कॉल ऑप्शन का उदाहरण

ऑप्शन ट्रेडिंग में कितना चार्ज लगता है?
इसे सुनेंरोकेंजेरोधा ऑप्शन कमोडिटी के समान ही करेंसी के लिए शुल्क लेता है यानी 0.03% या ₹20 / निष्पादित ऑर्डर (जो भी कम हो). उदाहरण के लिए, यदि आपने ₹50,000 में 50 लॉट खरीदा है। तो अगर आप 50 का 0.03 प्रतिशत गणना करते है तो यह 1.5 होता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे शुरू करें?
इसे सुनेंरोकेंकमोडिटी मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने के लिए सबसे पहले ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है। अगर पहले से ही फ्यूचर बाजार में खाता है तो अपने ब्रोकर को ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सहमति पत्र देना होगा। इस अकाउंट के जरिए ही निवेशक कमोडिटी एक्सचेंज में फ्यूचर या ऑप्शन में किसी सौदे की खरीद या बिक्री कर सकते हैं।
ज़ेरोधा में ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करें?
जेरोधा काइट में ट्रेड कैसे करें?
- Zerodha Kite वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर लॉग इन करें
- अपने Zerodha अकाउंट में फंड जोड़ें
- अपनी मार्केट वॉच में अपनी इच्छा के अनुसार ऑप्शन जोड़ें
- ऑप्शन के लिए Buy Order दें
- ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को समझें
- ऑर्डर पूरा हो जाने के बाद वेरीफाई करें
पुट कॉल क्या है?
इसे सुनेंरोकेंकॉल ऑप्शन की खरीद या पुट ऑप्शन की बिक्री तभी करें जब आपको यह उम्मीद हो कि बाजार ऊपर जाएगा। एक पुट ऑप्शन की खरीद या कॉल ऑप्शन की बिक्री तभी करें जब आपको उम्मीद हो कि बाजार नीचे जाएगा। ऑप्शन को खरीदने वाले का मुनाफा असीमित होता है जबकि कॉल ऑप्शन का उदाहरण उसका रिस्क सीमित होता है (उतना ही जितना उसने प्रीमियम दिया है)।
ज़ेरोधा में विकल्प प्रीमियम क्या है?
इसे सुनेंरोकेंआप किसी भी कीमत पर ऑप्शन एग्रीमेंट कर सकते हैं, बस आपको उससे जुड़ा प्रीमियम देना होगा। उदाहरण के तौर पर आप 340 के कॉल ऑप्शन को 4 रूपये 75 पैसे का प्रीमियम देकर ले सकते हैं। इसे ऊपर लाल रंग से दिखाया गया है। ये खरीदार को एक्सपायरी के अंत तक ITC का शेयर 340 रूपये पर खरीदने का विकल्प देगा।
ऑप्शन सेलिंग क्या है?
इसे सुनेंरोकेंआपशन बेचने को शॉर्टिंग आ कॉल ऑप्शन –’Shorting a call option’ कहते हैं या कभी कभी सिर्फ शार्ट कॉल –’Short Call’ भी कहते हैं। जब आप ऑप्शन बेचते हैं तो आपको प्रीमियम के तौर पर एक रकम मिलती है। ऑप्शन बेचने वाले का मुनाफा सीमित होता है- उतना ही जितना कि उसे प्रीमियम मिला है लेकिन उसका नुकसान असीमित हो सकता है।
शेयर मार्केट में कॉल ऑप्शन क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंएक call options एक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसमें खरीदार के पास एक मुख्य स्टॉक की एक विशेष मात्रा को बिना किसी बाध्यता के पूर्व निर्धारित मूल्य पर खरीदने का अधिकार है। जब ट्रेडर्स को यह उम्मीद होती है कि प्राइस ऊपर बढ़ सकती है तो वे call option में एक लॉन्ग पोजीशन ले सकते हैं।
स्टॉक मार्केट में Out of the Money ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे शुरू करें ?
दूर के ऑप्शन्स (Out Of The Money Options)
दूर का ऑप्शन, जी हाँ दोस्तों, जो की हमेशा एक्ट्रॅक्टिव्ह दिखता है। हमें ललचाता भी है अपने परफॉर्मन्स से! यह हो जाता है 5 रूपये से 50 का 100 का या उससे भी ज्यादा। है ना?
