भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी

भारतीय रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी
(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - डिजिटल करेंसी, क्रिप्टोकरेंसी, फिएट मुद्रा)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2 - सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)
Crypto Updates: कॉइनबेस के बॉस ने क्रिप्टो कारोबार में कमजोरी के लिए RBI पर मढ़ा दोष, जानिए क्या आरोप लगाया?
Crypto की ख़रीदारी के लिए यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस या यूपीआई सर्विस को CoinBase ने डिसेबल कर दिया है क्योंकि इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक का दबाव था. ब्रायन आर्मस्ट्रांग ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से अनौपचारिक दबाव की वजह से Coinbase पर यूपीआई को डिसेबल किया गया है.
Crypto Updates Hindi: ब्रायन आर्मस्ट्रांग ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से अनौपचारिक दबाव की वजह से Coinbase पर यूपीआई को डिसेबल किया गया है.
आर्मस्ट्रांग ने CoinBase के तिमाही नतीजे के मौके पर कहा, "क्रिप्टो की खरीदारी के लिए यूपीआई सेवा लांच होने के कुछ दिन बाद ही हमने इसे डिसेबल कर दिया क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से अनौपचारिक दबाव देखने को मिल रहा था."
भारत का केंद्रीय बैंक आरबीआई देश में बैंकिंग सेवाओं का नियामक है. आर्मस्ट्रांग ने कहा, "भारत एक अलग बाजार है. एक बार जब सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि वह क्रिप्टो करेंसी को बैन नहीं कर सकता तब सरकारी तंत्र में मौजूद अलग-अलग संस्थाओं ने इस पर काबू पाने के अलग-अलग उपाय शुरू कर दिए हैं. इसमें भारतीय रिजर्व बैंक भी शामिल है."
इससे पहले 10 अप्रैल को खबरें आई थी कि भारतीय रिजर्व बैंक जैसे नियामक की तरफ से दबाव पड़ने की वजह से सिर्फ 3 दिन में ही को CoinBase की यूपीआई के जरिए क्रिप्टो करेंसी की खरीदारी या बिकवाली सुविधा के ऑप्शन को बंद करना पड़ा था.
इस साल 7 अप्रैल को कॉइनबेस ने भारत में क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग सेवा शुरू की थी और यूपीआई के जरिए क्रिप्टोकरेंसी खरीदने बेचने की सुविधा दी थी. 10 अप्रैल को CoinBase को यूपीआई के जरिए Crypto खरीदने-बेचने की सुविधा बंद करना पड़ा था. भारत में crypto करेंसी खरीदने-बेचने की सुविधा देने वाली कॉइन स्विच कुबेर ने भी 12 अप्रैल को अपने ग्राहकों के लिए Crypto खरीदने-बेचने की सुविधा को डिसेबल कर दिया था.
2023 की शुरुआत में पेश हो सकती है देश की आधिकारिक डिजिटल मुद्रा
RBI on Cryptocurrency: भारतीय रिजर्व बैंक की फिनटेक की ओर से पेश किए जाने वाले नए प्रोडक्ट्स और सर्विस से जुड़े लाभ और रिस्क पर कड़ी नजर है।
- सीबीडीसी सरकार समर्थित डिजिटल मुद्रा होगी।
- साल 2023 की शुरुआत में CBDC पेश हो सकती है।
- 25वीं FSR में आरबीआई गवर्नर ने क्रिप्टो को खतरा बताया था।
नई दिल्ली। हाल ही में भारत के केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एक स्पष्ट खतरा है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में सीबीडीसी पेश किरने की घोषणा की थी। अब केंद्रीय बैंक के कार्यकारी निदेशक (फिनटेक) अजय कुमार चौधरी ने जानकारी दी है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) होलसेल और रिटेल सेगमेंट में चरणबद्ध तरीके से सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) के क्रियान्वयन को लेकर काम कर रहा है।
सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा के लिए वित्त विधेयक (Finance Bill 2022) पारित होने के साथ आरबीआई कानून, 1934 में संबंधित धारा में जरूरी बदलाव किए गए। इंडस्ट्री एसोसिएशन फिक्की के PICUP फिनटेक सम्मेलन को संबोधित करते हुए अजय कुमार चौधरी ने कहा कि फाइनेंस बिल के पारित होने के साथ भारतीय रिजर्व बैंक पायलट आधार पर सीबीडीसी का क्रियान्वयन करने की स्थिति में आ गया है।
क्या है सीबीडीसी?
