एक मुद्रा कैरी ट्रेड की मूल बातें

समर्थन क्या है?

समर्थन क्या है?
किसानों को दिवाली का तोहफा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

परिभाषा समर्थन

समर्थन एक शब्द है जो समर्थन से आता है। यह क्रिया कुछ और चीज़ों पर आराम करने के लिए संदर्भित करती है; आधार या आधार के लिए; किसी भी मत या सिद्धांत की पुष्टि या पकड़; या किसी चीज का पक्ष और प्रायोजक बनाना।

एक प्रतीकात्मक अर्थ में, समर्थन एक टिप्पणी, एक सिद्धांत या सिद्धांत का आधार या प्रमाण हो सकता है: "पत्रकार मेरी शिकायत पर विश्वास नहीं करते हैं: मैं आपको इन तस्वीरों को मेरे बयानों के समर्थन के रूप में दिखाने जा रहा हूं", "यदि आप चाहते हैं कि राज्य अपने शोध के लिए आपको अनुदान दें, आपको अपनी परिकल्पना का समर्थन करने के लिए कुछ सबूत पेश करने होंगे, "" डॉ। फुलमैन के शब्द वे समर्थन थे जिनकी मुझे यह जानने की जरूरत थी कि मेरा दृष्टिकोण सही था

एक सार्वजनिक बयान देने के समय, जिसमें मजबूत नतीजे हो सकते हैं, विश्वसनीय सैद्धांतिक आधार पर समर्थन करना बहुत महत्वपूर्ण है, एक या एक से अधिक स्रोतों में जो हमें हमारे शब्दों की सत्यता का आश्वासन देते हैं, या कम से कम संकेत देते हैं कि वे सच होने के करीब हैं। क्या झूठ है इस नींव की अनुपस्थिति हमेशा गलती या मौका से नहीं होती है, लेकिन जब आप जानकारी को हेरफेर करना चाहते हैं, तो झूठ बोलने वाले को समझाने की कोशिश करने की लगभग कोई सीमा नहीं है, चाहे कितना भी बड़ा हो।

दूसरी ओर, सहायता किसी व्यक्ति या किसी को दी गई सहायता, सहायता या संरक्षण हो सकती है: "मेरी बेटी को वर्ष के माध्यम समर्थन क्या है? से प्राप्त करने के लिए स्कूल के समर्थन की आवश्यकता होगी और फिर से नहीं", "हमें उन लोगों को समर्थन देना होगा जो सभी खो चुके हैं बाढ़ के लिए आपका सामान ", " मैं उस उम्मीदवार को अपना समर्थन व्यक्त करना चाहता हूं जिन्होंने इन कायरतापूर्ण खतरों का सामना किया है ", " धन्यवाद, आपके समर्थन के बिना यह संभव नहीं होता "

दोस्ती की विशेषता है, भाग में, एक ऐसी जगह बनकर जिसमें हमें वह समर्थन मिल सकता है जिसकी हमें वास्तव में आवश्यकता होती है, जिसे हम अक्सर अन्य प्रकार के रिश्तों में अस्वीकार कर देते हैं। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि दोस्तों से किसी भी निर्णय में हमारा समर्थन करने की उम्मीद न करें, लेकिन यह जानने के लिए कि वे कैसे गलत हैं, हमें बताने के लिए उनके मानदंडों पर भरोसा करने के लिए, जब भी वे हमारी भलाई के लिए आवश्यक हों, तो हमारे कुछ दृष्टिकोणों का दृढ़ता से विरोध समर्थन क्या है? करें।

केंद्र ने बढ़ाई रबी फसलों की MSP, तिलहन और सरसों में 400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी

Cabinet Decision: केंद्र सरकार ने किसानों को दिवाली का तोहफा दिया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2022-23 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बढ़ाने का फैसला लिया गया है. इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दी है.

 किसानों को दिवाली का तोहफा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

किसानों को दिवाली का तोहफा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

gnttv.com

  • नई दिल्ली,
  • 18 अक्टूबर 2022,
  • (Updated 18 अक्टूबर 2022, 7:06 PM IST)

तिलहन और दलहन के उत्पादन में हुई है बढ़ोतरी

कृषि को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे हैं कई काम

केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने मंगलवार को 2022-23 के लिए रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित कर दिया है. इन फसलों में गेंहू, समर्थन क्या है? जौ, चना, मसूर, सफेद सरसों और सरसों, और कुसुंभ शामिल हैं. जहां गेंहू की एमएसपी में 110 रुपये की बढ़ोतरी की गई है, वहीं जौ में 100 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. इससे विपणन सीजन 2023-24 में गेहूं की खरीद 2,125 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी के हिसाब से होगी और जौ की खरीद 1735 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी के हिसाब से.