दूर का छोटा ऑप्शन याने की ऐसा ऑप्शन जो अंडरलेयिंग असेट (शेअर,इंडेक्स) के "चालू कीमत से काफी दूर होता है।" यह हम सभी को मालूम है। कीमत के उतार-चढ़ाव से ऑप्शन में हलचल होती है। "तेज और बड़े बदलाव से" ही दूर के ऑप्शन में बड़ी बढ़त या गिरावट आती है। इस पर हमारा एकमत हो सकता है।
और इस पर भी की बड़े मुव्ह किसी बड़े फंडामेंटल या टेक्निकल के कारण ही आतें है। इसलिए स्ट्रॉन्ग फंडामेंटल न्यूज़ या टेक्निकल सेट अप को बनते हुए देखकर ही Out Of The Money ऑप्शन्स में B.T.S.T. का ट्रेड लिया जाता है।
दूर का कॉल ऑप्शन ( Out Of The Money Call Option)
उदाहरण
1 ) कंपनी के शेअर की कीमत Rs. 500 है। ऑप्शन के लिए स्ट्राइक प्राइस 5 रूपये के फर्क से है। तो Rs. 500 से ज्यादा की स्ट्राइक प्राइसेस जैसे की 505, 510, 515, . कॉल ऑप्शन आउट ऑफ़ द मनी कहलातीं है। यहाँ दूर का छोटा कॉल ऑप्शन Rs. 550 स्ट्राइक प्राइस का हो सकता है।
2 ) बॅंक निफ़्टी अगर 36,000 पर है तो 36,100, 36,200, 36,300, . यह कीमतें कॉल ऑप्शन के लिए आउट ऑफ़ मनी कहलातीं है। इसमें दूर का छोटा कॉल ऑप्शन 37,000 के स्ट्राइक प्राइस का हो सकता है।
दूर का पुट ऑप्शन ( Out Of The Money Put Option)
उदाहरण
1 ) कंपनी के शेअर की कीमत Rs. 500 है। Rs. 500 से कम की स्ट्राइक प्राइसेस जैसे की 495, 490, 485, . यह आउट ऑफ़ द मनी पुट ऑप्शन कहलातीं है। यहाँ दूर का छोटा पुट ऑप्शन Rs. 450 स्ट्राइक प्राइस का हो सकता है।
2 ) बॅंक निफ़्टी अगर 36,000 पर है तो 35,900, 35,800, 35,700, . यह कीमतें पुट ऑप्शन के लिए आउट ऑफ़ मनी होतीं है। इसमें दूर का छोटा पुट ऑप्शन 35,000 तक के स्ट्राइक प्राइस का हो सकता है।
सुचना
स्टॉक मार्केट इंडेक्स का दूर का ऑप्शन
अब आतें है स्टॉक मार्केट में। और अपना अकाउंट खोलकर उसमें थोडासा पैसा डालतें है। और अपने अकाउंट पर "F&O Trading की सुविधा" चालू करतें है। हमने यह किया है तो चलिये आगे बढ़ते है। फंडामेंटल एनालिसिस अच्छे से करके हम आसानी से इंडेक्स के दूर के छोटे ऑप्शन्स में ट्रेडिंग करके बड़ा मुनाफा कमा सकतें है।
1 ) इंडेक्स जैसे की "निफ़्टी, बॅंक निफ़्टी" इनमें दूर के ऑप्शन्स में ट्रेडिंग करना अच्छा होता है। इसमें आवश्यक " व्होल्युम होता है।" इंडेक्स के ऑप्शन्स में बायिंग, सेलिंग आसानी से कर सकतें है।
2 ) इंडेक्स के ऑप्शन्स का लॉट साइज छोटा है। जैसे की निफ़्टी का एक लॉट 50 और बॅंक निफ़्टी का तो सिर्फ 25 क्वान्टिटी का एक लॉट आता है। कम कॅपिटल में हम "ज्यादा लॉट लें सकतें है।" एवरेज कर सकतें है। और थोड़ा-थोड़ा बेच सकतें है।
3 ) इंडेक्स के ऑप्शन्स में बहुत बड़े मात्रा में ट्रेडिंग होती है। इस लिए "कोई व्यक्तिगत मनमानी नहीं कर सकता।" कोई तय करके अपने हिसाब से भाव बढ़ा या गिरा नहीं सकता।
कंपनी के शेअर का दूर का छोटा ऑप्शन