आगे उन्होंने कहा कि, 'आरबीआई होलसेल और रिटेल खंड में सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा के चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वयन करने के लिए काम कर रहा है।' उल्लेखनीय है कि सीबीडीसी डिजिटल मुद्रा है। लेकिन इसकी प्राइवेट डिजिटल मुद्रा या क्रिप्टोकरेंसी से तुलना नहीं की जा सकती है। पिछले एक दशक में क्रिप्टोकरेंसी तेजी से बढ़ी है।
क्रिप्टोकरेंसी से अलग है सीबीडीसी
प्राइवेट डिजिटल मुद्रा का कोई जारीकर्ता नहीं है। यह किसी व्यक्ति के लोन या देनदारियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। मालूम हो कि देश की आधिकारिक डिजिटल मुद्रा अगले साल की शुरुआत में पेश की जा सकती है। डिजिटल मुद्रा मौजूदा प्राइवेट कंपनी द्वारा संचालित इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट की तरह ही होगी।
तेजी से विकसित हो रहे डिजिटल पेमेंट सेक्टर में फिनटेक की भूमिका पर अधिकारी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने नवोन्मेष को बढ़ावा दिया है।
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सरकार, रिजर्व बैंक की वजह से वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो में गिरावट के असर से अछूता रहा भारत
आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने से बार-बार इनकार करता रहा है और उसने इसमें लेनदेन को लेकर आगाह भी किया है।
विश्व में क्रिप्टो करेंसी में आयी बड़ी गिरावट से चारों तरफ भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी अफरा-तफरी का माहौल है, वहीं भारत में इसका ख़ास असर नहीं हुआ है। इसका श्रेय सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सतर्क रुख को जाता है।
आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने से बार-बार इनकार करता रहा है और उसने इसमें लेनदेन को लेकर आगाह भी किया है।
वहीं सरकार ने क्रिप्टो लेनदेन की मांग को कम करने के लिए कर का रास्ता चुना है।
क्रिप्टोकरेंसी का बाजार 2021 में तीन हजार अरब डॉलर था, जिसका कुल बाजार मूल्य अब एक हजार अरब डॉलर से भी कम रह गया है।
हालांकि, भारतीय निवेशक इससे काफी हद तक बचे रहे हैं जबकि बहामास का एफटीएक्स बाजार लोगों द्वारा बिकवाली के बाद दिवालिया हो गया है।
भारत में आरबीआई पहले दिन से ही क्रिप्टोकरेंसी का विरोध कर रहा है, जबकि सरकार शुरू में एक कानून लाकर ऐसे माध्यमों को विनियमित करने का विचार कर रही थी।
हालांकि, सरकार बहुत विचार-विमर्श के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची कि वर्चुअल मुद्राओं के संबंध में वैश्विक सहमति की आवश्यकता है क्योंकि ये सीमाहीन हैं और इसमें शामिल जोखिम बहुत अधिक हैं।
आरबीआई के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी को विशेष रूप से विनियमित वित्तीय प्रणाली से बचकर निकल जाने के लिए विकसित किया गया है और यह उनके साथ सावधानी बरतने के लिए पर्याप्त कारण होना चाहिए।
उद्योग का अनुमान है कि भारतीय निवेशकों का क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों में निवेश केवल तीन प्रतिशत है।
वैश्विक क्रिप्टो बाजार में गिरावट के बावजूद, भारत की क्रिप्टोकरेंसी कंपनियां अभी तक किसी जल्दबाजी में नहीं हैं। भारत के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स और जेबपे का परिचालन जारी है।
सरकार और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ केंद्रीय बैंक के सतर्क रुख की वजह से भारत में क्रिप्टो का बड़ा बाजार नहीं खड़ा हो सका। अगर भारतीय संस्थाएं क्रिप्टो में शामिल हो गई होतीं, तो देश में कई लोगों के पैसे डूब जाते।
एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) के अध्यक्ष कमलेश शाह के अनुसार, आरबीआई और सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता नहीं देने के लिए उठाए गए कदम इस समय उचित हैं।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी जून में जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में क्रिप्टोकरेंसी को ‘स्पष्ट खतरा’ बताया था।
Digital Currency: भारतीय रिजर्व बैंक ने शुरू की डिजिटल करेंसी, जानिए इस्तेमाल का तरीका और बिटक्वाइन से कैसे है अलग
RBI Digital Currency: डिजिटल करेंसी की आज से शुरूआत हो गई है. ऐसे में आज हम आपको डिजिटल करेंसी के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं. तो चलिए जानते हैं कि क्या है डिजिटल करेंसी और कैसे होगा इसका इस्तेमाल?
