुटाना जरूरी होता है. हालांकि, गोल्ड ईटीएफ का एक्सपेंस रेशियो 0.20 फीसदी से ज्यादा नहीं होता है.
यह एक ऐसा स्कीम है जिसमें आगे की तारीख पर सोना खरीदने के लिए पैसे जुटाने में मदद करता है. इसमें सोना खरीदारी पर डिस्काउंट भी मिलता है. यह स्कीम उन लोगों के लिए सबसे बेहतर है, जो सोना में निवेश तो करना चाहते हैं लेकिन उनके पास कम पैसा है. निवेश के नजरिए से कई ऐसे विकल्प हैं, जिनका एक्सपेंस रेशियो बेहद कम है.
ज्वेलरी
जानकारों का कहना है कि निवेश के नज़रिए से कभी भी सोने में निवेश नहीं करना चाहिए. दरअसल, ज्वेलरी पर अच्छा खासा मेकिंग चार्ज देना पड़ता है. इसके अलावा इसपर जीएसटी भी देय होता है. ये दोनों चार्ज मिलाकर 25 फीसदी तक पहुंच सकता है. हालांकि, ज्वेलरी की लिक्विडिटी सबसे ज्यादा होती है. इसके चोरी होने का भी खतरा होता है.
अगर कोई व्यक्ति फिज़िकल गोल्ड में निवेश करना चाहता है तो गोल्ड बार या कॉइन उनके लिए अच्छा विकल्प बन सकता है. इसपर 3 फीसदी जीएसटी और मेकिंग चार्ज देना होता है. गोल्ड बार और कॉइन पर मेकिंग चार्ज ज्वेलरी की तुलना में कम होता है.
क्या है सोने पर टैक्स देने की व्यवस्था?
बिक्री के समय: अगर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को मैच्योरिटी तक रखा जाता है तो इसपर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना होता है. जबकि, अन्य सभी गोल्ड इन्वेस्टमेंट पर कैपिटल गेन्स टैक्स देना होता है. डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स की तरह ही गोल्ड निवेश पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है. गोल्ड निवेश से बाहर निकलने पर निवेशक की जो कमाई होती है, उसी रकम पर कैपिटल गेन्स टैक्स देना होता है.
खरीदते समय: फरवरी महीने में बजट में वित्त मंत्री ने ऐलान किया था कि सोने पर आयात शुल्क को घटाकर 7.5 फीसदी किया जा रहा है. पिछले टैक्स व्यवस्था की तुलना में यह कम है. हालांकि, आयात शुल्क में कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट सेस के नाम पर 2.5 फीसदी का अतिरिक्त टैक्स वसूला जाएगा. गोल्ड पर 3 फीसदी की जीएसटी और ज्वेलरी मेकिंग पर 5 फीसदी की जीएसटी देनी होती है.