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी जानकारी

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि मंत्रिमंडल बैठक में 2023-24 के लिए 6 रबी फसलों की एमएसपी को मंजूरी दी गई है. इसमें गेहूं के लिए 110 रुपये, जौ में 100 रुपये, चना में 105 रुपये, मसूर में 500 रुपये, सरसों में 400 रुपये और कुसुंभ में 209 रुपये की वृद्धि की गई है. बता दें, सरकार ने रबी फसलों के विपणन सीजन 2023-24 के लिए एमएसपी में वृद्धि की है. इसकी मदद से उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सकेगा.

तिलहन और दलहन के उत्पादन में हुई है बढ़ोतरी

कृषि मंत्रालय के अनुसार, सफेद सरसों और सरसों के लिए अधिकतम रिटर्न की दर 104 प्रतिशत है, इसके बाद गेहूं के लिए 100 प्रतिशत, मसूर के लिए 85 प्रतिशत है, चने के लिए 66 प्रतिशत; जौ के लिए 60 प्रतिशत; और कुसुंभ के लिए 50 प्रतिशत है. पिछले कुछ साल में तिलहन और दलहन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा है. तिलहन उत्पादन 2014-15 में 27.51 मिलियन टन से बढ़कर 2021-22 में 37.70 मिलियन टन. इतना ही नहीं बल्कि दलहन उत्पादन में भी इसी तरह की वृद्धि हुई है. दलहन के मामले में 2014-15 में जो उत्पादकता 728 किग्रा/हेक्टेयर थी वो बढ़कर 892 किग्रा/हेक्टेयर हो गई है. यानि इसमें 22.53 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

कृषि को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे हैं कई काम

केंद्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार देश में कृषि क्षेत्र में स्मार्ट खेती के तरीकों को अपनाने के लिए बढ़ावा दे रही है. इसके लिए सरकार एक डिजिटल कृषि मिशन शुरू कर रही है. इसमें कृषि का डिजिटल इकोसिस्टम किसान डेटाबेस, एकीकृत किसान सेवा इंटरफेस (यूएफएसआई), मिट्टी की उर्वरता और प्रोफाइल मैपिंग में सुधार करना जैसी योजनाएं शामिल हैं. इसके अलावा, ड्रोन टेक्नोलॉजी को भी कृषि में अपनाने के लिए काम किए जा रहे हैं.

Latest MSP for Kharif Crops: धान समेत 14 खरीफ फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी, चेक करें अब क्या है सरकारी भाव

Latest MSP for Kharif Crops: केंद्र सरकार ने फसल वर्ष 2022-23 के लिए धान समेत कई खरीफ फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी की है.समर्थन क्या है?

Latest MSP for Kharif Crops: धान समेत 14 खरीफ फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी, चेक करें अब क्या है सरकारी भाव

धान की एमएसपी में 100 रुपये की बढ़ोतरी की गई है और अब इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य फसल वर्ष 2022-23 के लिए 2040 रुपये प्रति कुंतल है. (Image- Pixabay)

Latest MSP for Kharif Crops: केंद्र सरकार ने फसल वर्ष 2022-23 के लिए धान समेत कई खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी की है. यह फैसला पीएम मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने लिया है. धान की एमएसपी में 100 रुपये की बढ़ोतरी की गई है और अब इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य फसल वर्ष 2022-23 के लिए 2040 रुपये प्रति कुंतल है. सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने जानकारी दी कि आज की कैबिनेट बैठक में 14 खरीफ फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई.

लागत पर 85 फीसदी तक मुनाफे का दावा

एमएसपी में प्रति कुंतल 92 रुपये से लेकर 523 रुपये तक की बढ़ोतरी की गई है. सरकार के दावे के मुताबिक जो एमएसपी तय की गई है, उससे किसानों को लागत पर लागत पर 50 से 85 फीसदी तक मुनाफा हासिल होगा. सरकार ने लागत के आकलन में लेबर चार्ज, बैल या मशीन चार्ज, पट्टे के किराए, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई चार्ज, मशीनरी व फार्म बिल्डिंग के डेप्रिशिएशन, वर्किंग कैपिटल पर ब्याज, तेल या बिजली पर खर्च, अन्य खर्च और फैमिली लेबर को शामिल किया है. नीचे सभी फसलों की एमएसपी, लागत और लागत के मुनाफे के बारे में जानकारी दी जा रही है.