1 ) कंपनी का शेअर "F&O लिस्ट में होना आवश्यक है।" हमें इसपर ध्यान देना चाहिये की जिन शेअर्स के दूर वाले ऑप्शन्स में व्होल्युम नहीं है। उन में ट्रेडिंग करने से हमें बचना चाहिये।
2 ) कंपनी से जुड़ा कोई "विशेष कारण होना चाहिये" जैसे की न्यूज़। न्यूज़ अच्छी हो या बुरी, उसका हमें शीघ्र पता लगाके दूर का ऑप्शन लेना होता है। अच्छी खबर के चलते कॉल लेना है। बुरी खबर हो तो पुट ऑप्शन लेना चाहिये। इस तरह की सारी न्यूज़ हम इन्व्हेस्टिंग इंडिया पर पढ़ सकतें है।
3 ) "ओपन इंटरेस्ट और चेंज इन ओपन इंटरेस्ट" को हम N.S.E.India पर कंपनी का नाम सर्च करके, डेरीव्हेटिव्हज में, ऑप्शन चेन में देख सकतें है। उनका जिक्र Change IN OI और OI ऐसा किया गया है।
4 ) टेक्निकल एनालिसिस का महत्व ध्यान में लेतें हुए ट्रेड के लिए टेक्निकली राइट एन्ट्री पॉइन्ट तय करना है। टेक्निकल एनालिसिस शेअर के चार्ट का करना होता है। सपोर्ट,रेजिस्टन्स और ट्रेन्ड लाइन तो शेअर के चार्ट पर ही लगानी है। दूर के छोटे ऑप्शन का चार्ट "मुव्ह की तुलना करने के लिये" देखा जा सकता है।
D ) "दोन स्टॉप लॉस की कीमतों में जो छोटी है, वह स्टॉप लॉस चुनें।" और जाहिर सी बात है की इससे कॉल ऑप्शन का उदाहरण लॉस कम होगा।
स्मॉल ऑप्शन स्टॉक्स इन इंडिया
लॉट साइज के बड़े होने से एकदम छोटा ऑप्शन लेने जायें तो भी बहुत कॅपिटल की जरूरत होती है। हमें ट्रेडिंग करने के लिए कम क्वांटिटी वाला अच्छा शेअर चुनना होता है। "जिस शेअर का प्राइस ज्यादा है उसका लॉट साइज कम होता है।" समय-समय पर लॉट साइज में बदलाव होतें रहतें है।
छोटे ऑप्शन का स्टडी
इसमें क्या-क्या स्टडी करना है। कौन-कौन से टॉपिक समज़ने है। यह समझ लें तो बहुत आसान है। तो आइये मिलकर शुरू करतें है।
1 ) पहला कदम यह है की Stock Market क्या है यह प्राथमिक जानकारी लेना। यह हमें मालूम है तो आगे बढ़ते है।
2 ) फिर हमें फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस के बारें में जानना है। इससे हमें ऑप्शन्स ट्रेडिंग करते वक्त आसानी होतीं है। लगातार बनते चार्ट पर सही तरीके से "टेक्निकल सेट-अप" लगाना फायदेमंद होता है।
3 ) चार्ट्स के अलग अलग प्रकार होतें है। इनका स्टडी करके अपने हिसाब से चार्ट सिलेक्ट करना है। ज्यादातर ट्रेडर्स "कॅंडल स्टिक चार्ट" का इस्तेमाल करतें है। शेअर के चार्ट में व्होलॅटिलिटी कम होनी चाहिये। शेअर में रिव्हर्सल में ट्रेड लेना और नयी पोजीशन के लिये ट्रेड लेना मुमकिन होना चाहिये। याने की जिन चार्ट पर एक तरफा के अच्छे मुव्ह दिखतें है। उनमें छोटा ऑप्शन ट्रेड लें सकतें है।
4 ) चार्ट सिलेक्ट करने के बाद चार्ट पर "सपोर्ट, रेजिस्टेन्स और ट्रेन्ड लाइन" का इस्तेमाल करना, सीखना चाहिये। हमें यह सही से करना आता है। तो अब यहाँ से आगे बढ़ते है।
5 ) कंपनी के शेअर का छोटा ऑप्शन लेने के लिये उस "कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस" करना चाहिये। ताकि उभरते हुए ट्रेन्ड के साथ तालमेल बनाके काम किया जाये।