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RBI Digital Currency: भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से आज डिजिटल करेंसी की शुरूआत की जा रही है. ये करेंसी अभी होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए जारी की गई है. जानकारी के मुताबिक डिजिटल रुपये को फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है.
पायलट प्रोजेक्ट क्या होता है
बता दें पायलट प्रोजेक्ट एक तरह का टेस्ट होता है जिसमें किसी भी चीज़ को बड़ी मात्रा में चालू करने से पहले इसे कम लोगों के लिए जारी किया जाता है. ऐसा करने से उस चीज़ की खामियां और कमजोरियां उजागर हो जाती हैं और उसे आसानी से ठीक कर दिया जाता है.
डिजिटल करेंसी क्या है?
डिजिटल करेंसी या डिजिटल रुपी सेंट्रल बैंक की तरफ से जारी किए गए एक तरह के नोट्स हैं. जिनका इस्तेमाल सिर्फ फिजिकली ना होकर भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी इलेक्ट्रॉनिकली किया जा सकता है. यानी फिजिकल नोट्स की तरह इलेक्ट्रॉनिक नोट्स होना. रिजर्व बैंक के इस कदम भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी को काफी अहम बताया जा रहा है. क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि आने वाला वक्त कॉन्टैक्टलेस ट्रांजेक्शन का होगा.
कितनी तरह की होती है डिजिटल करेंसी
- रिटेल (CBDC-R): ये करेंसी सभी के इस्तेमाल के लिए है, यानी आम आदमी इससे हर ज़रूरी समान खरीद सकेगा.
- होलसेल (CBDC-W): इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए बनाया गया है, यानी होल सेल करेंसी का आम लोग इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे.
डिजिटल करेंसी के क्या फायदे हैं?
मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक डिजिटल करेंसी आने से लोगों को अपने पास कैश रखने की ज़रूरत नहीं होगी. अब कैश मोबाइल वैलेट में रखा जा सकेगा. इस करेंसी के सर्कुलेशन को पूरी तरह रिज़र्व बैंक कंट्रोल करेगा. लेकिन बता दें ये करेंसी देश के छोटे-छोटे इलाकों में पहुंचाना एक बहुत बड़ा चैलेंज बन सकती है. क्योंकि आज भी देश की एक बहुत बड़ी आबादी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन नहीं करती है.
क्रिप्टो करेंसी से कैसे अलग है डिजिटल रुपया
क्रिप्टो करेंसी पूरी तरह से निजी होती है. इसे कंट्रोल करने के लिए भारत में अभी कोई बॉडी नहीं है. यानी ये सरकार और रिजर्व बैंक इस पर नज़र नहीं रखता है. लेकिन डिजिटल करेंसी पूरी तरह से सरकार और रिजर्व बैंक की देख रेख में रेगुलेट की जाएगी. डिजिटल करेंसी रखने के कोई लिमिट नहीं है. रिजर्व बैंक और सरकार के जरिए रेगुलेट होने के कारण इसमें लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड की आशंका भी कम है.
बता दें क्रिप्टो करेंसी का भाव लगातार घटता और बढ़ता रहता है. लेकिन डिजिटल रुपी का एक भाव ही रहेगा. आसान ज़ुबान में समझें तो फिजिकल इस्तेमाल होने वाले नोट के सारे फीचर्स आपको डिजिटली मिलेंगे.
इन 9 बैंक्स को किया गया है सेलेक्ट
इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के लिए 9 बैंक्स को चुना दया है. जिसमें बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई, कोटक महिंद्रा बैंक, आईडीएफसी, एचएसबीसी शामिल हैं.
आरबीआई ने कही थी ये बात
हाल ही में आरबीआई ने कहा कि डिजिटल करेंसी का मकसद मौजूदा ट्रांजेक्शन्स के तौर तरीकों को बदलना नहीं है बल्कि एक एक्स्ट्रा ऑप्शन देना है. इसको लाने का मतलब मौजूदा प्रणालियों को बदलना नहीं है. यानी इसके आने से आपके लेन देन पर कोई असर नहीं होगा.
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