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फसलMSP 2014-15MSP 2021-22 (रुपये)MSP 2022-23 (रुपये)उत्‍पादन लागत 2022-23 (रुपये)MSP में बढ़ोतरी (रुपये)उत्पादन लागत पर मुनाफा (%)
धान (सामान्‍य)136019402040136010050
धान (ग्रेड ए)140019602060100
ज्‍वार (हाईब्रीड)153027382970197723250
ज्‍वार (मालदंडी)155027582990232
बाजरा125022502350126810085
रागी155033773578238520150
मक्‍का13101870196213089250
तूर (अरहर)435063006600413130060
मूंग460072757755516748050
उड़द435063006600415530059
मूंगफली400055505850387330051
सूरजमुखी बीज375060156400411338556
सोयाबीन (पीला)256039504300280535053
तिल460073077830522052350
रामतिल360069307287485835750
कपास (मध्‍यम रेशा)375057266080405335450
कपास (लंबा रेशा)405060256380355

रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान

2021-22 के तीसरे एडवांस एस्टीमेट के अनुसार देश में खाद्यान्न का उत्पादन रिकॉर्ड 31.45 करोड़ टन होने का अनुमान है जो कि 2020-21 के खाद्यान्न उत्पादन की समर्थन क्या है? तुलना में 37.7 लाख टन अधिक है. 2021-22 के दौरान उत्पादन पिछले पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) के औसत खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 2.38 समर्थन क्या है? करोड़ टन अधिक है.

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MSP पर आखिर क्या बवाल है? अब तो सरकार ने 'ये' भी कह दिया..

सरकार और किसान संगठनों की बातचीत में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने MSP की गारंटी के लिए कानून बनाने की मांग की. सरकार ने पहले ही MSP पर भरोसा दिया है, लेकिन क्या आपको ये पता है कि MSP क्या है और इसे लेकर असल विवाद क्या है?

  • तो क्या MSP के लिए भी बनेगा कानून?
  • किसान आंदोलन की आड़ में दंगे का प्लान?
  • किसानों को मोहरा कौन बना रहा है?
  • अन्नदाताओं को उकसाने वालों की असलियत

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MSP पर आखिर क्या बवाल है? अब तो सरकार ने 'ये' भी कह दिया..

नई दिल्ली: क्या आप ये जानते हैं कि MSP को लेकर किसानों की परेशानी क्या है? आखिरकार MSP पर असल विवाद क्या है? सरकार और किसानों के बीच चौथे राउंड की वार्ता चल रही है. इस बैठक में 40 संगठनों के किसान नेता शामिल हुए हैं. लेकिन बैठक में एक अनोखी बात देखने को मिली. दरअसल, किसानों ने किसान भवन में बातचीत के दौरान अपना खाना साथ लेकर आए और उन्होंने अपना भोजन ही ग्रहण किया.

MSP की गारंटी के लिए कानून?

सरकार और किसानों के बीच चौथे राउंड की बातचीत चल रही है. बैठक में 40 संगठनों के किसान नेता शामिल हुए हैं. कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर (Narendra Tomar) ने हल निकलने की उम्मीद जताई है. सरकार और किसान संगठनों की बातचीत में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने MSP की गारंटी के लिए कानून बनाने की मांग की. सरकार ने पहले ही MSP पर भरोसा दिया है. आपको सबसे पहले ये समझना चाहिए कि MSP कैसे तय होता है?

MSP कैसे तय होता है?

- मांग और आपूर्ति
- उत्पादन की लागत
- घरेलू और अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार में क्या कीमत
- ग्राहकों पर उसका कितना असर
- दूसरे फसलों की क्या कीमत
- भंडारण, टैक्स और दूसरे ख़र्च

MSP उत्पाद की मांग और आपूर्ति के आधार पर, उत्पादन की लागत पर तय किया जाता है. MSP का एक सांचा इसके आधार पर भी तय किया जाता है कि घरेलू और अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार में क्या कीमत है? ग्राहकों पर उसका कितना असर होगा? दूसरे फसलों की क्या कीमत है? इसके समर्थन क्या है? अलावा भंडारण, टैक्स और दूसरे ख़र्च को देखते हुए MSP तय किया जाता है. यहां सबसे जरूरी बात तो आपको ये समझनी चाहिए कि आखिर ये MSP चीज क्या है?

MSP क्या है?

MSP का पूरा नाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) होता है. जो फसल की एक लागत तय करने का तरीका होता है. सरकार फसलों की एक कीमत तय करती है. किसानों को MSP से कम कीमत नहीं मिलता है. दाम घटने पर भी किसानों के लिए कीमत तय होती है. किसानों को एक तय कीमत मिलने की गारंटी होती है. हर साल के लिए सरकार MSP तय करती है.समर्थन क्या है?

दरअसल, सरकार और किसान संगठनों की बातचीत में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने MSP की गारंटी के लिए कानून बनाने की मांग की है. लेकिन किसान आंदोलन ZEE मीडिया से बातचीत के दौरान केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सोम प्रकाश (Som Prakash) ने बड़ा बयान देते हुए ये तक कह दिया है कि MSP पर लिखित में देने को तैयार है, लेकिन कानून रद्द नहीं होगा. अब आपको यहां ये समझना जरूरी हो जाता है कि MSP पर किसानों को किस समर्थन क्या है? बात का डर सता रहा है?