इन बातों का स्टडी करके हम आत्मविश्वास के साथ छोटा ऑप्शन लें सकतें है। मन में सवाल यह उठेगा की थोड़ा पैसा ही तो लगाना है इसके लिये इतना स्टडी क्यों करना है। जवाब में कहते है की स्टडी, "थोड़ा पैसा लगाने के लिये और बड़ा पैसा कमाने के लिये करना है।" यह स्टडी करके हम छोटा ही क्या बड़े से बड़ा ऑप्शन लें सकेंगे। है की नहीं? और मुझे पूरी उम्मीद है की हम मिलकर यह कर सकतें है। कुछ डिफिकल्टी आये तो कमेंट में लिखना। अभी पूरा नहीं हुआ है। आगे हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध है। तो चलिये आगे बढ़ते है।
छोटे ऑप्शन्स ट्रेडिंग की स्टाइल
स्टाइल याने की "काम करने का तरीका।" अपनी चाहत के अनुसार हम शेअर या इंडेक्स का चुनाव करतें है। उसके बारें में सारा स्टडी करतें है। और अपनी एक खास स्टाइल बनातें है। यहाँ पर एक स्टाइल दी गयी है। जिसके जरिए हम, फियर और ग्रीड को कंट्रोल करके ट्रेडिंग कर सकतें है।
ऑप्शन की पाठशाला: कब बेचते हैं कॉल-पुट
इस सीरीज में विरेंद्र ने कई हिस्सों में ऑप्शन की बारीकी समझाने की कोशिश की है।
बाजार में कमाना चाहते हैं पैसा लेकिन वायदा बाजार की जटिलता से लगता है डर। तो अब आपका डर खत्म करने आ रहे हैं विरेंद्र कुमार । विरेंद्र से आसान भाषा में समझें ऑप्शन क्या होता है और कैसे इससे पैसा कमाया जा सकता है। इस सीरीज में विरेंद्र ने कई हिस्सों में ऑप्शन की बारीकी समझाने की कोशिश की है।
क्या होते हैं ऑप्शन
ऑप्शन शेयर को खरीदने-बेचने का अधिकार देता है। ऑप्शन की अवधि 1 सीरीज की होती है। ऑप्शन खरीदने के लिए प्रीमियम देना पड़ता है। ऑप्शन में मुनाफा असीमित और नुकसान सीमित होता है। ऑप्शन ज्यादा से ज्यादा नुकसान आपके प्रीमियम का होता है। उदाहरण के लिए निफ्टी 11000 कॉल में 6 रुपये की प्रीमियम दर से 75 के एक लॉट को खीदने की कामत होगी 6*75= 470 रुपये। अब निफ्टी क्रैश होने पर भी आपको ज्यादा से ज्यादा 470 रुपये का ही नुकसान होगा। वहीं, निफ्टी 11000 पहुंचा को प्रीमियम बढ़कर 40 रुपये से भी ज्यादा होना संभव है।
Call And Put Option क्या होते है ? और इसमे ट्रेडिंग कैसे करे यहाँ जाने पूरी जानकारी
शेयर बाजार मे निवेश करने वाले और रोजाना ट्रेडिंग करने वाले ऐसे 2 प्रकार के लोग होते है। रोजाना ट्रेडिंग करने ले लिए भी काफी सारे विकल्प मौजूद है ऑप्शन ट्रेडिंग ट्रेडिंग भी ऐसा ही एक विकल्प है जिसमे कॉल और पुट ऑप्शन ट्रेडिंग की जा सकती है। ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए आपके पास शेयर बाजार का काफी सारा ज्ञान अनुभव जरुरी है हलाकि इसी समय अगर आप इस विकल्प को अच्छी तरह से सिख ले तो ट्रेडिंग करना आसान हो जाता है।
शेयर बाजार मे ट्रेडिंग करने के तरीके :(Ways To Invest In Share Market)
1 कॅश : (Cash)
- शेयर बाजार मे आप सीधे कॅश के जरिये शेयर खरीद सकते है जिसके लिए आपको पूरी शेयर राशि का भुगतान करना पड़ता है। (इसे आप इक्विटी शेयर निवेश ट्रेडिंग कह सकते है)
- इस विकल्पर के जरिये आप सिर्फ आपके पास मौजूद कॅश के जितने ही शेयर खरीद सकते है निवेश कर सकते है।
2 फीचर :(Feature Trading)
- फीचर ट्रेडिंग डेरिवेटिव ट्रेडिंग का एक प्रकार है।
- इस ट्रेडिंग विकल्प मे निवेशक आने वाले तारीख मे निवेश के लिए समझौता करता है।
- फीचर ट्रेडिंग के लिए निवेश करते समय निवेशक को कुल निवेश से सिर्फ कुछ राशि का ही भुगतान करना होता है।
3 ऑप्शन :(Option Trading)
- ऑप्शन ट्रेडिंग मे आपको ट्रेड करने के लिए 2 विकल्प मिलते है जिसके जरिये आप ट्रेडिंग कर सकते है।
- यह विकल्प आम शेयर बाजार से काफी अलग होता है शेयर बाजार मे शेयर की कीमत ऊपर जाने पर आपको मुनाफा होता है।
- लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग मे आप शेयर की कीमत ऊपर या निचे जाने पर भी पैसे कमा सकते है।
- अगर किसी शेयर के निचे जाने पर आप पैसे लगते है और शेयर निचे चला जाता है तो आपको मुनाफा होगा।
कॉल और पुट ऑप्शन क्या है ?(What Is Call And Put Option)
कॉल और पुट ऑप्शन ट्रेडिंग पहली बार समझने मे काफी कठिन लगती है लेकिन एक बार इसके बारे मे जानने के बाद यह काफी आसान हो जाता है।
1 कॉल ऑप्शन क्या है ?(What Is Call Option)
- ऑप्शन ट्रेडिंग मे शेयर बाजार पर रिसर्च करके आपको ऐसा लगता है की एक चुना हुआ शेयर ऊपर जाने वाला है।
- ऐसे समय आप उसको कॉल ऑप्शन के जरिये खरीद सकते है और इसमे शेयर ऊपर जाने पर सीधा लाभ होता है।
- उदहारण के तौर पर आपने रिलायंस के शेयर पर रिसर्च करके यह जान लिया है की शेयर की कीमत ऊपर जाने वाली है और आपने कॉल ऑप्शन चुन लिया है तो शेयर ऊपर जाने से मुनाफा होगा।
- मतलब रिलायंस शेयर की कीमत अभी 100 रुपये है तव कॉल ऑप्शन आप 150 पर खरीद सकते है मतलब आने वाले समय मे शेयर की कीमत 100 से 150 तक जाएगी जिसके आपको मुनाफा होगा।
2 पुट ऑप्शन क्या होता है ?(What Is Put Option)
- पुट ऑप्शन मार्किट के ख़राब समय मे चुना जाता है जब बाजार और शेयर गिर रहे होते है।
- अगर किसी एक शेयर की कीमत इस समय 100 रुपये है और आप इसका पुट ऑप्शन 70 रुपये मे खरीदते है
- ऐसे समय शेयर निचे 70 रुपये पर पहुंचने पर निवेशक को मुनाफा होगा।
- पुट ऑप्शन निवेशक मंदी या फिर गिरावट के समय एक बिमा जैसे इस्तेमाल कर सकते है।
कैसे करे कॉल और पुट ऑप्शन मे ट्रेडिंग :(How To Trade In Call And Put Option)
- कॉल और पुट ऑप्शन मे ट्रेडिंग करने के लिए कॉल ऑप्शन का उदाहरण शेयर्स की महीने की सीरीज होती है इस महीने की सीरीज की एक्सपाइरी हर महीने के अंतिम गुरवार को होती है।
- यह महीने की सीरीज 3 महीने तक की होती है।
- आप शेयर बाजार मे शेयर के आलावा करेंसी और इंडेक्स मे भी ऑप्शन ट्रेडिंग कर सकते है।
- कॉल और पुट ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय आपको अलग अलग विकल्पों का इस्तेमाल करना होता है इस विकल्पों को जानकारी आप आसानी से इसमे ट्रेडिंग शुरू कर सकते। है।