MSP पर किसानों का क्या डर?

- धीरे-धीरे MSP खरीद बंद हो जाएगी
- कई कमेटियों की सरकारी खरीद घटाने की सिफारिशें
- सरकारी खरीद घटने पर MSP खरीद बंद होने का डर
- खरीद के लिए निजी कंपनियों पर निर्भरता बढ़ेगी
- निजी कंपनियां समर्थन क्या है? मनमाने कीमत पर फसल खरीदेंगी
- खुले बाज़ार में कम कीमत पर फसल बेचना होगा

उपर दी जानकारी से आप ये समझ सकते हैं कि किसानों को आखिर किस बात की परेशानी है. उन्हें ऐसा लगता है कि धीरे-धीरे MSP खरीद बंद हो जाएगी. लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है ये सरकार के रुख समर्थन क्या है? से समझा जा सकता है. किसानों को लगता है कि सरकार MSP को खत्म कर देगी, लेकिन जब सरकार ने ये साफ कर दिया है कि MSP पर इस कानून का कोई असर नहीं पड़ेगा. कानून में भी इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि MSP पर सरकार कोई बदलाव करने वाली है, तो भला किसानों के ज़ेहन इस झूठ के ज़हर को किसने घोला?

सियासी पार्टियों की असलियत का अंदाजा आप किसान आंदोलन पर हो रही राजनीति से लगा सकते हैं. किसानों को मोहरा बनाकर किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने की कोशिश की जा रही है. खुद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस बात पर चिंता जाहिर की है कि किसान आंदोलन से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है. ऐसे में इस बात को भली भांति समझा जा सकता है कि किसान आंदोलन की आड़ में कुछ न कुछ गंदी करतूत को अंजान देने की तैयारी है. जब किसानों की चिंता इस बात पर है कि सरकार ऐसा कर सकती है, लेकिन सरकार भी ये कह रही है कि वो ऐसा कुछ नहीं करने वाली है. मतलब साफ है कि सरकार विरोधी तत्व इस अफवाह को फैला कर किसानों के कंधे से बंदूक चलाना चाहते हैं.

फिर घिर गई है राजधानी दिल्ली

दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों ने जाम लगा दिया है. गाजीपुर बॉर्डर पर मेरठ जाने वाली रोड को बंद कर दिया है. आंदोलनकारी किसानों ने अपनी मांग दोहराई है. उनका कहना है कि नये कानून वापस लेने तक आंदोलन जारी रहेगा. बीच का कोई रास्ता नहीं है, मांग माने जाने तक पीछे नहीं हटेंगे. पंजाब से सोनीपत के कुंडली बॉडर पर नगाड़ा पहुंच गया है. सोनीपत के ओचंदी बॉर्डर पर कई भारी वाहन फंसे हैं. गाड़ी चालकों की दिल्ली सरकार से मांग है कि खाने पीने के लिए पैसे नहीं है, "मदद करे दिल्ली सरकार.." चारो तरफ से राजधानी दिल्ली को बंधक बना लिया गया है.

ये हालात बिल्कुल वैसी ही शुरुआत है, जब नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली पर ब्रेक लगा दिया था. उस प्रदर्शन की आड़ में देश विरोधी साजिशों को अंजाम दिया गया था. दिनदहाड़े पुलिसवाले की हत्या कर दी गई. IB ऑफिसर को मार डाला गया, IPS अधिकारियों पर जानलेवा हमला किया गया. खुलेआम शहरुख जैसे दंगाइयों ने फायरिंग की, पेट्रोल बम से हमले किए. उस वक्त भी शाहीन बाग से आंदोलन शुरू हुआ, जिसकी आग पूरे देश में भड़क गई थी और जिसकी आड़ में दंगाइयों ने देश को आग में झोंकने का प्रयास किया.

शायद यही वजह है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सुरक्षा पर चिंता जाहिर की है. आंदोलन में कई खालिस्तानी समर्थक देखे गए हैं, कई लोगों की जुबान से ये समझा जा सकता देश का किसान ऐसी गंदी बातें नहीं कर सकता है. एक किसान अपनी मेहनत से लोगों का पेट भरता है, वो ये कभी नहीं कह सकता है कि "इंदिरा ठोक दी, ये मोदी की छाती. "

ऐसी जुबान किसी किसान भाई की तो नहीं हो सकती है. ऐसे में किसान आंदोलन की भीड़ में ये कौन छिपा हुआ है, जो देश जलाने की साजिश को अंजाम देने की फिराक में है. ये बहुत जरूरी है कि किसानों के आंदोलन का जल्द से जल्द समाधान किया जाए, वरना इस आंदोलन का बेहद भयानक फायदा उठाया जा सकता है.

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