1 लॉट साइज़ :(Lot Size)
- जब आप ऑप्शन ट्रेडिंग मे ट्रेडिंग करते है तब आपको शेयर के एक लॉट को खरदीना पड़ता है।
- शेयर के कीमत के अनुसार उसकी लॉट साइज़ कीमत कम ज्यादा होती है।
- कॉल और पुट दोनों ऑप्शन मे ट्रेड करते समय आपको लॉट मे शेयर खरीदने होते है।
2 स्ट्राइक कीमत :(Strike Price)
- ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय आप जिस चुने हुए कीमत पर कॉल और पुट ऑप्शन खरीदते है उसे स्ट्राइक प्राइस कहा जाता है।
- शेयर के अब के कीमत मे और बेचे या फिर ख़रीदे जाने वाले अंतर होता है।
3 प्रीमियम :(Premium)
- कॉल और पुट ऑप्शन खरीदते समय आपको एक स्ट्राइक कीमत चुननी होती है जिस स्ट्राइक प्राइस पर आपको शेयर लॉट मिलता है उसे प्रीमियम कहा जाता है।
- ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय स्ट्राइक प्राइस शेयर के कीमत के जितनी पास होगी उतना प्रीमियम ज्यादा होता (हलाकि इससे रिस्क भी कम होती है )
4 एक्सपाइरी डेट :(Expiary Date)
- जब आप कॉल और पुट ऑप्शन कॉल ऑप्शन का उदाहरण खरीदते है तब उनके लिए एक तय तारीख होती है।
- इसका मतलब इस तय तारीख पर आपको आपके कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करना है।
- अगर आप इस तय तारीख पर कॉन्ट्रैक्ट पूरा नहीं करते है तो ब्रोकर आपके सौदे को काट कर जो प्रॉफिट लॉस होगा आपको सौप देगा।
5 मंथली सीरीज :(Monthly Series)
- जब आप ऑप्शन ट्रेडिंग करते है तो वो शेयर लॉट पहले से तय समय एक्सपाइरी डेट पर आते है।
- इस महीने लिए गए शेयर लॉट कॉन्ट्रैक्ट को आपको महीने के आखिरी गुरवार को पूरा करना होता है।
- मंथली सीरीज महीने के शुरवात से चालू होकर आखिरी गुरवार तक होती है।
- ऑप्शन ट्रेडिंग मे ट्रेडिंग करने के लिए आप चालू महीने से 3 महीने की सीरीज पर ट्रेड कर सकते है।
- सीरीज को खरीदते समय उस महीने के साथ आपको शेयर लॉट दिया जाता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे :(Benifits OF Option Trading)
- कॉल और पुट ऑप्शन मे आप खरीददार है या बेचने वाले इसके ऊपर फायदे निर्भर करते है।
- कॉल और पुट ऑप्शन खरीदार को नुकसान के समय सिर्फ प्रीमियम राशि डूबने पर नुकसान होता है।
- वही शेयर तय कीमत के ऊपर जाने पर ज्यादा लाभ हो सकता है।
- इसी समय पुट ऑप्शन मे आपको मुनाफा सिमित है लेकिन नुकसान की सम्भावन ज्यादा होती है।
- ऑप्शन ट्रेडिंग मे आप गिरते शेयर बाजार पर भी अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
- ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए आपको लीवरेज मिलता है जिसमे आपको कम पैसे पर ज्यादा शेयर लेने का विकल्प मिलता है।
क्या करना चाहिए निवेश ?(Should You Invest)
- कॉल और पुट ऑप्शन ट्रेडिंग आप कम पैसे लगाकर ज्यादा मुनाफा कमा सकते है हलाकि इसी समय काफी ज्यादा नुकसान भी हो सकता है।
- साधारण निवेशक जो की कम पैसो पर ट्रेडिंग कर रहे है उनके लिए यह विकल्प अच्छा नहीं है क्यों एक ट्रेड से ही इसमे बोहोत ज्यादा नुकसान हो सकता है जिसमे निवेशक अपनी सारी पूंजी गवा सकता है।
- शेयर बाजार मे काफी हलचल होने के समय इससे लाभ से ज्यादा नुकसान होन की सम्भावन ज्यादा होती है।
- हलाकि ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए जरुरी ज्ञान और अनुभव के साथ निवेश राशि होने पर निवेश किया जा सकता है।
- ट्रेडिंग करते समय खुद का अलग रिसर्च होना कॉल ऑप्शन का उदाहरण जरुरी किसी दूसरे के कहने पर निवेश ना करे।
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options trading for beginners! ऑप्शन ट्रेडिंग नये लोगों के लिए
नमस्कार दोस्तों आज मैं आप लोगों को बताने वाला हूं ऑप्शन ट्रेडिंग है और इसके कितने प्रकार हैं और इसमें आप कमाई कैसे कर सकते हो ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में पूरी जानकारी देंगे आप यह पोस्ट पढ़ने के बाद दूसरी पोस्ट पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी
जितना अच्छा ऑप्शन ट्रेडिंग लगता है लेकिन आपको नहीं पता आप क्या कर रहे हो तो यहां रिस्की हो सकता है पर आपको पता है आप क्या कर रहे हो तो आप इसमें बहुत पैसा बनाने वाले हो ऑप्शन ट्रेडिंग बहुत सारे लोगों को बहुत पसंद है तो आइए शुरू करते हैं
ITM ATM OTM क्या है ऑप्शन ट्रेडिंग में
बहुत सारे नए लोग कंफ्यूज होते हैं की यह ITM ATM OTM क्या होते हैं और अगर थोड़ा बहुत पता भी है तो फिर भी वहां चुना नहीं सकते कि उन्हें किस में ट्रेड करना है सबसे पहले मैं आपको बताता हूं ऑप्शन क्यों फिर मैं आपको बताऊंगा कि आपको किस में ट्रेड करने में ज्यादा फायदा होगा और आपको किस तरफ ध्यान देना चाहिए तो जब हम ऑप्शन की बात कर रहे हैं आप हमारे पास दो विकल्प होते हैं अभी हम स्टॉक्स की बात कर सकते हैं या इंडेक्स की बात कर सकते हैं ज्यादातर लोग इंडेक्स में ट्रेड करते हैं मतलब वह निफ़्टी या बैंक निफ़्टी में ट्रेड करते हैं अगर आप इंडेक्स में ट्रेड करते हो तो यहां पर लोट साइज रहता है निफ्टी के अंदर लोट साइज 50 का होता है और बैंक निफ्टी के अंदर लोट साइज 25 का रहता है मतलब फिर आप जितने भी क्वांटिटी खरीदेंगे वह लोट साइज में होगी जैसे कि 25 50 75 ऐसे लोट साइज रहती है तो itm atm otm की जो भी वैल्यू होगी उसे हम मल्टीप्लाई करेंगे लोट साइज से तो उदाहरण 100 है itm उदाहरण के लिए तो आपको ₹2500 लगेंगे तो यह 25 सो रुपए लगेंगे किस लिए अगर आप खरीदना चाहते हो ऑप्शन पर जैसे आप बेचना चाहते हो तो यहां पर चीजें बदल जाती है तो अभी हम सब समझने वाले हैं तो ऑप्शन क्यों अगर हम उदाहरण के लिए किसी स्टॉक कि बात करते हैं वह स्टॉक आपको दिखता है कि उसका प्राइस 10000 है और आपके पास ₹10000 नहीं है उसे खरीदने के लिए पर आपके पास एक ऑप्शन आता है कि आप प्रीमियम दीजिए ₹100 का अगर इस स्टॉक का प्राइस बढ़ेगा तो यह प्रीमियम भी बढ़ जाएगा उदाहरण के लिए यह ₹50 बढ़ता है तो उसका प्रीमियम ₹150 का हो जाएगा तो अब बहुत सारे लोगों को यह बहुत अच्छा लगेगा कि मैं पूरा की पूरा स्टॉक क्यों खरीदें जब मैं उसका एक ऑप्शन खरीद सकता हूं इंपैक्ट अगर आपको लगता है कि यह गिरेगा तो लोग ऑप्शन को खरीद लेते हैं यहां पर जब हम बढ़ने पर खरीदते हैं उदाहरण के लिए मेक बेसिक क्लियर रहा हूं क्योंकि मुझे पता है बहुत सारे नए लोग इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं कि अगर मुझे लग रहा है स्टॉक प्राइस बढ़ेगा तो हम कॉल ऑप्शन को खरीद लेते हैं और अगर मुझे लग रहा है स्टॉक का प्राइस गिरेगा तो मैं पुट ऑप्शन को खरीद लेते हूं कि अगर मुझे लग रहा है निफ़्टी बढ़ेगा तो मैं क्या खरीद दूंगा मैं कॉल ऑप्शन को खरीद दूंगा और अगर मुझे कॉल ऑप्शन का उदाहरण लगेगा निफ्टी गिरेगा तो मैं पुट ऑप्शन को खरीदूंगा तो यह हो गया ऑप्शन को खरीदना पर अगर अभी भी मेरी एनालिसिस सेम है कि निफ्टी तो बढ़ेगा तो मेरे पास एक ही ऑप्शन नहीं है कि मैं कॉल को खरीद दु मेरे पास एक और ऑप्शन आ जाता है कि मैं सेल कर दूं पुट को क्योंकि खरीदने वाले का फायदा कब होगा जब मार्केट गिरेगी पर अगर मार्केट ऊपर जाएगी तो इसका नुकसान होगा इसका नुकसान तो सेलर का मुनाफा क्योंकि ऑप्शन ट्रेडिंग जीरो सम गेम का मतलब क्या होता है मतलब यह होता है कि किसी का फायदा तो किसी का नुकसान यहां पर अगर खरीदने वाले का नुकसान होगा तो बेचने वाले का फायदा होगा और बेचने वाले का फायदा होगा तो खरीदने वाले का नुकसान होगा लेकिन अगर मुझे यहां पर ऐसा लग रहा है मेरी एनालिसिस कहती है कि निफ्टी गिरेगी तो जरूरी नहीं है कि मैं पुट खरीद दु मैं बेच सकता हु कॉल ऑप्शन को यह जरूरी होता है क्यों जरूरी होता है अगर आप यहां पर कॉल को खरीद कर चल रहे हो तो वैसे ही तो फेवर के अंदर ट्रेड जाने की प्रॉप्लटी 33% होती है और बेचने वाले के पास हमेशा एक एडवांटेज होता है 67% चांस बेचने वाली पास ज्यादा होते हैं सेलर के पास ज्यादा चांस होते हैं पर पैसा खरीदने वाला ज्यादा कमा सकता है अगर मैं बात करूं कैपिटल के ऊपर पैसा कमाने की तो खरीदने वाले के पास बहुत कम कैपिटल लगता है उदाहरण के लिए निफ़्टी चल रहा है ₹18000 अगर मैं निफ्टी का फ्यूचर खरीदूंगा तो बहुत पैसा लगेगा निफ्टी को तो हम खरीद ही नहीं सकते क्योंकि निफ्टी कॉल ऑप्शन का उदाहरण तो इंटेक्स है अगर मैं निफ़्टी का ऑप्शन खरीदता हूं तो 50 का लोड है उदाहरण के लिए मैं आपको बता रहा हूं की मान लेते हैं ₹100 का ऑप्शन का प्राइस है तो सिर्फ ₹5000 में काम हो गया पर अगर आपको ऐसे ही बेचना होता अगर आप बेचने वाले होते हैं तो आपका ₹1 लाख लगता याह पर आपको 1 लाख लागने है ओर वाह पर ₹5 हजार लागने तो ज्यादातर लोगों के पास कम पैसा होता है तो वह सिर्फ खरीदते हैं और उनकी प्रॉप्लटी ओर विभाग कम होती है इसीलिए ज्यादातर खरीदने वाले का नुकसान होता है क्योंकि बेचने वाले को पता होता है कि वह क्या कर रहे हैं उसके पीछे लॉजिक और एनालिसिस होती है